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NCERT Class 11 Political Science Chapter 2 भारतीय संविधान में अधिकार
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भारतीय संविधान में अधिकार
Chapter: 2
भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार |
INTEX QUESTION |
1. अगर लालूँग धनी और ताकतवर होता तब क्या होता? यदि निर्माण करने वाले ठेकेदार के साथ काम करने वाले लोग इंजीनियर होते तो क्या होता? क्या उनके साथ भी अधिकारों का इसी तरह से हनन होता?
उत्तर: यदि मचल लालूँग धनी और ताकतवर होता, तो संभवतः उसका मामला इतनी उपेक्षा का शिकार न होता। प्रभावशाली व्यक्तियों को आमतौर पर बेहतर कानूनी सहायता, संसाधन, और तेज़ न्याय मिलने की संभावना अधिक होती है।
इसी तरह, अगर निर्माण कार्य में लगे मजदूर इंजीनियर या उच्च पदस्थ व्यक्ति होते, तो उनके साथ अधिकारों का हनन होने की संभावना कम होती। उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति उन्हें अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक और उनकी रक्षा करने में सक्षम बनाती।
यह स्थिति समाज में व्याप्त असमानता को दिखाती है, जहाँ कमजोर वर्गों को अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है, जबकि शक्तिशाली लोग बेहतर अवसर और न्याय प्राप्त कर लेते हैं।
प्रश्नावली |
1. निम्नलिखित प्रत्येक कथन के बारे में बताएँ कि वह सही है या गलत।
(क) अधिकार-पत्र में किसी देश की जनता को हासिल अधिकारों का वर्णन रहता है।
उत्तर: सही।
(ख) अधिकार-पत्र व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
उत्तर: सही।
(ग) विश्व के हर देश में अधिकार-पत्र होता है।
उत्तर: गलत।
2. निम्नलिखित में कौन मौलिक अधिकारों का सबसे सटीक वर्णन है?
(क) किसी व्यक्ति को प्राप्त समस्त अधिकार।
(ख) कानून द्वारा नागरिक को प्रदत्त समस्त अधिकार।
(ग) संविधान द्वारा प्रदत्त और सुरक्षित समस्त अधिकार।
(घ) संविधान द्वारा प्रदत्त वे अधिकार जिन पर कभी प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
उत्तर: (ग) संविधान द्वारा प्रदत्त और सुरक्षित समस्त अधिकार।
3. निम्नलिखित स्थितियों को पढ़ें। प्रत्येक स्थिति के बारे में बताएँ कि किस मौलिक अधिकार का उपयोग या उल्लंघन हो रहा है और कैसे?
(क) राष्ट्रीय एयरलाइन के चालक – परिचालक दल (Cabin-Crew) के ऐसे पुरुषों को जिनका वजन ज़्यादा है – नौकरी में तरक्की दी गई लेकिन उनकी ऐसी महिला सहकर्मियों को, दंडित किया गया जिनका वजन बढ़ गया था।
उत्तर: महिला सहकर्मियों को दंडित करना उनके समानता का अधिकार का उल्लंघन करना है। पुरुषों को पदोन्नति दी गई जबकि महिलाओं को दंडित किया गया। यह लिंग के आधार पर भेदभाव है। यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।
(ख) एक निर्देशक एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाता है जिसमें सरकारी नीतियों की आलोचना है।
उत्तर: इस घटना में मौलिक अधिकार का उपभोग किया जा रहा है। इसमें निर्देशक द्वारा स्वयं को व्यक्त करने के अधिकार (Right of Expression) का प्रयोग किया जा रहा है जिसका उल्लेख संविधान के 19वें अनुच्छेद में है।
(ग) एक बड़े बाँध के कारण विस्थापित हुए लोग अपने पुनवांस की माँग करते हुए रैली निकालते हैं।
उत्तर: इस घटना में भी मौलिक अधिकार का उपयोग किया जा रहा है। अनुच्छेद 19 में उल्लिखित अधिकार किसी उद्देश्य के लिए संगठित होने का उपयोग करके विस्थापित जन संगठित होकर रैली निकाल रहे हैं।
(घ) आंध्र-सोसायटी आंध्र प्रदेश के बाहर तेलुगु माध्यम के विद्यालय चलाती है।
उत्तर: इसमें शिक्षा व संस्कृति के अधिकार (अनुच्छेद 29 व 30) का उपयोग किया जा रहा है।
4. निम्नलिखित में कौन सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की सही व्याख्या है?
(क) शैक्षिक – संस्था खोलने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के ही बच्चे इस संस्थान में पढ़ाई कर सकते हैं।
(ख) सरकारी विद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को उनकी संस्कृति और धर्म-विश्वासों से परिचित कराया जाए।
(ग) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक अपने बच्चों के लिए विद्यालय खोल सकते हैं और उनके लिए इन विद्यालयों को आरक्षित कर सकते हैं।
(घ) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक यह माँग कर सकते हैं कि उनके बच्चे उनके द्वारा संचालित शैक्षणिक – संस्थाओं के अतिरिक्त किसी अन्य संस्थान में नहीं पढ़ेंगे।
उत्तर: (ग) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक अपने बच्चों के लिए विद्यालय खोल सकते हैं और उनके लिए इन विद्यालयों को आरक्षित कर सकते हैं।
5. इनमें कौन-मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और क्यों?
(क) न्यूनतम देय मज़दूरी नहीं देना।
(ख) किसी पुस्तक पर प्रतिबंध लगाना।
(ग) 9 बजे रात के बाद लाऊड स्पीकर बजाने पर रोक लगाना।
(घ) भाषण तैयार करना।
उत्तर: (क) न्यूनतम देय मज़दूरी नहीं देना।
यह उदहारण में शोषण के विरुद्ध अधिकार का उल्लंघन किया गया हैं, क्योंकि अनुच्छेद 23 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को सरकार द्वारा तय की गयी न्यूनतम देय मज़दूरी प्राप्त करने का अधिकार हैं। यदि कोई भी नियोजक किसी भी कर्मचारी को न्यूनतम देय मज़दूरी से कम मज़दूरी देता हैं तो यह अनुच्छेद 23 का उल्लंघन होगा।
6. गरीबों के बीच काम कर रहे एक कार्यकर्ता का कहना है कि गरीबों को मौलिक अधिकारों की ज़रूरत नहीं है। उनके लिए ज़रूरी यह है कि नीति-निर्देशक सिद्धांतों को कानूनी तौर पर बाध्यकारी बना दिया जाए। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
उत्तर: नहीं में इससे सहमत नहीं हुँ गरीबों के बीच काम करने वाले कार्यकर्ता के विचारों से सहमत नहीं होने की वजह यह है कि मौलिक अधिकार सभी के लिए ज़रूरी हैं क्योंकि मौलिक अधिकारों के ज़रिए नागरिकों को समानता और आज़ादी मिलती है। जब तक मौलिक अधिकार कानूनी रूप से लागू नहीं होते, तब तक नीति-निर्देशक सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से लागू करना कठिन होगा। नीति-निर्देशक सिद्धांत सरकार को दिशा-निर्देश देते हैं, लेकिन इनका कानूनी रूप से पालन करना जरूरी नहीं होता, जबकि मौलिक अधिकार कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं।
7. अनेक रिपोर्टों से पता चलता है कि जो जातियाँ पहले झाड़ देने के काम में लगी थीं उन्हें अब भी मजबूरन यही काम करना पड़ रहा है। जो लोग अधिकार-पद पर बैठे हैं वे इन्हें कोई और काम नहीं देते। इनके बच्चों को पढ़ाई-लिखाई करने पर हतोत्साहित किया जाता है। इस उदाहरण में किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
उत्तर: इस उदाहरण में समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। जाति और काम के आधार पर इन लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 17 के तहत छुआछूत को समाप्त कर दिया गया है, और इसके बावजूद ऐसे भेदभावपूर्ण व्यवहार से इन लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।
समानता के मौलिक अधिकार के अंतर्गत सभी नागरिकों को सरकारी नौकरियों या पदों पर बिना किसी भेदभाव के प्रवेश का अधिकार प्राप्त है। इस भेदभावपूर्ण स्थिति से जातिगत असमानता और सामाजिक न्याय का उल्लंघन होता है, जो संविधान के उद्देश्यों के विपरीत है।
8. एक मानवाधिकार समूह ने अपनी याचिका में अदालत का ध्यान देश में मौजूद भूखमरी की स्थिति की तरफ खींचा। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में 5 करोड़ टन से ज्यादा अनाज भरा हुआ था। शोध से पता चलता है कि अधिकांश राशन कार्डधारी यह नहीं जानते कि उचित मूल्य की दुकानों से कितनी मात्रा में वे अनाज खरीद सकते हैं। मानवाधिकार समूह ने अपनी याचिका में अदालत से निवेदन किया कि वह सरकार को सार्वजनिक-वितरण प्रणाली में सुधार करने का आदेश दे।
(क) इस मामले में कौन-कौन से अधिकार शामिल हैं? ये अधिकार आपस में किस तरह जुड़े हैं?
उत्तर: (i) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) – भूखमरी की स्थिति और राशन कार्डधारियों को पर्याप्त अनाज न मिलना, जीवन की बुनियादी आवश्यकता की पूरी न हो पाने का संकेत है। संविधान में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार केवल शारीरिक अस्तित्व नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार भी प्रदान करता है।
(ii) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) – सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि सभी नागरिकों को समान रूप से खाद्य सुरक्षा और राशन मिले। यदि कुछ वर्गों को लाभ नहीं मिल रहा है, तो यह समानता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
(iii) अधिकारों की जानकारी का अधिकार (RTI) – राशन कार्डधारियों को यह जानकारी नहीं है कि वे कितनी मात्रा में अनाज खरीद सकते हैं, यह सूचना का अधिकार और पारदर्शिता की आवश्यकता को दर्शाता है।
(ख) क्या ये अधिकार जीवन के अधिकार का एक अंग हैं?
उत्तर: जी हां, ये अधिकार जीवन के अधिकार का एक अंग हैं। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार न केवल शारीरिक अस्तित्व तक सीमित है, बल्कि यह उस जीवन के गुणवत्ता को भी सुनिश्चित करता है। यदि लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा, तो उनका जीवन ठीक से जीने का अधिकार प्रभावित होता है। इसलिए, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार का आदेश देना जीवन के अधिकार का पालन करने के लिए आवश्यक है, ताकि हर नागरिक को पर्याप्त भोजन मिल सके और उनका जीवन सम्मानजनक हो।
9. इस अध्याय में उद्धृत सोमनाथ लाहिड़ी द्वारा संविधान सभा में दिए गए वक्तव्य को पढ़ें। क्या आप उनके कथन से सहमत हैं? यदि हाँ तो इसकी पुष्टि में कुछ उदाहरण दें। यदि नहीं तो उनके कथन के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत करें।
उत्तर: सोमनाथ लाहिड़ी के प्रस्तुत कथन से हम कम ही सहमत हैं क्योंकि अधिकारों में जो दिया गया है उसे वापस भी ले लिया गया है। प्रत्येक अधिकार के बाद एक उपबन्ध शामिल कर दिया गया है जो अधिकार को वापस ले लेता है; जैसे- अनुच्छेद 19 में दिए गए अधिकार में जितनी स्वतंत्रताएँ दी गई हैं उतने ही बंधन भी लगा दिए गए हैं।
10. आपके अनुसार कौन-सा मौलिक अधिकार सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है? इसके प्रावधानों को संक्षेप में लिखे और तर्क देकर वताएँ कि यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: संवैधानिक उपचार का अधिकार भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नागरिकों को मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ कानूनी समाधान प्रदान करता है। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि यदि किसी का मौलिक अधिकार उल्लंघित होता है, तो उसे न्यायालय से राहत मिल सकती है। यह राज्य की शक्ति पर भी अंकुश लगाता है, जिससे राज्य अपने नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता। इसके द्वारा अन्य मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाती है और उनकी प्राप्ति सुनिश्चित होती है, जिससे नागरिकों को उनके अधिकारों की सुरक्षा मिलती है। इसलिए, यह अधिकार मौलिक अधिकारों की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है।