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NCERT Class 11 Biology Chapter 12 पादप में श्वसन
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पादप में श्वसन
Chapter: 12
अभ्यास
1. इनमें अंतर करिए?
(अ) साँस (श्वसन) और दहन।
उत्तर:
साँस (श्वसन) | दहन |
(i) यह जीवित कोशिकाओं के भीतर होता है। | (i) यह प्रक्रिया अकोशिकीय है। |
(ii) यह एक जैविक क्रिया है। | (ii) यह एक रासायनिक क्रिया है। |
(iii) एंजाइमों की आवश्यकता होती है | (iii) एंजाइमों की आवश्यकता नहीं होती है |
(iv) शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है। | (iv) तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है। |
(v) प्रत्येक चरण या प्रतिक्रिया के लिए कई एंजाइमों की आवश्यकता होती है। | (v) दहन एक गैर-एंजाइमी प्रक्रिया है। |
(ब) ग्लाइकोलिसिस तथा क्रेव्स चक्र।
उत्तर:
ग्लाइकोलिसिस | क्रेव्स चक्र |
(i) यह कोशिका द्रव्य के भीतर होता है। | (i) क्रेब्स चक्र माइटोकॉन्ड्रिया के भीतर कार्य करता है। |
(ii) ग्लाइकोलाइसिस श्वसन का पहला चरण है जिसमें ग्लूकोज को पाइरूवेट के स्तर तक तोड़ा जाता है। | (ii) क्रेब्स चक्र श्वसन का दूसरा चरण है जहां एक सक्रिय एसिटाइल समूह पूरी तरह से टूट जाता है। |
(iii) यह एक ग्लूकोज अणु के टूटने पर 2 NADH₂ और 2 ATP अणु उत्पन्न करता है। | (iii) यह दो एसिटाइल-CoA अणुओं के टूटने पर 6 NADH2, 2FADH, और 2 ATP अणु पैदा करता है। |
(iv) श्वसन के एरोबिक और एनारोबिक दोनों तरीके एक ही प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। | (iv) यह केवल एरोबिक श्वसन के दौरान ही होता है। |
(v) ग्लाइकोलाइसिस में कोई कार्बन डाइऑक्साइड विकसित नहीं होती है। | (v) क्रेब्स चक्र में कार्बन डाइऑक्साइड विकसित होती है। |
(स) ऑक्सी श्वसन तथा किण्वन।
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन | किण्वन |
(i) यह श्वसन पदार्थ को सरल पदार्थों में तोड़ने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करता है। | (i) श्वसन सब्सट्रेट के टूटने में ऑक्सीजन का उपयोग नहीं किया जाता है। |
(ii) अंतिम उत्पाद अकार्बनिक होते हैं। | (ii) अंतिम उत्पादों में से कम से कम एक कार्बनिक होता है। अकार्बनिक पदार्थ उत्पन्न हो भी सकते हैं और नहीं भी। |
(iii) ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है। | (iii) ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। |
(iv) लगभग 36 ATP अणु उत्पन्न होते हैं। | (iv) केवल 2 एटीपी अणु उत्पन्न होते हैं। |
(v) भोजन का प्रत्येक कार्बन परमाणु ऑक्सीकृत हो जाता है और बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है। | (v) कार्बन डाइऑक्साइड की कम मात्रा उत्सर्जित होती है। |
2. श्वसनीय क्रियाधार क्या है? सर्वाधिक साधारण क्रियाधार का नाम बताइए?
उत्तर: जीवित कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा जारी करने के लिए श्वसन के दौरान ऑक्सीकरण होने वाले कार्बनिक पदार्थों को श्वसन क्रियाधार के रूप में जाना जाता है। कार्बोहाइड्रेट, विशेष रूप से ग्लूकोज, श्वसन क्रियाधार के रूप में कार्य करते हैं। वसा, प्रोटीन और कार्बनिक अम्ल भी श्वसन क्रियाधार के रूप में कार्य करते हैं।
3. ग्लाइकोलिसिस को रेखा द्वारा बनाइए?
उत्तर:
4. ऑक्सी श्वसन के मुख्य चरण कौन-कौन से हैं? यह कहाँ संपन्न होती है?
उत्तर: एरोबिक श्वसन टर्मिनल ऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करने वाली ऑक्सीजन के साथ कार्बनिक भोजन के कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में पूर्ण ऑक्सीकरण की चरणबद्ध कैटाबोलिक प्रक्रिया में ऊर्जा की एक एंजाइमेटिक रूप से नियंत्रित रिहाई है। यह यह दो तरीकों से होता है, सामान्य मार्ग और पेंटोस फॉस्फेट मार्ग। सामान्य मार्ग को इसलिए जाना जाता है क्योंकि इसका पहला चरण, जिसे ग्लाइकोलाइसिस कहा जाता है, श्वसन के एरोबिक और एनारोबिक दोनों तरीकों के लिए सामान्य है। एरोबिक श्वसन के सामान्य मार्ग में तीन चरण होते हैं ग्लाइकोलाइसिस, क्रेब्स चक्र और टर्मिनल ऑक्सीकरण। एरोबिक श्वसन माइटोकॉन्ड्रिया के भीतर होता है। ग्लाइकोलाइसिस का अंतिम उत्पाद, पाइरूवेट को साइटोप्लाज्म से माइटोकॉन्ड्रिया में ले जाया जाता है।
5. क्रेव्स चक्र का समग्र रेखा चित्र बनाइए?
उत्तर:
6. इलेक्ट्रॉन परिवहन तंत्र का वर्णन कीजिए?
उत्तर: ईटीएस (इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला) आंतरिक माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली में स्थित होती है। यह प्रणाली NADH + H⁺ और FADH₂ में संचित ऊर्जा को मुक्त कर उसे उपयोगी रूप में परिवर्तित करने में मदद करती है। ग्लाइकोलाइसिस और साइट्रिक एसिड चक्र के दौरान बनने वाला NADH, NADH ऑक्सीडेज (कॉम्प्लेक्स I) द्वारा ऑक्सीकरण होता है। इससे निकलने वाले इलेक्ट्रॉन FMN के माध्यम से यूबिक्विनोन में स्थानांतरित हो जाते हैं। इसी तरह, साइट्रिक एसिड चक्र में उत्पन्न FADH₂ (कॉम्प्लेक्स II) से इलेक्ट्रॉन सीधे यूबिक्विनोन को सौंपे जाते हैं।
इसके बाद यूबिक्विनोन से इलेक्ट्रॉन साइटोक्रोम bc₁ (कॉम्प्लेक्स III) को सौंपे जाते हैं, जो उन्हें आगे साइटोक्रोम c तक पहुँचाता है। साइटोक्रोम c एक मोबाइल कैरियर के रूप में कार्य करता है और इलेक्ट्रॉनों को कॉम्प्लेक्स IV (साइटोक्रोम a और a₃ तथा तांबे के केंद्र सहित) तक पहुँचाता है।
हर कॉम्प्लेक्स के माध्यम से इलेक्ट्रॉन का प्रवाह, ATP सिंथेज़ (कॉम्प्लेक्स V) द्वारा ADP और अकार्बनिक फॉस्फेट से ATP के निर्माण की प्रक्रिया को संचालित करता है। उत्पन्न होने वाली ATP की मात्रा इस पर निर्भर करती है कि कौन-सा अणु ऑक्सीकृत हो रहा है NADH के एक अणु से लगभग 3 ATP और FADH₂ के एक अणु से लगभग 2 ATP उत्पन्न होते हैं।
7. निम्न के मध्य अंतर कीजिए?
(अ) ऑक्सी श्वसन तथा अर्नाक्सी श्वसन।
उत्तर:
ऑक्सी श्वसन | अर्नाक्सी श्वसन |
(i) ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। | (i)ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। |
(ii) सभी जीवों में सामान्य रूप से पाया जाता है। | (ii) केवल कुछ पौधों, जंतुओं या उनके विशेष ऊतकों में होता है। |
(iii) ग्लाइकोलिसिस को छोड़कर सभी क्रियाएँ माइटोकॉन्ड्रिया में होती हैं। | (iii) सभी क्रियाएँ कोशिकाद्रव्य में होती हैं। |
(iv) श्वसन क्रियाधार का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है। | (iv) श्वसन क्रियाधार का अधूरा ऑक्सीकरण होता है। |
(v) 36-38 ATP अणु उत्पन्न होते हैं। | (v) केवल 2 ATP अणु उत्पन्न होते हैं। |
(ब) ग्लाइकोलिसिस तथा किण्वन।
उत्तर:
ग्लाइकोलिसिस | किण्वन |
(i) यह क्रिया O₂ की अनुपस्थिति में होती है। | (i) यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति या अनुपस्थिति में होती है। |
(ii) यह ऑक्सी तथा अनॉक्सीश्वसन का प्रथम चरण होता है। | (ii) यह सूक्ष्म जीवों जैसे कवक तथा जीवाणुओं में होती है। |
(iii) इसमें अनेक एन्जाइम की आवश्यकता होती है। | (iii) इसमें कुछ एन्जाइम की आवश्यकता होती है। |
(iv) कुल 2 ATP अणु प्राप्त होते हैं। | (iv)यह ATP का उत्पादन नहीं करता है। |
(स) ग्लाइकोलिसिस तथा सिट्रिक अम्ल चक्र।
उत्तर:
ग्लाइकोलिसिस | सिट्रिक अम्ल चक्र |
(i) यह 9 चरणों का रेखीय पथ है। | (i) यह 8 चरणों का चक्रीय पथ होता है। |
(ii) ग्लाइकोलिसिस कोशिकाद्रव्य में होता है। इसमें श्वसनी क्रियाधार ग्लूकोस होता है। | (ii) क्रेब्स चक्र माइटोकॉन्ड्रिया में होता है। इसमें श्वसनी क्रियाधार ऐसीटिल कोएन्जाइम ‘A’ होता है। |
(iii) ग्लाइकोलिसिस में CO₂ मुक्त नहीं होती। | (iii) क्रेब्स चक्र में CO₂ मुक्त होती है। |
(iv) ग्लाइकोलिसिस में 2 ATP अणुओं का प्रयोग होता है। यह क्रिया ऑक्सी तथा अनॉक्सी दोनों परिस्थितियों में होती है। | (iv) क्रेब्स चक्र में ATP का प्रयोग नहीं होता। यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में ही होती है। |
(v) ग्लाइकोलिसिस के अन्त में पाइरुविक अम्ल के 2 अणु बनते हैं। | (v) क्रेब्स चक्र के अन्त में CO₂ जल तथा ऊर्जा मुक्त होती है। |
8. शुद्ध एटीपी के अणुओं की प्राप्ति की गणना के दौरान आप क्या कल्पनाएं करते हैं?
उत्तर: एटीपी अणुओं की सैद्धांतिक गणना के लिए, विभिन्न धारणाएँ बनाई गई हैं, जो इस प्रकार हैं:
(i) यह एक क्रमिक, सुव्यवस्थित क्रियात्मक मार्ग है जिसमें एक क्रियाधार से दूसरे क्रियाधार का निर्माण होता है। जिसमें ग्लाइकोलिसिस से शुरू होकर क्रेब्स चक्र तथा इलेक्ट्रॉन परिवहन तन्त्र (ETS) एक के बाद एक आती है।
(ii) ग्लाइकोलिसिस में संश्लेषित NAD माइटोकॉन्ड्रिया में आता है, जहाँ उसका फॉस्फोरिलीकरण होता है।
(iii) श्वसन मार्ग के कोई भी मध्यवर्ती दूसरे यौगिक के निर्माण के उपयोग में नहीं आते हैं।
(iv) श्वसन में केवल ग्लूकोस का उपयोग होता है। कोई दूसरा वैकल्पिक क्रियाधार श्वसन मार्ग के किसी भी मध्यवर्ती चरण में प्रवेश नहीं करता है।
9. ‘श्वसनीय पथ एक ऐफीवोलिक पथ होता है, इसकी चर्चा करें।
उत्तर: श्वसन क्रिया के लिए ग्लूकोज एक सामान्य क्रियाधार (substrate) है, जिसे कोशिकीय ईंधन (cellular fuel) भी कहा जाता है। श्वसन क्रिया में उपयोग से पूर्व कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित कर दिया जाता है। अन्य क्रियाधार भी श्वसन पथ में प्रयुक्त होने से पहले विघटित होकर ऐसे पदार्थों में बदल जाते हैं, जिन्हें आसानी से उपयोग किया जा सके। उदाहरण के लिए, वसा पहले ग्लिसरॉल और वसीय अम्लों में विघटित होती है। वसीय अम्ल ऐसीटाइल कोएन्जाइम-A (Acetyl-CoA) बनाकर श्वसन मार्ग में प्रवेश करते हैं, जबकि ग्लिसरॉल फॉस्फोग्लिसरेल्डिहाइड (PGAL) में परिवर्तित होकर श्वसन पथ में सम्मिलित होता है।
प्रोटीन भी विघटित होकर अमीनो अम्लों में बदल जाते हैं। अमीनो अम्ल विऑमिनीकरण (deamination) की प्रक्रिया के बाद क्रेब्स चक्र (Krebs cycle) के विभिन्न चरणों में प्रवेश करते हैं।
इसी प्रकार, वसा अम्लों के संश्लेषण के दौरान भी श्वसन मार्ग से ऐसीटाइल कोएन्जाइम अलग होता है। वसा अम्लों के संश्लेषण (anabolism) और विखण्डन (catabolism) दोनों ही प्रक्रियाओं में श्वसन पथ की भागीदारी होती है।
प्रोटीनों के संश्लेषण और अपचय के समय भी श्वसन मार्ग के मध्यवर्ती यौगिकों का उपयोग किया जाता है।
इस प्रकार, श्वसन पथ में अपचयी (catabolic) और उपचयी (anabolic) दोनों प्रकार की क्रियाएँ होती हैं।
इसी कारण, श्वसनीय मार्ग को केवल अपचयी न मानकर एक ऐम्फीबोलिक पथ (amphibolic pathway) कहा जाता है।
10. साँस गुणांक को पारिभाषित कीजिए, वसा के लिए इसका क्या मान है?
उत्तर: श्वसन भागफल (RQ) या श्वसन अनुपात को श्वसन के दौरान खपत 0₂ की मात्रा के लिए विकसित CO₂ की मात्रा के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। श्वसन भागफल का मान श्वसन क्रियाधार के प्रकार पर निर्भर करता है। इसका मान कार्बोहाइड्रेट के लिए एक है। हालांकि, यह हमेशा वसा के लिए एक से कम होता है क्योंकि वसा कार्बोहाइड्रेट की तुलना में श्वसन के लिए अधिक ऑक्सीजन की खपत करती है। इसे ट्रिपाल्मिटिन फैटी एसिड के उदाहरण के माध्यम से चित्रित किया जा सकता है, जो श्वसन के लिए O₂ के 145 अणुओं का उपभोग करता है जबकि CO₂ के 102 अणु विकसित होते हैं। त्रिपाल्मिटिन के लिए RQ मान 0.7 है।
11. ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण क्या है?
उत्तर: ऑक्सीश्वसन क्रिया के विभिन्न चरणों में मुक्त हाइड्रोजन आयन्स (2H) को हाइड्रोजनग्राही NAD या FAD ग्रहण करके अपचयित होकर NAD.2H या FAD.2H बनाता है।
प्रत्येक NAD.2H अणु से दो इलेक्ट्रॉन (2e) तथा दो हाइड्रोजन परमाणुओं (2H+) के निकलकर ऑक्सीजन तक पहुँचने के क्रम में तीन और FAD.2H से दो ATP अणुओं का संश्लेषण होता है। ETS के अन्तर्गत इलेक्ट्रॉन परिवहन के फलस्वरूप मुक्त ऊर्जा
ADP+Pi→ ATP
क्रिया द्वारा ATP में संचित हो जाती है। प्रत्येक ATP अणु बनने में प्राणियों में 7-3 kcal और पौधों में 10-12 kcal ऊर्जा संचय होती है। यह क्रिया फॉस्फोरिलीकरण (phosphorylation) कहलाती है, क्योंकि श्वसन क्रिया में यह क्रिया O₂ की उपस्थिति में होती है; अतः इसे ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण (oxidative phosphorylation) कहते हैं।
12. साँस के प्रत्येक चरण में मुक्त होने वाली ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर: एरोबिक श्वसन की प्रक्रिया को चार मुख्य चरणों में विभाजित किया गया है ग्लाइकोलिसिस, टीसीए चक्र, इलेक्ट्रॉन ट्रांसपोर्ट सिस्टम (ईटीएस), और ऑक्सीकारी फॉस्फोरिलीकरण। आमतौर पर माना जाता है कि श्वसन और एटीपी के उत्पादन की प्रक्रिया इन चरणों के माध्यम से क्रमबद्ध रूप से होती है। एक चरण का उत्पाद अगले चरण के लिए क्रियाधार के रूप में कार्य करता है। श्वसन के दौरान बनने वाले विभिन्न अणु अन्य जैव रासायनिक प्रक्रियाओं में भी भाग लेते हैं। श्वसन क्रियाधार आवश्यकता के अनुसार रास्ते में प्रवेश करते हैं या उससे हट जाते हैं। एटीपी का उपयोग आवश्यकतानुसार किया जाता है और एंजाइमों द्वारा दरों को नियंत्रित किया जाता है। इस तरह, ऊर्जा की चरणबद्ध रिलीज़ प्रणाली ऊर्जा के निष्कर्षण और भंडारण को अधिक कुशल बनाती है।

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