NCERT Class 11 Biology Chapter 13 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

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NCERT Class 11 Biology Chapter 13 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

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Chapter: 13

अभ्यास

1. वृद्धि, विभेदन, परिवर्धन, निर्विभेदन, पुनर्विभेदन, सीमित वृद्धि, मेरिस्टेम तथा वृद्धि दर की परिभाषा दें।

उत्तर: (i) वृद्धि : ऊर्जा खर्च करके होने वाली उपापचयी क्रियाएँ वृद्धि हैं। किसी भी जीवित प्राणी के लिए वृद्धि एक उत्कृष्ट घटना है। यह एक अनपलट, बढ़तयुक्त तथा मापदण्ड में प्रकट होने वाली क्रिया है; जैसे- आकार, क्षेत्रफल, लम्बाई, ऊँचाई, आयतन, कोशिका संख्या आदि।

(ii) विभेदन: किसी कोशिका, ऊतक या अंग के आकार, जैव रसायन, संरचना या कार्य में स्थानीयकृत गुणात्मक परिवर्तन को विभेदन कहा जाता है। इन परिवर्तनों के उदाहरणों में फाइबर, वाहिका, ट्रेकिङ, छलनी ट्यूब, मेसोफिल, पत्ती आदि शामिल हैं। इस प्रकार, यह रूप और शारीरिक कार्य दोनों में बदलाव है। यह कुछ कार्यों के लिए विशेषज्ञता की ओर ले जाता है।

(iii) परिवर्धन: परिवर्धन वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक जीव के जीवन चक्र में आने वाले वे सारे बदलाव शामिल हैं, जो बीजांकुरण तथा जरावस्था के मध्य आते हैं।

(iv) निर्विभेदन: जीवित विभेदित स्थायी कोशिकाएँ जिनमें कोशिका विभाजन की क्षमता नहीं होती, उनमें से कुछ कोशिकाओं में पुनः विभाजन की क्षमता स्थापित हो जाती है। इस प्रक्रिया को निर्विभेदन कहते हैं; जैसे- कॉर्क एधा, अन्तरापूलीय एधा।

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(v) पुनर्विभेदन: यह वह प्रक्रिया है जिसमें विविभेदित कोशिकाएं फिर से परिपक्व हो जाती हैं और विभाजित होने की अपनी क्षमता खो देती हैं। ताकि विशिष्ट कार्यों को संपादित किया जा सके।

(vi) सीमित वृद्धि : सीमित वृद्धि किसी कोशिका, ऊतक या जीव की सीमित अवधि तक बढ़ने की क्षमता है।

(vii) मेरिस्टेम: मेरिस्टेम एक ऊतक है जिसमें अविशिष्ट अपरिपक्व कोशिकाएँ होती हैं, जिनमें निरंतर कोशिका विभाजन और शरीर में नई कोशिकाएँ जोड़ने की शक्ति होती है।

(viii) वृद्धि दर: इसे प्रति इकाई समय में पौधों में वृद्धि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

2. पुष्पित पौधों के जीवन में किसी एक प्राचालिक (Parameter) (Parameter) से वृद्धि को वर्णित नहीं किया जा सकता है, क्यों? 

उत्तर: वृद्धि सभी जीवधारियों की एक प्रमुख विशेषता है। पौधों में वृद्धि मुख्यतः कोशिका विभाजन, कोशिका प्रसार (दीर्धीकरण) और कोशिका विभेदन के द्वारा होती है। पौधों की मेरिस्टेम कोशिकाओं में विभाजन की विशेष क्षमता पाई जाती है। सामान्यतः यह कोशिका विभाजन जड़ और तने के शीर्ष भाग (एपेक्स) पर होता है, जिससे उनकी लम्बाई बढ़ती है। वहीं, एधा (कैंबियम) और कॉर्क एधा (कॉर्क कैंबियम) के माध्यम से तने और जड़ की मोटाई बढ़ती है, जिसे द्वितीयक वृद्धि (सेकेंडरी ग्रोथ) कहा जाता है।

कोशिकीय स्तर पर वृद्धि मुख्यतः जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के वर्धन का परिणाम होती है। जीवद्रव्य में वृद्धि का मापन कठिन होता है, इसलिए वृद्धि को मापने के लिए कुछ मापदंड अपनाए जाते हैं जैसे ताजे भार में वृद्धि, शुष्क भार में वृद्धि, लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन तथा कोशिका संख्या में वृद्धि। उदाहरण के लिए, मक्का की जड़ का अग्र मेरिस्टेम प्रति घंटे लगभग 17,500 नई कोशिकाओं का निर्माण करता है। इसी प्रकार, तरबूज की एक कोशिका का आकार लगभग 3,50,000 गुना बढ़ सकता है। पराग नलिका की लम्बाई में तीव्र वृद्धि होती है, जिससे यह वर्तिका से होते हुए अण्डाशय में स्थित बीजाण्ड तक पहुँचती है।

3. संक्षिप्त वर्णित करें-

(अ) अंकगणितीय वृद्धि।

उत्तर: अंकगणितीय वृद्धि में, समसूत्री विभाजन के बाद केवल एक पुत्री कोशिका लगातार विभाजित होती रहती है तो जब कि दूसरी विभेदित एवं परिपक्व होती रहती हैं। अंकगणितिय वृद्धि एक सरलतम अभिव्यक्ति है जिसे हम निश्चित दर पर दीर्घाकृत होते मूल में देख सकते हैं। 

इसे हम गणितीय रूप में इस प्रकार चक्र कर सकते हैं:

Lt= Lo+ rt

Lt = टाइम टी के समय लंबाई

Lo= टाइम शून्य के समय लंबाई

r = वृद्धि दर दीर्धीकरण प्रति इकाई समय

(ब) ज्यामितीय वृद्धि।

उत्तर: एक कोशिका की वृद्धि अथवा पौधे के एक अंग की वृद्धि अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं होती।

प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (initial lag phase) में वृद्धि की दर पर्याप्त धीमी होती है। तत्पश्चात् यह दर तीव्र हो जाती है और उच्चतम बिन्दु (maximum point) तक पहुँच जाती है। इसे मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle logarithmic phase) कहते हैं। इसके पश्चात् यह दर धीरे-धीरे कम होती जाती है और अन्त में स्थिर हो जाती है। इसे अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase) कहते हैं। इसे ज्यामितीय वृद्धि कहते हैं। इसमें सूत्री विभाजन से बनी दोनों संतति कोशिकाएँ एक समसूत्री कोशिका विभाजन का अनुकरण करती हैं और इसी प्रकार विभाजित होने की क्षमता बनाए रखती हैं। यद्यपि सीमित पोषण आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को ग्राफ पर अंकित करने पर एक सिग्मॉइड वक्र (sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘S’ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) को गणितीय रूप से निम्नलिखित प्रकार व्यक्त कर सकते हैं-

W1 = Wo ert

जहाँ W1 = अन्तिम आकार- भार, ऊँचाई, संख्या आदि

Wo = प्रारम्भिक आकार, वृद्धि के प्रारम्भ में

r = वृद्धि दर (सापेक्ष वृद्धि दर)

t = समय में वृद्धि

e = स्वाभाविक लघुगणक का आधार (base of natural logarithms)

r = एक सापेक्ष वृद्धि दर है।

यह पौधे द्वारा नई पादप सामग्री का निर्माण क्षमता को मापने के लिए है, जिसे एक दक्षता सूचकांक (efficiency index) के रूप में संदर्भित किया जाता है; अतः W1का अन्तिम आकार Wo के प्रारम्भिक आकार पर निर्भर करता है

(स) सिग्माइड वृद्धि वक्र।

उत्तर: सिग्मॉइड वृद्धि वक्र यह दर्शाता है कि ज्यामितीय वृद्धि लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है। कुछ कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं। सीमित पोषक तत्वों की आपूर्ति से विकास धीमा हो जाता है। परिणाम एक स्थिर चरण है। वास्तव में, इसमें गिरावट हो सकती है। जब विकास को समय के विरुद्ध प्लॉट किया जाता है, तो एक मानक सिग्मॉइड या एस-वक्र उत्पन्न होता है।

विकास का s -वक्र अपने प्राकृतिक वातावरण में अधिकांश जीवित जीवों के लिए विशिष्ट है। यह पौधों की कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों में भी होता है।

(द) संपूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।

उत्तर: मापन और प्रति यूनिट समय में कुल वृद्धि को सम्पूर्ण या परम वृद्धि दर कहते हैं। किसी दी गई प्रणाली की प्रति यूनिट समय में वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रदर्शित करना सापेक्ष वृद्धि दर कहलाता है।

दिए गए समय अवधि में वृद्धि / समय अवधि की शुरुआत में माप: 

मान लीजिए कि एक दिन में दो पत्तियाँ 5 सेमी 2 बढ़ी हैं। पत्ती का आरंभिक आकार 5 सेमी² था, जबकि पत्ती B का 50 सेमी था। हालाँकि उनकी पूर्ण वृद्धि समान (5 सेमी²/दिन) है, लेकिन पत्ती A में वृद्धि की सापेक्ष दर (5/5) पत्ती B (5/50) की तुलना में आरंभिक छोटे आकार के कारण अधिक तेज़ है।

4. प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के पाँच मुख्य समूहों के बारे में लिखें। इनके आविष्कार, कार्यिकी प्रभाव तथा कृषि/बागवानी में इनका प्रयोग के बारे में लिखें।

उत्तर: पादप वृद्धि नियामक पौधों द्वारा स्रावित रासायनिक अणु होते हैं जो पौधों की शारीरिक विशेषताओं को प्रभावित करते हैं:

(i) ऑक्सिंस।

(ii) जिब्वेरेलिंस।

(iii) साइटोकिनिंस।

(iv) एथिलीन।

(v) एब्सिसिक एसिड।

(i) ऑक्सिन: ऑक्सिन के प्रभावों के बारे में पहला अवलोकन चार्ल्स डार्विन और फ्रांसिस डार्विन द्वारा किया गया था, जिसमें उन्होंने कैनरी ग्रॉस के कोलोप्टाइल को प्रकाश के एकतरफा स्रोत की ओर झुकते हुए देखा था। प्रयोगों की एक श्रृंखला के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि कोलोप्टाइल्स की नोक पर उत्पन्न कुछ पदार्थ झुकने के लिए जिम्मेदार थे। अंत में, इस पदार्थ को जई के बीजों में कोलियोप्टाइल्स की युक्तियों से ऑक्सिन के रूप में निकाला गया।

कार्यिकी प्रभाव:

(a) ये पौधों की कोशिका वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।

(b) ये शिखाग्र प्रधान्यता की घटना का कारण बनते हैं।

(c) ये संवहनी कैंबियम के विभाजन और जाइलम के विभेदन को नियंत्रित करते हैं।

(d) ये अनिषेकफलन को प्रेरित करते हैं और पत्तियों और बिलगन (Abscission) को रोकते हैं।

कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग:

(a) इन्हें तनों की कटिंग्स में जड़ बनाने वाले हार्मोन के रूप में उपयोग किया जाता है।

(b) 2-4 D का उपयोग चौड़ी पत्तियों वाले डाइकोटाइल्डोनस खरपतवारों को मारने के लिए किया जाता है।

(c) ये टमाटरों में बीजरहित फलन को प्रेरित करते हैं।

(d) ये अनानास और लीत्ती में फल आने को बढ़ावा देते हैं।

(ii) जिब्वेरेलिंस: जिब्वेरेलिंस एक अन्य प्रकार का प्रोत्साहक पी जी आर है। सौ से अधिक जिब्वेरेलिंस की सूचना विभिन्न जीवों से आ चुकी है जैसे कि कवकों और उच्च पादपों से। इन्हें G A, (GA₁), G A₂ (GA₂), G A3 (GA₃) और इसी तरह से नामित किया गया है।

कार्यिकी प्रभाव:

(a) यह अंतरपर्व (Internodes) के बढ़ने का कारण बनता है।

(b) यह रोसेट पौधों में त्वरित बढ़वार (Bolting) को बढ़ावा देता है।

(b) यह बीज के अवकाश को तोड़कर बीज अंकुरण में सहायता करता है और रिजर्व खाद्य को पचाने के लिए हाइड्रोलाइस एंजाइम के संश्लेषण को शुरू करता है।

कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग:

(a) यह चीनी की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है, क्योंकि यह गन्ने के अंतरपर्वों की लंबाई को बढ़ाता है।

(b) यह अंगूर की डंठल की लंबाई बढ़ाता है।

(c) यह सेब के आकार को सुधारता है।

(d) यह वृद्धावस्था (Senescence) को विलंबित करता है।

(e) यह किशोर कोनिफर्स में परिपक्वता को तेज करता है और बीज उत्पादन को प्रेरित करता है।

(iii) साइटोकिनिंस :  एफ स्कूग (F. Skoog) तथा उनके सहकर्मियों ने देखा कि तंबाकू के तने के अंतरपर्व (इंट्रनोडल) खंड से (अविभेदित कोशिकाओं का समूह) तभी प्रचुरित हुआ जब ऑक्सिंस के अलावा मीडियम में, वाहिका ऊतकों के सत्व या यीस्ट सत्व या नारियल दूध या डीएनए पूरक रूप में दिया गया। मिलर एट आल (Miller et.al) (1955) ने साइटोकाइनेसिस को बढ़ावा देने वाले इस तत्व को पहचाना और इसका क्रिस्टलीकरण किया तथा काइनेटिन नाम दिया।

कार्यिकी प्रभाव:

(a) यह शिखाग्र प्रधान्यता (Apical Dominance) को रोककर पार्श्व शाखाओं के विकास को बढ़ावा देते हैं।

(b) यह नई पत्तियों, क्लोरोप्लास्ट्स और अवांछित शाखाओं के निर्माण में मदद करते हैं।

(c) यह पोषक तत्वों के संचारण (mobilisation) को बढ़ावा देकर वृद्धावस्था (Senescence) को विलंबित करने में मदद करते हैं।

कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग:

(a) यह शिखाग्र प्रधान्यता को रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

(b) यह पत्तियों में वृद्धावस्था को विलंबित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

(iv) एथिलीन: एथीलिन एक साधारण गैसीय पी जी आर है यह जरावस्था को प्राप्त होते ऊतकों तथा पकते हुए फलों के द्वारा भारी मात्र में संश्लेषित की जाती है।

कार्यिकी प्रभाव:

(a) यह बीज और कली की निष्क्रियता को तोड़ने में मदद करता है।

(b) यह गहरे पानी के धान के पौधों में त्वरित अंतरपर्व वृद्धि को बढ़ावा देता है।

(c) यह जड़ों की वृद्धि और जड़ के बालों के निर्माण को बढ़ावा देता है।

(d) यह पत्तियों और फूलों के वृद्धावस्था और अवक्षेपण (abscission) को बढ़ावा देता है।

(v) यह फलों में श्वसन की दर को तेज करता है श्लोर फलों के पकने को बढ़ाता है।

कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग:

(a) यह अनानास में फूल आने की प्रक्रिया शुरू करने और फलों के सेट को एकरूप बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।

(b) यह आम में फूल आने को प्रेरित करता है।

(c) एथिफ़ॉन का उपयोग टमाटर और सेब में फलों को पकाने और कपास, चेरी, और अखरोट में फूलों और पत्तियों के अवक्षेपण को तेज करने के लिए किया जाता है।

(d) यह खीरे में मादा फूलों की संख्या को बढ़ावा देता है।

(v) एबसिसिक एसिड : एबसिसिक एसिड (ABA), की खोज विलगन एवं प्रसुप्ति को नियमित करने में उसकी भूमिका के लिए हुई थी। लेकिन अन्य दूसरे पी जी आर की भांति यह भी पादप वृद्धि एवं परिवर्धन में व्यापक दायरे में प्रभाव डालता है। यह एक सामान्य पादप वृद्धि तथा पादप उपापचय के निरोधक का काम करता है।

कार्यिकी प्रभाव:

(a) यह पौधों के चयापचय (Metabolism) को अवरोधित करता है।

(b) यह जल तनाव (Water Stress) के दौरान रंध्रों (Stomata) को बंद करने को प्रेरित करता है।

(c) यह बीज अवकाश (Seed Dormancy) को प्रेरित करता है।

(d) यह पत्तियों, फलों, और फूलों के अवक्षेपण (Abscission) को प्रेरित करता है।

कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग:

(a) संग्रहित बीजों में बीज अवकाश को प्रेरित करता है।

5. एबसिसिक एसिड को तनाव हार्मोन कहते हैं, क्यों?

उत्तर: एब्सिसिक एसिड को तनाव हार्मोन कहा जाता है क्योंकि यह तनाव की स्थिति के खिलाफ पौधों में विभिन्न प्रतिक्रियाओं को प्रेरित करता है। यह विभिन्न तनावों के प्रति पौधों की सहनशीलता को बढ़ाता है। यह जल तनाव के दौरान रंध्रों को बंद करने के लिए प्रेरित करता है। यह बीज सुप्तावस्था को बढ़ावा देता है और अनुकूल परिस्थितियों में बीज के अंकुरण को सुनिश्चित करता है। यह बीजों को सूखने से बचाने में मदद करता है। यह बढ़ते मौसम के अंत में पौधों में सुप्तता उत्पन्न करने में भी मदद करता है और पत्तियों, फलों और फूलों के विच्छेदन को बढ़ावा देता है।

6. उच्च पादपों में वृद्धि एवं विभेदन खुला होता है. टिप्पणी करें?

उत्तर: पौधों का विकास सामान्यतः सतत और अप्रत्याशित होता है। उनके पास मेरिस्टेम नामक विशेष क्षेत्र होते हैं जो नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। पौधों के सिरे खुले होते हैं, जिससे वे लगातार बढ़ते रहते हैं और पुराने अंगों की जगह नए अंग बनाते हैं। उनकी संरचना मॉड्यूलर होती है, यानी पूरी तरह से बनना कभी नहीं रुकता। विकास के साथ-साथ विभेदीकरण भी चलता रहता है, जिससे परिपक्वता पर विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ (जैसे जाइलम, फ्लोएम, पैरेन्काइमा आदि) बनती हैं। इस प्रकार, पौधों में विकास और विभेदन दोनों ही खुले, लचीले और निरंतर चलने वाले होते हैं।

7. अगर आपको ऐसा करने को कहा जाए तो एक पादप वृद्धि नियामक का नाम दें-

(क) किसी टहनी में जड़ पैदा करने हेतु।

उत्तर: ऑक्सिन्स।

(ख) फल को जल्दी पकाने हेतु।

उत्तर: एथिलीन।

(ग) पत्तियों को जरावस्था को रोकने हेतु।

उत्तर: साइटोकिनिन।

(घ) कक्षस्थ कलिकाओं में वृद्धि कराने हेतु।

उत्तर: साइटोकिनिन।

(च) एक रोजेट पौधे में ‘वोल्ट’ हेतु।

उत्तर : जिबरेलिक एसिड।

(छ) पत्तियों के रंध्र को तुरंत बंद करने हेतु।

उत्तर: एबसिसिक एसिड।

8. क्या हो सकता है, अगरः

(क) जी ए (GA) को धान के नवोद्भिदों पर दिया जाए।

उत्तर: यदि GA3 (GL₃) को चावल के अंकुरों पर लागू किया जाता है, तो चावल के पौधों में अंतर-दीर्धीकरण और ऊंचाई में वृद्धि प्रदर्शित होगी।

(ख) विभाजित कोशिका विभेदन करना बंद कर दें।

उत्तर: यदि विभाजित होने वाली कोशिकाएँ विभेद करना बंद कर दें, तो पौधे के अंग जैसे पत्तियाँ और तना नहीं बनेंगे। अविभेदित कोशिका के द्रव्यमान को कैलस कहते हैं।

(ग) एक सड़ा फल कच्चे फलों के साथ मिला दिया जाए।

उत्तर: यदि एक सड़ा हुआ फल कच्चे फलों के साथ मिल जाता है, तो सड़े हुए फलों से उत्पन्न एथिलीन कच्चे फलों के पकने की गति को तेज कर देगा।

(घ) अगर आप संवर्धन माध्यम में साइटोकीनिंस डालना भूल जाएं।

उत्तर: यदि आप संवर्धन माध्यम में साइटोकिनिन जोड़ना भूल जाते हैं, तो कोशिका विभाजन, वृद्धि और विभेदन नहीं हो पाएगा।

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