SEBA Class 10 Hindi MIL Question Paper Solved 2024 English Medium

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HSLC Hindi MIL Question Paper Solved English Medium

SEBA Class 10 Hindi MIL Ambar Bhag 2 Question Paper Solved 2024 English Medium

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Hindi MIL Question Paper Solved

2024

HINDI MIL OLD PAPER

ALL QUESTION ANSWER

खण्ड-क

1. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:

(क) संत कबीरदास का आविर्भाव कहाँ हुआ था?

उत्तर: संत कबीरदास का आविर्भाव काशी में हुआ था।

(ख) ‘बीजक’ के रचयिता कौन हैं?

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उत्तर: ‘बीजक’ के रचयिता कबीरदास हैं।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के अति संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) ‘मैं तो तेरे पास में’ यहाँ ‘मैं’ और ‘तेरे’ शब्द किस-किस के लिए प्रयुक्त हुए हैं?

उत्तर: में ईश्वर के लिए और ‘तेरे’ शब्द सेवक यानी भक्तों के लिए प्रयुक्त हुए है।

(ख) मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ खोजता है?

उत्तर: मनुष्य ईश्वर को मंदिर, मस्जिद आदि विभिन्न धार्मिक स्थलों पर खोजता है।

(ग) संत कबीरदास ने जग को बौराया हुआ क्यों कहा है?

उत्तर: संत कबीरदास ने जग को बौराया हुआ इसलिए कहा क्योंकि ईश्वर और धर्म के सच्चे मर्म को कहने पर जग वाले मारने दौड़ते हैं और झूठ कहने पर विश्वास कर लेते हैं। लोग धर्म-ईशवरोपासना के नाम पर पाखंड और दिखावा करते हैं, लेकिन सच्चे तत्व को कोई भी स्वीकार करना नहीं चाहता है।

(घ) पत्थर तोड़ने वाली स्त्री कहाँ बैठकर काम कर रही थी और वहाँ किस चीज की कमी थी?

उत्तर: पत्थर तोड़ने वाली स्त्री पेड़ के नीचे बैठकर काम कर रही थी और वहाँ छायादार वृक्ष की कमी थी।

(ङ) ‘मोको कहा सीकरी सो काम।’ -किसने, किसके प्रति ऐसा कहा था?

उत्तर: कुंभन दास ने संतन को कहा।

(च) अफसर अपने-आपको सफल कब मानता है?

उत्तर: नाव का उदाहरण देकर लेखक ने यह समझाना चाहा है कि आप अफसर के साथ नाव में बैठे हैं और नाव बिना किसी बाधा के लहरों पर बहती चली जाती है, तब अफसर अपने-आप को सफल अफसर मानता है क्योंकि उसके योग्य प्रशासन में नाव ठीक चल रही है। अर्थात् उसके प्रशासन में सब काम ठीक-ठाक चल रहा है।

(छ) लेखक ने अफसर और नेता में क्या अंतर बताया है?

उत्तर: लेखक के अनुसार अफसर और नेता दोनों में कोई विशेष अंतर नहीं होता। दोनों ही लोगों को अपने ढंग से परेशान करते हैं। नेता अपने सार्वजनिक भाषण में एक साथ हजारों- लाखों को डाँटता और धमकाता है। जबकि अफसर अपने चेम्बर (ऑफिस) में हर कर्मचारी को बारी-बारी से बुलाकर डाँटता है। लोग उसकी डाँट सुनते हैं और साथ-साथ काम करते रहते हैं।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दो:

(क) ‘निरानंद है कौन दिशा?’ ‘किरणों का खेल’ नामक कविता की इस प्रश्नवाचक पंक्ति के माध्यम से वस्तुतः कवि ने क्या कहना चाहा है?

उत्तर: ‘किरणों का खेल’ नामक कविता की इस प्रश्नवाचक पंक्ति के माध्यम से वस्तुतः कवि ने यह कहना चाहा है कि पंचवटी में सभी दिशाओं में आनंद ही आनंद व्याप्त है। कोई भी दिशा आनंद – शून्य नहीं है।

(ख) संध्या को ‘विराम-दायिनी’ क्यों कहा गया है?

उत्तर: संध्या को ‘विराम-दायिनी’ इसलिए कहा गया है कि संसार के सभी प्राणी संध्या होने पर विराम या आराम लेना चाहते हैं इसलिए।

(ग) उपन्यासकार स्कॉट किस मुसीबत में फंसे थे और उससे उन्हें कैसे छुटकारा मिला था?

उत्तर: उपन्यासकार स्कॉट एक बार ऋण के बोझ से बिलकुल दब गए। मित्रों ने उनकी सहायता करनी चाही। पर उन्होंने अपने मित्रों की सहायता नहीं ली और स्वयं अपनी प्रतिभा का सहारा लेकर अनेक उपन्यास थोड़े समय के बीच लिखकर लाखों का ऋण अपने सिर से उतार दिया।

(घ) चित्त-वृत्ति की महत्ता को दशनि के लिए लेखक ने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं?

उत्तर: (i) हनुमान ने अकेले सीता की खोज की।

(ii) शिवाजी ने थोड़े से सिपाहियों की सहायता से औरंगजेब की सेना को तितर-बितर कर दिया।

(iii) राजा हरिश्चंद्र सत्य के सहारे संकटों से छुटकारा प्राप्त किए।

(iv) महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।

(v) राम-लक्ष्मण ने बड़े-बड़े पराक्रमी वीरों पर विजय प्राप्त की।

(ङ) लेखक तुलसीदास एवं केशवदास की तुलना द्वारा क्या साबित करना चाहते हैं?

उत्तर: लेखक तुलसीदास और केशवदास की तुलना द्वारा यह साबित करना चाहते हैं कि तुलसीदास मानसिक स्वतंत्रता और आत्म- निर्भरता के कारण विश्वप्रसिद्ध कवि बने। दूसरी ओर केशवदास स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सके और जीवन भर विलासी राजाओं के दरबारी कवि बने रहे। उन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। यहाँ लेखक के कहने का विशेष अर्थ यह है कि बगैर आत्म- निर्भरता के कोई भी उन्नति नहीं कर सकता।

इसमें लेखक तुलसीदास के आत्म-निर्भर और स्वतंत्र विचारों की सराहना करते हैं, जबकि केशवदास की स्थिति को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जो दरबारी कवि होकर अपनी स्वतंत्रता से वंचित रहे।

(च) नया अफसर किस रूप में आता है?

उत्तर: हर नया अफसर अपने में गमक लिए रहता है। नया अफसर हमेशा नयापन लिए आता है। उसके आते ही हर चीज नई लगती है। सबकुछ नए रूपों में बदल दिया जाता है। पूरा दफ्तर नए-नए फर्नीचरों एवं फूलों के गमलों से सजा दिए जाते हैं। नई समय-सारणी लागू हो जाती है। हर पुरानी चीज भी नए तरीके से सजाई जाती है। नए-नए लोगों से उसका परिचय होता है। 

(छ) नीहारिका ने दक्षिण भारत की सैर की तैयारी में अपने कंप्यूटर से किस प्रकार मदद ली?

उत्तर: नीहारिका ने अपने कंप्यूटर की मदद से रेल का टिकट बुक कर लिया। कंप्यूटर की मदद से होटल ढूँढ़ा और पसंद आने पर होटल के कमरे भी बुक कर लिए। फिर ई-कॉमर्स की सुविधा से उसने घर में बैठकर ही भ्रमण के लिए जरूरी कपड़े, सामान आदि भी खरीद लिए। इससे उनका बहुत सारा समय भी बच गया।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक उत्तर दो :

(क) “एक क्षण के बाद वह , 

डुलक माथे से गिरे सीकर, 

लीन होते कर्म में फिर ज्यों कहा- 

‘मैं तोडती पत्थर।”

इन काव्य-पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो।

उत्तर: कवि निराला इन काव्य-पंक्तियों में एक महिला श्रमिक के कठिन श्रम और उसके आत्मविश्वास को व्यक्त करते हैं। वह महिला सड़क किनारे गर्मी और धूप में पत्थर तोड़ने में व्यस्त थी। जब वह अपने काम में लीन थी, तो पसीने की बूँद उसके माथे से गिर गई। उस क्षण में, जैसे वह महिला कह रही हो कि “मैं पत्थर तोड़ने वाली श्रमिक हूँ,” यह उसका कर्म और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। वह जानती है कि यह उसका कार्य है, और चाहे कोई भी कठिनाई हो, जैसे कि कड़ी धूप, वह अपने काम में निरंतर लगी रहती है। उसे अपने श्रम में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि यह उसकी नियति और उद्देश्य है।

(ख) अपनी गलती का अनुभव होने के बाद नीहारिका ने क्या निश्चय किया?

उत्तर: अपनी गलती का अनुभव होने पर नीहारिका ने यह निश्चय किया कि अब से वह इंटरनेट का इस्तेमाल केवल जरूरत के अनुसार ही करेगी। पढ़ाई, खेल-कूद, तथा घरेलू काम-काज आदि के बाद जब उसे समय मिलेगा तभी वह कंप्यूटर के सामने बैठेगी। माँ और पिताजी की अनुमति के बगैर वह इंटरनेट का उपयोग अपने मनोरंजन के लिए नहीं करेगी। वह अपने अनुभवों को अपने सभी दोस्तों एवं सहेलियों को बताएगी।

अथवा

“नीहारिका के ज्ञान की सीमा लगातार बढ़ती रहे इसी आशा से मैंने उसे यह तोहफा देने का निर्णय लिया है।” किसने किससे और कब ऐसा कहा था?

उत्तर: यह पंक्तियाँ ‘इंटरनेट के खट्टे-मीठे अनुभव’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसकी लेखिका डॉ. प्रणयी दत्त हैं। यह वाक्य नीहारिका के पिताजी का है, जो नीहारिका को कंप्यूटर देने की बात कर रहे थे।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि कंप्यूटर से ज्ञान की सीमा बढ़ जाती है और उसमें इंटरनेट लगा दिया जाए तो फिर इस ज्ञान का दायरा बहुत ही व्यापक हो जाता है। नीहारिका के पिताजी नीहारिका को पढ़ाई में मदद के लिए कंप्यूटर देने की बात कह रहे थे क्योंकि आजकल बिना कंप्यूटर के ज्ञान प्राप्त करना अधूरा माना जाता है।

(व्याकरण और रचना)

5. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो:

सुरज; पक्षी; धरती; दोस्त।

उत्तर: (i) सूरज = सूर्य, भास्कर।

(ii) पक्षी =  चिड़िया, पंछी।

(iii) धरती – पृथ्वी, धारा।

(iv) दोस्त = मित्र, बन्धु।

6. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्दों के विलोमार्थी शब्द लिखो: 

सौभाग्य, आशा, जन्म, गहरा।

उत्तर: (i) सौभाग्य = दुर्भाग्य।

(ii) आशा = निराशा।

(iii) जन्म = मृत्यु।

(iv) गहरा = उथला।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्द जोड़ों के अर्थ का अंतर स्पष्ट करो: 

कलि-कली; अनु-अणु परुष-पुरुष; अन-अन्य।

उत्तर: (i) कलि = कलियुग।

कली = अधखिला फूल।

(ii) अनु =  एक उपसर्ग।

अणु = छोटा टुकड़ा ।

(iii) परुष = कठोर।

पुरुष = नर।

(iv) अन्न = अनाज।

अन्य = दूसरा।

8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्द-समूहों के लिए एक-एक शब्द दो: 

जिसके पार देखा जा सके; जिसका कोई नाथ न हो; जल में जनमनेवाला; सब-कुछ जानता है।

उत्तर: (i) जिसके पार देखा जा सके = पारदर्शी।

(ii) जिसका कोई नाथ न हो = अनाथ।

(iii) जल में जनमनेवाला = जलज।

(iv) सब-कुछ जानता है = सर्वज्ञ।

9. निम्नलिखित में से किन्हीं दो शब्द-समूहों का समास साधित करके समास का नाम लिखो: 

जन्म तक; मुँह से माँगा; तीन भुवनों का समाहार; पीत है अम्बर जिनका वे।

उत्तर: (i) जन्म तक = आजन्म = तत्पुरुष समास।

(ii) मुँह से माँगा = मुँहमाँगा =  तत्पुरुष समास।

(iii) तीन भुवनों का समाहार = त्रिभुवन = द्विगु समास।

(iv) पीत है अम्बर जिनका वे = पीताम्बर = बहुव्रीहि समास.

10. निम्नलिखित में से किन्हीं दो मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करो:

अँगूठा दिखाना; अंधे की लकड़ी; कलम तोड़ना; गड़े मुर्दे उखाड़ना।

उत्तर: (i) अँगूठा दिखाना = नेहा ने अवसर का सही समय पर लाभ उठाया और अपने संघर्ष से सबको अँगूठा दिखा दिया।

(ii) अंधे की लकड़ी = सीता ने अपनी मुश्किलों का हल नहीं मिल रहा था, लेकिन जैसे ही एक दोस्त ने मदद की, वह अंधे की लकड़ी बन गया।

(iii) कलम तोड़ना = नेहा ने अपनी मेहनत और लगन से प्रतियोगिता में पहली जगह हासिल की, वाकई उसने कलम तोड़ दी है।

(iv) गड़े मुर्दे उखाड़ना = उसे अब गड़े मुर्दे उखाड़ने की बजाय अपनी वर्तमान समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

11. निम्नलिखित में से किसी एक वाक्य को संयुक्त वाक्य में परिवर्तित करो:

(क) सूर्योदय होने पर हमलोग तेजपुर के लिए निकल पड़े।

उत्तर: सूर्यादय हुआ और हम लोग तेजपुर चले गए।

(ख) बीमार रहने के कारण वह परीक्षा में बैठ न सका।

उत्तर: वह बीमार है इसीलिए परीक्षा में बैठ नहीं सका। 

12. निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करो:

(क) मोहन के पिता-माता आयी है।

उत्तर: मोहन के पिता माता आए हैं।

(ख) लड़के ने किताब पड़ा।

उत्तर: लड़के ने किताब पढ़ी।

(ग) मजदूर ने घर जाना चाहिए।

उत्तर: मजदूर को घर जाना है।

(घ) मेरा नाम श्री आनंद तिवारीजी है।

उत्तर: मेरा नाम आनंद तिवारी है।

13. कोरोना अतिमारी के समय ली जाने वाली सावधानियों के बारे में बताते हुए अपने मित्र/अपनी सहेली को एक पत्र लिखो।

उत्तर: प्रिय सहेली शनाया

सादर नमस्कार,

मैं आशा करता हूँ कि तुम और तुम्हारा परिवार स्वस्थ और सुरक्षित होंगे। इन दिनों कोरोना महामारी ने पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है, और हमें इससे बचने के लिए कई सावधानियाँ बरतनी आवश्यक हैं। मैं यह पत्र तुम्हें कोरोना से बचने के उपायों के बारे में बताने के लिए लिख रहा हूँ।

सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें सतत हाथ धोने की आदत डालनी चाहिए। जब भी हम किसी सार्वजनिक स्थान से घर लौटें या खाना खाएं, तो हाथ धोना न भूलें। मास्क पहनना बहुत जरूरी है, खासकर जब हम बाहर जाएं या किसी से मिलें। यह हमें और हमारे आसपास के लोगों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। साथ ही, सामाजिक दूरी बनाए रखना भी बहुत जरूरी है। कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें, विशेष रूप से उन लोगों से जो बीमार लगते हैं।

इसके अलावा, हमें अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए अच्छे आहार और पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। हरी सब्जियाँ, फल, दही और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ हमारे शरीर को मजबूत बनाने में मदद करती हैं। सैनिटाइज़र का इस्तेमाल भी नियमित रूप से करना चाहिए, विशेष रूप से जब हम हाथ धोने के लिए पानी और साबुन का उपयोग नहीं कर सकते।

मैं यह भी सलाह देना चाहता हूँ कि किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। यदि तुम्हें बुखार, सर्दी, खांसी या सांस लेने में दिक्कत महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और कोरोना परीक्षण करवाएं।

आशा है कि तुम इन सभी सावधानियों का पालन करोगी और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखोगी। कोरोना महामारी का मुकाबला हम सभी को मिलकर करना है, और इस समय हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

तुम्हारी मित्र,

नेहा 

अथवा

स्वच्छता अभियान को जारी रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए डिब्रूगढ़ से प्रकाशित होने वाले ‘दैनिक जागरण’ के संपादक के नाम पर एक पत्र लिखो।

उत्तर: संपादक, दैनिक जागरण

डिब्रूगढ़

विषय: स्वच्छता अभियान को जारी रखने की आवश्यकता पर पत्र

सादर प्रणाम,

स्वच्छ भारत अभियान ने समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, लेकिन यह निरंतरता की आवश्यकता है। कई स्थानों पर कचरे का सही निस्तारण और सफाई की स्थिति अभी भी कमजोर है, जिससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। स्वच्छता को केवल सरकारी योजना के रूप में न देखकर इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में देखा जाना चाहिए।

मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि आप इस विषय को अपने अखबार में प्रकाशित कर स्वच्छता के महत्व को जन-जन तक पहुँचाने में मदद करें।

आपका विश्वसनीय,

राम

(परिपूरक पाठ)

14. (क) पाठ्यक्रम के द्रुतपाठ (वैचित्र्यमय असम) में सन्निविष्ट किन्हीं दो जनगोष्ठियों का संक्षिप्त परिचय दो। 

उत्तर: तिवा = तिवा लोग प्राचीन काल से असम में निवास करती आ रही एक तृ-गोष्ठी है। ये लोग डंडों चीन के अंतर्गत तिखती – बर्मी भाषा परिवार के तहत बहुत बड़ी गुट से संम्ब संबन्धित है। वर्त‌मान में इस समुदाय के लोग असम के नगांव, मरिगांव, कामरूप आदि इलाकों में बसे हुए है। तिवा जानगुष्टी का साहित्य न केवल असमिया समाज के लिए, बल्कि समग्र भारतीय साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। उनकी कविताएँ और कहानियाँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

बोडो जनगोष्ठि = बोडो जनगोष्ठि एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है, जिसे बोडो समुदाय के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था। यह संगठन बोडो जनजाति के सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करता है। बोडो जनगोष्ठि का मुख्य उद्देश्य बोडो समुदाय की सांस्कृतिक पहचान, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके सामाजिक उत्थान के लिए काम करना है। बोडो जनगोष्ठि की स्थापना बोडो आंदोलन के दौरान हुई थी, जब बोडो जनजाति ने अपनी भाषा, संस्कृति, और पहचान के संरक्षण के लिए संघर्ष शुरू किया।

(ख) पाठ्यक्रम के द्रुतपाठ (वैचित्र्यमय असम) में सन्निविष्ट किन्हीं दो जनगोष्ठियों के विशेष रूप से अपनी-अपनी जनगोष्ठियों को योगदान देने वाले (एक-एक व्यक्ति) दो व्यक्तियों पर टिप्पणी लिखो।

उत्तर: हरि प्रसाद गोर्खा राई: पराधीन भारत में जातीय चेतना और जागरण के लिए जिन लेखकों ने अपना योगदान दिया उनमें गोर्खा राई अग्रणी थे। असमीया और नेपाली दोनों भाषाओं में साहित्य रचने वाले गोर्खा राई सही अर्थों में समन्वयवादी थे। उनकी कहानियों में जनजातियों व गैर-जनजातियों के जन-जीवन के सौहार्द का चित्रण हुआ है। उन्हें अपने नाम के साथ गोर्खा शब्द जोड़ने का सुझाव उनके साहित्यकार मित्र मित्रदेव महंत ने दिया था। उन्होंने जीवन भर असमीया और गोर्खा भाषा साहित्य के विकास के लिए कार्य किया।

राधाकांत देउरी: राधाकांत देउरी ने देउरी और असमीया भाषा-साहित्य के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे देउरी भाषा-संस्कृति के शोधकर्ता व विद्वान थे। उनके द्वारा विरचित अनमोल ग्रंथों के नाम इस प्रकार है- ‘देउरी सच्चुर्विव’ (देउरी शब्दकोश), ‘च्चिबाँ जिमचाँया च्चुबिंब’ (दो आधुनिक शब्दकोश), इसमें से दूसरा त्रि-भाषिक (देउरी, असमीया, अंग्रेजी) है। इस प्रकार उन्होंने असम के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

खण्ड-

15. निम्नलिखित प्रश्नों के सटीक उत्तर दो :

(क) “नारद शुकमुनि राम नाम बिनि

नाहि कहल गति आर। 

कृष्ण किंकर कय छोड्छु मायामय 

राम परम तत्त्व सार ।।”

इन काव्य-पंक्तियों का आशय बताओ।

उत्तर: उपरोक्त काव्य-पंक्तियाँ  में भक्ति और श्रीराम के नाम और उनके महिमा का वर्णन किया गया है। 

इसमें कहा गया है कि महर्षि नारद और शुकदेव जैसे महान मुनियों ने भी यह स्वीकार किया है कि राम-नाम के बिना मुक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती। श्रीराम का नाम ही मोक्ष और शांति का सर्वोच्च साधन है। दूसरी पंक्ति में बताया गया है कि माया और भौतिक संसार को त्यागकर श्रीराम के परम तत्व को समझने की आवश्यकता है। श्रीराम ही इस संसार के सार और परम सत्य हैं। जो व्यक्ति इस सत्य को स्वीकार करता है, वही मोक्ष को प्राप्त करता है।

(ख) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने आराध्य और स्वयं के बीच के संबंध को किस रूप में प्रकट किया है?

उत्तर: श्रीमंत शंकरदेव ने अपने आराध्य और स्वयं के बीच के संबंध को भक्त खुद को भगवान का सेवक मानने वाले दास्य भाव के रूप में प्रकट किया था. शंकरदेव ने नव-वैष्णव धर्म की स्थापना की थी, जिसमें व्यक्तिगत ईश्वर, खास तौर पर भगवान कृष्ण की भक्ति पर ज़ोर दिया गया था. उनके धर्म में दीक्षा (सरना) की एक प्रणाली शुरू की गई थी. दीक्षा के बाद, भक्तों से अपेक्षा की जाती थी कि वे एकासन के धार्मिक सिद्धांतों का पालन करें. इन सिद्धांतों में एक ईश्वर, कृष्ण की पूजा करना और वैदिक अनुष्ठानों को त्यागकर उनके प्रति समर्पण करना शामिल था।

(ग) भारत की संस्कृति पर अमीर खुसरू के क्या-क्या उपकार हैं? समझाकर लिखो।

उत्तर: भारत की संस्कृति पर अमीर खुसरु के कई उपकार हैं। उन्होंने भारतीय संगीत और सूफी फकीर संगीत के बीच समन्वय स्थापित किया। वीणा को देखकर सितार का आविष्कार किया। इसी प्रकार मृदंग को देखकर उन्होंने तबले की ईजाद की। कहा जाता है कि कव्वाली भी उन्होंने ही ईजाद की थी। अमीर खुसरु मिजाज से सूफी होने के कारण सांप्रदायिकता से मुक्त रहे और हिंदुस्तान को अपनी मातृभूमि माना और सामाजिक संस्कृति को प्रोत्साहित एवं समन्वित किया।

(घ) हिन्दुस्तान को अमीर खुसरू ने महान क्यों माना है?

उत्तर: हिंदुस्तान को अमीर खुसरु ने महान माना है, क्योंकि ज्ञान और विविध विद्याओं का यहां व्यापक प्रचार हुआ है। हिंदुस्तान के लोग गुणी और हुनरमंद हैं तथा वे तरह- तरह की चीजें बनाना चाहते हैं। हिंदुस्तान केलोग इतने मेधावी और तेज हैं कि वे संसार भर की भाषाएं शुद्धता से बोल सकते हैं। उनके अनुसार हिंदुस्तान ने कई चीजों का आविष्कार कर पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम किया है।

16. निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर एक अनुच्छेद लिखो:

(क) जीवन में अनुशासन का महत्त्व।

उत्तर: अनुशासन हमारे जीवन में काफी अहमियत रखता है। यह जीवन में क्रमबद्धता को संदर्भित करता है, जो किसी के भी जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है। हर कोई अपने जीवन में अलग-अलग रूप में अनुशासन का पालन करता है। अनुशासन हमें ईमानदार, मेहनती, धैर्यवान, महत्वाकांक्षी, स्वतंत्र और समयनिष्ठ बनाता है। जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि यह सफलता की कुंजी है। अनुशासन हमें अपने कार्यों को समय पर और सही तरीके से करने की आदत डालता है। यह न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि पेशेवर जीवन में भी सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। अनुशासन के द्वारा हम अपने लक्ष्य की दिशा में निरंतर प्रयास करते हैं और किसी भी प्रकार की विघ्न-बाधाओं से निपट सकते हैं। इसके बिना जीवन में अस्तव्यस्तता और विफलता का सामना करना पड़ता है। इसलिए, अनुशासन का पालन करके हम अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं और आत्म-सम्मान तथा संतोष प्राप्त कर सकते हैं।

(ख) स्वावलंबन।

उत्तर: स्वावलंबन का अर्थ है अपनी मेहनत, बुद्धिमत्ता और संसाधनों के माध्यम से अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाना। यह हमें दूसरों पर निर्भर रहने की बजाय अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की प्रेरणा देता है। स्वावलंबी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दूसरों से सहायता की अपेक्षा कम करता है और अपनी मेहनत तथा प्रयासों के बल पर जीवन में सफलता प्राप्त करता है। स्वावलंबन से आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ता है, क्योंकि यह व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारियों को समझने और उसे पूरा करने की प्रेरणा देता है। इसके द्वारा समाज में भी एक सकारात्मक संदेश जाता है, क्योंकि जब लोग स्वावलंबी होते हैं, तो समाज की समृद्धि में भी योगदान करते हैं। स्वावलंबन जीवन में संतुलन और स्थिरता लाता है, और यह हमें जीवन के विभिन्न कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार करता है।

(ग) एक पंथ दो काज।

उत्तर: “एक पंथ दो काज” का अर्थ है एक ही प्रयास से दो फायदे प्राप्त करना। यह मुहावरा उस स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी कार्य को एक साथ करने से दो उद्देश्यों की पूर्ति हो जाती है। यह जीवन में समझदारी और दक्षता को बढ़ावा देता है, क्योंकि एक समय में दो समस्याओं का हल निकालना बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई व्यक्ति समय बचाने के लिए एक ही समय में पढ़ाई भी करता है और व्यायाम भी, तो वह “एक पंथ दो काज” की अवधारणा का पालन कर रहा है। यह न केवल हमें समय की बचत करने में मदद करता है, बल्कि हमें अपने लक्ष्यों की ओर तेजी से बढ़ने का अवसर भी देता है। इस प्रकार, जीवन में जब हम एक ही प्रयास से दो लाभ प्राप्त करते हैं, तो यह हमारी कुशलता और सोचने की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

(घ) ऊँची दूकान फीके पकवान।

उत्तर: “ऊँची दूकान फीके पकवान” एक प्रसिद्ध हिंदी मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि किसी वस्तु या व्यक्ति का बाहरी रूप या दिखावा अच्छा होता है, लेकिन अंदर से वह उतना प्रभावी या श्रेष्ठ नहीं होता। इस मुहावरे का प्रयोग तब किया जाता है जब किसी चीज़ का आकर्षण केवल बाहरी रूप तक सीमित होता है, जबकि वास्तविकता में वह उतना अच्छा या उपयोगी नहीं होता। यह मुहावरा आमतौर पर उन परिस्थितियों में उपयोग होता है, जहां किसी चीज़ का दिखावा अधिक होता है, लेकिन उसकी गुणवत्ता या मूल्य कम होता है। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई व्यक्ति अपने कपड़े और आभूषणों के द्वारा खुद को बड़ा और प्रभावशाली दिखाता है, लेकिन उसके पास ज्ञान या योग्यता की कमी है, तो उसे इस मुहावरे से संदर्भित किया जा सकता है। यह हमें यह सिखाता है कि केवल बाहरी दिखावे को देखकर किसी की असलियत का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, और हमें हमेशा अंदरूनी गुणों की भी अहमियत देनी चाहिए।

17. निम्नलिखित में से किन्हीं दो अलंकारों का उदाहरण सहित परिचय प्रस्तुत करो :

(क) श्लेष।

उत्तर: श्लेषः जहाँ एक शब्द से दो या दो से अधिक अर्थ प्रकट होते है, वहाँ  श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरण: मधुवन की छाती को देखो सूखी कितनी इसकी कलियाँ।

यहाँ प्रथम ‘कलियाँ’ शब्द का अर्थ है- खिलने से पूर्व फूल की दशा, द्वितीय कलियाँ का अर्थ है यौवनपूर्व की अवस्था।

(ख) उत्प्रेक्षा।

उत्तर: उत्प्रेक्षा अलंकारः जहाँ सादृश्यता के कारण उपमेय में उपमान की कल्पना कर ली जाए, वहाँ ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ होता है। 

उदाहरण : कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल में भर गए।

हिम के कणों से पुर्ण मानो, हो गए पंकज नए।

प्रस्तुत पद्यांश में उत्तरा के ‘अश्रु-पुरित नेत्र’ उपमेय है, जिनमें कमल की पंखुड़ियाँ पर पड़े हुए ओस-कणों की उपमान की कल्पना की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार का प्रयोग हुआ है।

(ग) दृष्टान्त।

उत्तर: दृष्टान्त अलंकार जहाँ उपमेय और उपमान तथा उनके साधारण धर्मों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, वहाँ ‘दृष्टान्त’ अलंकार होता है।

सुख-दुख के मधुर मिलन से यह जीवन ही फिर धन में ओझल हो शशि, फिर शशि में ओझल हो धन।।

– यहाँ ‘सुख-दुख’ और राशि तथा ‘धन’ में बिम्ब-प्रतिविम्ब भाव है। इसलिए यहाँ दृष्टान्त अलंकार का प्रयोग हुआ है।

(घ) अन्योक्ति।

उत्तर: अन्योक्ति अलंकार जहाँ उपमान अप्रस्तुत के संबंध में वह बात जिसका अर्थ गुण, धर्म आदि की सादृश्यता के विचार से उपमेय (प्रस्तुत) पर घटाया जाए वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण: माली आवत दैख करि, कलियँ करें पुकार। फुलि फुलि चुनि लई, काल हमारी बार।।

यहाँ कलियों के टुटने के गुण, धर्म आदि की सादृश्यता के आधार पर मनुष्य की नश्वरता की ओर संकेत किया गया है। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।

खण्ड-

1. निम्नलिखित में से किसी एक का अपनी मातृभाषा में अनुवाद करो:

(a) असमराज्यस्य विभिन्नजनगोष्ठीनां नृत्यानामपि वयं प्रदर्शनं कुर्यामः। तर्हि बहिराज्येभ्यः आगतेभ्यः विद्यार्थिनः असमराज्यस्य संस्कृति ज्ञातुं शक्नुवन्ति।

उत्तर: असम राज्य की विभिन्न जनगोष्ठियों अपने अपने नृत्यों का प्रदर्शन करते हैं। इस प्रकार, बाहर से आने वाले विद्यार्थी असम राज्य की संस्कृति को जानने में सक्षम होते है।

इस वाक्य में असम राज्य की समृद्ध संस्कृति और कला को प्रस्तुत करने की बात की गई है। नृत्य एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा है, जो किसी भी समाज के जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। असम राज्य में अनेक जनगोष्ठियाँ (सामुदायिक समूह) हैं, जिनकी अपनी-अपनी विशेष नृत्यशैली और संगीत होता है। इस वाक्य में यह बताया जा रहा है कि अगर हम अपने अपने नृत्यशैलियों का प्रदर्शन करेंगे, तो बाहर देशों से आने वाले विद्यार्थी असम की संस्कृति को न केवल जान सकेंगे, बल्कि उसे अपने अनुभव से भी समझ सकेंगे। 

(b) ग्रन्थागारे सहस्रं पुस्तकानि सन्ति। सौरजगति अष्ट ग्रहाः सन्ति। मम पञ्चदश पुस्तकानि अस्ति। राघवस्य अशीतिः मुद्रा अस्ति।

उत्तर: पुस्तकालय में हजारों पुस्तकें हैं। सौरमंडल में आठ ग्रह हैं। मेरे पास पंद्रह पुस्तकें हैं। राघव के पास अस्सी मुद्राएँ हैं।

इस वाक्य में संख्याओं का प्रयोग करते हुए वस्तुओं की संख्या और उनके अस्तित्व का उल्लेख किया गया है।

(i) पहले वाक्य में पुस्तकालय की समृद्धि को व्यक्त किया गया है, जिसमें हजारों पुस्तकें हैं, जो ज्ञान का भंडार हैं।

(ii) दूसरे वाक्य में सौरमंडल के आठ ग्रहों का उल्लेख किया गया है, जो हमारे ब्रह्मांड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

(iii) तीसरे वाक्य में लेखक यह बता रहे हैं कि उनके पास पंद्रह पुस्तकें हैं, जो किसी भी पाठक के लिए महत्वपूर्ण हो सकता हैं।

(iv) चौथे वाक्य में राघव के पास अस्सी मुद्राओं का जिक्र किया गया है, जो उसकी संपत्ति या संग्रह का संकेत हो सकता है। 

(c) सत्येन लोकं जयति दानैर्जयति दीनताम्। गुरून् शुश्रूषया जीयाद्धनुषा एवं शात्रवान्।

उत्तर: “सत्येन लोकं जयति” का अर्थ है कि सत्य हमेशा विजय प्राप्त करता है। सत्य का मार्ग हमेशा सफलता की ओर जाता है, और यह समाज में अच्छाई और न्याय की स्थापना करता है। “दानैर्जयति दीनताम्” से यह संदेश मिलता है कि दान से दरिद्रता (गरीबी) पर विजय प्राप्त की जा सकती है। जब व्यक्ति जरूरतमंदों की मदद करता है, तो वह न केवल दूसरों के जीवन में सुधार लाता है, बल्कि समाज में भी समृद्धि फैलती है। “गुरून् शुश्रूषया जीयाद्धनुषा” का अर्थ है कि गुरु की सेवा करने से जीवन को सफलता और उन्नति मिलती है। यह शिक्षा देता है कि गुरु के मार्गदर्शन में जीवन को सही दिशा मिलती है और हम सही कार्य करने की क्षमता प्राप्त करते हैं। “धनुषा एवं शात्रवान्” का आशय है कि हमें अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए, इसके लिए चाहे हमें शस्त्रों (युद्ध या संघर्ष) की आवश्यकता पड़े। 

2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक का उत्तर लिखो:

(a) अपनी पाठ्य-पुस्तक के आधार पर ‘विद्या का महत्त्व’ के बारे में एक श्लोक लिखो।

उत्तर: विद्या ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वाद् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम्॥

अर्थ: विद्या से विनम्रता आती है। विनम्रता से पात्रता प्राप्त होती है। पात्रता से धन की प्राप्ति होती है। धन से धर्म की वृद्धि होती है, और धर्म से सुख मिलता है।

यह श्लोक विद्या के महत्व को स्पष्ट करता है कि वह केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन को सफल और सुखमय बनाने का मार्ग है।

(b) नीतिशिक्षा और सुभाषित आख्यान से भरपूर संस्कृत भाषा के किन्हीं चार ग्रंथों के नाम लिखो।

उत्तर: नीतिशिक्षा और सुभाषित आख्यान से भरपूर संस्कृत भाषा के किन्हीं चार ग्रंथों के नाम है–

(i) मनुस्मृति।

(ii) हितोपदेश।

(iii) शाकुंतलम्।

(iv) द्वादश महाकाव्य।

3. उपयुक्त शब्द से रिक्त स्थान की पूर्ति करो (कोई तीन) :

(a) हरिणः _______ बिभेति। (व्याघ्रः)

उत्तर: हरिणः व्याघ्रः बिभेति।

(b) _______ पत्रं पतति। (वृक्षः)

उत्तर: वृक्षः पत्रं पतति।

(c) रामः _______ पुत्र। (दशरथः)

उत्तर: रामः दशरथः पुत्र।

(d) मुनिवरः _______ वसति। (कुटिरः)

उत्तर: मुनिवरः कुटिरः वसति।

(e) शिक्षकाः _______ पाठयन्ति। (विद्यालयः)

उत्तर: शिक्षकाः विद्यालयः पाठयन्ति।

4. निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं तीन के लिंग-निर्धारण करो:

द्वी; विंशतयः ; चत्वारिंशत् ; प्रथमम् ; षोडशी।

उत्तर: (i) द्वी – पुल्लिंग 

(ii) विंशतयः – पुल्लिंग।

(iii) चत्वारिंशत् – पुल्लिंग।

(iv) प्रथमम् – पुल्लिंग।

(v)  षोडशी – स्त्रीलिंग।

अथवा

निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं तीन के संस्कृत समानार्थक शब्द लिखो:

वार्त्ता; महती; गीतम् चित्राणि प्रदर्शनम्।

उत्तर: (i) वार्ता – समाचार।

(ii) महती – बड़ी।

(iii) गीतम् – गान।

(iv) चित्राणि – चित्र।

(v)  प्रदर्शनम् – प्रदर्शन।

5. निम्नलिखित अंश-क के पद के साथ अंश-ख के पद को मिलाओ:

अंश – कअंश – ख
प्रथमा स्थानम्
त्रिंशत्तमम्मानवाः
त्रयःकन्या

उत्तर: 

अंश – कअंश – ख
प्रथमा कन्या
त्रिंशत्तमम्स्थानम्
त्रयःमानवाः

6. (a) निम्नलिखित पदों में से किन्हीं दो की व्युत्पत्ति बताओ:

(i) प्रश्न सं० 1 (a) में ‘कुर्यामः’

उत्तर: √कृ + विधीलीङ् याम:।

(ii) प्रश्न सं० 1 (a) में ‘शक्नुवन्ति’

उत्तर: √शक् + लट् अन्ति।

(iii) प्रश्न सं० 1 (b) में ‘सन्ति’

उत्तर: √अस् + लट् अन्ति।

(iv) प्रश्न सं० 1 (c) में ‘जयति’

उत्तर: √जि + लट् + ति।

7. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के शब्द-रूप लिखो:

(i) चतुर्थी विभक्ति के बहुवचन में ‘पितृ’

उत्तर: पित्रेण।

(ii) द्वितीया विभक्ति के बहुवचन में ‘सखि’

उत्तर: सखिंस।

(iii) पंचमी विभक्ति के द्विवचन में ‘गो’

उत्तर: गोभ्याम्।

(iv) प्रथमा विभक्ति के एकवचन में ‘राजन्’

उत्तर: राजन्।

(v) तृतीया विभक्ति के एकवचन में ‘अस्मद्’

उत्तर: अस्मिन।

(vi) षष्ठी विभक्ति के द्विवचन में ‘सखि’

उत्तर: सखिंयोः

(c) निम्नलिखित में से किन्हीं तीन के धातु-रूप लिखो:

(i) √अद् + लोट् तु

उत्तर: अन्तु।

(ii) √हन् + लट् अन्ति

उत्तर: हन्टी।

(iii) √दा + लृट् स्यति

उत्तर: दास्यति।

(iv) √कृ + लङ् द

उत्तर: अकरोत्।

(v) √नृत् + लट् सि

उत्तर: नृत्यसि।

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