NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 9 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Solutions, CBSE Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Question Answer in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 9 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Notes and select needs one.
NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 9 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
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वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
Chapter – 9
भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत
इकाई IV: जलवायु
अभ्यास
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:
(i) यदि धरातल पर वायुदाब 1,000 मिलीबार है तो धरातल से 1 कि॰मी॰ की ऊँचाई पर वायुदाब कितना होगा?
(क) 700 मिलीबार।
(ख) 900 मिलीबार।
(ग) 1,100 मिलीबार।
(घ) 1,300 मिलीबार।
उत्तर: (ख) 900 मिलीबार।
(ii) अंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः कहाँ होता है?
(क) विषुवत् वृत्त के निकट।
(ख) कर्क रेखा के निकट।
(ग) मकर रेखा के निकट।
(घ) आर्कटिक वृत्त के निकट।
उत्तर: (क) विषुवत् वृत्त के निकट।
(iii) उत्तरी गोलार्ध में निम्नवायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्या होगी?
(क) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के अनुरूप।
(ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत।
(ग) समदाब रेखाओं के समकोण पर।
(घ) समदाब रेखाओं के समानांतर।
उत्तर: (ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत।
(iv) वायुराशियों के निर्माण के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है:
(क) विषुवतीय वन।
(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग।
(ग) हिमालय पर्वत।
(घ) दक्कन पठार।
उत्तर: (ख) साइबेरिया का मैदानी भाग।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) वायुदाब मापने की इकाई क्या है? मौसम मानचित्र बनाते समय किसी स्थान के वायुदाब को समुद्र तल तक क्यों घटाया जाता है?
उत्तर: वायुदाब को मापने की इकाई मिलीबार है। समुद्र तल पर औसत वायुमंडलीय दाब 1,013.2 मिलीबार होता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण धरातल के निकट वायु सघन होती है और इसी के कारण वायुदाब अधिक होता है। वायुदाब के क्षैतिज वितरण का अध्ययन समान अंतराल पर खींची गयी समदाब रेखाओं द्वारा किया जाता है। समदाब रेखाएँ वे रेखाएँ हैं जो समुद्र तल से एक समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती हैं। दाब पर ऊँचाई के प्रभाव को दूर करने और तुलनात्मक बनाने के लिए, वायुदाब मापने के बाद इसे समुद्र तल के स्तर पर घटा लिया जाता है। समुद्रतल पर वायुदाब वितरण मौसम मानचित्रों में दिखाया जाता है।
(ii) जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात् उपोष्ण उच्च दाब से विषुवत वृत्त की ओर हो तो उत्तरी गोलार्ध में उष्णकटिबंध में पवनें उत्तरी पूर्वी क्यों होती हैं?
उत्तर: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। इसे कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इस प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और विषुवत् वृत्त पर अनुपस्थित होता है। कोरिऑलिस बल दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है।
दाब प्रवणता बल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। जितनी दाब प्रवणता अधिक होगी, पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी।
इन दो बलों के एक-दूसरे से समकोण पर होने के कारण निम्न दाब क्षेत्रों में पवनें इसी के इर्द-गिर्द बहती हैं, इसलिए जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात उपोष्ण उच्चदाब से विषुवत वृत की ओर हो तो उत्तरी गोलार्ध में उष्णकटिबंध में पवनें उत्तर-पूर्व होती हैं।
(iii) भूविक्षेपी पवनें क्या हैं?
उत्तर: पवनों का वेग व उनकी दिशा, पवनों को उत्पन्न करने वाले बलों का परिणाम है। पृथ्वी की सतह से 2-3 कि.मी. की ऊँचाई पर ऊपरी वायुमंडल में पवनें धरातलीय घर्षण के प्रभाव से मुक्त होती हैं और मुख्यतः दाब प्रवणता तथा कोरिऑलिस बल से नियंत्रित होती हैं। जब समदाब रेखाएँ सीधी हों और घर्षण का प्रभाव न हो, तो दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से संतुलित हो जाता है और फलस्वरूप पवनें समदाब रेखाओं के समानांतर बहती हैं। ये पवनें भूविक्षेपी (Geostrophic) पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
(iv) समुद्र व स्थल समीर का वर्णन करें?
उत्तर: ऊष्मा के अवशोषण तथा स्थानांतरण में स्थल व समुद्र में भिन्नता पायी जाती है। दिन के दौरान स्थल भाग समुद्र की अपेक्षा अधिक गर्म हो जाते हैं। अतः स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती हैं और निम्न दाब क्षेत्र बनता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठंडे रहते हैं और उन पर उच्च वायुदाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्थल की ओर दाब प्रवणता उत्पन्न होती है और पवनें समुद्र से स्थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि में इसके एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठंडा होता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है (चित्र 9.7)1
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:
(i) पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताएँ?
उत्तर: पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है।
अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम है:
(क) दाब-प्रवणता बल: वायुमंडलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के संदर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहाँ समदाब रेखाएँ पास-पास हों, वहाँ दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।
(ख) घर्षण बल: यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव प्रायः धरातल से 1 से 3 कि०मी० ऊँचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्यूनतम होता है।
(ग) कोरिऑलिस बल: पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। सन् 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इस बल को कोरिआलिस बल कहा जाता है।
(ii) पृथ्वी पर वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण का वर्णन करते हुए चित्र बनाएँ। 30° उत्तरी व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब के संभव कारण बताएँ?
उत्तर: वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण महासागरीय जल को भी गतिमान करता है, जो पृथ्वी की जलवायु को प्रभावित करता है। उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है। उष्णकटिबंधों से आने वाली पवनें इस निम्न दाब क्षेत्र में अभिसरण करती हैं। अभिसारित वायु संवहन कोष्ठों के साथ ऊपर उठती है। यह क्षोभमंडल के ऊपर 14 कि.मी. की ऊँचाई तक ऊपर चढ़ती है और फिर ध्रुवों की तरफ प्रवाहित होती है। इसके परिणामस्वरूप लगभग 30° उत्तर व 30° दक्षिण अक्षांश पर वायु एकत्रित हो जाती है। इस एकत्रित वायु का अव्तालन होता है और यह उपोष्ण उच्चदाब बनाता है। अवतलन का एक कारण यह है कि जब वायु 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर पहुँचती है तो यह ठंडी हो जाती है।
(iii) उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति केवल समुद्रों पर ही क्यों होती है? उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के किस भाग में मूसलाधार वर्षा होती है और उच्च वेग की पवनें चलती हैं और क्यों?
उत्तर: उष्ण कटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं जिनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों के महासागरों पर होती है और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गतिमान होते हैं। ये चक्रवात आक्रामक पवनों के कारण विस्तृत विनाश, अत्यधिक वर्षा और तूफान लाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात, उष्ण कटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न व विकसित होते हैं। इनकी उत्पत्ति व विकास के लिए अनुकूल स्थितियाँ हैं:
(i) बृहत् समुद्री सतह; जहाँ तापमान 27° सेल्सियस से अधिक हो।
(ii) कोरिऑलिस बल का होना।
(iii) ऊर्ध्वाधर पवनों की गति में अंतर कम होना।
(iv) कमजोर निम्न दाब क्षेत्र या निम्न स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण का होना।
(v) समुद्री तल तंत्र पर ऊपरी अपसरण।
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को और अधिक विध्वंसक करने वाली ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासी स्तरी मेघों से प्राप्त होती है जो इस तूफान के केंद्र को घेरे होती है। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति से ये तूफान अधिक प्रबल होते हैं। स्थल पर पहुँचकर आर्द्रता की आपूर्ति रुक जाती है और ये क्षीण होकर समाप्त हो जाते हैं।
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात में मूसलाधार वर्षा का क्षेत्रः
एक विकसित उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात केन्द्र के चारों तरफ प्रबल सर्पिल पवनों का परिसंचरण होता है जिसे इसकी आँख कहते हैं। इस परिसंचरण प्रणाली का व्यास 150 से 250 किलोमीटर तक होता है। इसका केन्द्रीय क्षेत्र शान्त होता है जहाँ पवनों का अवतलन होता है। केन्द्रीय भाग के चारों तरफ अक्षुभित्ति होती है जहाँ वायु प्रबल व वृत्ताकार रूप से ऊपर उठती है। ये पवनें क्षोभ सीमा की ऊँचाई तक पहुँचकर इसी क्षेत्र में अधिकतम वेग वाली पवनों को उत्पन्न करती हैं, जिनकी गति 250 कि.मी. प्रति घण्टा तक होती है। इनसे इस भाग में मूसलाधार वर्षा होती है। चक्रवात की आँख से रेनबैण्ड विकसित होते हैं तथा कपासी वर्षा बादलों की पंक्तियाँ बाहरी क्षेत्र की तरफ विस्थापित हो जाती हैं। समुद्री क्षेत्रों में लगातार आर्द्रता प्राप्ति के कारण ये चक्रवात तूफानी रूप ग्रहण कर लेते हैं और इनसे तटीय क्षेत्रों में मूसलाधार वर्षा होती है।
परियोजना कार्य |
(i) मौसम पद्धति को समझने के लिए मीडिया, अखबार, दूरदर्शन तथा रेडिया से मौसम संबंधी सूचना का एकत्र कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
(ii) किसी अखबार का मौसम संबंधी भाग, विशेषकर वह जिसमें उपग्रह से भेजा गया मानचित्र दिखाया गया है, पढ़ें। मेघाच्छादित क्षेत्र को रेखांकित करें। मेघों के वितरण से वायुमंडलीय परिसंचरण की व्याख्या करें। अख़बार व दूरदर्शन पर दिखाए गए पूर्वानुमान से तुलना करें। यह भी बताएं कि सप्ताह के कितने दिन पूर्वानुमान ठीक था।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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