Class 11 Hindi Chapter 15 घर की याद

Class 11 Hindi Chapter 15 घर की याद Question answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter AHSEC Class 11 Hindi Chapter 15 घर की याद and select needs one.

SCERT Class 11 Hindi Chapter 15 घर की याद

Join Telegram channel

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given AHSEC Class 11 Hindi Chapter 15 घर की याद Solutions for All Subject, You can practice these here.

घर की याद

Chapter – 14

काब्य खंड

(1) आज पानी गिर रहा है, 

बहुत पानी गिर रहा है, 

रात भर गिरता रहा है, 

प्राण मन घिरता रहा है,

प्रसंगः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक आरोह के ‘घर का याद’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके कवि है- भवानी प्रसाद मिश्र भवानी प्रसाद मिश्र नई कविता के प्रमुख कवि हैं।

संदर्भ: प्रस्तुत कविता में कवि ने जेल-प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा का यहाँ वर्णित किया है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

व्याख्याः कवि कहते हैं कि आज जब वह घर से दूर जेल में हैं, तो उनक आँखों से | आँसु वह रहे हैं। बहुत ज्यादा आँसु बह रहा हैं। घर की याद आने से उनके आँखों से सारी रात अश्रु ही गिर रहे हैं। जिससे उनका प्राण मन दोनों पीड़ा से से भर गया है।

(2) बहुत पानी गिर रहा है, 

घर नजर में तिर रहा है, 

घर कि मुझसे दूर है जो, 

घर खुशी का पूर है जो,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने घर के मर्म का उद्घाटन किया है। कवि कहते हैं, जेल प्रवास के दौरान घर की याद आ जाने से उनकी आँखों से आँसु बह रहा है। उनकी आँखों में केवल घर ही तैर रहा है। घर जो खुशियों से भरा हुआ है, आज कवि से बहुत दूर हैं।

(3) घर कि घर में चार भाई.

मायके में बहिन आई, 

बहिन आई बाप के घर,

हाय रे परिताप के घर !

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने घर के मर्म का उद्घाटन किया है। संदर्भ :

व्याख्या: जेल-प्रवास में रहने के दौरान कवि को घर की याद आती है, आँखों में घर का दृश्य आ जाता हैं। कवि कहते हैं, घर में चार भाई हैं। बहन वह पिता के घर यानी | अपने मायके आई है। खुशियों से भरा हुआ घर आज अत्याधिक दुःख का केंद्र बन गया हैं।

(4) घर कि घर में सब जुड़े हैं, 

सब कि इतने कब जुड़े हैं, 

चार भाई चार बहिनें,

भुजा भाइ प्यार बहिनें,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने घर की अवधारणा की सार्थक और मार्मिक याद प्रस्तुत किया है।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि वैसे तो घर के सभी लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। परन पहले इतने जुड़े हुए नहीं थे। घर में चार भाई और चार बहिनें हैं। भाई बहन के बीच अगाढ़ प्रेम हैं। भाई भुजा है, बहनें प्यार हैं।

(5) और माँ बिन-पड़ी मेरी,

दुःख मे वह गढ़ी मेरी,

माँ कि जिसकी गोद में सिर, 

रख लिया तो दुख नहीं फिर,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपनी मातृप्रेम को दिखाने की कोशिश की हैं। 

व्याख्या: कवि को जेल-प्रवास के दौरान अपने घर की याद आती हैं घर के लोग भाई-बहन सभी स्मृति में आने लगते हैं। कवि को उनकी माँ की याद आती हैं। कवि की माँ जो पढ़ी-लिखी नहीं थी। कवि के दुःख में संतप्त थी। कवि कहते हैं, कि माँ वह है, जिसकी गोद में अगर सिर रख लिया तो फिर दुःख नहीं होगा।

(6) माँ कि जिसकी स्नेह धारा,

का यहाँ तक भी पसारा, 

उसे लिखना नहीं आता, 

जो कि उसका पत्र पाता।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपनी मातृप्रेम को दिखाने की कोशिश की हैं।

व्याख्या: कवि जब जेल में थे, तब उनके स्मृति संसार में उनके परिजन एक-एक कर शामिल होते चले जाते हैं। कवि को उनकी माता की याद आती हैं। कवि कहते हैं कि उनकी माता का स्नेह धारा का प्रसार इतना व्यापक हैं कि वह कारावास तक जा पहुँचा है। कवि कहते हैं, उनकी माता अनपढ़ थी, अतः माता से कोई पत्र पाने की संभावना नहीं थी।

(7) पिता जी जिनको बुढ़ापा,

एक क्षण भी नहीं व्यापा, 

जो अभी भी दौड़ जाएँ, 

जो अभी भी खिलखिलाएँ,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि का अपने पिता के प्रति जो प्रेम हैं, उसे प्रकट किया है।

व्याख्या: कवि अपने पिता की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि बुढ़ापा उनके शरीर में | एक क्षण के लिए भी नहीं फैला। अभी भी उनमें बहुत स्फुर्ति हैं। पिता में इतनी स्फुर्ति है, इतना जोश हैं, कि अभी भी वे दौड़ सकते हैं, खिलखिला सकते हैं।

(8) मौत के आगे न हिचकें, 

शेर के आगे न बिचकें, 

बोल में बादल गरजता, 

काम में झंझा लरजता,

संदर्भ: कवि अपने पिता के विषय में वर्णन कर रहे हैं। | व्याख्या: कवि अपने पिता की प्रशंसा करते हुए कहता है कि उनके पिता मौत से नहीं घबराते हैं और न ही शेर के सामने आने पर भयभीत होते हैं। कवि कहता है, उसके पिता के बोल में बादलों के गर्जन हैं। उनके काम से झंझा भी लजा जाता है।

(9) आज गीता पाठ करके, 

दंड दो सौ साठ करके,

खुब मुगदर हिला लेकर, 

मूठ उनकी मिला लेकर,

संदर्भ: जेल प्रवासी कवि अपने पिता के विषय में वर्णन किया है। 

व्याख्या: कवि कहता है कि उसके पिता रोज की तरह आज भी गीता पाठ किया होगा। हमेशा की तरह दो सौ साठ दंड किया होगा। मुगदर को खूब हिलाकर उसकी मूठ को मिला लिया होगा।

(10) जब कि नीचे आए होंगे,

नैन जल से छाए होंगे, 

हाय, पानी गिर रहा है, 

घर नज़र में तिर रहा है,

संदर्भ: कवि कारावास में रहने के दौरान अपने घर का स्मरण करते हैं।

व्याख्या: कवि अपने पिता को याद करते हुए कहते हैं, जब पिता पूजा-पाठ कर सौ साठ दंड करके, जब नीचे आकर अपने बेटे के कारावास में होने की बात सुनी होगी तो उनकी आँखों में अनु भर आये होगे। आज कवि को करावास में अपने घर की याद आ जाने उनकी आँखों से आँसु गिर रहा है। आँखों में केवल पर तैर रहा है।

(11) चार भाई चार बहिनें, 

भुजा भाई प्यार बहिनें, 

खेलते या खड़े होंगे, 

नजर उनको पड़े होंगे।

संदर्भ: कवि अपने जेल प्रवासी में रहने के दौरान अपने परिजनों को याद किया हैं। 

व्याख्या: कवि कहते हैं कि उनके चार भाई तथा चार बहनें थी और उनमें परस्पर | प्रेम था। जब कवि के पिता के उनके कारावास की बात सुनी होगी तो उनकी आँखों से अश्रु प्रवाहित हुए होंगे। उस समय उनको चारों भाई और चारों बहने नजर आये होंगे जो या तो खेल रहे थे या खड़े थे।

(12) पिता जी जिनको बुढ़ापा,

एक क्षण भी नहीं व्यापा, 

रो पड़े होंगे बराबर,

पाँचवें का नाम लेकर,

संदर्भ: कवि ने अपने पिता का स्मरण किया है। व्याख्या:  कवि कहते हैं उनके पिता जिनमें बहुत स्फुर्ति थी। उनके शरीर में बुढ़ापा एक क्षण के लिए भी नहीं व्यापा था। कवि घर में पाँचवीं संतान थे। पिता अक्सर अपनी पाँचवी संतान का नाम लेकर लेकर रो पड़ते होंगे।

(13) पाँचवाँ मैं हुँ अभागा,

जिसे सोने पर सुहागा,

पिता जी कहते रहे हैं, 

प्यार मे बहते रहे हैं,

संदर्भ: जेल प्रवास के दौरान कवि अपने घर तथा परिजनों को याद करते हैं। 

व्याख्या: कवि स्वयं को अभागा कहते हैं। वे कहते हैं कि वह अपनी माता-पिता के पाँचव संतान है और अपनी माता-पिता के लाडले है। पिता अक्सर कवि को सोने पर सुहागा कहते हैं। कवि अपने पिता के दुलारे संतान थे। जिसके प्यार में पिता अक्सर बहते रहे हैं।

(14) आज उनके स्वर्ण बेटे,

लगे होंगे उन्हें हेटे, 

क्योंकि मैं उनपर सुहागा 

बंधा बैठा हूँ अभागा,

संदर्भ: प्रस्तुतं पंक्तियों में कवि ने अपने आप को अभागा कहा है। 

व्याख्या: कवि कहता है, जो बेटा अपने पिता के लिए कभी स्वर्ण हुआ करता था, वहीं आज उन्हें गीण लगा होगा। कवि कहते हैं, जो बेटा कभी उनके लिए स्वर्ण हुआ आज कारावास में कैद हैं।

(15) और माँ ने कहा होगा,

दुःख कितना बहा होगा,

आँख में सिक लिए पानी

वहाँ अच्छा है भवानी

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने कारावास जाने के पश्चात् उनके माता-पिता दुःख को प्रकट करते हैं।

व्याख्या: कवि सोचते हैं कि जब कवि के कारावास जाने की बात पर जब पिता दुःख प्रकट कर रहे थे, तब शायद उनकी माँ ने अपने आँखों से दुःख बहाकर पिता को आश्वासन दिया होगा। उन्होंने पिता से कहा होगा कि आँखों से पानी न बहाये वहाँ (जेल) में भवानी अच्छा होगा।

(16) वह तुम्हारा मन समझकर, 

और अपनापन समझकर, 

गया है सो ठीक ही है, 

सह तुम्हारी लीक ही है।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जेल जाने के पश्चात् उनके माता-पिता द्वारा व्यक्त किये गये दुःख का वर्णन किया हैं।

व्याख्या: कवि कहता है, जब वह कारावास जाने की बात पर उनके पिता दुखी होते हैं, तब माता उन्हें आश्वासन देती हैं। माता स्वयं पुत्र के कारावास जाने से दु:खी है, | परन्तु वह पिता को समझाती हुई कहती है कि वह तुम्हारा मन की समझकर तथा | अपनापन समझकर जेल गया है, अतः उचित ही किया। उसने तुम्हारी ही परम्परा का निर्वाह किया है।

(17) पाँव जो पीछे हटाता, 

कोख को मेरी लजाता, 

इस तरह होओ न कच्चे

रे पड़ेगे और बच्चा,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से घर के मर्म का उद्घाटन किया हैं।

व्याख्या: कवि के कारावास जाने के पश्चात् पिता द्वारा आँसु बहाने पर कवि की माँ उन्हें आश्वासन देती हैं। वह कहती है कि अगर उनका बेटा कारावास जाने के इरादे से मुकर जाता तो इससे उनकी कोख ही लजा जाती। अर्थात् उनका जन्म देना व्यर्थ हो जाता। वह अपने पति अर्थात कवि के पिता से हृदय की दृढ़ करने की बात कहती है। क्योंकि अगर पिता ने स्वयं को दृढ़ नहीं किया तो उन्हें देखकर बाकी के बच्चे भी से पड़ेंगे।

(18) पिता जी ने कहा होगा,

हाय कितना सहा होगा, 

कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ, 

धीर मैं खोता, कहाँ हूँ,

संदर्भ: कवि के प्रवास के दौरान घर से विस्थापन की पीड़ा सालती है। वह अपने परिजनों का स्मरण करते हैं।

व्याख्या: कवि सोचता है, माता द्वारा समझाये जाने पर पिताजी ने अपने आप को दृढ़ करते हुए सारे दुखों को सहन करते हुए कहा होगा कि वह आँसु नहीं वह रहे हैं। वह धैर्य नहीं खो रहे हैं।

(19) हे सजीले हरे सावन, 

है कि मेरे पुण्य पावन, 

तुम बरस लो वे न बपसे 

पाँचवें को वे न तरसें।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने घर के मर्म का उद्घाटन किया है। 

व्याख्या: कवि जब कारावास में रह रहे थे, तब जब भी अपने माता-पिता के विषय मैं सोचते थे, तो वह भी उनके दुःख से दुखी हो जाते थे। कवि सजीलें हरे सावन को | आढावान करते हुए कहते हैं, आज तुम इतना बरसों की उनकी माता-पिता की आँखों से आँसु न बरसे। और वे अपनी पाँचवी संतान के लिए कभी भी न तरसे।

(20) मैं मजे में हूँ सही है, 

घर नहीं हूँ बस यही है, 

किंतु यह बस बड़ा बस है, 

इसी बस से सब विरस है,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने अपने घर से दूर रहने की पीड़ा को व्यक्त किया हैं। 

व्याख्या: कवि कारावास में रहने के दौरान अपने घर का स्मरण करते हैं। उनकी | स्मृति-संसार में उनके परिजन एक कर शामिल होते चले जाते हैं। कवि घर से दूर रहने की पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहता है कि भले ही मैं कारावास मैं मजे मे हूँ। भले ही यहाँ किसी प्रकार की तकलीफ नहीं हैं, कष्ट नहीं है, परन्तु यह घर नहीं है। यह सबसे बड़ा सच हैं।

(21) किन्तु उनसे यह न कहना, 

उन्हें देते धीर रहना, 

उन्हें कहता लिख रहा हूँ, 

उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जेल-प्रवास के दौरान उन्हें घर के परिजनों की याद आती है, उसी का वर्णन किया हैं।

व्याख्या: कवि कहता हैं, उसके जेल आने के बाद उनके माता-पिता बहुत ही दुख प्रकट कर रहे हैं। कवि सजीले हरे सावन से कहते हैं, वह उनके माता-पिता को आश्वासन दे। वह उन्हें धैर्य दे। कवि हरियाली सावन से अनुरोध करते हैं कि वह उनके माता-पिता को जाकर यह न बताये की कारावास में कवि दुखी हैं। वह माता पिता को जाकर यह बताये की कारावास में कवि लिख तथा पढ़ रहा है।

(22) काम करता हूँ कि कहना 

नाम करता हूँ कि कहना, 

चाहते हैं लोग कहना, 

मत करो कुछ शोक कहना

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सावन के माध्यम से अपने माता-पिता को धैर्य देने की बात कहते हैं।

व्याख्या: कवि कहता है उनके कारावास के दौरान उनके माता-पिता को बहुत दुख हुआ होगा। अतः वह सावन से अनुरोध करता है कि वह उनके माता-पिता को जाकर कहे कि कवि कारावास में काम कर रहे हैं, यहाँ नाम कर रहे हैं। यहाँ लोगों का प्यार मिल रहा हैं। कवि सावन से अनुरोध करते हैं, वह जाकर माता-पिता को धैर्य धारण करने को कहे।

(23) और कहना मस्त हूं मैं,

कातने में व्यस्त हूँ मैं, 

वजन सत्तर सेर मेरा,

और भोजन ढेर मेरा,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से घर से दूर कारावास में रहने वाले कवि अपने माता-पिता को आश्वासन देना चाहा हैं।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सावन से कहते हैं, वह जाकर माता-पिता को आश्वासन देते हुए कहे कि कारावास में कवि मस्त है। यहाँ वह सुत काटने में नहीं है। अतः उनका वतन सतर सेर हो गया है।

(24) कूदता हूँ, खेलता हूँ,

दुःख डट कर ठेलता हू, 

और कहना मस्त हूँ मैं,

यॉ न कहना अस्त वहूँ मैं

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने अपने माता-पिता को आश्वासन देना चाहा है।

व्याख्या: कवि कहता है, वह कारावास में खेलता है, कूदता है दुःख का डट कर मुकाबला कर रहा है। कवि अनुरोध करता है कि सावन उनके माता-पिता से यह न कहे कि वह अस्त हो रहे हैं, बल्कि यह कहें की वह यहाँ मस्त है।

(25) हाय रे ऐसा न कहना, 

है कि जो वैसा न कहना,

कह न देना जागता हूँ, 

आदमी से भागता हूँ,

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने अपने परिजनों को आश्वासन दिया है। 

व्याख्या: कवि सावन से अनुरोध करते हैं कि वह जाकर उनके परिजनों के समक्ष यथार्थ परिस्थिति के बारे में न बताये। कवि यह कहने से मना करते हैं कि कवि | कारावास में आदमी से भाग रहे हैं।

(26) कह न देना मौन हूँ मैं, 

खुद न समझें कौन हूँ मैं, 

देखना कुछ वक न देना 

उन्हें कोई शक न देना।

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने सावन से अनुरोध किया है कि वह उनके परिजनों को यथार्थ परिस्थिती को न बताये।

व्याख्या: कवि सावन से अनुरोध करते हैं, वह उनके परिजनों से यह न कहें कि कारावास में रहकर वह इतने मौन है कि अपनी पहचान तक भुलते जा रहे हैं। वे कहते हैं कि कुछ ऐसा मत बक देना जिससे उनके परिजनों को शक हो जाये।

(27) हे सजीले हरे सावन

हे कि मेरे पुण्य पावन

तुम बरस लो वे न बरसे

पाँचवें को वे न तरसें

संदर्भ: कवि प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से अपने परिजनों को आश्वासन देना चाहा है।

कवि सजीले सावन से अनुरोध करते हुए कहते हैं कि तुम इतना बरसों की उनकी आँखों से पानी न बहें। कवि कहते हैं कि कुछ इस तरह बरसों जिससे वह अपनी संतान के लिए न तरसें।

प्रश्नोत्तर

1. पानी के रातभर गिरने और प्राण मन के चिरन में परस्पर क्या संबंध हैं?

उत्तरः कवि को जेल प्रवास के दौरान घर से बिछड़ने का दुःख व्यथीत करता हैं। घर की याद आने से लगातार उनकी आँखों से पानी अर्थात् आँसु बह रहा है। आँसुओं के बहने से उनका मन प्राण दूषित हो गया हैं।

2. मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है?

उत्तर: कवि ने मायके आई बहन के लिए को परिताप का घर बताया है, क्योंकि घर के सभी सदस्य दुःखी है। माता-पिता अपनी पाँचवीं संतान के कारावास में होने के कारण आँसु बहा रहे हैं। मायके का परिवेश विषाद से भरा हुआ हैं। अतः विषादपूर्ण परिवेश होने के कारण मायके को परिताप का घर कहा हैं।

3. पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?

उत्तर: पिता के व्यक्तित्व को निम्न विशेषताओं को उकेरा गया हैं पिता बहुत ही उत्साही थे। उनके शरीर में एक क्षण के लिए भी बुढ़ापा नहीं व्यापा था। पिता अभी भी दौड़ सकते हैं, खिलाखिलाते हैं। वे मौत से आगे भी नहीं डरते हैं। वे बहुत ही साहसी हैं, सामने शेर भी आ जाएँ तो वह नहीं घबराते। उनके आवाज में बादल का सा गर्जन हैं, तथा काम से झंझा भी लजा जाता हैं।

4. निम्नलिखित पंक्तियों में बस शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।

मैं मजे में हूँ सही हैं।

घर नहीं हूँ बस यही हैं

किंतु यह बस बड़ा वस हैं, 

इसी बस से सब विरस हैं।

उत्तर: दुसरी पंक्ति में बस शब्द का प्रयोग विवशता के लिए किया गया हैं। तीसरी पंक्ति में बस शब्द का प्रयोग गाड़ी के अर्थ में प्रयोग किया गया हैं। चाये पंक्ति में बस शब्द का प्रयोग के अर्थ में हुआ है। इसका प्रयोग तुच्छार्थ हैं।

5. कविता की अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है।

उत्तर: जेल प्रवास के दौरान कवि की जो मनःस्थिति रही है, उसे अपने परिजनों से छिपाना चाहा हैं। कवि सावन से उनका संदेश उनके परिजनों तक पहुँचाने की बात करते हैं। वह कहते हैं कि हे सावन कुछ ऐसी वैसी बात न कहना। उन्हें जाकर यह बतानाकी जेल में जी तो रहा हूँ पर आदमी से भाग रहा हूँ। जेल में कवि इतने मौन है कि वह स्वयं को ही नहीं समझ पा रहे हैं। कवि सावन से कहता है कि कुछ ऐसा न कह देना कि उनके परिजनों को शक हो जाये। कवि और कहते हैं, सावन वहाँ जाकर इतना बरसे कि उनके परिजनों की आँखों से आँसु न बहें। और वे अपनी पाँचवीं संतान के लिए न तरसें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top