NCERT Class 11 Political Science Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

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NCERT Class 11 Political Science Chapter 3 चुनाव और प्रतिनिधित्व

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Chapter: 3

भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार
INTEX QUESTION

1. क्या कानून में परिवर्तन करके चुनावों में धन और बल के प्रयोग को रोका जा सकता है? क्या केवल कानून बदलने से कोई चीज़ वास्तव में बदलती है?

उत्तर: कानून में परिवर्तन करके चुनावों में धन और बल के प्रयोग को रोका जा सकता है, लेकिन केवल कानून बदलने से पूरी समस्या हल नहीं होगी। इसके लिए सख्त प्रवर्तन, राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की जागरूकता भी ज़रूरी है, ताकि चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष बन सकें।

2. 50 प्रतिशत से भी कम वोट और 80 प्रतिशत से अधिक सीटें ! क्या यह ठीक है? हमारे संविधान निर्माताओं ने ऐसी गड़बड़ व्यवस्था को कैसे स्वीकार किया?

उत्तर: हमारी चुनावी व्यवस्था प्रथम-आगत-प्रथम-जीत प्रणाली पर आधारित है, जिसमें अधिक वोट पाने वाला प्रत्याशी जीत जाता है, भले ही उसे कुल मतों का 50% से कम समर्थन मिला हो। इससे ऐसी स्थितियाँ बन सकती हैं जहाँ कोई दल 50% से कम वोटों के बावजूद 80% से अधिक सीटें जीत सकता है।

हमारे संविधान निर्माताओं ने यह प्रणाली इसलिए स्वीकार की क्योंकि यह सरल, स्थिर सरकार देने वाली और तुरंत परिणाम देने वाली थी।

प्रश्नावली

1. निम्नलिखित में कौन प्रत्यक्ष लोकतंत्र के सबसे नजदीक बैठता है?

(क) परिवार की बैठक में होने वाली चर्चा।

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(ख) कक्षा-संचालक (क्लास – मॉनीटर) का चुनाव।

(ग) किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने उम्मीदवार का चयन।

(घ) मीडिया द्वारा करवाये गये जनमत-संग्रह।

उत्तर: (घ) मीडिया द्वारा करवाये गये जनमत-संग्रह।

2. इनमें कौन-सा कार्य चुनाव आयोग नहीं करता?

(क) मतदाता सूची तैयार करना।

(ख) उम्मीदवारों का नामांकन।

(ग) मतदान केंद्रों की स्थापना।

(घ) आचार – संहिता लागू करना।

(ङ) पंचायत के चुनावों का पर्यवेक्षण।

उत्तर: (ख) उम्मीदवारों का नामांकन और (ङ) पंचायत के चुनावों का पर्यवेक्षण।

3. निम्नलिखित में कौन-सी राज्य सभा और लोक सभा के सदस्यों के चुनाव की प्रणाली में समान है?

(क) 18 वर्ष से ज़्यादा की उम्र का हर नागरिक मतदान करने के योग्य है।

(ख) विभिन्न प्रत्याशियों के बारे में मतदाता अपनी पसंद को वरीयता क्रम में रख सकता है।

(ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है।

(घ) विजयी उम्मीदवार को आधे से अधिक मत प्राप्त होने चाहिए।

उत्तर: (ग) प्रत्येक मत का समान मूल्य होता है।

4. फर्स्ट पास्ट द पोस्ट प्रणाली में वही प्रत्याशी विजेता घोषित किया जाता है जो–

(क) सर्वाधिक संख्या में मत अर्जित करता है।

(ख) देश में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले दल का सदस्य हो।

(ग) चुनाव – क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से ज़्यादा मत हासिल करता है।

(घ) 50 प्रतिशत से अधिक मत हासिल करके प्रथम स्थान पर आता है।

उत्तर: (ग) चुनाव – क्षेत्र के अन्य उम्मीदवारों से ज़्यादा मत हासिल करता है।

5. पृथक निर्वाचन मंडल और आरक्षित चुनाव क्षेत्र के बीच क्या अंतर है? संविधान निर्माताओं ने पृथक निर्वाचन-मंडल को क्यों स्वीकार नहीं किया?

उत्तर: स्वतंत्रता के पूर्व भी इस विषय पर बहस हुई थी और ब्रिटिश सरकार ने ‘पृथक निर्वाचन मंडल’ की शुरूआत की थी। इसका अर्थ यह था कि किसी समुदाय के प्रतिनिधि के चुनाव में केवल उसी समुदाय के लोग वोट डाल सकेंगे। संविधान सभा के अनेक सदस्यों को इस पर शंका थी। उनका विचार था कि यह व्यवस्था हमारे उद्देश्यों को पूरा नहीं करेगी। इसलिए, आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था को अपनाया गया। इस व्यवस्था के अंतर्गत, किसी निर्वाचन क्षेत्र में सभी मतदाता वोट तो डालेंगे लेकिन प्रत्याशी केवल उसी समुदाय या सामाजिक वर्ग का होगा जिसके लिए वह सीट आरक्षित है।

6. निम्नलिखित में कौन-सा कथन गलत है? इसकी पहचान करें और किसी एक शब्द अथवा पद को बदलकर, जोड़कर अथवा नये क्रम में सजाकर इसे सही करें।

(क) एक फर्स्ट पास्ट-द-पोस्ट (सर्वाधिक मत से जीत वाली) प्रणाली का पालन भारत के हर चुनाव में होता है।

उत्तर: गलत।

(ख) चुनाव आयोग पंचायत और नगरपालिका के चुनावों का पर्यवेक्षण नहीं करता।

उत्तर: सही।

(ग) भारत का राष्ट्रपति किसी चुनाव आयुक्त को नहीं हटा सकता।

उत्तर: गलत।

(घ) चुनाव आयोग में एक से ज़्यादा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अनिवार्य है।

उत्तर: गलत।

7. भारत की चुनाव-प्रणाली का लक्ष्य समाज के कमज़ोर तबके की नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना है। लेकिन हमारी विधायिका में महिला सदस्यों की संख्या केवल 12 प्रतिशत तक पहुँची है। इस स्थिति में सुधार के लिए आप क्या उपाय सुझायेंगे?

उत्तर: सन् 1992 में पंचायतों तथा नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित किए जाने के लिए प्रयास चल रहे हैं।

इसके लिए निम्नलिखित सुझाव हैं-

(i) भारत में मतदाताओं का लगभग 50 प्रतिशत भाग महिलाएँ हैं; अतः इनकी संख्या बढ़ाने के लिए इनमें जागरूकता उत्पन्न की जाए।

(ii) संविधान के समक्ष पुरुष और स्त्री समान हैं और स्त्रियों पर भी सभी कानून समान रूप से लागू होते हैं। इसलिए कानून के निर्माण में इनकी भागीदारी पर्याप्त होनी चाहिए।

8. एक नये देश के संविधान के बारे में आयोजित किसी संगोष्ठी में वक्ताओं ने निम्नलिखित आशाएँ जतायीं। प्रत्येक कथन के बारे में बतायें कि उनके लिए फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (सर्वाधिक मत से जीत वाली) प्रणाली उचित होगी या समानुपातिक प्रतिनिधित्व वाली प्रणाली?

(क) लोगों को इस बात की साफ-साफ जानकारी होनी चाहिए कि उनका प्रतिनिधि कौन है ताकि वे उसे निजी तौर पर जिम्मेदार ठहरा सकें।

उत्तर: यह लक्ष्य फर्स्ट-पास्ट-दी-पोस्ट (FPTP) प्रणाली के लिए अधिक उपयुक्त है। इस प्रणाली में प्रत्येक क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुना जाता है, जो उस क्षेत्र की जनता के प्रति व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है।

(ख) हमारे देश में भाषाई रूप से अल्पसंख्यक छोटे-छोटे समुदाय हैं और देश भर में फैले हैं, हमें इनकी ठीक-ठीक नुमाइंदगी को सुनिश्चित करना चाहिए।

उत्तर: यह लक्ष्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के लिए उपयुक्त है। इस प्रणाली में अल्पसंख्यक और छोटे समुदायों को भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व मिलता है, भले ही वे देश भर में फैले हों।

(ग) विभिन्न दलों के बीच सीट और वोट को लेकर कोई विसंगति नहीं रखनी चाहिए।

उत्तर: यह लक्ष्य समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के लिए उपयुक्त है। इस प्रणाली में पार्टियों को मिली सीटें उनके द्वारा प्राप्त वोटों के अनुपात में होती हैं, जिससे विसंगति नहीं होती।

(घ) लोग किसी अच्छे प्रत्याशी को चुनने में समर्थ होने चाहिए भले ही वे उसके राजनीतिक दल को पसंद न करते हों।

उत्तर: यह लक्ष्य फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (FPTP) प्रणाली के लिए उपयुक्त है। इसमें मतदाता व्यक्ति विशेष को चुन सकते हैं, न कि केवल दल आधारित प्रतिनिधित्व के लिए।

9. एक भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक राजनीतिक दल का सदस्य बनकर चुनाव लड़ा। इस मसले पर कई विचार सामने आये। एक विचार यह था कि भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एक स्वतंत्र नागरिकः है। उसे किसी राजनीतिक दल में होने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। दूसरे विचार के अनुसार, ऐसे विकल्प की संभावना कायम रखने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इस कारण, भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आप इसमें किस पक्ष से सहमत हैं और क्यो?

उत्तर: भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनाव लड़ने की अनुमति देने पर निष्पक्षता और स्वतंत्रता का सवाल उठता है। हालांकि वह एक स्वतंत्र नागरिक है और उसे राजनीतिक अधिकार हैं, लेकिन ऐसा करने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता और उसकी विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है। इसलिए, चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों पर चुनाव लड़ने की रोक लगानी चाहिए। इससे आयोग की तटस्थता पर जनता का भरोसा कायम रहेगा।

10. भारत का लोकतंत्र अब अनगढ़ ‘फर्स्ट पास्ट द पोस्ट’ प्रणाली को छोड़कर समानुपातिक प्रतिनिध्यात्मक प्रणाली को अपनाने के लिए तैयार हो चुका है’ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? इस कथन के पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दें।

उत्तर: समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (PR) से अल्पसंख्यकों और छोटे दलों को बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सकता है, और यह वोटों और सीटों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। हालांकि, इस प्रणाली से राजनीतिक अस्थिरता, स्थानीय प्रतिनिधित्व की कमी और जटिलता भी पैदा हो सकती है।

भारत की विविधता और व्यावहारिक स्थिति को देखते हुए, वर्तमान फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट (FPTP) प्रणाली अभी अधिक उपयुक्त प्रतीत होती है।

इस प्रणाली के लाभ:

(i) यह चुनाव परिणामों को जल्दी और स्पष्ट रूप से निर्धारित करती है।

(ii) यह स्थानीय प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करती है, जिससे हर क्षेत्र के मतदाताओं का एक स्पष्ट और जिम्मेदार प्रतिनिधि होता है।

इसके कुछ नुकसान भी हैं:

(i) यह प्रणाली बड़े दलों को अधिक सीटें दिलवाती है, जबकि छोटे दलों और अल्पसंख्यकों को कम प्रतिनिधित्व मिलता है।

(ii) कभी-कभी यह प्रणाली बहुमत की इच्छाओं के खिलाफ जा सकती है, क्योंकि जीतने के लिए एक उम्मीदवार को केवल सबसे अधिक वोटों की आवश्यकता होती है, न कि पूरी जनता के समर्थन की।

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