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NCERT Class 11 Political Science Chapter 4 कार्यपालिका
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कार्यपालिका
Chapter: 4
भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार |
INTEX QUESTION |
1. क्या हमारे देश में बहुत मजबूत प्रधानमंत्री नहीं हुए? क्या इसका मतलब यह है कि संसदीय व्यवस्था में भी किसी एक व्यक्ति की प्रधानता जारी रह सकती है? तब तो जनता और विधायिका को लगातार सचेत रहने की ज़रूरत है।
उत्तर: हां, क्या हमारे देश में बहुत मजबूत प्रधानमंत्री हुए है। जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता और प्रभावशाली निर्णयों से देश को दिशा दी। हालांकि, संसदीय व्यवस्था का मूल सिद्धांत सत्ता के विकेंद्रीकरण और सामूहिक निर्णय-प्रक्रिया पर आधारित है। यदि किसी एक व्यक्ति की प्रधानता बढ़ती है, तो यह लोकतांत्रिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
इसलिए, जनता और विधायिका को सचेत रहने की आवश्यकता है ताकि सत्ता का दुरुपयोग न हो और लोकतांत्रिक संस्थाएँ अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभा सकें। एक सक्रिय विपक्ष, स्वतंत्र मीडिया और जागरूक नागरिक लोकतंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
2. राष्ट्रपति के लिए किताबों में स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों का प्रयोग किया जाता है। क्या कभी कोई महिला भी राष्ट्रपति हुई है?
उत्तर: प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके कार्यकाल ने यह सिद्ध किया कि राष्ट्रपति पद पर महिला और पुरुष दोनों की समान भूमिका हो सकती है। किताबों में “राष्ट्रपति” शब्द का प्रयोग स्त्रीलिंग और पुल्लिंग दोनों रूपों में किया जाता है, क्योंकि यह एक पदनाम है।
3. लोग मंत्री बनना क्यों चाहते हैं? इस कार्टून में शायद यह बताया गया है कि लोग सुख-सुविधा उठाने के लिए मंत्री बनना चाहते हैं। लेकिन तब किन्हीं खास मंत्रालयों को पाने के लिए होड़ क्यों मची रहती है?
उत्तर: लोग मंत्री इसलिए बनना चाहते हैं क्योंकि मुख्य रूप से शक्ति, प्रतिष्ठा, निर्णय लेने की क्षमता और विशेष अधिकारों के लिए कुछ कर सके। मंत्री बनने से उन्हें सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों में भाग लेने का अवसर मिलता है, जिससे वे नीतियाँ बना सकते हैं और अपने समर्थकों को लाभ पहुँचा सकते हैं। लेकिन इसके अलावा, मंत्री पद के साथ सुविधाएँ, सुरक्षा, वेतन और सामाजिक प्रभाव भी जुड़ा होता है, जो इसे एक आकर्षक पद बनाता है। कुछ लोग इसे देश की सेवा करने का अवसर मानते हैं, लेकिन कुछ लोग इसे निजी लाभ के रूप में देखते हैं। इसीलिए, मंत्री पद के लिए राजनीति में होड़ लगी रहती है।
4. क्या आदमी ताकतवर होने से प्रधानमंत्री बनता है या बनने के बाद ताकतवर होता है?
उत्तर: कुछ लोग पहले से ही ताकतवर होते हैं और अपनी राजनीतिक पकड़कर लोकप्रियता व संसाधनों के कारण प्रधानमंत्री बनते हैं। और कुछ लोग प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने अधिकारों, फैसलों और नेतृत्व क्षमता के कारण ताकतवर हो जाते हैं। यह पूरी तरह व्यक्ति की नीतियों या जनता के समर्थन और राजनीतिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि वह पहले से ही ताकतवर है या प्रधानमंत्री बनने के बाद।
5. मुख्यमंत्री विश्वासमत जीतकर भी खुश नहीं हैं। वे कह रहे हैं कि विश्वासमत जीतने के बावजूद उनकी परेशानियां बरकरार है। क्या आप सोच सकते हैं, वे ऐसा क्यों कह रहे हैं?
उत्तर: मुख्यमंत्री विश्वासमत जीतकर भी इसलिए खुशी नहीं क्योंकि सरकार चलाने की चुनौतियाँ केवल विश्वासमत तक सीमित नहीं होतीं। सरकार होने पर उन्हें सहयोगी दलों को संतुष्ट रखना, विरोधी दलों का दबाव, प्रशासनिक समस्याएँ, जनता की अपेक्षाएँ और नीतिगत फैसलों को लागू करने की कठिनाइयाँ बनी रहती हैं।
प्रश्नावली |
1. संसदीय कार्यपालिका का अर्थ होता है-
(क) जहाँ संसद हो वहाँ कार्यपालिका का होना।
(ख) संसद द्वारा निर्वाचित कार्यपालिका।
(ग) जहाँ संसद कार्यपालिका के रूप में काम करती है।
(घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत के समर्थन पर निर्भर हो।
उत्तर: (घ) ऐसी कार्यपालिका जो संसद के बहुमत के समर्थन पर निर्भर हो।
2. निम्नलिखित संवाद पढ़ें। आप किस तर्क से सहमत हैं और क्यों?
अमित – संविधान के प्रावधानों को देखने से लगता है कि राष्ट्रपति का काम सिर्फ ठप्पा मारना है।
शमा – राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। इस कारण उसे प्रधानमंत्री को हटाने का भी अधिकार होना चाहिए।
राजेश – हमें राष्ट्रपति की जरूरत नहीं। चुनाव के बाद, संसद बैठक बुलाकर एक नेता चुन सकती है जो प्रधानमंत्री बने।
उत्तर: मैं शमा के तर्क से सहमत हूं, क्योंकि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है; और उसे प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार भी होना चाहिए। सिद्धान्त रूप से ऐसा है कि राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की औपचारिक रूप से नियुक्ति करता है।
3. निम्नलिखित को सुमेलित करें-
(क) भारतीय विदेश सेवा | जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है। |
(ख) प्रादेशिक लोक सेवा | केंद्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और। |
(ग) अखिल भारतीय सेवाएँ | जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में भी भेजा जा सकता है। |
(घ) केंद्रीय सेवाएँ | भारत के लिए विदेशों में कार्यरत। |
उत्तर:
(क) भारतीय विदेश सेवा | भारत के लिए विदेशों में कार्यरत। |
(ख) प्रादेशिक लोक सेवा | जिसमें बहाली हो उसी प्रदेश में काम करती है। |
(ग) अखिल भारतीय सेवाएँ | जिस प्रदेश में भेजा जाए उसमें काम करती है, इसमें प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में भी भेजा जा सकता है। |
(घ) केंद्रीय सेवाएँ | केंद्रीय सरकार के दफ्तरों में काम करती है जो या तो देश की राजधानी में होते हैं या देश में कहीं और। |
4. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार को जारी किया होगा। यह मंत्रालय प्रदेश की सरकार का है या केंद्र सरकार का और क्यों?
(क) आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि सन् 2004-05 में तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम कक्षा 7, 10 और 11 की नई पुस्तकें जारी करेगा।
उत्तर: तमिलनाडु पाठ्यपुस्तक निगम की नई पुस्तकें जारी करने से संबंधित समाचार।
मंत्रालय: शिक्षा विभाग (तमिलनाडु सरकार)।
सरकार: प्रदेश सरकार।
क्यों: क्योंकि यह राज्य सरकार का शिक्षा विभाग है जो पाठ्यपुस्तकों का निर्माण और वितरण करता है। केंद्र सरकार का इस मामले में सीधा हस्तक्षेप नहीं होता।
(ख) भीड़ भरे तिरूवल्लुर-चेन्नई खंड में लौह अयस्क निर्यातकों की सुविधा के लिए एक नई रेल लूप लाइन बिछाई जाएगी। नई लाइन लगभग 80 कि.मी. की होगी। यह लाइन पुट्टुर से शुरु होगी और बंदरगाह के निकट अतिपट्टू तक जाएगी।
उत्तर: नई रेल लूप लाइन बिछाने से संबंधित समाचार।
मंत्रालय: रेल मंत्रालय।
सरकार: केंद्र सरकार।
क्यों: रेल नेटवर्क का विकास और प्रबंधन भारतीय रेल मंत्रालय के अधीन होता है, जो केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है।
(ग) रमयमपेट मंडल में किसानों की आत्महत्या की घटनाओं की पुष्टि के लिए गठित तीन सदस्यीय उप-विभागीय समिति ने पाया कि इस माह आत्महत्या करने वाले दो किसान फ़सल के मारे जाने से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे थे।
उत्तर: किसानों की आत्महत्या की घटनाओं की जाँच से संबंधित समाचार।
मंत्रालय: कृषि विभाग या राजस्व विभाग (तेलंगाना सरकार)
सरकार: प्रदेश सरकार।
क्यों: किसानों की समस्याओं और आत्महत्याओं की जाँच आमतौर पर राज्य सरकार के कृषि या राजस्व विभाग द्वारा की जाती है, क्योंकि कृषि राज्य सूची का विषय है।
5. प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने में राष्ट्रपति-
(क) लोकसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ख) लोकसभा में बहुमत अर्जित करने वाले गठबंधन-दलों में सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(ग) राज्यसभा के सबसे बड़े दल के नेता को चुनता है।
(घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनाता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।
उत्तर: (घ) गठबंधन अथवा उस दल के नेता को चुनाता है जिसे लोकसभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।
6. इस चर्चा को पढ़कर बताएँ कि कौन-सा कथन भारत पर सबसे ज़्यादा लागू होता है-
आलोक– प्रधानमंत्री राजा के समान है। वह हमारे देश में हर बात का फ़ैसला करता है।
शेखर– प्रधानमंत्री सिर्फ ‘बराबरी के सदस्यों में प्रथम’ है। उसे कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं। सभी मंत्रियों और प्रधानमंत्री के अधिकार बराबर हैं।
बॉबी– प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मंत्रियों के चयन में प्रधानमंत्री की बहुत ज़्यादा चलती है।
उत्तर: बॉबी– प्रधानमंत्री को दल के सदस्यों तथा सरकार को समर्थन देने वाले सदस्यों का ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो नीति-निर्माण तथा मंत्रियों के चयन में प्रधानमंत्री की बहुत ज़्यादा चलती है।
7. क्या मंत्रिमंडल की सलाह राष्ट्रपति को हर हाल में माननी पड़ती है? आप क्या सोचते हैं? अपना उत्तर अधिकतम 100 शब्दों में लिखें।
उत्तर: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 में उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति को उनके कार्यों में सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होगी, जो उन्हें सलाह प्रदान करती है। 42वें संविधान संशोधन के तहत यह स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह मानना अनिवार्य होगा। 44वें संविधान संशोधन के माध्यम से यह व्यवस्था की गई कि राष्ट्रपति प्रथम बार में मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। वह इस सलाह को पुनर्विचार के लिए मंत्रिपरिषद को वापस भेज सकते हैं, लेकिन पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह को उन्हें स्वीकार करना ही होगा। यह प्रावधान राष्ट्रपति की भूमिका को औपचारिक बनाता है और संसदीय लोकतंत्र की प्रधानता सुनिश्चित करता है।
8. संसदीय – व्यवस्था ने कार्यपालिका को नियंत्रण में रखने के लिए विधायिका को बहुत-से अधिकार दिए हैं। कार्यपालिका को नियंत्रित करना इतना ज़रूरी क्यों है? आप क्या सोचते हैं?
उत्तर: संसदीय सरकार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें कार्यपालिका (प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल) संसद के प्रति उत्तरदायी होती है। दोनों में घनिष्ठ सम्बन्ध है। विभिन्न संसदात्मक तरीकों से व्यवस्थापिका कार्यपालिका पर लगातार अपना नियन्त्रण बनाए रखती है। इससे कार्यपालिका की मनमानी पर रोक लगती है और जनहित के निर्णय लिए जा सकते हैं। व्यवस्थापिका जनमते-निर्माण से, ‘काम रोको’ प्रस्ताव से व सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार पर नियन्त्रण करती है। जो स्वच्छ प्रशासन व जनहित के लिए आवश्यक भी है।
9. कहा जाता है कि प्रशासनिक – तंत्र के कामकाज में बहुत ज्यादा राजनीतिक हस्तक्षेप होता है। सुझाव के तौर पर कहा जाता है कि ज़्यादा से ज़्यादा स्वायत्त एजेंसियाँ बननी चाहिए जिन्हें मंत्रियों को जवाब न देना पड़े।
(क) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन ज़्यादा जन-हितैषी होगा?
उत्तर: हाँ, में मानती हु की यदि स्वायत्त एजेंसियां बनाई जाती हैं और उन्हें राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाता है, तो इससे प्रशासन अधिक जन-हितैषी हो सकता है। स्वायत्त एजेंसियां अपने निर्णय अधिक पेशेवर तरीके से ले सकती हैं और नीति-निर्माण में दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपना सकती हैं।
(ख) क्या आप मानते हैं कि इससे प्रशासन की कार्य कुशलता बढ़ेगी?
उत्तर: हाँ, में मानती हु की स्वायत्त एजेंसियां राजनीतिक दबावों से स्वतंत्र रहकर अधिक कुशलता से कार्य कर सकती हैं। उनके पास विशेषज्ञता और संसाधनों का प्रभावी उपयोग करने की क्षमता होती है। लेकिन, कार्यकुशलता तभी बढ़ेगी जब उनके कामकाज की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित हो। अनियंत्रित स्वायत्तता से प्रशासनिक अराजकता भी पैदा हो सकती है।
(ग) क्या लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण हो?
उत्तर: लोकतंत्र का अर्थ यह होता है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों का प्रशासन पर “पूर्ण नियंत्रण” नहीं, बल्कि “पर्याप्त नियंत्रण और जवाबदेही” है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनता की इच्छाओं और जरूरतों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए, लेकिन विशेषज्ञ संस्थानों और स्वायत्त एजेंसियों को तकनीकी और दीर्घकालिक नीतिगत निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। लोकतंत्र में शक्ति के संतुलन और संस्थागत स्वतंत्रता को बनाए रखना आवश्यक है ताकि शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
10. नियुक्ति आधारित प्रशासन की जगह निर्वाचन आधारित प्रशासन होना चाहिए – इस विषय पर 200 शब्दों में एक लेख लिखो।
उत्तर: लोकतंत्र में निर्वाचित प्रतिनिधि और मंत्रिगण सरकार के प्रभारी होते हैं और प्रशासन उनके नियंत्रण और देख-रेख में होता है। संसदीय शासन में, विधायिका प्रशासन को नियंत्रित करती है। यह मंत्री की जिम्मेदारी है कि वह प्रशासन पर राजनीतिक नियंत्रण बनाए रखे। भारत में एक दक्ष प्रशासनिक मशीनरी मौजूद है। लेकिन यह मशीनरी राजनीतिक रूप से उत्तरदायी है। निर्वाचन आधारित प्रशासन में पारदर्शिता और जनप्रतिनिधित्व की भावना अधिक होती है। जनता द्वारा चुने गए प्रशासनिक अधिकारी आम नागरिकों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और लोकतांत्रिक जवाबदेही सुनिश्चित कर सकते हैं। हालांकि, इसका एक नकारात्मक पक्ष यह है कि चुनाव प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ सकता है और अल्पकालिक लोकप्रिय नीतियों को प्राथमिकता दी जा सकती है। जहां का प्रशासन नियुक्त किए गए अधिकारियों द्वारा चलाया जाता है उसे नियुक्ति आधारित प्रशासन कहा जाता है और जहां का प्रशासन लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है, उसे निर्वाचन आधारित प्रशासन कहा जाता है। इन दोनों में प्रशासनों में निर्वाचन आधारित प्रशासन अधिक व्यावहारिक एवं उचित है।