NCERT Class 9 Hindi Chapter 17 स्मृति

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 17 स्मृति

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स्मृति

Chapter: 17

संचयन भाग – 1 (पूरक पाठ्यपुस्तक)

बोध-प्रश्न

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

उत्तर: जब लेखक झरबेरी से बेर तोड़ रहा था तभी गाँव के एक आदमी ने पुकारकर कहा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं शीघ्र घर चले जाओ।

भाई के बुलाने पर लेखक घर की ओर चल दिया, पर उसके मन में डर था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे कौन-सा कसूर हो गया। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो। उसे बड़े भाई की मार का डर था।

प्रश्न 2. मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

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उत्तर: मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेले फेंककर कुएँ से आने वाली उसकी क्रोधपूर्ण फुसकार सुनकर मजे लेते थे। कुएँ में ढेले फेंककर उसकी आवाज तथा उसे सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

प्रश्न 3. ‘साँप ने फुफकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’- यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता?

उत्तर: यह घटना 1908 में घटी और इसे उसने माँ को सात साल बाद 1915 में बताया। इसे लिखा उसने और भी बाद में होगा। लेखक ने जब ढेला उठाकर कुएँ में साँप पर फेंका तब उस पर बिजली-सी गिर पड़ी थी। वह बुरी तरह घबरा गया था। उसे ठीक से याद नहीं कि साँप ने फुसकार मारी या नहीं, उसका फेंका ढेला साँप को लगा या नहीं? इससे उसकी घबराहट झलकती है।

प्रश्न 4. किन कारणों से लेखक ने चिट्टियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

उत्तर: लेखक को चिट्ठियाँ बड़े भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जाती थी तो घर पर मार पड़ती। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिर पड़ी थीं। उसे चिट्ठियाँ बाहर निकालकर लानी ही थीं। उसने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

प्रश्न 5. साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?

उत्तर: साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने निम्नलिखित युक्तियाँ अपनाई:

(i) उसने डंडे से साँप को दबाने का ख्याल छोड़ दिया। 

(ii) उसने साँप का फन पीछे होते ही अपना डंडा चिट्ठियों की ओर कर दिया और लिफाफों को उठाने की चेष्टा की।

(iii) डंडा लेखक की ओर खिंच आने से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्ठियाँ चुनने में कामयाब हो गया।

प्रश्न 6. कुएँ में उतरकर चिट्टियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: लेखक की चिट्ठियाँ कुएँ में गिर पड़ी थीं। कुएँ में एक साँप था। कुएँ में उतरकर चिट्टियों को निकालकर लाना अत्यंत साहस का कार्य था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और वह छः धोतियों को आपस में जोड़कर कुएँ में उतर पड़ा। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा और उसे कुएँ में डाल दिया। दूसरे सिरे को डेंग के चारों ओर एक चक्कर देकर एक गाँठ लगाई और उसे छोटे भाई को दे दिया। लेखक धोती के सहारे कुएँ में घुसा। 

वह कुएँ के धरातल से 4-5 गज ऊपर था कि उसने साँप को फन फैलाए देखा। वह कुछ हाथ ऊपर धोती पकड़े लटका रहा। साँप के पास पैर रखते ही आक्रमण करने को तैयार था। साँप को धोती पर लटककर तो नहीं मारा जा सकता था। डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह न थी। लेखक ने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया। लेखक ने डंडे से चिट्ठी खिसकाने का प्रयास किया। साँप डंडे से चिपट गया। साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों से छू गया। लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। दैवी कृपा से डंडे के लेखक की ओर खिंच आने से साँप के आसन बदल गए। लेखक चिट्टियों को उठाने में सफल हो गया।

प्रश्न 7. इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

उत्तर: इस पाठ को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है:

(i) बच्चे झरबेरी से बेर तोड़कर खाने में मजा लेते हैं। 

(ii) बच्चे स्कूल जाते हुए रास्ते में शरारतें करते जाते हैं। 

(iii) बच्चे कुएँ में ढेले फेंककर खुश होते हैं।

(iv) वे जानवरों, जीव-जंतुओं को तंग करते हैं।

प्रश्न 8. “मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं”-आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मनुष्य हर स्थिति से निपटने के लिए अपना अनुमान लगाता है। वह अपने हिसाब से भविष्य के लिए योजनाएँ भी बनाता है। पर ये सब योजनाएँ हर बार सफल नहीं हो पातीं। ये कई बार झूठी सिद्ध होती हैं। कई बार तो स्थिति बिल्कुल उलट हो जाती है। मनुष्य की कल्पना और वास्तविकता में काफी अंतर होता है।

प्रश्न 9. ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: मनुष्य तो कर्म करता है। उसे फल देने का काम ईश्वर करता है। फल का पाना मनुष्य के वश की बात नहीं है मनचाहा फल प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह तो फल देने वाले की इच्छा पर निर्भर है कि वह क्या फल दे। इस पाठ में लेखक ने चिट्ठियाँ पुनः प्राप्त करने का भरसक प्रयास किया और उसे इसमें सफलता मिल ही गई।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. लेखक ने क्या काम किया, जिससे वह एक भारी मुसीबत में फँस गया? वह मुसीबत क्या थी?

उत्तर: लेखक अपने गाँव से मक्खनपुर के डाकखाने में बड़े भाई की दी हुई चिट्ठियाँ डालने जा रहा था। उसने चिट्ठियाँ अपनी टोपी में रखी हुई थीं। जब वह अपने छोटे भाई के साथ कुएँ के निकट पहुँचा तो उसे एक शरारत सूझी। उसने कुएँ के किनारे से एक ढेला उठाया और उछलकर एक हाथ से टोपी उतारते हुए कुएँ के साँप पर ढेला गिरा दिया। ढेला साँप को लगा या नहीं, इसका तो पता नहीं चला, पर टोपी को हाथ में लेते ही उसमें रखी तीनों चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में जा गिरीं। लेखक तड़पता रह गया। उसने चिट्टियों को झपटने का प्रयास भी बहुत किया, पर वह सफल न हो सका। वे उसकी पहुँच से बाहर हो चुकी थीं। लेखक इस प्रकार एक मुसीबत में फँस गया। वह भाई के क्रोध से डरता था और उनसे झूठ भी नहीं बोल सकता था।

प्रश्न 2. दोनों भाइयों ने मिलकर कुएँ में नीचे उतरने की क्या युक्ति अपनाई?

उत्तर: दोनों भाई कुएँ पर बैठकर रो रहे थे। दोनों को एक युक्ति सूझी। वे धोती उतारकर नग्न हो गए। एक धोती में चने बँधे थे। दो धोतियाँ कानों से बँधी थी, सभी धोतियों को मिलाकर एक रस्सी बनाई गई। गाँठों को खींचकर देख लिया गया कि वे कड़ी हैं या नहीं। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा गया और उसे कुएँ में डाल दिया गया। दूसरे सिरे को चरस के डेंग पर बाँध दिया गया। उसके चारों ओर चक्कर लगाकर और एक गाँठ लगाकर उसे छोटे भाई को पकड़ा दिया गया। लेखक धोती के सहारे कुएँ में उतरने लगा। यद्यपि छोटा भाई रो रहा था, पर उसे साँप मारने का भरोसा दिला दिया गया। लेखक निरंतर नीचे की ओर जा रहा था। नीचे साँप फन फैलाए बैठा था। वह मानो लेखक की ही प्रतीक्षा कर रहा था। वह साँप से दूरी बनाए हुए था। उसके पास एक डंडा भी था। वह उसकी सहायता से चिट्ठियों को अपनी ओर खींचने का प्रयास करने लगा।

प्रश्न 3. जब यह घटना घटी तब मौसम कैसा था?

उत्तर: जब लेखक के साथ यह घटना घटी तब तेज सर्दी का मौसम था। दिसम्बर का अंतिम सप्ताह या जनवरी का प्रथम सप्ताह चल रहा था। कड़कड़ाती ठंड पड़ रही थी। दो-चार दिन पहले बूँदा-बाँदी हो गई थी, अतः शीत की भयंकरता और भी बढ़ गई थी।

प्रश्न 4. भाई साहब के बुलावे की बात सुनकर लेखक डर क्यों गया था?

उत्तर: भाई साहब का बुलावा लेखक के लिए कोई अशुभ संकेत था। उसे लगा कि उससे कोई अपराध हो गया है जिसकी उसे सजा मिलेगी। उस समय वह एक झरबेरी से बेर तोड़कर खा रहा था, शायद वह बात भाई को पता चल गई हो। भाई साहब क्रोध में उसे पीट सकते थे।

प्रश्न 5. लेखक और उसके साथियों को क्या शरारत सूझी?

उत्तर: एक दिन वे सभी स्कूल से गाँव की ओर लौट रहे थे। रास्ते में एक कुआँ पड़ता था। सभी को कुएँ में उझकने की सूझी। सबसे पहले लेखक ही उझका। उसने झाँककर एक ढेला कुएँ में फेंका और उसकी आवाज सुनने की कोशिश की। इसके बाद सभी ने उछल-उछलकर एक-एक ढेला फेंका और कुएँ से आने वाली क्रोधपूर्ण फुफकार पर कहकहे लगाए।

प्रश्न 6. लेखक के पत्र कुएँ में कैसे गिर गए?

उत्तर: लेखक के पत्र उसकी टोपी में रखे थे। उसने एक हाथ में टोपी लेकर दूसरे हाथ से एक ढेला कुएँ में फेंका। टोपी के हाथ में लेते ही उसमें रखी तीनों चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में जा गिरीं। लेखक ने झपट्टा मारकर उन्हें पकड़ना भी चाहा, पर वह इसमें सफल न हो सका। पत्र कुएँ में अंदर जा गिरे। साँप भी वहीं था।

प्रश्न 7. चिट्टियों के कुएँ में गिर जाने पर लेखक को किसकी याद आई और क्यों?

उत्तर: चिट्ठियों के कुएँ में गिर जाने पर लेखक को माँ की गोद की याद आई। उसका जी चाहने लगा कि माँ आकर उसे छाती से लगा ले और लाड़-प्यार करते हुए यह कह दे कि कोई बात नहीं, चिट्ठियाँ फिर लिख जाएँगी। वह भाई की पिटाई से भी बचना चाहता था।

प्रश्न 8. ‘स्मृति’ पाठ के लेखक ने किन कारणों से चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय किया? क्या आपने कभी ऐसा साहसिक निर्णय लिया है? यदि हाँ, तो कब और कैसे? वर्णन कीजिए। 

उत्तर: लेखक को चिट्ठियाँ बड़े भाई ने दी थी। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जाती थी तो घर पर मार पड़ती। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्ठियाँ कुँए में गिर पड़ी थी। उसे चिट्ठियाँ बाहर निकालकर लानी ही थी। उसने कुँए से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

प्रश्न 9. क्या देखकर लेखक की अक्ल चकरा गई?

उत्तर: लेखक ने जब कुएँ में उतरकर ध्यान से नीचे की ओर देखा तो उसकी अक्ल चकरा गई। उसने नीचे देखा कि साँप फन फैलाए धरातल से एक हाथ ऊपर उठा लहरा रहा था। पूँछ और पूँछ के समीप का भाग धरती पर था। लेखक को लगा कि मानो वह उसी की प्रतीक्षा कर रहा हो। लेखक उसकी फुंफकार और चोट से घबरा गया था।

प्रश्न 10. चक्षुश्रवा किसे कहा जाता है और क्यों? 

उत्तर: चक्षुश्रवा उसे कहा जाता है जो आँखों से सुनता है। यह साँप को कहा जाता है। कहते हैं कि साँप के कान नहीं होते। वह आँखों से ही सुनता है। साँप के सामने लेखक स्वयं को भी चक्षुश्रुवा ही अनुभव कर रहा था। दोनों ने एक-दूसरे को आँखों से ही पहचाना। तब अन्य इन्द्रियों ने काम करना बंद कर दिया था।

प्रश्न 11. साँप पर डंडा चलाना क्यों संभव न था?

उत्तर: साँप पर डंडा चलाने के लिए काफी स्थान चाहिए, जिससे वह घुमाया जा सके। कुएँ में इतना स्थान न था कि डंडे को घुमाया जा सके। साँप को डंडे से दबाया जा सकता था, पर ऐसा करना मानो तोप के मुँह में खड़ा होना था। यदि फन या उसके समीप का भाग न दबा तो साँप पलटवार अवश्य करता और काट खाता।

प्रश्न 12. डंडे को साँप के पास से उठाने में क्या कठिनाई हुई? अंततः लेखक डंडा खींचने में सफल कैसे हुआ?

उत्तर: साँप डंडे पर धरना देकर बैठा था। अगर लेखक आगे हाथ बढ़ाता तो साँप उसके हाथ पर वार करता। लेखक ने कुएँ की बगल की एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाईं ओर फेंकी। वह उस पर झपटा। तब उसने दूसरे हाथ से उसकी बाईं ओर से डंडा खींच लिया। बीच में यदि डंडा न होता तो पैर में साँप के दाँत गड़ गए होते।

प्रश्न 13. कुएँ से चिट्ठी निकालने में लेखक द्वारा बनाई गई पूर्व योजना क्यों सफल नहीं हुई?

उत्तर: कुएँ से चिट्ठी निकालने की लेखक की पूर्व योजना थी। साँप को डंडे से दबाया जाए। डंडा चलाने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं था। दोनों चिट्ठियाँ साँप के पास सटी पड़ी थीं। साँप को कुचलने पर लेखक के शरीर में अपना विष पहुँचा सकता था। अतः पूर्व योजना सफल नहीं हो पाई।

प्रश्न 14. लेखक व उनकी टोली का रोज का कार्यक्रम क्या था और क्यों?

उत्तर: लेखक व उनकी टोली का रोज का कार्यक्रम यह था कि वे कुएँ में झाँककर ढेला फेंकते थे तथा उसकी आवाज सुनते थे। मक्खनपुर से लौटते समय प्रायः प्रतिदिन कुएँ में ढेले डाले जाते थे। टोली के बच्चों को इस काम में मजा आता था। 

प्रश्न 15. ‘चिट्टियों को कुएँ से निकालना मौत का सामना करना था- कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कुएँ में विषधर सर्प था। चिट्ठियाँ उसी के पास जा गिरी थीं। उन चिट्ठियों के कुएँ से निकालना एक प्रकार से मौत का सामना करना था। साँप कभी भी हमला करके प्राण ले सकता था। साँप अपना फन फैलाए धरातल से एक हाथ ऊपर उठा लहरा रहा था और वह लेखक की प्रतीक्षा करता जान पड़ रहा था। 

प्रश्न 16. लेखक के डंडे से मोह क्यों था ? उस डंडे ने अंत तक लेखक का साथ कैसे दिया?

उत्तर: लेखक को अपने डंडे से बड़ा मोह था। वह डंडा बबूल की लकड़ी का था। उसका वह डंडा अनेक साँपों के लिए नारायण वाहन हो चुका था। वह अपने इसी डंडे से गाँव के बीच पड़ने वाले आम के पेड़ों से आम तोड़ा करता था। उसे वह मूक डंडा सजीव-सा प्रतीत होता था।

प्रश्न 17. ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करो कि ‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है।’

उत्तर: आदमी तो किसी काम को सफल बनाने के लिए प्रयास कर सकता है, फल देना तो किसी दूसरी शक्ति (ईश्वर) पर ही निर्भर करता है। लेखक ने भी कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का भरपूर प्रयास किया। इसमें सफलता दैवी कृपा से ही मिली।

प्रश्न 18. दोनों भाइयों ने मिलकर कुएँ में नीचे उतरने की क्या यक्ति अपनाई?

उत्तर: दोनों भाइयों ने मिलकर अपनी-अपनी और चने वाली धोतियों के कोनों को आपस में बाँधा। धोती के एक सिरे पर डंडा बाँधा और उसे कुएँ में डाल दिया। दूसरे सिरे को डेंग के चारों ओर एक चक्कर देकर और एक गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। बड़ा भाई कुएँ में उतरने लगा।

प्रश्न 19. ‘स्मृति’ पाठ में लेखक ने क्या-क्या काम किया, जिससे वह भारी मुसीबत में फँस गया?

उत्तर: ‘स्मृति’ पाठ में लेखक ने कुएँ में उतरने का जो काम किया, उससे वह भारी मुसीबत में फँस गया। 

प्रश्न 20. लेखक ने अपने डंडे को नारायण-वाहन क्यों कहा है?

उत्तर: लेखक ने अपने डंडे को नारायण वाहन इसलिए कहा है क्योंकि उसके डंडे से अनेक साँप नारायण के पास जा चुके थे अर्थात् मर चुके थे। लेखक को अपने डंडे से बहुत प्यार था।

प्रश्न 21. चिट्टियों के कुएँ में गिरने के पश्चात् लेखक की मनःस्थिति कैसी थी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: चिट्टियों के कुएँ में गिरने के पश्चात् लेखक की तो मानो जान ही निकल गई। उसने चिट्ठियों को पकड़ने के लिए झपट्टा भी मारा, पर व्यर्थ रहा। वह छोटे भाई के साथ कुएँ के पाट पर बैठकर रोने लगा। वह घर पर पिटने से भयभीत हो रहा था। कहीं भाग जाने की तबीयत कर रही थी। वह कुएँ के विषघर साँप से भिड़ने तक को तैयार हो गया। उसने कुएँ में उतरने की ठान ली।

प्रश्न 22. लेखक की माँ ने घटना सुनकर लेखक को गोद में क्यों बिठा लिया? ‘स्मृति’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जब लेखक की माँ ने अपने बेटे के मुँह से चिट्ठी निकालने की घटना सुनी तो वह एकाएक घबरा गई कि उसका बेटा कितनी बड़ी मुसीबत में फँस गया था। उसने सजल नेत्रों से लेखक को अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया जैसे चिड़िया अपने बच्चों को पंख के नीचे छिपा लेती है।

प्रश्न 23. लेखक को अपने बचपन में कौन-कौन सी वस्तुएँ प्रिय थीं? ‘स्मृति’ के आधार पर लिखिए।

उत्तर: लेखक को अपने बचपन में झरबेरी से बेर तोड़कर खाने का शौक था।

– वह गाँव से मक्खनपुर जाता और वहाँ से लौटते समय प्रतिदिन कुएँ में ढेले फेंकता था। उसे साँप की फुसकार सुनने की प्रवृत्ति हो गई थी।

– उसे अपना बबूल का डंडा प्रिय लगता था।

प्रश्न 24. ‘स्मृति’ पाठ से किन-किन बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है? 

उत्तर: ‘स्मृति पाठ’ से निम्नलिखित बाल सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है:

– बच्चे वानर के समान उछलते-कूदते चलते हैं।

– बालक किसी भी समस्या से निपटने के लिए अजीबोगरीब उपाय करते हैं। पाठ में वे धोतियों को एक-दूसरे में बाँधते हैं। 

– बच्चे कोई-न-कोई शरारत करने की योजना बनाते रहते हैं।

– बच्चे जीवों को परेशान करके खुश होते हैं।

प्रश्न 25. जब लेखक के भाई ने उसे पत्र देकर उन्हें | मक्खनपुर के डाकखाने में डालने का हुक्म दिया तब कैसा मौसम था? क्या उस स्थिति में यह काम संपन्न करते?

उत्तर: दिसंबर का अंत या जनवरी का प्रारंभ था। कुछ बूँदा बाँदी भी हो चुकी थी। लेखक साथियों के साथ झरबेरी से बेर तोड़कर खा रहा था कि भाई का बुलावा आ गया। लेखक डरता-डरता घर पहुँचा तो भाईसाहब का हुक्म हुआ-“इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेजी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिट्टियाँ निकल जाएँ। ये बड़ी जरूरी हैं।”

उन दिनों भयंकर जाड़ा पड़ रहा था। तेज हवा से कँपकँपी लग रही थी। हड्डियाँ तक ठिठुर रही थीं। लेखक भाई के हुक्म को टाल नहीं सकता था। हम भी उस स्थिति में बड़े भाई के हुक्म का पालन अवश्य करते। हमें ऐसा ही सिखाया गया है।

प्रश्न 26. ‘स्मृति’ पाठ को पढ़कर प्रतीत होता है कि बचपन में लेखक काफी शरारती था? कैसे? क्या आपने भी ऐसी शरारतें की हैं?

उत्तर: लेखक बचपन में मक्खनपुर के स्कूल में पढ़ने जाया करता था। गाँव और स्कूल के बीच में पेड़ों से आम तोड़कर खाया करता था। लेखक के साथ पढ़ने वाले बच्चों को पूरी टोली वानर टोली थी। गाँव से मक्खनपुर जाते और लौटते समय वे प्रतिदिन एक कुएँ में ढेले फेंकते थे। यह उनकी रोज की आदत हो गई थी। कुएँ में एक साँप रहता था। ढेलों से वह फुफकारता था। इसे सुनना उन्हें बड़ा अच्छा लगता था। साँप की क्रोधपूर्ण फुसकार सुनकर वे बच्चे कहकहे लगाते थे।

बचपन में शरारतें तो हमने भी की हैं, पर हमने कभी किसी जीव-जंतु को सताया नहीं। जीव-जंतुओं को सताना हमें अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 27. ‘मनुष्य तो कर्म कर सकता है, पर फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर रहता है।’ इस पंक्ति को अपनी दृष्टि से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: मनुष्य तो कर्म कर सकता है, पर फल तो ईश्वर ही देता है। हमारा अधिकार कर्म करने तक सीमित है। हम मनचाहा फल नहीं पा सकते। फल देने का अधिकार किसी अन्य शक्ति ने अपने हाथ में रखा है। यह तो फल देने वाले की इच्छा पर निर्भर है कि वह क्या फल दे। इस पाठ में लेखक ने चिट्ठियाँ पुनः प्राप्त करने का भरसक प्रयास किया और उसे इसमें सफलता मिल ही गई।

प्रश्न 28. लेखक के पास कुएँ से चिट्टियाँ निकालने के सीमित साधन थे, फिर भी कैसे सफल हुआ? ऐसी स्थिति में आप क्या करते?

उत्तर: कुएँ में लेखक की चिट्टियाँ गिर गई थीं। उनको बाहर निकालना आवश्यक था। लेखक के साधन सीमित थे। उसके पास अपनी धोतियाँ और डंडा ही था। वह उन्हीं के सहारे कुएँ में उतरने में सफल हो गया। वह धोतियों को एक-दूसरे के साथ बाँध कर उसी के सहारे नीचे उतरा। धोतियों का एक सिरा छोटे भाई ने मजबूती से पकड़ रखा था। इससे पता चलता है कि लेखक ने अपने सीमित साधनों का सफल प्रयोग किया। ऐसी स्थिति में हम भी अपने सीमित साधनों का भरपूर उपयोग करते और समस्या का समाधान करने के लिए भरपूर प्रयास करते।

प्रश्न 29. ‘स्मृति’ पाठ में लेखक ने जोखिम उठाई। क्या उसका ऐसी जोखिम उठाना सही था? अपना मत दीजिए। 

उत्तर: लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने के लिए साँप से टक्कर लेने की जोखिम उठाई और अंततः सफल हुआ। जीवन में कुछ पाने के लिए जोखिम तो उठानी ही पड़ती है। यह जोखिम उठाना ही हममें आत्मविश्वास उत्पन्न करती है। अत: हमारी दृष्टि में लेखक का जोखिम उठाना सही था। मौका पड़ने पर हम भी जोखिम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।

प्रश्न 30. ‘स्मृति’ पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है? क्या आपने ऐसी शरारतें की हैं? उनके बारे में बताइए।

उत्तर: ‘स्मृति’ पाठ को पढ़ने के बाद निम्नलिखित बाल-सुलभ शरारतों का पता चलता है-

  • बच्चे घर से स्कूल तक जाते समय रास्ते में तरह-तरह की शरारती हरकतें करते हैं। वे किसी न किसी को छेड़ते अवश्य हैं।
  • बच्चे पेड़ से आम तोड़ते थे। बच्चे प्रायः ऐसा करते हैं।
  • बच्चे खतरनाक काम करने में भी रुचि लेते रहते हैं। पाठ के बच्चे साँप पर ढेले फेंककर उसे तंग करते हैं।
  • छोटी-सी समस्या आने पर बच्चे रोने लगते हैं। 

हमने भी बचपन में तरह-तरह की शरारतें की हैं। हमें भी कुत्तों, बिल्लियों को तंग करने में खूब मजा आता था। हम भी खतरनाक कामों को करने के लिए तैयार रहते थे। इसके लिए कई बार हमारी पिटाई भी हुई है।

प्रश्न 31. ‘स्मृति’ पाठ में लेखक ने अपनी माँ को जो बातें बताईं, यदि इस समय लेखक की माँ के स्थान पर आप होते तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: लेखक ने काफी समय बाद मैट्रीक्युलेशन पास करने के उपरांत कुएँ में साँप से संघर्ष कर चिट्ठियाँ निकालने की बात अपनी माँ को सुनाई। उसकी माँ ने आँखों में आँसू भरकर उसे अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया जैसे चिड़िया अपने बच्चे को डैने के नीचे छिपा लेती है।

यदि लेखक की माँ के स्थान पर हम होते तो हम अपने बेटे की बहादुरी और साहस पर गर्व करते। उसे खूब शाबासी देते और उसकी खुलकर प्रशंसा करते। उसे जीवन में इसी प्रकार साहसी बने रहने की प्रेरणा देते। हम उसके सामने कमजोरी प्रकट नहीं करते।

प्रश्न 32. ‘स्मृति’ पाठ की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर: ‘स्मृति’ पाठ संस्मरण शैली में लिखा गया है।

इसमें लेखक ने अपनी बाल्यावस्था की एक घटना का सजीव वर्णन किया है। इस कहानी का घटनाक्रम इतनी रोमांचक शैली में वर्णित है कि प्रत्येक क्षण, परिस्थिति की गंभीरता और सामने आए खतरे का वर्णन हमारे कौतूहल को शुरू से अंत तक बनाए रखता है। लेखक ने बाल मनोविज्ञान का भी सहज अंकन किया है। बच्चों की सहज जिज्ञासा एवं खेल-कूद की प्रवृत्ति उन्हें कभी-कभी कठिन और जोखिमपूर्ण मोड़ पर ले जा कर खड़ा करती है। इसका लेखक ने बहुत ही सजीव वर्णन किया है। लेखक की भाषा-शैली सरल एवं सुबोध है।

प्रश्न 33. लेखक घर जाते समय क्यों डर रहा था? क्या घर जाकर वह डर मिट गया?

उत्तर: लेखक घर जाते समय इसलिए डर रहा था क्योंकि उसे गाँव के एक आदमी ने अचानक पुकार कर कहा-“तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र घर लौट जाओ।” लेखक घर की ओर तो चलने लगा पर वह डर रहा था कि पता नहीं घर में क्या हो? वह भाई साहब की मार से डर रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उससे कौन-सा कसूर बन पड़ा कि अचानक भाई साहब ने उसे बुला भेजा है ? वह डरते-डरते घर में घुसा। उसे आशंका थी कि कहीं बेर खाने के अपराध में उसकी पेशी न हो रही हो।

घर पहुँचकर उसने देखा कि भाई साहब पत्र लिख रहे हैं। उसके पिटने का डर जाता रहा। उसे देखकर भाई साहब ने कहा कि “इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेजी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिट्ठियाँ निकल जाएँ। ये बहुत जरूरी हैं।” यह सुनकर लेखक का डर मिट गया।

प्रश्न 34. लेखक को डंडे को साँप के पास से उठाने में क्या कठिनाई आ रही थी?

उत्तर: कठिनाई यह आ रही थी कि साँप खुलकर उसी डंडे पर बैठा था। उसने धरना दे रखा था। लेखक यदि डंडा उठाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता तो साँप उसके हाथ पर वार करता। लेखक ने यह किया कि कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप की दाईं ओर फेंकी। साँप मिट्टी पर झपटा, तभी लेखक ने दूसरे हाथ से उसकी बाईं ओर से डंडा खींच लिया, पर उसने दूसरी ओर भी वार किया। यदि बीच में डंडा न होता, तो लेखक के पैर में उसके दाँत गड़ गए होते।

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