NCERT Class 11 Geography Bhutiq Bhugol ke Mul Sidhant Chapter 13 महासागरीय जल संचलन

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Chapter – 13

भौतिक भूगोल के मूल सिद्धांत

इकाई V: जल (महासागर)

अभ्यास

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:

(i) महासागरीय जल की ऊपर एवं नीचे गति किससे संबंधित है?

(क) ज्वार।

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(ख) तरंग।

(ग) धाराएँ।

(घ) ऊपर में से कोई नहीं।

उत्तर: (क) ज्वार।

(ii) वृहत ज्वार आने का क्या कारण है?

(क) सूर्य और चंद्रमा का पृथ्वी पर एक ही दिशा में गुरुत्वाकर्षण बल।

(ख) सूर्य और चंद्रमा द्वारा एक दूसरे की विपरीत दिशा से पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल।

(ग) तटरेखा का दंतुरित होना।

(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।

उत्तर: (क) सूर्य और चंद्रमा का पृथ्वी पर एक ही दिशा में गुरुत्वाकर्षण बल।

(iii) पृथ्वी तथा चंद्रमा की न्यूनतम दूरी कब होती है?

(क) अपसौर।

(ख) उपसौर।

(ग) उपभू।

(घ) अपभू।

उत्तर: (ग) उपभू।

(iv) पृथ्वी उपसौर की स्थिति कब होती है?

(क) अक्टूबर।

(ख) जुलाई।

(ग) सितंबर।

(घ) जनवरी।

उत्तर: (घ) जनवरी।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) तरंगें क्या हैं?

उत्तर: तरंगें वास्तव में ऊर्जा हैं, जल नहीं, जो कि महासागरीय सतह के आर-पार गति करते हैं। तरंगों में जल कण छोटे वृत्ताकार रूप में गति करते हैं। वायु जल को ऊर्जा प्रदान करती हैं, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं। वायु के कारण तरंगें महासागर में गति करती हैं तथा ऊर्जा तटरेखा पर निर्मुक्त होती है। सतह जल की गति महासागरों के गहरे तल के स्थिर जल को कदाचित् ही प्रभावित करती है। जैसे ही एक तरंग महासागरीय तट पर पहुँचती है इसकी गति कम हो जाती है। ऐसा गत्यात्मक जल के मध्य आपस में घर्षण होने के कारण होता है तथा जब जल की गहराई तरंग के तरंगदैर्ध्य के आधे से कम होती है तब तरंग टूट जाते हैं। बड़ी तरंगें खुले महासागरों में पायी जाती हैं। तरंगें जैसे-जैसे ही आगे की ओर बढ़ती हैं बड़ी होती जाती हैं।

(ii) महासागरीय तरंगें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त करती हैं?

उत्तर: महासागरीय तरंगें मुख्य रूप से अपनी ऊर्जा पवन (हवा) से प्राप्त करती हैं। जब वायुमंडलीय हवा समुद्र की सतह पर प्रवाहित होती है, तो वह जल पर दबाव डालती है, जिससे तरंगें उत्पन्न होती हैं। हवा की गति, अवधि, तथा समुद्र की सतह के संपर्क क्षेत्र के अनुसार तरंगों की ऊँचाई और गति निर्धारित होती है। इसके अलावा, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, और ज्वारीय बलों (चंद्रमा और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव) से भी महासागरीय तरंगों को ऊर्जा मिल सकती है, विशेषकर सुनामी जैसी विशाल तरंगों के मामले में।

(iii) ज्वार-भाटा क्या है?

उत्तर: चंद्रमा एवं सूर्य के आकर्षण के कारण समुद्र के जल का नियमित अंतराल पर ऊपर उठना (ज्वार) और नीचे गिरना (भाटा) ज्वार-भाटा कहलाता है। यह प्रक्रिया दिन में दो बार या अधिक बार हो सकती है। जलवायु संबंधी प्रभावों (वायु एवं वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन) के कारण जल की गति को महोर्मि (Surge) कहा जाता है। महोर्मि ज्वारभाटाओं की तरह नियमित नहीं होते। ज्वारभाटाओं का स्थानिक एवं कालिक रूप से अध्ययन बहुत ही जटिल है, क्योंकि इसके आवृत्ति, परिमाण तथा ऊँचाई में बहुत अधिक भिन्नता होती है।

(iv) ज्वार-भाटा उत्पन्न होने के क्या कारण हैं?

उत्तर: ज्वार-भाटा उत्पन्न होने का मुख्य कारण चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल है, जबकि कुछ हद तक सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल भी इस प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है, तो वह समुद्र के जल पर आकर्षण बल डालता है, जिससे जल का स्तर ऊपर उठता है और ज्वार उत्पन्न होता है। इसके अतिरिक्त, पृथ्वी और चंद्रमा के परिभ्रमण के कारण एक अपकेंद्रीय बल उत्पन्न होता है, जो पृथ्वी के उस भाग पर कार्य करता है जो चंद्रमा से विपरीत दिशा में होता है। इस कारण वहां भी जल ऊपर उठता है, जिससे दूसरा ज्वार बनता है। जब समुद्र का जल नीचे उतरता है, तो इसे भाटा कहा जाता है। इस प्रकार, गुरुत्वाकर्षण बल और अपकेंद्रीय बल मिलकर पृथ्वी पर ज्वार-भाटा उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

(v) ज्वार-भाटा नौसंचालन से कैसे संबंधित है?

उत्तर: ज्वार-भाटा नौसंचालकों व मछुआरों को उनके कार्य संबंधी योजनाओं में मदद करता है। नौसंचालन में ज्वारीय प्रवाह का अत्यधिक महत्व है। ज्वार की ऊँचाई बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, खासकर नदियों के किनारे वाले पोताश्रय(बंदरगाह) पर एवं ज्वारनदमुख के भीतर, जहाँ प्रवेश द्वार पर छिछले रोधिका होते हैं, जो कि नौकाओं एवं जहाजों को पोताश्रय में प्रवेश करने से रोकते हैं। ज्वार-भाटा तलछटों के डीसिल्टेशन (Desiltation) में भी मदद करती है तथा ज्वारनदमुख से प्रदूषित जल को बाहर निकालने में भी मदद करती है। ज्वारों का इस्तेमाल विद्युत शक्ति (कनाडा, फ्रांस, रूस एवं चीन में) उत्पन्न करने में भी किया जाता है। एक 3 मैगावाट शक्ति का विद्युत संयत्र पश्चिम बंगाल में सुंदरवन के दुर्गादुवानी में लगाया जा रहा है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) जल धाराएँ तापमान को कैसे प्रभावित करती हैं? उत्तर पश्चिम यूरोप के तटीय क्षेत्रों के तापमान को ये किस प्रकार प्रभावित करते हैं?

उत्तर: जल धाराएँ तापमान को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। ठंडी या गर्म जल धाराएँ तापमान को अलग-अलग प्रकार से प्रभावित करती है।

(क) ठंडी जलधाराएँ, ठंडा जल, गर्म जल क्षेत्रों में लाती है। ये महाद्वीपों के पशिचमी तट पर बहती हैं। (ऐसा दोनों गोलार्थों में निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में होता है) और उत्तरी गोलार्थ के उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में ये जलधाराएँ महाद्वीपों के पूर्वी तट पर बहती है।

(ख) गर्म जलधाराएँ, गर्म जल को ठंडे जल क्षेत्रों में पहुंचाती है और प्रायः महाद्वीपों के पूर्वी तटों पर बहती है (दोनों गोलार्थों के निम्न व मध्य अक्षांशीय क्षेत्रों में)। उत्तरी गोलार्ध में, ये जलधाराएँ उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों में महाद्वीपों के पश्चिम तट पर बहती हैं।

(ii) जल धाराएँ कैसे उत्पन्न होती हैं?

उत्तर: जल धाराएँ दो प्रकार के बलों के द्वारा प्रभावित होती हैं, वे हैं-

(i) प्राथमिक बल, जो जल की गति को प्रारंभ करता है, तथा 

(ii) द्वितीयक बल, जो धाराओं के प्रभाव को नियंत्रित करता है।

प्राथमिक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे है:

(i) सौर ऊर्जा से जल का गर्म होना- सौर ऊर्जा से गर्म होकर जल फैलता है। यही कारण है कि विषुवत् वृत के पास महासागरीय जल का स्तर मध्य अक्षांशों की अपेक्षा 8 से.मी. अधिक ऊँचा होता है। इसके कारण बहुत कम प्रवणता उत्पन्न होती है तथा जल का बहाव ढाल से नीचे की तरफ होता है।

(ii) वायु- महासागर के सतह पर बहने वली वायु जल को गतिमान करती है। इस क्रम में वायु एवं पानी को सतह के बीच उत्पन्न होने वला घर्षण बल जल को गति को प्रभावित करता है।

(iii) गुरुत्वाकर्षण- गुरुत्वाकर्षण के कारण जल नीचे बैठता है और यह एकत्रित जल दाब प्रवणता में भिन्नता लाता है।

(iv) कोरियोलिस बल- कोरियोलिस बल के कारण उत्तरी गोलार्ध में जल की गति की दिशा के दाहिनी तरफ और दक्षिणी गोलार्ध में बायीं ओर प्रवाहित होता है तथा उनके चारों और बहाव को वलय कहा जाता है। इनके कारण सभी महासागरीय बेसिनों में वृहत् वृत्ताकार धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

द्वितीयक बल, जो धाराओं को प्रभावित करते है, वे हैं:

(i) पानी के घनत्व में अंतर- महासागरीय जलधाराओं के उर्ध्वाधर गति को प्रभावित करता है। सघन जल नीचे बैठता है, जबकि हल्के जल की प्रवृत्ति ऊपर उठने की होती है।

(ii) लवणता में अंतर- अधिक खारा जल निम्न खारे जल की अपेक्षा ज्यादा सघन होता है तथा इसी प्रकार ठंडा जल, गर्म जल की अपेक्षा अधिक सघन होता है।

परियोजना कार्य

(i) किसी झील या तालाब के पास जाएँ तथा तरंगों की गति का अवलोकन करें। एक पत्थर फेंकें एवं देखें कि तरंगें कैसे उत्पन्न होती हैं।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

(ii) एक ग्लोब या मानचित्र लें, जिसमें महासागरीय धाराएँ दर्शाई गई हैं, यह भी बताएँ कि क्यों कुछ जलधाराएँ गर्म हैं व अन्य ठंडी। इसके साथ ही यह भी बताएँ कि निश्चित स्थानों पर यह क्यों विक्षेपित होती हैं। कारणों का विवेचन करें। 

उत्तर: 

महासागरीय धाराएँ समुद्र के जल के विशाल प्रवाह को संदर्भित करती हैं, जो पृथ्वी के विभिन्न महासागरों में एक निर्धारित मार्ग का अनुसरण करती हैं। ये धाराएँ गर्म और ठंडी दोनों प्रकार की होती हैं, जिसका निर्धारण उनके उद्गम क्षेत्र और प्रवाह के मार्ग के आधार पर होता है।

गर्म और ठंडी जलधाराओं के कारण:

1. गर्म जलधाराएँ: ये धाराएँ भूमध्य रेखा के निकट स्थित गर्म क्षेत्रों से उत्पन्न होती हैं और ठंडे क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होती हैं। जैसे — गल्फ स्ट्रीम (अटलांटिक महासागर में)।

2. ठंडी जलधाराएँ: ये धाराएँ ध्रुवीय क्षेत्रों से निकलकर गर्म क्षेत्रों की ओर प्रवाहित होती हैं। जैसे — कैलिफ़ोर्निया धारा (प्रशांत महासागर में)।

धाराओं के विक्षेपित होने के कारण:

1. पृथ्वी का घूर्णन (Coriolis प्रभाव): पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्तरी गोलार्ध में धाराएँ दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्ध में बाईं ओर विक्षेपित होती हैं।

2. महाद्वीपों की आकृति: महासागरों में महाद्वीपों की स्थिति धाराओं के प्रवाह को मोड़ देती है, जिससे धाराएँ अपने मार्ग में विक्षेपित होती हैं।

3. वायुमंडलीय दाब बेल्ट: व्यापारिक पवनें (Trade Winds) और पछुआ पवनें (Westerlies) जलधाराओं को उनकी दिशा में धकेलती हैं।

4. घनत्व का अंतर: जल का तापमान और लवणता (Salinity) का अंतर महासागरीय जल के घनत्व को प्रभावित करता है, जिससे धाराएँ विक्षेपित होती हैं।

महत्त्व:

गर्म और ठंडी धाराएँ जलवायु को प्रभावित करती हैं, मछली पालन को नियंत्रित करती हैं तथा व्यापारिक नौपरिवहन के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।

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