NCERT Class 6 Science Chapter 10 सजीव विशेषताओं का अन्वेषण

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NCERT Class 6 Science Chapter 10 सजीव विशेषताओं का अन्वेषण

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Chapter: 10

जिज्ञासा
अभ्यास

आइए, और अधिक सीखें

1. पौधों और जंतुओं के जीवन-चक्र में समानताओं और भिन्नताओं को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर: समानताएँ:

(i) दोनों में जीवन-चक्र की शुरुआत एक छोटी इकाई (बीज या अंडा) से होती है।

(ii) दोनों में वृद्धि होती है, जैसे पौधे बीज से अंकुरित होकर पेड़ बनते हैं और जानवर अंडे से निकलकर वयस्क होते हैं।

(iii) जीवन-चक्र के दौरान, दोनों में कई विकासात्मक अवस्थाएँ होती हैं, जैसे पौधों में अंकुरण, पुष्पण और फलन, और जानवरों में शिशु से वयस्क बनना।

(iv) दोनों ही प्रजनन करते हैं और अपनी अगली पीढ़ी का निर्माण करते हैं।

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(v) दोनों ही को जीवित रहने के लिए पानी और पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है। 

भिन्नताएँ:

(i) पौधे जीवन-चक्र में स्थिर रहते हैं और वृद्धि करते हैं, जबकि जंतु चलते-फिरते रहते हैं।

(ii) पौधों की वृद्धि सीधे रूप से सूर्य के प्रकाश और जल पर निर्भर होती है, जबकि जंतु भोजन ग्रहण कर के ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

(iii) पौधों और जानवरों के जीवन-चक्र की अवधि अलग-अलग होती है।

(iv) शरीर की संरचना: पौधों में जड़, तना और पत्तियाँ होती हैं, जबकि जानवरों में अंगों का एक समूह होता है जैसे हाथ, पैर आदि।

2. नीचे तालिका में कुछ विवरण (डाटा) दिया गया है। तालिका का अध्ययन कीजिए और दूसरे व तीसरे स्तंभ में दी गई स्थितियों के लिए उपयुक्त उदाहरणों का पता लगाने का प्रयास कीजिए। यदि आपको लगता है कि नीचे दी गई किसी भी स्थिति के लिए उदाहरण संभव नहीं है, तो स्पष्ट कीजिए कि ऐसा क्यों है?

क्रम सं.क्या इसकी वृद्धि होती है?क्या यह श्वास लेता है?उदाहरणटिप्पणी
1.नहींनहीं
2.नहींहाँ
3.हाँनहीं
4.हाँहाँ

उत्तर: 

क्रम सं.क्या इसकी वृद्धि होती है?क्या यह श्वास लेता है?उदाहरणटिप्पणी
1नहींनहींपत्थर, कागजयह निर्जीव वस्तुएँ हैं, इसलिए इनमें न तो वृद्धि होती है और न ही यह श्वास लेती हैं।
2नहींहाँफफूंद, यीस्टयह जीवित हैं और श्वास लेते हैं लेकिन इनमें वृद्धि नहीं होती।
3हाँनहींयह संभव नहीं है।यदि कोई वस्तु वृद्धि करती है, तो उसमें जीवित प्रक्रियाएँ होनी चाहिए जैसे श्वास, इसलिए यह स्थिति असंभव है।
4हाँहाँपौधे, मनुष्ययह सजीव हैं और उनमें वृद्धि और श्वास दोनों होती हैं।

3. आपने सीखा है कि बीजों के अंकुरण के लिए भिन्न-भिन्न परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। अनाजों और दालों के उपयुक्त भंडारण के लिए हम इस ज्ञान का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं?

उत्तर: बीज अंकुरण की प्रक्रिया और बीजों के अंकुरित होने के लिए आवश्यक परिस्थितियों के बारे में जानें। अनाज और दालों के लिए आदर्श भंडारण स्थितियों की पहचान करें, जिसमें कम नमी और ठंडा तापमान शामिल हो। नमी को अंदर जाने से रोकने और अंकुरण को रोकने के लिए अनाज और दालों को वायुरोधी कंटेनरों में रखें।

4. आपने सीखा है कि टैडपोल की एक पूँछ होती है लेकिन जब वृद्धि के बाद यह मेंढक बनता है तो पूँछ लुप्त हो जाती है। टैडपोल अवस्था में पूँछ होने से क्या लाभमिलता है?

उत्तर: टैडपोल  की पूँछ उसे पानी में तैरने करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पूँछ की सहायता से टैडपोल पानी में आसानी से आगे बढ़ सकते हैं, जो उन्हें भोजन खोजने और शिकारियों से बचने में मदद करता है। जैसे-जैसे टैडपोल का विकास होता है, उनके पिछले और अगले पैर विकसित होते हैं, और वे वयस्क मेंढक के रूप में स्थलीय जीवन के लिए अनुकूलित हो जाते हैं।

5. चरण का कहना है लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें गति नहीं होती। इसके विपरीत चारु इसे सजीव मानती हैं, क्योंकि यह वृक्षों से प्राप्त होता है। चरण और चारु के कथनों के पक्ष या विपक्ष में अपने अपने तर्क दीजिए।

उत्तर: (i) चरण का तर्क:

लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें अब जीवन की कोई प्रक्रिया नहीं होती, जैसे कि वृद्धि, श्वास, पोषण आदि। यह वृक्ष से अलग हो जाने के बाद केवल एक निर्जीव वस्तु बन जाती है।

(ii) चारु का तर्क:

लकड़ी का लट्ठा कभी सजीव था क्योंकि यह एक वृक्ष से प्राप्त हुआ है, जो सजीव था और उसमें जीवन की सारी प्रक्रियाएँ हो रही थीं। लेकिन, अब यह सजीव नहीं है क्योंकि इसमें जीवन की कोई सक्रिय प्रक्रिया नहीं हो रही है।

6.मच्छर और मेंढक के जीवन-चक्र में क्या समानताएँ और क्या विभेदकारी विशेषताएँ होती हैं?

उत्तर: समानताएँ:

(i) दोनों का जीवन-चक्र अंडे से शुरू होता है।

(ii) दोनों के जीवन-चक्र में लार्वा (टैडपोल) अवस्था होती है।

(iii) दोनों जल में अपने जीवन का प्रारंभिक समय व्यतीत करते हैं।

विभेदकारी विशेषताएँ:

(i) मच्छर की जीवन-चक्र में पुपा अवस्था होती है, जबकि मेंढक की नहीं होती।

(ii) मच्छर के लार्वा जल में तैरते हैं, जबकि टैडपोल मछली की तरह तैरते हैं।

(iii) मच्छर का विकास वायु में होता है जबकि मेंढक का विकास भूमि और जल दोनों में होता है।

7. एक पौधे को उसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त सभी स्थितियाँ उपलब्ध कराई गई हैं (चित्र 10.9)। एक सप्ताह पश्चात आप इस पौधे के प्ररोह और जड़ में क्या देखने की अपेक्षा करते हैं? उसका चित्र बनाइए। इसके कारण भी लिखिए।

उत्तर: एक सप्ताह पश्चात पौधे की जड़ नीचे की ओर बढ़ेगी और प्ररोह ऊपर की ओर बढ़ेगा। 

इसके कारण हैं:

जड़ें पानी और खनिजों के स्रोत की ओर बढ़ती हैं, जबकि प्ररोह सूर्य के प्रकाश की ओर बढ़ता है।

8. तारा और विजय ने एक प्रयोग का सेट-अप तैयार किया है जिसे चित्र 10.10 में दर्शाया गया है। आप क्या सोचते हैं कि वे क्या पता करना चाहते हैं? और, उन्हें यह कैसे पता चलेगा कि वे सही हैं?

उत्तर: तारा और विजय शायद यह पता करना चाहते हैं कि पौधे की वृद्धि किस दिशा में होती है। वे देखना चाहते हैं कि पौधा किस दिशा में बढ़ता है जब उसे सभी दिशाओं से प्रकाश मिलता है। वे यह जान सकते हैं कि वे सही हैं अगर पौधा सभी दिशाओं में समान रूप से बढ़ता है या किसी एक दिशा में अधिक बढ़ता है।

9. बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव की जाँच करने के लिए एक प्रयोग की योजना लिखिए।

उत्तर: बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव की जाँच करने के लिए निम्नलिखित प्रयोग योजना बनाई जा सकती है:

उद्देश्य: बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव का अध्ययन करना।

सामग्री – विभिन्न प्रकार के बीज (जैसे मूंग, चना या गेहूं)।

(i) तीन अलग-अलग तापमान नियंत्रित स्थान (उदाहरण: रेफ्रिजरेटर, कमरे का तापमान और गर्म स्थान जैसे हीटर के पास)।

(ii) तीन अलग-अलग गमले या ट्रे।

(iii) पानी, मिट्टी या कपड़ा (बीज बोने के लिए)।

(iv) थर्मामीटर (तापमान मापने के लिए)।

(v) नोटबुक और पेन (अवलोकन नोट करने के लिए)।

प्रक्रियाः बीज तैयार करनाः

(i) तीन गमले या ट्रे लेकर उनमें समान मात्रा में मिट्टी रखें।

(ii) प्रकार के बीज (लगभग 10-15 बीज) बोए।

(iii) सभी बीजों को समान मात्रा में पानी दें।

तापमान नियंत्रित स्थान:

(i) पहले गमले को रेफ्रिजरेटर में रखें (तापमान लगभग 5°C हो सकता है)।

(ii) दूसरे गमले को कमरे के तापमान (लगभग 25°C) पर रखें।

(iii) तीसरे गमले को गर्म स्थान (जैसे हीटर के पास) पर रखें, जहां तापमान लगभग 35°C या उससे अधिक हो सकता है।

अवलोकन:

(i) प्रतिदिन बीजों का अवलोकन किया और यह ध्यान दिया कि कितने बीज अंकुरित हुए हैं।

(ii) तापमान को थर्मामीटर से मापा और इसे नोट किया।

(iii) बीजों की अंकुरण की दर और समय को रिकॉर्ड किया।

डेटा संग्रह:

(i) प्रत्येक गमले में अंकुरित बीजों की संख्या को रोज़ाना नोट किया।

(ii) अंकुरण के समय, बीजों की लंबाई को भी मापा।

परिणाम और विश्लेषण:

(i) 7-10 दिनों के बाद, प्रत्येक तापमान में अंकुरित बीजों की संख्या और उनकी वृद्धि का विश्लेषण किया।

(ii) जाँच करते हैं कि कौन से तापमान पर सबसे अधिक और सबसे कम बीज अंकुरित हुए।

(iii) यह भी ध्यान देते हैं कि किस तापमान पर बीजों का अंकुरण सबसे तेजी से हुआ।

निष्कर्ष:

इस प्रयोग के अंत में, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि कौन सा तापमान बीज अंकुरण के लिए सबसे उपयुक्त है और किन परिस्थितियों में बीज अंकुरण धीमा या तेजी से होता है।

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