NCERT Class 9 Hindi Chapter 12 एक फूल की चाह

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NCERT Class 9 Hindi Chapter 12 एक फूल की चाह

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एक फूल की चाह

Chapter: 12

स्पर्श भाग – 1 (काव्य भाग)

काव्यांशों पर आधारित विषय बोध, अर्थ बोध और सराहना संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. ‘उद्वेलित कर अश्रु राशियाँ’ से क्या आशय है? 

उत्तर: महामारी की चिंता में भाव-विल होकर लोगों की आँखों से आँसुओं की धारा बह रही थी।

प्रश्न 2. महामारी कैसा रूप धारण करती जा रही थी? 

उत्तर: महामारी प्रचंड रूप धारण करती जा रही थी। वह चारों ओर फैलती जा रही थी।

प्रश्न 3. ‘क्षीण कंठ मृतवत्साओं का’-यह कथन किनके बारे में है? 

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उत्तर: यह कथन उन माताओं के बारे में है जिनकी संतान इस महामारी में मारी गई। अब रोते-रोते उनका कठ कमजोर पड़ गया था।

प्रश्न 4. उन माताओं का रोना कैसा था?

उत्तर: उन माताओं का रोना करुणा से भरा तथा हृदय-विदारक था जिसे दबाना या वश में रखना कठिन था। रो-रोकर उनका हाल बुरा हो गया था, पर उनका हाहाकार रुकने का नाम नहीं लेता था। उनका चित्त बहुत अशांत था।

प्रश्न 5. कौन, किसको रोक रहा था?

उत्तर: सुखिया का पिता अपनी बेटी को घर से बाहर खेलने जाने को रोक रहा था। 

प्रश्न 6. सुखिया का पिता बेटी को घर से बाहर जाने से क्यों रोकता था?

उत्तर: यह बेटी को इसलिए रोकता था ताकि वह महामारी की चपेट में न आ जाए। 

प्रश्न 7. बालिका का स्वभाव कैसा था?

उत्तर: बालिका चंचल स्वभाव की थी उसका खेलना रुकता ही नहीं था।

प्रश्न 8. किसका हृदय, कब काँप उठता था?

उत्तर: जय-जय सुखिया घर से बाहर खेलने जाती थी, तब-तब पिता का हृदय आशंका से काँप उठता था।

प्रश्न 9. पिता हर बार क्या मनाता था?

उत्तर: सुखिया का पिता हर बार यही मनाता था कि किसी तरह इस बार बेटी को महामारी की चपेट में आने से बचा लूँ।

प्रश्न 10. इस कविता के रचयिता कौन है?

उत्तर: इस कविता के रचयिता सियारामशरण गुप्त हैं। 

प्रश्न 11. ‘हृदय-चिंताओं’ में किस अलंकार का प्रयोग है? 

उत्तर: रूपक अलंकार का (हृदय रूपी बिताएँ)।

प्रश्न 12. इस काव्यांश की भाषा-शैली पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

उत्तर: इस काव्यांश की भाषा खड़ी बोली है। इसमें तत्सम शब्दों की बहुलता है-उद्वेलित, प्रचंड, क्षीणकट मृतवत्साओं, दुर्दात आदि।

प्रश्न 13. इस काव्यांश में किस रस का परिपाक हुआ है?

उत्तर: इस काव्याश में करुण रस का परिपाक हुआ है।

प्रश्न 14. कवि के मन में क्या डर था, जो बाहर आ गया?

उत्तर: कवि के मन में यह डर था कि कहीं उसकी बेटी महामारी का शिकार न बन जाए और एक दिन उसका यह डर सच होकर रहा।

प्रश्न 15. सुखिया के पिता ने एक दिन क्या पाया?

उत्तर: सुखिया के पिता ने एक दिन सुखिया के शरीर को बुखार में तपते हुए पाया। वह बेचैनी का अनुभव कर रही थी।

प्रश्न 16. सुखिया ने स्वर में विह्वल होकर क्या कहा?

उत्तर: ज्वर में विहल होकर सुखिया ने अपने पिता से यह कहा कि मुझे देवी के प्रसाद का एक फूल लाकर दे दो।

प्रश्न 17. बालिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर: पिता के अनुसार संभवतः उसकी बेटी ने किसी डर के कारण ऐसा कहा होगा।

प्रश्न 18. बुखार ने सुखिया की क्या दशा कर दी?

उत्तर: बुखार के कारण सुखिया का कठ क्षीण (कमजोर) हो गया तथा उसके सारे अंग शिथिल पड़ गए।

प्रश्न 19. पुत्री की यह दशा देखकर पिता की क्या हालत हुई? 

उत्तर: पुत्री की ऐसी दशा देखकर पिता चिंतामग्न हो गया तथा बेटी को बचाने के तरह-तरह के उपाय सोचने लगा।

प्रश्न 20. चिंतावस्था में पिता को किस बात का पता तक नहीं चला?

उत्तर: चितावस्था में पिता को न तो प्रातः होने, न दोपहरी के होने का पता चल सका। कब सुनहरे बादलों में सूरज डूब गया और संध्या गहरा गई, यह भी उसे पता न चला।

प्रश्न 21. पिता की इस दशा से क्या पता चलता है?

उत्तर: उसकी इस दशा से यह पता चलता है कि वह आस-पास के बदलते वातावरण से सर्वथा अनजान का होश तक नहीं था।

प्रश्न 22. अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण छाँटकर लिखिए। 

उत्तर: ‘ताप-तत्त’ (‘त’ वर्ण की आवृत्ति है)।

प्रश्न 23. ‘नव-नव’ में किस अलंकार का प्रयोग है? 

उत्तर: इसमें ‘पुनरुक्ति प्रकाश’ अलंकार का प्रयोग है।

प्रश्न 24. काव्यांश की भाषा शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो। 

उत्तर: काव्यांश की भाषा खड़ी बोली है। इसमें तत्सम शब्दों (विहल, क्रमश:, क्षीण, स्वर्ण-पन) की बहुलता है।

प्रश्न 25. पिता को चारों ओर क्या दिखाई दिया? 

उत्तर: सुखिया के पिता को चारों ओर अंधकार को छाया ही दिखाई दी।

प्रश्न 26. पिता को उस समय क्या लग रहा था?

उत्तर: पिता को उस समय लग रहा था कि यह घता अंधकार उसकी बेटी को निगल जाएगा अर्थात् मार डालेगा।

प्रश्न 27. पिता की आँखें क्यों झुलसी जाती थीं? 

उत्तर: पिता जब ऊपर की ओर देखता था तब उसे विशाल आकारा में जलते हुए अंगारे से दिखाई देते थे। जगमगाते तारों से उसकी आँखें झुलसी जा रही थीं।

प्रश्न 28. पिता बेटी की क्या दशा देख रहा था?

उत्तर: सुखिया कभी भी क्षण भर के लिए भी स्थिर होकर नहीं बैठती थी. पर अब वही लड़की बिस्तर पर चुपचाप पड़ी हुई थी।

प्रश्न 29. पिता सुखिया को उकसा कर क्या सुनना चाहता था?

उत्तर: पिता अपनी बेटी को उकसा कर शायद यही सुनना चाहता था कि मुझको (बेटी को) देवी के प्रसाद का फूल लाकर दो। 

प्रश्न 30. इस काव्यांश में किस अलंकार का प्रयोग है?

उत्तर: इस काव्यांश में उपमा अलंकार का प्रयोग है। 

प्रश्न 31. काव्यांश में से दो तत्सम शब्द चुनकर लिखिए।

उत्तर: तिमिर, सुस्थिर।

प्रश्न 32. सुखिया के पिता ने अंबा (माता) को क्या अर्पित किया?

उत्तर: सुखिया के पिता ने माता को दोष फूल अर्पित किए।

प्रश्न 33. पुजारी ने क्या किया?

उत्तर: पुजारी ने अंजलि भर कर उसे प्रसाद दिया।

प्रश्न 34. पिता क्या भूल गया?

उत्तर: सुखिया का पिता माँ के दर्शन का परम लाभ पाकर पुजारी से प्रसाद लेना तक भूल गया।

प्रश्न 35. पिता ने क्या सोचा?

उत्तर: पिता ने यह सोचा कि माता के पवित्र फूल ले जाकर अपनी बेटी को दे दूँ।

प्रश्न 36. तभी क्या घटना घटित हुई?

उत्तर: पिता अभी मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुँचा भी न था कि उसे भक्तों को यह आवाज सुनाई पड़ी-यह अछूत मंदिर के भीतर कैसे घुस आया? इसे पकड़ लो, यह भागने न पाए।

प्रश्न 37. भक्तों ने सुखिया के पिता को कसा बताया?

उत्तर: सुखिया के पिता को भक्तों ने धूर्त बताया। उन्होंने उसके साफ-सुथरे कपड़ों पर भी कटाक्ष किया। 

प्रश्न 38. इस काव्यांश के आधार पर भक्तों की मनोदशा को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: भक्तों की मनोदशा यह थी कि अछूत को मंदिर में आने और देवी माँ का प्रसाद पाने का कोई अधिकार नहीं है। वह साफ-सुथरे कपड़े तक नहीं पहन सकता। उसे भले मनुष्य-सा नहीं दिखना चाहिए।

प्रश्न 29. आपके विचार से क्या भक्तों का दृष्टिकोण सही था? 

उत्तर: नहीं, भक्तों का दृष्टिकोण बिल्कुल भी सही नहीं था।

प्रश्न 40. इस काव्याश में से अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण छाँटकर लिखिए। 

उत्तर: (क) पुण्य-पुष्प (‘प’ वर्ण की आवृत्ति) 

(ख) साफ-स्वच्छ (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)।

प्रश्न 41. विलोम शब्द लिखो-

पुण्य, स्वच्छ

उत्तर: पुण्य x पाप

स्वच्छ x अस्वच्छ।

प्रश्न 42. भक्तों ने सुखिया के पिता पर क्या आरोप लगाया?

उत्तर: भक्तों ने सुखिया के पिता पर यह आरोप लगाया कि यह व्यक्ति पापी है, इसने बड़ा भारी अनर्थ किया है। इसने चिरकाल से चली आ रही मंदिर की पवित्रता को कलुषित (अपवित्र) कर दिया है। 

प्रश्न 43. यह आरोप सुनकर सुखिया का पिता क्या सोचने लगा?

उत्तर: तथाकथित भक्तों का यह आरोप सुनकर सुखिया का पिता यह सोचने लगा कि क्या वह माँ की महिमा से भी आगे है? अर्थात् माँ की महिमा सर्वोच्च है और ये भक्तगण उस महिमा का अपमान कर रहे हैं।

प्रश्न 44. सुखिया का पिता उन भक्तों के बारे में क्या विचार रखता है?

उत्तर: ये तथाकथित भक्त माँ के भक्त हो ही नहीं सकते। इनकी सोच में खोट है। ये तो माँ के सामने ही उसके गौरव को तुच्छ बना रहे हैं।

प्रश्न 45. उन तथाकथित भक्तों ने सुखिया के पिता के साथ कैसा व्यवहार किया? 

उत्तर: उन भक्तों ने सुखिया के पिता को किसी बात को नहीं सुना और झट से उसे घेरकर पकड़ लिया। उन्होंने मुक्के-घूंसे मारकर उसे धरती पर गिरा दिया।

प्रश्न 46. ‘कलुषित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

उत्तर: कलुषित कलुष + इत (प्रत्यय)। 

प्रश्न 47. दो भाववाचक संज्ञाएँ छाँटकर लिखिए।

उत्तर: महिमा, गौरव।

प्रश्न 48. ‘पापी’ शब्द से किसे संबोधित किया गया है?

उत्तर: सुखिया के पिता को ‘पापी’ शब्द से संबोधित किया गया है।

प्रश्न 49. किसे अपवित्र करने की बात कही गई है? 

उत्तर: मंदिर की चिरकालिक पवित्रता को।

प्रश्न 50. भक्तों ने पापी पर क्या आरोप लगाया? 

उत्तर: मंदिर की पवित्रता भंग करने का आरोप लगाया।

प्रश्न 51. सबसे अधिक महिमा- गरिमा किसकी है?

उत्तर: देवी माता की।

प्रश्न 52. भक्तों द्वारा मार-पीट करने पर क्या हुआ? 

उत्तर: भक्तों द्वारा मार-पीट करने पर सुखिया का पिता जमीन पर गिर गया और उसके हाथों का प्रसाद भी वहीं बिखर गया।

प्रश्न 53. उस समय पिता को क्या पछतावा हो रहा था? 

उत्तर: उस समय पिता को यह पछतावा हो रहा था कि वह अपनी अभागों बेटी तक उसके द्वारा माँगे गए प्रसाद को नहीं पहुँचा पाया।

प्रश्न 54. भक्त उसे कहाँ ले गए?

उत्तर: भक्त उसे न्यायालय ले गए।

प्रश्न 55. सुखिया के पिता को क्या दंड मिला और क्यों? 

उत्तर: सुखिया के पिता को सात दिन के कारावास का दंड मिला, क्योंकि उससे देवी माँ का भयंकर अपमान हो गया था (भक्ट के अनुसार)।

प्रश्न 56. सुखिया के पिता ने दंड पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की? 

उत्तर: सुखिया के पिता ने सिर झुकाकर उस दंड को स्वीकार कर लिया। उसके पास उस भारी अभियोग के लिए कोई उत्तर नहीं था। 

प्रश्न 57. सुखिया के पिता को सात दिन की जेल कैसी प्रतीत हुई?

उत्तर: सुखिया के पिता को जेल काटनी ऐसी प्रतीत हुई मानो सदियाँ बीत गई हो।

प्रश्न 58. कवि जेल की अवधि में क्या करता रहा?

उत्तर: कवि सात दिनों की जेल अवधि में निरंतर रोता रहा, फिर भी उसकी आँखें रोती नहीं हुई।

प्रश्न 59. संधि-विच्छेद करो-न्यायालय

उत्तर: न्यायालय = न्याय + आलय।

प्रश्न 60. विलोम शब्द लिखो- स्वीकृत, अपमान 

उत्तर: स्वीकृत x अस्वीकृत।

अपमान x सम्मान।

प्रश्न 61. जेल से छूटने पर सुखिया के पिता की क्या दशा थी?

उत्तर: जेल से छूटने पर उसकी दशा दयनीय थी। उसके पैर घर की ओर उठते ही न थे।

प्रश्न 62. आपके विचार से उसके पैर घर की ओर क्यों नहीं उठते होंगे?

उत्तर: सुखिया का पिता अज्ञात आशंका से भयभीत होगा। उसमें उस स्थिति का सामना करने की हिम्मत नहीं थी।

प्रश्न 63. उसका शरीर कैसा हो गया था? उसे कौन आगे की ओर ठेल रहा था?

उत्तर: सुखिया के पिता का शरीर भय के कारण जर्जर हो गया था। उसका शरीर कंकाल बनकर रह गया था। कोई अज्ञात शक्ति उसे आगे की ओर ठेल रही थी।

प्रश्न 64. उसे लेने कीन नहीं आई?

उत्तर: पर पहुँचने पर उसकी बेटी पहले की तरह उसे लेने नहीं आई। (क्योंकि वह मर चुकी थी)।

प्रश्न 65. पिता को क्या अनुमान हुआ?

उत्तर: पिता ने अनुमान किया कि बेटी शायद कहीं खेलने में उलझी हुई होगी, अतः वह उसे लेने नहीं आई।

प्रश्न 66. सुखिया का पिता मरघट की ओर क्यों गया? 

उत्तर: उसे पता लग चुका था कि उसकी बेटी मर चुकी है और पड़ोसी उसे जलाने के लिए मरघट ले गए है, अतः वह मरपट की ओर दौड़ता गया।

प्रश्न 67. उसके वहां पहुंचने से पहले क्या काम हो चुका था? 

उत्तर: पिता के मरघट पहुँचने से पहले हो उसके परिचित लोग बेटों को जता चुके थे।

प्रश्न 68. बुझी चिता को देखकर पिता की क्या हालत हुई? 

उत्तर: बेटी की बुझी चिता को देखकर पिता की छोक उठी।

प्रश्न 69. फूल-सी कोमल बच्ची किस रूप में हो गई थी? 

उत्तर: फूल-सी कोमल बच्ची राख को देरी में परिवर्तित हो चुकी थी।

प्रश्न 70. पिता को क्या पछतावा हुआ?

उत्तर: पिता को यह पछतावा हुआ कि यह अंतिम समय में बेटी को अपनी गोद में नहीं ले सका और न हो वह उसको अंतिम इच्छा को पूरा कर सका, क्योंकि वह उसे देवी माँ के प्रसाद का फूल तक नहीं दे पाया।

प्रश्न 71. उपमा अलंकार का उदाहरण छाँटकर लिखिए।

उत्तर: हाय फूल सी कोमल बच्ची।

काव्याशों पर आधारित विषय बोध, अर्थ बोध और सराहना संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. मंदिर कैसा था और कहाँ बना हुआ था?

उत्तर: मंदिर विशाल था और वह पहाड़ की ऊँची चोटी पर बना हुआ था। 

प्रश्न 2. मंदिर के कलश कैसे थे?

उत्तर: मंदिर के कलश सोने के थे। वे कमल के समान विकसित थे। उन पर जब सूर्य को किरणों का जाल बिखरता था तब ये खिलते कमल के समान प्रतीत होते थे।

प्रश्न 3. मंदिर के आँगन में कैसा वातावरण था?

उत्तर: मंदिर के आँगन में दीप-धूप से सुगंधित आनन्दपूर्ण वातावरण बना हुआ था।

प्रश्न 4. मंदिर में कैसी धारा मुखरित हो रही थी? 

उत्तर: मंदिर के भीतर-बाहर उत्सव की सी धारा मुखरित हो रही थी।

प्रश्न 5. मंदिर के अंदर भक्तगण क्या गा रहे थे?

उत्तर: मंदिर के अंदर भक्तगण मस्ती के साथ गा रहे थे- ‘पतित तारिणी, पाप हारिणी माता तेरी जय हो।’ अर्थात् माँ पतितों का बेड़ा पार करने वाली तथा पापों को हरने वाली है। उसको जय हो।

प्रश्न 6. सुखिया के पिता के मुँह से भी क्या निकला? 

उत्तर: सुखिया के पिता के मुँह से भी वही शब्द निकले जो भक्तगण गा रहे थे।

प्रश्न 7. सुखिया का पिता कैसे आगे बढ़ गया? 

उत्तर: सुखिया के पिता ने तो आगे बढ़ने का कोई प्रयास नहीं किया था, पर वह लोगों के धक्का देने से आगे की ओर बढ गया।

प्रश्न 8. काव्यांश में से अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण छाँटकर लिखिए।

उत्तर: (क) शैल-शिखर (‘श’ वर्ण की आवृत्ति)।

(ख) विस्तीर्ण विशाल (‘व’ वर्ण की आवृत्ति)

प्रश्न 9. इस काव्यांश की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: इस काव्यांश को भाषा खड़ी बोली है। इसमें सामासिक एवं तत्सम शब्दों की बहुलता है।

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर)

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(क) कविता की उन पंक्तियों को लिखिए, जिनसे निम्नलिखित अर्थ का बोध होता है-

(i) सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय काँप उठता था।

उत्तर: मेरा हृदय काँप उठता था 

बाहर गई निहार उसे यही 

मनाता था कि बचा लूँ 

किसी भाँति इस बार उसे। 

(ii) पर्वत की चोटी पर स्थित मंदिर की अनुपम शोभा।

उत्तर: ऊँचे शैल शिखर के ऊपर 

मंदिर था विस्तीर्ण विशाल 

स्वर्ण कलश सरसिज विहँसित थे। 

पाकर समुदित रवि-कर जाल।

(iii) पुजारी से प्रसाद/फूल पाने पर सुखिया के पिता की मनः स्थिति।

उत्तर: भूल गया उसका लेना झट

परम लाभ-सा पाकर मैं। 

सोचा-बेटी को माँ के ये

पुण्य-पुष्प दूँ जाकर मैं।

(iv) पिता की वेदना और उसका पश्चात्ताप। 

उत्तर: अंतिम बार गोद में बेटी

तुझको ले न सका मैं हा। 

एक फूल माँ का प्रसाद भी

तुझको दे न सका मैं हा!

(ख) बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर: बीमार बच्ची ने अपने पिता के सम्मुख अपनी यह इच्छा प्रकट की थी कि मुझे देवी के प्रसाद का एक फूल लाकर दे दो।

(ग) सुखिया के पिता पर कौन-सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर: सुखिया के पिता पर यह आरोप लगाया गया कि उसने मंदिर में घुसकर उसकी पवित्रता को नष्ट कर दिया है तथा उसने देवी माता का घोर अपमान किया है।

(घ) जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को किस रूप में पाया?

उत्तर: जेल से छूटने के बाद सुखिया के पिता ने अपनी बच्ची को राख की ढेरी के रूप में पाया। वह मर चुकी थी, अतः उसे सुखिया के परिचितों ने मरघट में फूँक दिया था । वह राख की ढेरी बन चुकी थी।

(ङ) इस कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस कविता का केन्द्रीय भाव यह है कि समाज में छुआछूत की भावना समाज का अहित कर रही है। इससे उच्च वर्ग घमंडी हो गया है तथा तथाकथित अछूत कहे जाने वाले लोगों के साथ अन्याय रहा है। सुखिया और उसके पिता को इसी सामाजिक अन्याय का शिकार बनना पड़ा था। इस विषमता को मिटाना अत्यंत आवश्यक है।

(च) इस कविता में से कुछ भाषिक प्रतीकों/बिंबों को छाँटकर लिखिए-

उदाहरण: अंधकार की छाया

उत्तर: (क) निज कृश रख में

(ख) स्वर्ण-घनों में कब रवि डूबा

(ग) जलते-से अंगारे

(घ) विस्तीर्ण-विशाल

(ङ) पतित-तारिणी पाप-हारिणी।

2. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट करते हुए उनका अर्थ-सौंदर्य बताइए।

(क) अविश्रांत बरसा करके भी 

आँखें तनिक नहीं रीतीं।

उत्तर: इन पंक्तियों में निरंतर रोते रहने की दशा की व्यंजना हुई है। आँखों के आँसू कभी समाप्त नहीं होते। आँखों का बरसना उनके रोते रहने और आँसू बहाने की दशा को बताता है।

(ख) बुझी पड़ी थी चिता वहाँ पर 

छाती धधक उठी मेरी।

उत्तर: बेटी की चिता तो जलकर बुझ चुकी थी, पर उस दृश्य को देखकर सुखिया के पिता के हृदय में दुख-वेदना की चिता धधकने लगी। अर्थ की सुंदरता इसमें है कि एक चिता का बुझना और दूसरी चिता का हृदय में धधकना।

(ग) हाय! वही चुपचाप पड़ी थी 

अटल शांति-सी धारण कर।

उत्तर: नटखट बालिका का शांत होकर चुपचाप लेटना भी किसी आशंका को जन्म देता है। यहाँ सुखिया के ज्वरग्रस्त होने पर उसकी शांत दशा का वर्णन है। अब वह अटल शांति को धारण किए हुए थी।

(घ) पापी ने मंदिर में घुसकर 

किया अनर्थ बड़ा भारी।

उत्तर: भक्तों ने सुखिया के पिता को अछूत कहकर उसका भारी अपमान किया। उसका मंदिर में आना उन्हें अच्छा न लगा। वे उसके आने के प्रयास को अनर्थ बताने लगे।

योग्यता-विस्तार

1. ‘एक फूल की चाह’ एक कथात्मक कविता है। इसकी कहानी को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर: 1. इसके लिए कविता का सार पढ़िए।

2. ‘बेटी’ पर आधारित निराला की रचना ‘सरोज स्मृति’ पढ़िए।

उत्तर: विद्यार्थी पुस्तकालय से लेकर ‘सरोज-स्मृति’ नामक कविता पढ़ें।

परीक्षा उपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1. सुखिया का पिता अपनी बेटी को बाहर जाने से क्यों रोकता था?

उत्तर: बाहर महामारी फैली हुई थी। सुखिया का पिता नहीं चाहता था कि उसकी बेटी इसका शिकार बने, इसलिए वह उसे घर से बाहर जाने से रोकता था।

प्रश्न 2. बीमार सुखिया ने क्या इच्छा प्रकट की?

उत्तर: बीमार सुखिया ने देवी के प्रसाद का एक फूल लाकर देने की इच्छा प्रकट की।

प्रश्न 3. बीमारी के बाद सुखिया की चंचलता कहाँ खो गई? “एक फूल की चाह” कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर: बीमारी के बाद सुखिया की चंचलता लगभग खत्म हो चुकी थी, कंठ क्षीण (कमजोर) हो गया तथा उसके सारे अंग शिथिल पड़ गए।

प्रश्न 4. मंदिर के सौंदर्य का वर्णन कविता के आधार पर कीजिए।

उत्तर: मंदिर पर्वत की चोटी पर बना हुआ था। वह बहुत बड़ा मंदिर था। मंदिर के ऊपर के कलश सुनहरी थे, जो सूर्य-किरणों का प्रकाश पाकर विकसित होते हुए कमलों के समान प्रतीत होते थे। उस समय का दृश्य अत्यंत मनोहारी प्रतीत होता था।

प्रश्न 5. सुखिया के पिता को मंदिर में पीटा जाना किस सामाजिक बुराई को व्यक्त करता है?

उत्तर: सुखिया का पिता हरिजन वर्ग का था। उसे मंदिर में पीटा जाना समाज में व्याप्त छुआछूत-समस्या को व्यक्त करता है। उस समय समाज छुआछूत की समस्या से ग्रस्त था और सवर्ण लोग निम्न जाति के लोगों को अपने मंदिर में प्रवेश नहीं करने देते थे।

प्रश्न 6. पीटे जाने पर सुखिया के पिता ने माँ के भक्तों से क्या कहा?

उत्तर: पीटे जाने पर सुखिया के पिता ने माँ के भक्तों से कहा कि माँ तो पतिततारिणी है। उसकी महिमा तो अनन्त है। मंदिर में माँ के सम्मुख आकर मैंने क्या इतना बड़ा पाप किया है जो माता की महिमा से भी बड़ा है? अर्थात् माँ की महिमा अपार है।

उसके सामने मेरा कलुष बड़ा नहीं है। तुम लोग तो माँ के सामने ही माँ का गौरव छोटा कर रहे हो, क्योंकि तुम्हें उसकी शक्ति में विश्वास नहीं है। माँ के भक्तों को ऐसा विचार लाना शोभा नहीं देता।

वह माँ की भक्ति में इतना लीन हो गया कि उसे प्रसाद लेने का ध्यान ही न रहा। मंदिर के वातावरण ने सुखिया के पिता को अत्यधिक अभिभूत कर दिया था।

प्रश्न 8. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) देख रहा था जो सुस्थिर हो, 

नहीं बैठती थी क्षण-भर, 

हाय! वही चुपचाप पड़ी थी

अटल शांति-सी धारण कर। 

उत्तर: इन पंक्तियों का भाव यह है कि सुखिया बहुत चंचल स्वभाव की थी। वह क्षण-भर को भी चैन से नहीं बैठ पाती थी, किंतु आज ज्वरग्रस्त होकर वह अपने स्वभाव के विपरीत चुपचाप शांत-सी लेटी हुई थी। उसके शरीर में कोई हलचल दिखाई नहीं दे रही थी।

(ख) माँ के भक्त हुए तुम कैसे 

करके यह विचार खोटा, 

माँ के सम्मुख ही माँ का तुम 

गौरव करते हो छोटा।

उत्तर: इन पंक्तियों का भाव यह है कि अधिकांश व्यक्ति अपने को माँ का भक्त तो कहलाते हैं, पर वास्तव में वे माँ का भक्त कहलाने के अधिकारी नहीं होते। वे माँ की शक्ति को पहचानते नहीं। वे भक्तों में भेदभाव करके माँ के सामने ही माँ के गौरव को कम करने का दुस्साहस करते हैं। उनका यह प्रयास निन्दनीय ही कहा जाएगा।

प्रश्न 9. “जान सका न प्रभात सजग से,

हुई अलस कब दोपहरी।”

आपके विचार में प्रभात के लिए ‘सजग’ और दोपहर के लिए ‘अलस’ विशेषणों का प्रयोग कवि ने क्यों किया है?

उत्तर: प्रभात होते ही लोग जाग जाते हैं। निद्रालय में पड़े व्यक्ति भी सजग हो जाते हैं, अतः प्रभात के लिए सजग विशेषण का प्रयोग हुआ है।

दोपहर के समय व्यक्ति को आलस्य आ घेरता है, इसलिए दोपहर के लिए ‘अलस’ विशेषण का प्रयोग किया गया है।

दोनों विशेषणों का प्रयोग अत्यंत सटीक बन पड़ा है।

प्रश्न 10. किन पंक्तियों से पता चलता है कि यह कविता स्वतंत्रता से पूर्व लिखी गई थी?

उत्तर: निम्नलिखित पंक्तियों से यह पता चलता है कि यह कविता स्वतंत्रता से पूर्व की लिखी है, क्योंकि तब ऐसा दंड विधान था, जो अब नहीं है-

“न्यायालय ले गए मुझे वे 

सात दिवस का दंड विधान। 

मुझको हुआ, हुआ था मुझसे, 

देवी का महान अपमान।”

प्रश्न 11. इस कविता की क्या विशेषता उभरती है?

उत्तर: इस कविता में कवि ने तत्कालीन सामाजिक स्थिति का यथातथ्य चित्रण किया है। मार्मिकता इस कविता की प्रमुख विशेषता है। कविता में वातावरण एवं सुखिया के पिता की मानसिक दशा का सजीव अंकन हुआ है। कविता में कहानी तत्त्व का भी समावेश हुआ है। भाषा की सरलता इस कविता की एक अन्य प्रमुख विशेषता है।

प्रश्न 12. निम्नलिखित पंक्तियों का अलंकार-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) स्वर्ण कलश सरसिज विहसित थे 

पाकर समुदित रवि-कर- जाल।

उत्तर: यहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। मंदिर के स्वर्णिम कलश सूर्य की किरणों का समूह पाकर कमल के समान खिलते हुए प्रतीत हो रहे थे। स्वर्ण कलश-रूपी कमल विहँसित हो रहे थे।

(ख) हाय फूल-सी कोमल बच्ची 

हुई राख की थी ढेरी। 

उत्तर: इस पंक्ति में उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है।बच्ची की उपमा फूल से दी गई है। ‘बच्चा’ उपमेय है, ‘फूल’ उपमान है, ‘सी’-वाचक शब्द है, ‘कोमल’ साधारण गुण-धर्म है।

(ग) उद्वेलित कर अश्रु राशियाँ

हृदय-चिताएँ धधकाकर।

उत्तर: इस पंक्ति में रूपक अलंकार है। ‘हृदय-रूपी चिताएँ’ धधकाकर। 

प्रश्न 13. ‘एक फूल की चाह’ कविता में सुखिया का पिता किस सामाजिक बुराई का शिकार हुआ?

उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ कविता में सुखिया का पिता छुआछूत की सामाजिक बुराई का शिकार हुआ। वह निम्न जाति का था, अतः सवर्ण जाति के लोगों को उसका मंदिर में आना अधर्म का काम लगा। सुखिया का पिता अपनी बीमार बेटी को पूजा का फूल तक न दे सका। उसे सात दिनों तक जेल में रहना पड़ा।

प्रश्न 14. ” भीतर, जो डर रहा छिपाए; हाय वही बाहर आया”- कौन-सा डर था जो बाहर आया? कैसे?

उत्तर: सुखिया के पिता के मन में यह डर था कि कहीं उसकी बेटी महामारी की चपेट में न आ जाए। जब एक दिन उसने सुखिया को ज्वरग्रस्त पाया तो उसके मन का भय बाहर आ गया अर्थात् सच होकर रहा।

प्रश्न 15. भाव स्पष्ट करो-

(क) छोटी-सी बच्ची को ग्रसने 

कितना बड़ा तिमिर आया।

उत्तर: बच्ची सुखिया तो छोटी-सी थी, पर उसे निगलने के लिए बहुत बड़ा अंधकार आया था। सुखिया का पिता अत्यंत चिंतित दशा में बैठा था और रात घिर आने पर उसे लगा कि उसकी बेटी को यह अंधकार खा जाएगा।

(ख) माँ के सम्मुख ही माँ का तुम 

गौरव करते हो छोटा।

उत्तर: यह पंक्ति तथाकथित धर्म के ठेकेदारों पर करारा व्यंग्य है। एक ओर तो वे माता को बहुत बड़ा मानते हैं, दूसरी ओर एक अछूत के मंदिर में घुस आने को उससे भी बड़ा अपराध बताया है। इस प्रकार से माता के सम्मुख ही उसका गौरव छोटा कर रहे हैं। 

प्रश्न 16. ‘एक फूल की चाह’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है? 

उत्तर: इस कविता से हमें शिक्षा मिलती है कि छुआछूत

के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं बरतना चाहिए। सभी मनुष्य समान हैं। सभी को ईश्वर की पूजा करने एवं उसका प्रसाद पाने का अधिकार है। धर्म पर किसी का भी एकाधिकार नहीं हो सकता।

प्रश्न 17. सुखिया का पिता अपनी बेटी के बाहर जाने से क्यों डरता था?

अथवा

सुखिया के बाहर जाने पर पिता का हृदय क्यों काँप उठता था?

उत्तर: सुखिया का पिता नहीं चाहता था कि उसकी बेटी सुखिया घर से बाहर जाए। वह उसके बाहर जाने से डरता था। उसका हृदय काँप उठता था। इसका कारण यह था कि बाहर चारों ओर महामारी फैली थी और बच्चे उसकी चपेट में आ रहे थे। वह नहीं चाहता था कि उसकी बेटी भी महामारी की चपेट में आ जाए। वह उसे बचाए रखना चाहता था।

प्रश्न 18. मंदिर में पिता के साथ जो हुआ, उससे समाज की किन कुप्रथाओं का पता चलता है?

उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ कविता में सुखिया के पिता के साथ बहुत दुर्व्यवहार हुआ। इस घटना से इस कुप्रथा का पता चलता है कि समाज में छुआछूत की समस्या व्याप्त है। एक वर्ग विशेष को अछूत कहकर मंदिर तथा अन्य धार्मिक स्थानों में प्रवेश करने से रोका जाता है।

प्रश्न 19. मंदिर से निकलने के बाद पिता ने क्या पाया?

उत्तर: माँ के मंदिर से सुखिया का पिता पवित्र फूल और प्रसाद लेकर अभी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुँचा ही था कि तभी अचानक उसे भक्तों की आवाज सुनाई दी यह अछूत मंदिर में कैसे घुस आया। पिता को घेरकर धक्के दिए गए तथा मुक्कों से पीटा गया। पिता ने पाया कि उसके हाथ का फूल और प्रसाद नीचे गिर गया है।

प्रश्न 20. सुखिया के पिता पर कौन सा आरोप लगाकर उसे दंडित किया गया?

उत्तर: सुखिया के पिता पर आरोप लगाया गया कि वह अछूत है और उसने मंदिर में घुसकर मंदिर की पारंपरिक पवित्रता को नष्ट कर दिया है। इस प्रकार उसने देवी माँ का घोर अपमान किया है। इसी आरोप के कारण उसे दंडित किया गया।

प्रश्न 21. महामारी का क्या परिणाम निकला? ‘एक फूल की चाह’ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर: महामारी प्रचंड रूप लेती जा रही थी। उसके प्रकोप ने चारों ओर हाहाकार मचा रखा था। कितने ही बच्चों को यह महामारी लील गई थी। संतान खोने वाली माताएँ करुण विलाप कर रही थीं। महामारी की चपेट में आकर अनेक लोग काल का ग्रास बनते जा रहे थे। लोगों के शरीर कृश हो गए थे, पर उनका रोना थमने का नाम नहीं ले रहा था।

प्रश्न 22. ‘एक फूल की चाह’ कविता किस सामाजिक असमानता की ओर इशारा करती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ कविता में समाज में व्याप्त छुआछूत की भावना पर आधारित सामाजिक असमानता की ओर इशारा किया गया है। समाज में कुछ लोगों को निम्न जाति का मानकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। उनका अपमान किया जाता है। सवर्ण ईश्वर की भक्ति पर अपना एकाधिकार मानते हैं।

प्रश्न 23. ‘एक फूल की चाह’ कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ शीर्षक का केन्द्रीय भाव यह है कि समाज में अभी छुआछूत की बुराई विद्यमान है। धर्म के कुछ तथाकथित ठेकेदार स्वयं को भगवान का भक्त बताकर अछूतों-दलितों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। यह प्रवृत्ति निंदनीय है। ईश्वर की पूजा-उपासना पर सभी का बराबरी का हक है।

प्रश्न 24. ‘एक फूल की चाह’ कविता में सुखिया के पिता के साथ मंदिर में क्या घटना घटी?

उत्तर: सुखिया का पिता मंदिर में देवी माँ के प्रसाद का एक फूल अपनी बीमार बेटी के लिए लेने गया था। वहाँ के तथाकथित भक्तों ने उसे पहचान लिया और कहा कि यह अछूत मंदिर में कैसे आया? इसने तो मंदिर की चिरकालिक पवित्रता को नष्ट कर दिया है। यह कहकर उन्होंने सुखिया के पिता को पकड़ लिया तथा लात-घूसों से मार-पीटकर धरती पर गिरा दिया। फिर उसे पकड़कर न्यायालय ले गए। जहाँ उसे सात दिन तक कारावास में रहने की सजा सुनाई गई।

प्रश्न 25. बुझी हुई चिता को देखकर सुखिया के पिता की छाती क्यों धधक उठी?

उत्तर: जब सुखिया के पिता ने बुझी हुई चिता देखी तो वह समझ गया कि उसकी बेटी सुखिया अब इस संसार में नहीं है। उसे चिता की अग्नि में जलाया जा चुका है। इसी से उसकी छाती धधक उठी।

प्रश्न 26. ‘एक फूल की चाह’ कविता के प्रारंभ में महामारी का जो कारुणिक चित्रण किया गया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: इस अंश में बताया गया है कि महामारी प्रचंड रूप धारण करती जा रही थी। इस महामारी की चपेट में छोटे बच्चे आकर मृत्यु का ग्रास बन रहे थे। मृत बच्चों के माता-पिताओं का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। यह रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उनके शरीर सूख कर पिंजर हो रहे थे।

प्रश्न 27. सुखिया कौन थी? वह किस स्वभाव की थी?

उत्तर: सुखिया एक अछूत पिता की पुत्री थी। वह अभी अल्प वयस्क थी। हर समय घर से बाहर खेलना उसका स्वभाव था। वह पिता के रोकने पर भी रुकती नहीं थी। महामारी के दिनों में भी वह घर से बाहर जाने से न रुकी और महामारी की चपेट में आ गई। उसका दु:खद अंत हो गया। उसने पिता से देवी के प्रसाद का फूल मँगवाया था।

प्रश्न 28. बीमारी की चपेट में आने के बाद सुखिया के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ गया था?

उत्तर: पहले सुखिया बहुत चंचल स्वभाव की थी। तब वह क्षण भर के लिए भी स्थिर होकर नहीं बैठती थी। घर के बाहर खेलती ही रहती थी। वही सुखिया महामारी की चपेट में आकर अब चुपचाप बिस्तर पर पड़ी हुई थी। उसने अटल शांति ओढ़ ली थी। बस वह देवी के प्रसाद का एक फूल चाह रही थी।

(ख) निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. पीटे जाने पर सुखिया के पिता ने माँ के भक्तों से क्या कहा?

उत्तर: पीटे जाने पर सुखिया के पिता ने माँ के भक्तों से कहा कि माँ तो पतिततारिणी है। उसकी महिमा तो अनन्त है। मंदिर में माँ के सम्मुख आकर मैंने क्या इतना बड़ा पाप किया है जो माता की महिमा से भी बड़ा है? अर्थात् माँ की महिमा अपार है।

उसके सामने मेरा कलुष बड़ा नहीं है। तुम लोग तो माँ के सामने ही माँ का गौरव छोटा कर रहे हो, क्योंकि तुम्हें उसकी शक्ति में विश्वास नहीं है। माँ के भक्तों को ऐसा विचार लाना शोभा नहीं देता।

प्रश्न 2. ‘एक फूल की चाह’ के कविता-पाठ में दो वाचन प्रकार हो सकते हैं-कथात्मक और संवादात्मक। दोनों के अंतर को समझिए और इस कविता में उन अंशों को ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर: कथात्मक वाचन में कवि अपनी ओर से कथा का वाचन करके उसे विस्तार करता है। संवादात्मक वाचन में दो व्यक्ति आपस में संवाद की स्थिति में बातचीत करते हैं। ‘एक फूल की चाह’ कविता में दोनों प्रकार के उदाहरण प्रस्तुत हैं-

कथात्मक वाचन

ऊँचे-शैल-शिखर के ऊपर 

मंदिर था विस्तीर्ण विशाल, 

स्वर्ण-कलश सरसिज विहँसित थे 

पाकर समुदित रवि-कर जाल।

संवादात्मक वाचन

भक्त- पकड़ो, देखो भाग न जाए

बना धूर्त यह है कैसा 

साफ स्वच्छ परिधान किए हैं 

भले मानुषों के जैसा। 

पापी ने मंदिर में घुसकर 

किया अनर्थ बड़ा भारी; 

कलुषित कर दी है मंदिर की 

चिरकालिक शुचिता सारी।

सुखिया ऐं, क्या मेरा कलुष बड़ा है

का पिता- देवी की गरिमा से भी 

किसी बात में हूँ मैं आगे, 

माता की महिमा के भी।

प्रश्न 3. ‘एक फूल की चाह’ कविता के आधार पर मंदिर के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर: पर्वत की ऊँची चोटी के ऊपर एक विशाल मंदिर बना हुआ था, जो दूर तक फैला हुआ था। उस मंदिर के ऊपर के सुनहरी कलश सूर्य की किरणों का समूह प्राप्त करके ऐसे खिलते प्रतीत होते थे जैसे कमल विकसित हो रहे हों। तात्पर्य यह है कि सूर्य की किरणें जब मंदिर के कलशों पर पड़ती थीं तो यह दृश्य अत्यंत मनमोहक प्रतीत होता था।

मंदिर के अंदर के वातावरण का उल्लेख करते हुए कवि बताता है-मंदिर का आँगन धूप-दीप से सुगंधित हो रहा था, वहाँ चारों ओर प्रसन्नता का वातावरण था। मंदिर के बाहर और भीतर उत्सव मनाए जाने के स्वर गूँज रहे थे अर्थात् भक्तगण ईश्वर भक्ति के भजन गा रहे थे। कुल मिलाकर वहाँ उत्सव मनाए जानने का-सा वातावरण उपस्थित था।

प्रश्न 4. ‘एक फूल की चाह’ शीर्षक कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर: ‘एक फूल की चाह’ शीर्षक कविता में सियारामशरण गुप्त जी ने समाज में व्याप्त अछूत समस्या की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। यद्यपि अब यह समस्या उतनी विकराल नहीं है, पर अभी तक यह पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाई है। एक अछूत व्यक्ति

को समाज में किस तरह प्रताड़ित किया जाता है, इसका चित्रण करना कविता का उद्देश्य रहा है। एक असहाय पिता की विवशता भी इसमें उभरी है कि वह पुत्री की एक फूल की इच्छा तक को पूरा नहीं कर पाया। उसे मंदिर में प्रवेश करने पर दंडित किया गया। हमें इस सामाजिक कुरीति को जड़ से उखाड़ फेंकना है।

प्रश्न 5. ‘एक फूल की चाह’ कविता में निहित सामाजिक समस्या का निर्देश करते हुए बताइए कि बालिका की इच्छा का क्या परिणाम हुआ? आज की परिस्थितियों में इस समस्या के समाधान के लिए अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर: इस कविता में कवि ने सामाजिक अन्याय का चित्रण किया है। अछूत कहे जाने वाले वर्ग के प्रति समस्या अत्यंत असहिष्णु है।

बालिका का प्रसाद का फूल पाने की इच्छा का यह परिणाम हुआ है कि उसका पिता सात दिन तक जेल में कैद रहा तथा अपमान की पीड़ा झेलने को विवश हुआ।

वर्तमान परिस्थितियों में इस समस्या का समाधान यही है कि भेदभाव बरतने वाले व्यक्तियों को कड़ा दंड दिया जाना चाहिए।

तथाकथित अछूत वर्ग को सरकार और समाज की ओर से समस्त सुविधाएँ प्राप्त होनी चाहिए। उन्हें नौकरियों एवं शिक्षण- संस्थाओं में अधिक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उनकी आर्थिक और सामाजिक दशा को सुधारने के भरसक प्रयास किये जाने अति आवश्यक हैं। 

प्रश्न 6. पिता को सुखिया की अंतिम इच्छा पूरी करने में क्या-क्या कठिनाइयाँ आई?

उत्तर: पिता को सुखिया की अंतिम इच्छा पूरी करने में निम्नलिखित कठिनाइयाँ आई:

1. सुखिया के लिए पिता को मंदिर के प्रसाद का एक फूल लाना था, अतः वह निराशा में डूब गया, क्योंकि वह सामाजिक स्थिति को जानता था।

2. मंदिर में जैसे ही उसने पुजारी से प्रसाद लिया, तभी कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया और उन्होंने उसे खूब मारा-पीटा।

3. मंदिर में पुजारी से मिला प्रसाद नीचे बिखर गया।

4. वह पुत्री को प्रसाद का फूल न दे सका और उसके घर पहुँचने से पहले ही वह स्वर्ग सिधार गई।

प्रश्न 7. सुखिया के पिता को क्या सजा मिली? सजा काटने के बाद उसने अपनी बेटी को कहाँ और किस रूप में पाया?

उत्तर: सुखिया के पिता को सात दिन के कारावास की सजा मिली। उसने इस सजा को सिर झुकाकर स्वीकार कर लिया। पर उसे ये सात दिन सदियों जितने लंबे प्रतीत हुए।

सजा काटने के बाद जब वह घर पहुँचा तब उसे बेटी दिखाई नहीं दी। वह उसे देखने मरघट की ओर दौड़ा गया। वहाँ उसे बेटी चिता के रूप में मिली। वह राख की ढेरी बन चुकी थी। परिचित उसका अंतिम संस्कार कर चुके थे।

प्रश्न 8. ‘एक फूल की चाह’ कविता में तत्कालीन सामाजिक स्थिति का यथार्थ चित्रण किया गया है।’ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: सियारामशरण द्वारा रचित ‘एक फूल की चाह’ शीर्षक कविता में कवि ने तत्कालीन सामाजिक स्थिति का यथार्थ चित्रण किया है। तत्कालीन समाज में छुआछूत की समस्या ने गहराई से पैठ बना रखी थी। तब यह एक जटिल सामाजिक समस्या थी। सवर्ण जाति के मंदिरों में अछूतों का प्रवेश निषिद्ध था। यदि कोई अछूत मंदिर में प्रवेश करने का दुस्साहस कर भी जाता था, उसे मंदिर से बाहर निकालकर दंडित किया जाता था। उस समय उसे जेल तक भिजवाने का कठोर नियम था तथाकथित ईश्वर भक्त ईश्वर (देवी) के सामने ही अछूत का अपमान करके एक प्रकार से देवी का ही अपमान करने से बाज नहीं आते थे। अछूतों की यथार्थ स्थिति का मार्मिक चित्रण इस कविता में हुआ है। यद्यपि वर्तमान में छुआछूत की समस्या उतनी विकराल रूप नहीं है, पर अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। उच्च वर्ग अभी भी स्वयं को श्रेष्ठ समझने का भ्रम पाले हुए है।

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