NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 10 वायुमंडल में जल Solutions, CBSE Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Question Answer in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 10 वायुमंडल में जल Notes and select needs one.
NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 10 वायुमंडल में जल
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वायुमंडल में जल
Chapter – 10
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
इकाई IV: जलवायु
अभ्यास
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:
(i) मानव के लिए वायुमंडल का सबसे महत्वपूर्ण घटक निम्नलिखित में से कौन सा है-
(क) जलवाष्प।
(ख) धूलकण।
(ग) नाइट्रोजन।
(घ) ऑक्सीजन।
उत्तर: (घ) ऑक्सीजन।
(ii) निम्नलिखित में से वह प्रक्रिया कौन सी है जिसके द्वारा जल, द्रव से गैस में बदल जाता है-
(क) संघनन।
(ख) वाष्पीकरण।
(ग) वाष्पोत्सर्जन।
(घ) अवक्षेपण।
उत्तर: (ख) वाष्पीकरण।
(iii) निम्नलिखित में से कौन सा वायु की उस दशा को दर्शाता है जिसमें नमी उसकी पूरी क्षमता के अनुरूप होती है-
(क) सापेक्ष आर्द्रता।
(ख) निरपेक्ष आर्द्रता।
(ग) विशिष्ट आर्द्रता।
(घ) संतृप्त हवा।
उत्तर: (घ) संतृप्त हवा।
(iv) निम्नलिखित प्रकार के बादलों में से आकाश में सबसे ऊँचा बादल कौन-सा है?
(क) पक्षाभ।
(ख) वर्षा मेघ।
(ग) स्तरी।
(घ) कपासी।
उत्तर: (क) पक्षाभ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) वर्षण के तीन प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर: वर्षण के कई प्रकार होते हैं, जैसे- वर्षा, हिमपात, सहिम वृष्टि तथा करकापाता।
वर्षा – वर्षण जब पानी के रूप में होता है, उसे वर्षा कहा जाता है।
हिमपात – जब तापमान 0°से० से कम होता है तब वर्षण हिमतूलों के रूप में होता है, जिसे हिमपात कहते हैं।
सहिम वृष्टि तथा करकापाता – वर्षा की बूंदें जो गर्म हवा से होकर निकलती हैं तथा नीचे की ओर ठंडी हवा से मिलती हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे ठोस हो जाती हैं तथा सतह पर वर्षा की बूंदों से भी छोटे आकार में बर्फ के रूप में गिरती हैं, जिसे सहिम वृष्टि कहा जाता है।
करकापात – यह वर्षण का एक प्रकार है। जो काफी सीमित मात्रा में होता है तथा समय और क्षेत्र की दृष्टि से यदाकदा ही होता है।
(ii) सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: दिए गए तापमान पर अपनी पूरी क्षमता की तुलना में वायुमंडल में मौजूद आर्द्रता के प्रतिशत को सापेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। हवा के तापमान के बदलने के साथ ही आर्द्रता को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती या घटती है तथा सापेक्ष आर्द्रता भी प्रभावित होती है। यह महासागरों के ऊपर सबसे अधिक तथा महाद्वीपों के ऊपर सबसे कम होती है।
(iii) ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा तेजी से क्यों घटती है?
उत्तर: वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा वाष्पीकरण तथा संघनन के कारण क्रमशः घटती-बढ़ती रहती है। हवा में मौजूद जलवाष्प को आर्द्रता कहते हैं। मात्रात्मक दृष्टि से इसे विभिन्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है। वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की वास्तविक मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहा जाता है। यह हवा के प्रति इकाई आयतन में जलवाष्प का वजन है एवं इसे ग्राम प्रति घन मीटर के रूप में व्यक्त किया जाता है। हवा द्वारा जलवाष्प को ग्रहण करने की क्षमता पूरी तरह से तापमान पर निर्भर होती है। ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है इसलिए 165 मीटर की ऊँचाई पर 10 सेंटीग्रेड तक तापमान घट जाता है। इसप्रकार, ऊँचाई बढ़ने के साथ साथ तापमान घटने पर जलवाष्प की मात्रा भी घटती जाती है।
(iv) बादल कैसे बनते हैं? बादलों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर: बादल पानी की छोटी बूँदों या बर्फ के छोटे कणों की संहति होता है जो कि पर्याप्त ऊँचाई पर स्वतंत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं। चूँकि बादल का निर्माण पृथ्वी की सतह से कुछ ऊँचाई पर होता है इसलिए ये विभिन्न आकारों के होते हैं। इनकी ऊँचाई, विस्तार, घनत्व तथा पारदर्शिता या अपारदर्शिता के आधार पर बादलों को चार रूपों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) पक्षाभ मेघ।
(ii) कपासी मेघ।
(iii) स्तरी मेघ।
(iv) वर्षा मेघ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) विश्व के वर्षण वितरण के प्रमुख लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: एक साल में पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग भागों में होने वाली वर्षा की मात्रा भिन्न-भिन्न होती है तथा यह अलग-अलग मौसमों में भी होती है। सामान्य तौर पर जब हम विषुवत् वृत्त से ध्रुव की तरफ जाते हैं, वर्षा की मात्रा धीरे-धीरे घटती जाती है। विश्व के तटीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के भीतरी भागों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है, क्योंकि वहां पानी के स्रोत की अधिकता के कारण वाष्पीकरण की क्रिया लगातार होती रहती है। विश्व के स्थलीय भागों की अपेक्षा महासागरों के ऊपर वर्षा अधिक होती है। वार्षिक वर्षण की कुल मात्रा के आधार पर विश्व की मुख्य वर्षण प्रवृति को निम्नलिखित रूपों में पहचाना जाता है:
विषुवतीय पट्टी, शीतोष्ण प्रदेशों में पश्चिमी तटीय किनारों के पास के पर्वतों के वायु की ढाल पर तथा मानसून वाले क्षेत्रों के तटीय भागों में वर्षा बहुत अधिक होती है, जो प्रति वर्ष 200 से॰मी॰ से ऊपर होती है। महाद्वीपों के आंतरिक भागों में प्रतिवर्ष 100 से 200 से०मी० वर्षा होती है। महाद्वीपों के तटीय क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा मध्यम होती है। उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र के केंद्रीय भाग तथा रीतोष्ण क्षेत्रों के पूर्वी एवं भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा 50 से 100 से०मी० प्रतिवर्ष तक होती है। महाद्वीप के भीतरी भाग के वृष्टि छाया क्षेत्रों में पड़ने वाले भाग तथा ऊँचे अक्षांशों वाले क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 50 से॰मी॰ से भी कम वर्षा होती है। वर्षा का मौसमी वितरण इसकी प्रभाविता को समझने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। कुछ क्षेत्रों जैसे विषुवतीय पट्टी तथा ठंडे समशीतोष्ण प्रदेशों में वर्षा पूरे वर्ष होती रहती है।
(ii) संघनन के कौन-कौन से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: वायुमंडल में विद्यमान जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन कहलाता है। इस क्रिया के उत्पन्न होने के कईकारण हैं:
(क) जल वायु निरंतर ऊपर उठ कर ठंडी हो जाए।
(ख) जब नमी से भरी वायु किसी पर्वत के सहारे ऊँची उठ कर ठंडी हो जाए।
(ग) जब ठंडी और गर्म वायु आपस में मिल जाए।
संघनन कई रूपों में हमारे सामने आते हैं। जैसे: ओस, तुषार, कोहरा, कुहासा, बादल आदि।
ओस: जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केंद्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास, तथा पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूँदों के रूप में जमा होती है तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है।
तुषार: तुषार ठंडी सतहों पर बनता है जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु से नीचे (0° से.) चले जाने पर होता है, अर्थात् ओसांक जमाव बिंदु पर या उसके नीचे होता है। अतिरिक्त नमी पानी की बूँदों की बजाय छोटे-छोटे बर्फ के रवों के रूप में जमा होती हैं।
कोहरा एवं कुहासा: जब बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प से भरी हुई वायु अचानक नीचे की ओर गिरती है तब छोटे-छोटे धूलकणों के ऊपर ही संघनन की प्रक्रिया होती है। यह सतह पर या सतह के काफी निकट होती है। कुहासें एवं कोहरे में केवल इतना अंतर होता है कि कुहासे में कोहरे की अपेक्षा नमी अधिक होती है यानि कोहरे कुहासे की अपेक्षा अधिक शुष्क होते हैं।
बादल: बादल पानी की छोटी बूंदों या बर्फ के छोटे रवों के होते हैं जो पर्याप्त ऊँचाई पर स्वंतत्र हवा में जलवाष्प के संघनन के कारण बनते हैं।
ओस और तुषार बनने की परिक्रिया:
ओस बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ साफ आकाश, शांत हवा, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठंडी एवं लंबी रातें हैं। ओस बनने के लिए यह आवश्यक है कि ओसांक जमा बिंदु से ऊपर हो। तुषार ठंडी सतहों पर बनता है। जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु से नीचे चले जाते हैं। उजले तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ ओस के बनने की अवस्थाएँ के समान है, केवल हवा का तापमान जमाव बिन्दु पर या उससे नीचे होना चाहिए।
परियोजना कार्य |
1 जून से 31 दिसंबर तक के समाचार पत्रों से सूचनाएँ एकत्र कीजिए कि देश के किन भागों में अत्यधिक वर्षा हुई।
उत्तर: 1 जून से 31 दिसंबर तक के समाचार पत्रों के अनुसार, देश के कई हिस्सों में अत्यधिक वर्षा हुई, जिनमें उत्तरी भारत, पूर्वी भारत, और दक्षिण भारत शामिल हैं।

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