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NCERT Class 11 Biology Chapter 11 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण
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उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण
Chapter: 11
अभ्यास
1. एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? कैसे और क्यों?
उत्तर: बाहरी रूप से पौधों की रूपात्मक विशेषताओं को देखकर यह निर्धारित करना कठिन होता है कि कोई पौधा C3 है या C4। आमतौर पर, जो पौधे शुष्क और उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, उनमें C4 पथ विकसित होता है, जबकि अन्य परिस्थितियों में C3 पथ पाया जाता है। हालांकि, C3 और C4 पौधों की बाह्य आकृति में विशेष अंतर नहीं होता। C4 पौधों में एक विशिष्ट आंतरिक संरचना पाई जाती है जिसे Kranz शरीर रचना कहते हैं, जो केवल सूक्ष्मदर्शी (microscopic) स्तर पर ही देखी जा सकती है। इसलिए, C3 और C4 पौधों के बीच भेद करने के लिए आंतरिक शारीरिक विश्लेषण आवश्यक होता है।
2. एक पौधे की आंतरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? वर्णन करें?
उत्तर: पत्तियों की आंतरिक संरचना को देखकर C₁ तथा C पौधों को पहचाना जा सकता है। C4 पौधों की पत्तियों की शारीरिक क्रान्ज प्रकार की होती है।जर्मन भाषा में “क्रान्ज” शब्द का अर्थ होता है माला या छल्ला, और यह संरचना संवहन बंडलों के चारों ओर मृदूतक कोशिकाओं के घेरे के रूप में दिखाई देती है। इन पौधों की पत्तियों के पर्णमध्योतक में खंभ ऊतक अनुपस्थित होता है। संवहन बंडलों को घेरे हुए बड़ी आकार की पुलाच्छद कोशिकाएँ होती हैं, जिनमें हरितलवक बड़े होते हैं तथा इनमें ग्रेना या तो बहुत कम विकसित होते हैं या पूर्णतः अनुपस्थित होते हैं। इसके विपरीत, पर्णमध्योतक कोशिकाओं में छोटे हरितलवक होते हैं जिनमें ग्रेना अच्छी तरह विकसित होते हैं। इसलिए C₄ पौधों में द्विरूपी हरितलवक पाए जाते हैं और इनके प्रकाश संश्लेषण तंत्र में वर्णक तंत्र I प्रमुख होता है। दूसरी ओर, C₃ पौधों की पत्तियों में क्रान्ज शरीर रचना नहीं होती। इसकी पत्तियों में पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक पाया जाता है। सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरित लवक पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण तंत्र में दोनों वर्णक तंत्र पाए जाते हैं।
3. हालांकि C4 पौधे में बहुत कम कोशिकाएं जैव-संश्लेषण केल्विन पथ को वहन करते हैं, फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हो कि ऐसा क्यों हैं?
उत्तर: किसी पौधे की उत्पादकता को उस गति से आँका जाता है, जिस पर वह प्रकाश संश्लेषण करता है। पौधे में उपलब्ध कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सीधे प्रकाश संश्लेषण की दर के अनुपात में होती है। C₄ पौधों में एक विशेष प्रक्रिया होती है, जिससे वे CO₂ की सांद्रता को बढ़ा सकते हैं। इन पौधों में केल्विन चक्र पुलाच्छद कोशिकाओं में संचालित होता है। मेसोफिल कोशिकाओं में बनने वाला C₄ यौगिक (जैसे मैलिक एसिड) पुलाच्छद कोशिकाओं में पहुँचकर टूटता है, जिससे CO₂ मुक्त होती है। इस CO₂ की उच्च सांद्रता RuBisCo एंजाइम को ऑक्सीजन के बजाय CO₂ के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करती है। परिणामस्वरूप, प्रकाश श्वसन की प्रक्रिया दब जाती है और प्रकाश संश्लेषण की दक्षता बढ़ जाती है। इसी कारण C₄ पौधे अधिक उत्पादक होते हैं।
4. रुबिस्को (RuBisCO) एक एंजाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजिनेस के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4, पौधों में, रुविस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है?
उत्तर: C₄ पौधों की पर्णमध्योतक कोशिकाओं में एंजाइम RuBisCo उपस्थित नहीं होता; यह केवल संवहन बंडलों को घेरे हुए पुलाच्छद कोशिकाओं में पाया जाता है। इन पौधों में केल्विन चक्र भी पुलाच्छद कोशिकाओं में ही संपन्न होता है। पर्णमध्योतक कोशिकाओं में प्राथमिक CO₂ स्वीकर्ता फॉस्फोएनॉल पाइरूवेट (PEP) होता है, जो एक तीन-कार्बन यौगिक है। यह CO₂ के साथ प्रतिक्रिया कर चार-कार्बन यौगिक ऑक्सालोएसेटिक एसिड (OAA) का निर्माण करता है, जिसे बाद में मैलिक एसिड में परिवर्तित किया जाता है। यह मैलिक एसिड पुलाच्छद कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है, जहाँ यह डीकार्बोक्सीलेशन की प्रक्रिया से गुजरता है, जिससे CO₂ मुक्त होती है। इस मुक्त CO₂ का निर्धारण केल्विन चक्र द्वारा किया जाता है। CO₂ की उच्च सांद्रता RuBisCo को ऑक्सीजन के बजाय केवल CO₂ के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे यह ऑक्सीकारक की बजाय केवल कार्बोक्सिलेज के रूप में कार्य करता है और प्रकाश श्वसन को रोका जा सकता है।
5. मान लीजिए, यहाँ पर क्लोरोफिल वी की उच्च सांद्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ए की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाश संश्लेषण करते होंगे? तब पौधों में क्लोरोफिल वी क्यों होता हैं? और फिर दूसरे गौण वर्णकों की क्या जरूरत है?
उत्तर: क्लोरोफिल ‘बी’, जैन्थोफिल तथा कैरोटिन सहायक वर्णक होते हैं। ये प्रकाश को अवशोषित करके, ऊर्जा को क्लोरोफिल ‘ए’ को स्थानांतरित कर देते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्ध्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं और क्लोरोफिल ‘ए’ को फोटो ऑक्सीडेशन से बचाते हैं। क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा।
6. यदि पत्ती को अंधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमशः पीला एवं हरा पीला हो जाता है? कौन से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थायी हैं?
उत्तर: पौधे के हरे भागों में हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) पाया जाता है, जिसकी उपस्थिति में पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। वहीं, पौधे के उन भागों में जहाँ प्रकाश नहीं पहुँचता, वहाँ अवर्णी लवक पाए जाते हैं। जब ये भाग प्रकाश के संपर्क में आते हैं, तो अवर्णी लवक हरितलवक में परिवर्तित हो सकते हैं। हरितलवक की ग्रैना पटलिकाओं में पर्णहरित (क्लोरोफिल) और कैरोटिनॉयड्स जैसे वर्णक मौजूद होते हैं। कैरोटिनॉयड्स दो प्रकार के होते हैं ज़ैन्थोफिल (पीले वर्णक) और कैरोटीन (नारंगी वर्णक)।
पर्णहरित का निर्माण प्रकाश की उपस्थिति में ही संभव होता है, और यह प्रकाश ऊर्जा के अवशोषण का मुख्य स्रोत होता है। जब किसी पौधे को लंबे समय तक अंधकार में रखा जाता है, तो प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया रुक जाती है और पौधे में संचित भोजन धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप पर्णहरित का विघटन आरंभ हो जाता है। जैसे-जैसे पर्णहरित नष्ट होता है, पत्तियाँ अपने हरे रंग को खोकर कैरोटिनॉयड्स के कारण पीली या हरी-पीली दिखाई देने लगती हैं। चूंकि कैरोटिनॉयड्स अधिक स्थायी होते हैं, इसलिए वे अंधकार की स्थिति में भी बने रहते हैं और स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
7. एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला (उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौन सा गहरे हरे रंग का होता है, और क्यों?
उत्तर: जब हम पत्ती की पृष्ठ सतह को देखते हैं तो यह अधर तल की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली दिखाई देती है। इसी प्रकार धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ छाया में रखे हुए गमले की पत्तियों की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की ओर चमकीली प्रतीत होती हैं। इसका कारण यह है कि पृष्ठ तल पर अधिचर्म के नीचे खम्भ ऊतक पाया जाता है। खम्भ ऊतक में हरितलवक अधिक मात्रा में पाया जाता है। खम्भ ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिए विशिष्टीकृत कोशिकाएँ होती हैं। धूप में रखे गमले की पत्तियाँ छाया में रखे गमले की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं। पत्तियों के अधिक गहरे रंग का होने का मुख्य कारण कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा अधिक होती है क्योंकि पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण के कारण पृष्ठ सतह की कोशिकाओं में अधिक स्टार्च का निर्माण होता है।
8. प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है (चित्र 13.10)। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:
(अ) वक्र के किस बिंदु अथवा बिंदुओं पर (क. ख. अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है?
उत्तर: प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक कारक नहीं होता, क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक “क “बिन्दु पर होता है।
(व) क बिंदु पर नियामक कारक कौन से हैं?
उत्तर: ‘क’ बिन्दु पर नियामक कारक प्रकाश हैं।
(स) वक्र में ग और घ क्या निरूपित करता है?
उत्तर: वक्र में ‘ग’ बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश तीव्रता बढ़ने पर भी प्रकाश संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती। ‘घ’ बिन्दु यह निरूपित करता है कि प्रकाश तीव्रता इस बिन्दु पर सीमाकारक हो सकता है।
9. निम्नांकित में तुलना करें-
(अ) C3 एवं C4 पथ।
उत्तर:
C3 पथ | C4 पथ |
(i) रिबुलोज बाइफॉस्फेट CO₂ का पहला स्वीकर्ता है। | (i) फोस्फोइनोल पाइरुवेट CO₂ का पहला स्वीकर्ता है, जबकि रिबुलोज बाइफॉस्फेट दूसरा स्वीकर्ता है। |
(ii) फोस्फोग्लिसेरिक एसिड पहला उत्पाद है। | (ii) ओक्सेलोएसिटिक एसिड पहला उत्पाद है। |
(iii) CO₂ क्षतिपूर्ति बिंदु 25 – 100 पीपीएम है। | (iii) CO₂ क्षतिपूर्ति बिंदु 0 – 10 पीपीएम है। |
(iv) कार्बन अवशोषण की दर धीमी है। | (iv) कार्बन अवशोषण की दर काफी तेज है। |
(v) CO₂ के एक अणु के स्थिरीकरण के लिए 3 ATP और 2 NADPH की आवश्यकता होती है। | (v) CO₂ के एक अणु के स्थिरीकरण के लिए 5 ATP और 2 NADPH की आवश्यकता होती है। |
(च) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेसन।
उत्तर:
चक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेसन | अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेसन |
(i) यह केवल फोटोसिस्टम । में होता है। | (i) यह फोटोसिस्टम । और ।। में होता है। |
(ii) इसमें केवल एटीपी का संश्लेषण शामिल है। | (ii) इसमें ATP और NADPH₂ का संश्लेषण होता है। |
(iii) यह पानी के फोटोलिसिस से जुड़ा नहीं है, और इसलिए, ऑक्सीजन मुक्त नहीं होती है। | (iii) यह पानी के फोटोलिसिस और ऑक्सीजन की मुक्ति से जुड़ा है। |
(iv) यह कम प्रकाश तीव्रता, अवायवीय परिस्थितियों में या जब CO₂ की उपलब्धता कम होती है, तब होता है। | (iv) यह इष्टतम प्रकाश, एरोबिक परिस्थितियों और CO₂ की उपस्थिति में होता है। |
(v) ATP संश्लेषण DCMU से प्रभावित नहीं होता है। | (v) DCMU गैर-चक्रीय फोटो-फॉस्फोरिलीकरण को रोकता है। |
(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी।
उत्तर:
C3 पादपों की पत्ती की शारीरिकी | C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी |
(i) पत्तियों में क्रैजी शारीर नहीं होती है। | (i) पत्तियों में क्रैजी शारीर होती है। |
(ii) क्लोरोप्लास्ट में परिधीय रेटिकुलम नहीं होता है। | (ii) क्लोरोप्लास्ट में परिधीय रेटिकुलम होता है। |
(iii) कोशिकाएं पूलाच्छद सेल में आमतौर पर क्लोरोप्लास्ट नहीं होता है। | (iii) कोशिकाएं पूलाच्छद सेल में प्रमुख क्लोरोप्लास्ट होता है। |
(iv) बंडल-आच्छद कोशिकाएँ अनुपस्थित होती हैं | (iv) बंडल-आच्छद कोशिकाएं मौजूद होती हैं |
(v) RuBisCo पर्णमध्योतक कोशिकाओं में उपस्थित होता है। | (v) RuBisCo पूलाच्छद कोशिकाओं में मौजूद होता है। |

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