NCERT Class 9 Hindi Chapter 16 गिल्लू

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 16 गिल्लू

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गिल्लू

Chapter: 16

संचयन भाग – 1 (पूरक पाठ्यपुस्तक)

बोध-प्रश्न

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

प्रश्न 1. सोनजुही में लगी पीली कली को देख लेखिका के मन में कौन से विचार उपड़ने लगे?

उत्तर: सोनजुही में लगी पहली कली को देखकर लेखिका के मन में उस छोटे से जीव का स्मरण हो आया, जो इसी लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठा था। वह गिलहरी थी, जिसे गिल्लू कहकर पुकारते थे। वह लेखिका के कंधे पर बैठकर उसे चौंका देता था। वह गिल्लू के बारे में ही सोचती रह गई।

प्रश्न 2. पाठ के आधार पर कौए को एक साथ समादरित और अनादरित प्राणी क्यों कहा गया है?

उत्तर: कौआ बड़ा विचित्र प्राणी है। कभी इसका आदर किया गया है तो कभी अनादर। श्राद्धों में लोग कौए को आदर सहित बुलाते हैं। पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए कौआ बनकर ही प्रकट होना पड़ता है। इसके माध्यम से ही दूर बसे प्रियजनों के आने का संदेश मिलता है, अतः यह समादरित होता है। पर जब कौआ काँव-काँव करके हमारा सिर खा जाता है, तब यह अनादरित होता है।

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प्रश्न 3. गिलहरी के घायल बच्चे का उपचार किस प्रकार किया गया?

उत्तर: लेखिका घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई। फिर रुई से उसके खून को पोंछकर पेंसिलिन का मरहम लगाया गया। रुई की पतली बत्ती से उसे दूध पिलाने का प्रयास किया गया, पर दूध की बूँदें लुढ़क गई। कई घंटे उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीन दिन में वह अपनी आँखों से इधर-उधर देखने लगा।

प्रश्न 4. लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था?

उत्तर: लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू पहले उसके पैरों तक आता और फिर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसके दौड़ने का यह क्रम त तक चलता रहता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती।

प्रश्न 5. गिल्लू को मुक्त करने की आवश्यकता क्यों

समझी गई और उसके लिए लेखिका ने क्या उपाय किया?

उत्तर: गिल्लू के जीवन में पहला वसंत आया। कमर में सुध फैलने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास आकर चिक-चिक करके कुछ-कुछ कहने लगी। गिल्लू जाली के पास बैठकर उन्हें निहारता था। उसे बाहर झाँकते देखकर लेखिका को लगा कि अब इसे मुक्त करना आवश्यक हो गया है।

इसके लिए लेखिका ने कीलें निकालकर जाली का एक कोना खोल दिया। इस रास्ते में गिल्लू बाहर जा आ सकता था। बाहर जाकर गिल्लू ने सचमुच मुक्ति की साँस ली।

प्रश्न 6. गिल्लू किन अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था?

उत्तर: एक बार लेखिका अस्वस्थ हो गई। गिल्लू उसके तकिए पर सिरहाने बैठ जाता और अपने नन्हें-नन्हें पंजों से लेखिका के सिर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता था। इस प्रकार वह सच्चे अर्थों में परिचारिका की भूमिका निभा रहा था।

प्रश्न 7. गिल्लू की किन चेष्टाओं से यह आभास मिलने लगा था कि अब उसका अंत समीप है?

उत्तर: जिस दिन गिल्लू का अंत समीप आया, उस दिन उससे दिन भर कुछ भी न खाया गया। वह बाहर भी न आया। रात में अंत की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिसार पर आ गया और ठंडे पंजों से उनकी वही उँगली पकड़कर चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था। उसके पंजे ठंडे हो रहे थे।

प्रश्न 8. ‘प्रभात की प्रथम किरण के स्पर्श के साथ ही वह किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया’- का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि प्रातःकाल होते ही गिल्लू ने अपना शरीर त्याग दिया और किसी जीवन में जन्म लेने के लिए उसने प्राण छोड़ दिए।

प्रश्न 9. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है?

उत्तर: सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गई। उसे यही लता सबसे अधिक प्रिय थी। इससे लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि उस छोटे-से शरीर वाले जीव का किसी बासंती दिन जुही के पीले फूल खिलेंगे। इससे गिल्लू की स्मृति साकार हो जाती रहेगी।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. गिल्लू किस अवस्था में लेखिका को कहाँ मिला?

उत्तर: गिल्लू को दो कौओं ने चोंच मारकर घायल कर दिया था। वह निश्चेष्ट हो गया था। वह गमले और दीवार की संधि में छिपा पड़ा था। वह घोंसले से गिर पड़ा था। वहीं लेखिका की दृष्टि पड़ी और वह उसे उठाकर अपने कमरे में ले आई । वहाँ उसने उसके घाव की कई स सफाई की और पेसिलिन का मरहम लगाया। इसके बाद उसके भोजन की समस्या आई। लेखिका ने रुई की पतली बत्ती बनाई और उसे दूध में भिगोकर उसके नन्हे मुँह में डाला, पर मुँह खुल न सका। दूध की बूँदें दोनों ओर लुढ़क गई। कई घंटे के उपचार के पश्चात् उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका।

प्रश्न 2. पुरखों के बारे में इस पाठ में क्या कहा गया है?

उत्तर: पुरखों के बारे में इस पाठ में यह कहा गया है कि वे न तो गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मोर के रूप में और न हंस के रूप में। पुरखों को पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक (कौआ) बनकर ही प्रकट होना पड़ता है। पितृपक्ष में कौओं को आदर दे-देकर बुलाया जाता है और बढ़िया खाना खिलाया जाता है। ऐसा माना गया है कि वह खाना पुरखों तक पहुँच जाता है।

प्रश्न 3. गिल्लू के घर के लिए क्या प्रबंध किया गया?

उत्तर: गिल्लू के लिए लेखिका ने फूल रखने वाली एक हलकी डलिया ली और उसमें रुई बिछाकर उसे नरम बिछौने का रूप दे दिया। उस डलिया को तार से खिड़की पर लटका दिया। वही गिल्लू का घर था। वह उसे खुद हिलाता था और अपने घर में झूलता था। गिल्लू इस घर में दो वर्ष तक रहा।

प्रश्न 4. पाठ में गिल्लू के खाने के बारे में क्या बताया गया है?

उत्तर: लेखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती, गिल्लू खिड़की से निकलकर आँगन की दीवार और बरामदा पार करके मेज पर पहुँच जाता था और लेखिका की थाली में बैठने का प्रयास करता था। लेखिका ने उसे कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया था। वह लेखिका की थाली में से एक-एक चावल उठाकर बड़ी सफाई से खाता था। काजू उसका प्रिय खाद्य था। कई दिन तक काजू न मिलने पर अन्य खाने की चीजों को या तो लेना बंद कर देता था या झूले के नीचे फेंक देता था।

प्रश्न 5. गिल्लू और लेखिका के घनिष्ठ संबंधों को स्पष्ट करें।

उत्तर: गिल्लू और लेखिका के मध्य घनिष्ठ संबंध थे। लेखिका जब लिखने बैठती थी तब गिल्लू उनके पैर तक आकर सर से परदे पर चढ़ जाता था। वह लेखिका की खाने की मेज पर पहुँच जाता था। लेखिका की अस्वस्थता में वह सिरहाने बैठकर उसके सिर और बालों को सहलाता रहता था।

प्रश्न 6. गिल्लू किस अवस्था में कहाँ मिल?

उत्तर: गिल्लू घोंसले से गिर पड़ा था। उसे दो कौओं की चोंच के घाव लगे थे। वह निश्चेष्ट-सा एक गमले से चिपटा हुआ मिला था। लेखिका ने उसका रक्त पोंछकर पेंसिलिन का मरहम लगाकर उपचार किया। एक घंटे बाद रुई की बत्ती से दूध की बूँदें पिलाई।

प्रश्न 7. जब लेखिका लिखने बैठती तब गिल्लू क्या करता था? वह उस पर किस प्रकार नियंत्रण रखती थी?

उत्तर: जब लेखिका लिखने बैठती तब गिल्लू उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए उसके पैर तक आता और सर से परदे पर चढ़ जाता था। फिर उसी तेजी से नीचे उतरता था। उसका यह क्रम तब तक चलता रहता था, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए नहीं उठती।

लेखिका उस पर नियंत्रण करने के लिए उसे एक लंबे लिफाफे में रख देती थी। इस अद्भुत स्थिति में भी वह लेखिका का कार्यकलाप देखता रहता था।

प्रश्न 8. तीन-चार मास में ही उस गिलहरी के बच्चे में क्या परिवर्तन आया? 

उत्तर: तीन-चार मास में ही उस गिलहरी के बच्चे के रोएँ चिकने हो गए, पूँछ छब्बेदार और चचल चमकीली हो गई। उसकी आँखें सबको विस्मित करने वाली हो गई। अब वह अपनी नीले काँच के मोतियों जैसी आँखों से इधर-उधर देखने लगा। 

प्रश्न 9. वे कौन-सी स्थितियाँ थीं, जिनमें गिल्लू की चेष्टाएँ मानवीय प्रतीत होती थीं?

उत्तर: गिल्लू की निम्नलिखित चेष्टाएँ मानवीय प्रतीत होती थीं- 

• लेखिका की थाली में खाने की हिम्मत जुटाना। 

• लेखिका की बीमारी के दुख में गिल्लू ने अपना प्रिय खाद्य काजू बहुत कम खाए।

• अस्वस्थता में लेखिका के सिर और बालों को सहलाना। 

प्रश्न 10. गिल्लू ने गरमी से बचने के क्या उपाय खोज निकाले?

उत्तर: गिल्लू ने गरमी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था । वह लेखिका के पास रखी सुराही पर लेट जाता । इस प्रकार वह समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता।

प्रश्न 11. गिल्लू को क्या खतरा था? लेखिका ने गिल्लू को बचाने के लिए क्या किया?

उत्तर: गिल्लू को दो कौओं ने चोंच मारकर घायल कर दिया था। वह निश्चेष्ट होकर पड़ा था। उसका जीवन खतरे में था। लेखिका ने गिल्लू को बचाने के लिए उसका घाव रुई से साफ किया फिर घाव पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। इसके बाद उसे भूख से बचाने का उपाय किया। उसके मुँह में दूध और पानी की बूँदें टपकाई गईं। तीसरे दिन उसकी हालत में सुधार आ पाया। 

प्रश्न 12. ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर लेखिका के स्वभाव पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि लेखिका सहृदय एवं जीवों पर दया करने वाली है। उसे अनेक प्रकार के जीवों को पालने का शौक रहा है। लेखिका इन्हें पालने के साथ-साथ इनके रहने एवं भोजन की अच्छी व्यवस्था करती है। लेखिका कोमल स्वभाव वाली है। वह पशु-पक्षी प्रेमी है। 

प्रश्न 13. गिल्लू अपना प्रेम किस प्रकार व्यक्त करता था?

उत्तर: गिल्लू कई हरकतों से लेखिका के प्रति अपना प्रेम प्रकट करता था। गिल्लू लेखिका के कॉलेज से लौटने पर उसके पैर से सिर तक दौड़ लगाने लगता था। वह लेखिका के साथ उसकी थाली में ही खाता था। उसने लेखिका की अस्वस्थता में खाना-पीना बहुत कम कर दिया था। उन दिनों वह अपने नन्हें पंजों से लेखिका का सिर और बाल सहलाता रहता था।

प्रश्न 14. गिल्लू कौन था? उसकी ‘जीवन यात्रा के अंत’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: गिल्लू गिलहरी का बच्चा था। दो वर्ष में ही गिलहरी की जीवन-यात्रा का अंत आ गया था। उस दिन उसने दिनभर कुछ नहीं खाया, न बाहर गया। अंत समय में भी वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आ गया और उसकी उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया। उसके पंजे ठंडे पड़ गए और प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही सदा के लिए सो गया।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. लेखिका ने एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर क्या दृश्य देखा? इस घटना को लेखिका किस प्रसंग में ले जाती है? क्या आप उसके कथन से सहमत हैं?

उत्तर: एक दिन लेखिका ने सवेरे कमरे से बरामदे में आकर देखा कि दो कौए एक गमले के चारों ओर चोंचों से छूआ-छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। लेखिका सोचती है कि यह काकभुशुंडि भी बड़ा विचित्र पक्षी है। कभी यह समादरित (आदर-सम्मान) होता है तो कभी अनादरित (तिरस्कृत)। वह सोचती है कि हमारे पुरखे न गरुड़ के रूप में आ सकते हैं, न मयूर के रूप में और न हंस के रूप में। उन्हें पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए काक बनकर ही प्रकट होना पड़ता है। इतना ही नहीं हमारे दूर रहने वाले प्रियजनों को भी अपने आने का मधुर संदेश कर्कश स्वर में ही देना पड़ता है। दूसरी ओर हम कौआ और काँव-काँव करने को अवमानना के अर्थ में प्रयुक्त करते हैं।

प्रायः समाज में ऐसा ही माना जाता है। पर मैं इस कथन से सहमत नहीं हूँ कि हमारे पितरों को कौए के रूप में अवतरित होना पड़ता है।

प्रश्न 2. लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे की रक्षा कैसे की तथा उसका उपचार किस प्रकार किया? क्या आप ऐसा करते हैं?

उत्तर: छात्र-छात्री स्वयं करें।

प्रश्न 3. लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे की रक्षा कैसे की तथा उसका उपचार किस प्रकार किया? क्या आप ऐसा करते हैं?

उत्तर: लेखिका घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई। फिर रुई से उसके खून को पोंछकर पेंसिलिन का मरहम लगाया गया। रुई की पतली बत्ती से उसे दूध पिलाने का प्रयास किया गया, पर दूध की बूँदें लुढ़क गई। कई घंटे उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका। तीन दिन में वह अपनी आँखों से इधर-उधर देखने लगा।

हम भी किसी घायल प्राणी को बचाने का भरपूर प्रयास करते हैं। उसका सही उपचार करने के पश्चात् उसके भोजन की भी व्यवस्था करते हैं।

प्रश्न 4. क्या आपने किसी जीव-जंतु को पाला है? यदि हाँ तो अपना अनुभव लिखिए।

उत्तर: हाँ, मैंने एक तोते को पाला है। तोता मुझे बहुत अच्छा लगता है। तोते के लिए मैंने एक पिंजरा बनवाया है। इसमें तोते के बैठने व खाने-पीने की पूरी व्यवस्था मैंने कर रखी है। तोते की मीठी आवाज मुझे बहुत भाती है। मैं अपने तोते के साथ बातें भी करता हूँ। कभी-कभी मैं उसका पिंजरा भी खोल देता हूँ, पर वह उड़कर कहीं नहीं जाता।

प्रश्न 5. गिल्लू की किस बात से उसका लेखिका के प्रति लगाव प्रकट होता है? आपकी दृष्टि में क्या ऐसा संभव था?

उत्तर: एक बार लेखिका को मोटर दुर्घटना में घायल होकर दिन अस्पताल में रहना पड़ा। उन दिनों जब लेखिका कुछ के कमरे का दरवाजा खोला जाता तो गिल्लू अपने झूले से उतरकर दौड़ता और फिर लेखिका के स्थान पर किसी और को देखकर अपने घोंसले में जा बैठता था। उसे खाने को काजू दिए जाते (काजू उसका प्रिय खाद्य था), पर उन्हें नहीं खा रहा था। लेखिका ने अस्पताल से लौटकर देखा कि झूले की सफाई के दौरान उसमें काजू भरे मिले। इससे ज्ञात होता था कि लेखिका की बीमारी के दौरान उसने बहुत कम काजू खाए थे। लेखिका की अस्वस्थता में वह उसके तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे नन्हे पंजों से उसका सिर और बालों को धीरे-धीरे सहलाता रहता था।

इन सभी बातों से गिल्लू का लेखिका के प्रति लगाव प्रकट होता है।

हमारी दृष्टि में यह पूरी तरह होते हैं। से संभव था। पक्षी भी सहृदय होते हैं।

प्रश्न 6. गिल्लू के जीवन के अंतिम समय का वर्णन अत्यंत मार्मिक ढंग से हुआ है। आप इसे किस रूप में लेते हैं?

उत्तर: गिल्लू (गिलहरी) के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती। गिल्लू का भी अंत समय आ गया था। उस दिन उसने न कुछ खाया, न वह बाहर गया। रात्रि के समय अंत की यातना में भी वह अपने झूले से उतरकर लेखिका के बिस्तर पर आया और अपने पंजों से उसकी उँगली पकड़कर हाथ से चिपक गया। तब वह मरणासन्न स्थिति में था। उसके पंजे ठंडे हो रहे थे। उसे गर्मी देने की कोशिश की गई, पर प्रभात की प्रथम किरण के साथ ही उसने प्राण त्याग दिए। इसे हम एक सामान्य रूप में ही लेते हैं। जीवन का अंत सभी के लिए दुखदायी होता है।

प्रश्न 7. ‘गिल्लू’ कहानी में लेखिका का पशु-प्रेम प्रकट होता है। उसका वर्णन अपने शब्दों में करते हुए अपना अनुभव भी बताएँ।

उत्तर: लेखिका का पशु-प्रेम सर्वविदित था। उसने बहुत सारे पशु-पक्षी पाल रखे थे। इसी प्रेम के वशीभूत होकर उसने गिल्लू (गिलहरी का बच्चा) को मरणासन्न स्थिति से बचाया था तथा उसकी पूरी देखभाल की। उसने गौरा (गाय) को भी पाला था। पाठ में लेखिका स्वयं बताती है मेरे पास बहुत से पशु-पक्षी हैं और उनका मुझसे लगाव भी कम नहीं है।

मुझे भी अपने कुत्ते के साथ बहुत प्रेम है। मैं उसका बहुत ख्याल रखता हूँ। वह भी मेरे साथ काफी हिल-मिल गया है। हम दोनों आपस में मित्रवत् व्यवहार करते हैं।

प्रश्न 8. सोनजुही की लता के नीचे बनी गिल्लू की समाधि से लेखिका के मन में किस विश्वास का जन्म होता है? ‘गिल्लू’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। क्या आपको भी कभी ऐसा विश्वास उत्पन्न हुआ है?

उत्तर: सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गई। उसे यही लता सबसे प्रिय थी। इससे लेखिका के मन में इस विश्वास का जन्म होता है कि वह छोटे-से शरीर वाला जीव, किसी वासंती दिन, जूही के छोटे फूल में खिल जाएगा। यह विश्वास उसे संतोष देता है। एक बार मैंने घर के बगीचे में आम का एक पौधा लगाया। इस पौधे को लगाकर मेरे मन में यह विश्वास पैदा हुआ कि एक दिन यही वृक्ष आम के फल प्रदान करेगा। तब मैं और मेरी अगली पीढ़ी आम खाने का स्वाद लेंगे। इस कल्पना से मुझे बहुत संतोष एवं आनंद का अनुभव हुआ। आशा-विश्वास के ऊपर ही हमारा जीवन टिका हुआ है।

प्रश्न 9. ‘काकभुशुंडि’ किसे कहा जाता है? इसे विचित्र पक्षी क्यों कहा गया है?

उत्तर: काकभुशुडि कौए को कहा जाता है। इसे विचित्र पक्षी इसलिए कहा गया है क्योंकि कभी तो यह आदर का पात्र बन जाता है तो कभी इसका अनादर होता है। एक ही पक्षी के ये दो रूप विचित्र तो लगते हैं ही। यह पक्षी आदर का पात्र श्राद्ध के दिनों में बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि हमारे पुरखे हमसे कुछ पाने के लिए काक (कौए) के रूप में ही अवतरित होते हैं। हमारे पूर्वज अपने प्रियजनों को अपने आने की सूचना इन कौओं की कर्कश ध्वनि में ही देते हैं। तब सभी इन्हें आदरपूर्वक बुलाकर भोजन कराते हैं। बाद में जब पितृपक्ष चला जाता है तब इन्हीं कौओं की कर्कशध्वनि हमें बुरी प्रतीत होती है। तब हम इनका अनादर करने लगते हैं।

प्रश्न 10. गिल्लू कौन था? वह लेखिका के घर में कैसे प्रवेश पा गया?

उत्तर: गिल्लू गिलहरी’ का बच्चा था। उसे दो कौओं ने चोंच मारकर घायल कर दिया था। लेखिका उसे उठाकर अपने कमरे में ले आई। फिर उसकी सेवा-सुश्रुषा आरंभ हुई। उसके घाव को रुई से पोंछा, घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। अब समस्या आई उसके खाने-पीने की। लेखिका ने रुई की पतली बत्ती बनाकर उसके मुँह में बूँद-बूँद कर दूध टपकाया। तीसरे दिन उस गिलहरी के बच्चे में जान आ गई। अब वह लेखिका की ओर देखने लगा था। तीन चार मास में ही यह सबको विस्मित करने लगा। लेखिका ने उसका नाम रख दिया-गिल्लू। वह दो वर्ष तक लेखिका के घर में रहा।

प्रश्न 11. लेखिका ने गिल्लू को कब और कैसे जाली से मुक्त किया?

उत्तर: गिल्लू जाली के पास बैठकर बाहर की ओर झाँकता रहता था। ऐसी स्थिति देखकर लेखिका ने गिल्लू को जाली की कैद से मुक्त करने की बात सोची। उसने जाली के एक कोने से कीलें निकाल दीं। इसी रास्ते से गिल्लू बाहर निकल आया। उसने भी मुक्ति की साँस ली। इसके साथ एक दूसरी समस्या खड़ी हो गई। इतने छोटे जीव को लेखिका के घर में पल रहे कुत्ते, बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या हो गई।

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