Class 11 Hindi Chapter 14 वे आँखें Question answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter AHSEC Class 11 Hindi Chapter 14 वे आँखें and select needs one.
SCERT Class 11 Hindi Chapter 14 वे आँखें
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वे आँखें
काब्य खंड
(1) अंधकार की गुहा सरीखी
उन आँखों से डरता है मन,
भरा दूर तक उनमें दारुण
दैन्य दुख का नीरव रोदन !
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ से ‘दो आखे’ कविता से संकलित की गई हैं।
व्याख्या: इसमें विकास की विरोधाभासी अवधारणाओं पर करारा प्रहार किया गया। हैं।
युगों से शोषण का शिकार किसान का जीवन कवि को आहत करता है। कवि इस बात से बहुत ही दुःखी है कि स्वाधीन भारत में भी किसानों को केन्द्र में रखकर व्यावस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया। कवि कहते हैं कि किसानों की आँखे अंधकार की गुहा सदृश हैं, जिनसे कवि का मन डरता है। उन आँखो को देखकर ऐसा लगता है कि उसमें दूर तक कठोरता ही भरा पड़ा है और उस कठोरता में छिपी है, दुख का नीरव क्रन्दन।
( 2 ) वह स्वाधीन किसान रहा,
अभिमान भरा आँखों में इसका,
छोड़ उसे मँझधार आज
संसार कगार सदृश बह खिसका !
संदर्भ: इसमें कवि ने युगों से शोषण के शिकार किसान के जीवन के प्रति दुख व्यक्त किया हैं।
व्याख्या: इसमें कवि कहते हैं कि स्वाधीन भारत में किसान भी स्वाधीन है। उनकी : आँखों में अभिमान भरा हुआ है। किसान जो सारे संसार के लिए अनाज पैदा करता है, परन्तु आज सारा संसार उसे किनारे छोड़कर आगे बढ़ गया है। आज किसान की दयनीय हालत के लिए कोई भी चिन्तित नहीं है।
( 3 ) लहराते वे खेत दृगों में
हुआ बेदखल वह अब जिनसे,
हँसती थी उसके जीवन की
हरियाली जिनके तृन-तृन से !
संदर्भ: कवि ने किसानों की दयनीय हालत पर दुख व्यक्त किया है।
व्याख्या: किसान जिनके खेतों में फसल लहराते थे, परन्तु आज किसान इनसे बेदखल हो चुका है। इन किसानों के लिए उनका खेत ही जीवन जीने का माध्यम था। इन फसलों के तृण-तृण से किसानों के जीवन की हरियाली हँसती थी। कहने का तात्पर्य है कि ये फसल ही किसानों के आनन्द का माध्यम थी।
(4) आँखो ही में घूमा करता
वह उसकी आँखों का तारा,
कारकुनों की लाठी से जो
गया जवानी ही में मारा !
संदर्भ: कवि ने किसानों की दयनीय हालत का वर्णन किया हैं
व्याख्या: कवि ने कहा है कि जो किसान सबको अनाज उपलब्ध करवाता है, पर उसी की हालत बहुत ही दयनीय हैं, उनकी आँखों के सामने उनकी आँखों का तारा | लहराते खेत ही घुमा करते हैं। किसानों को आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हैं और | उस पर जमीदारों के शोषण ने उन्हें जवानी में वृद्ध बना दिया।
(5) बिका दिया घर द्वार,
महाजन ने न व्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आँखों में चुभती वह
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
व्याख्या: किसान आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर है। अतः उन्हें महाजनों से कर्ज लेना पड़ता है और कर्ज चुकाने के लिए किसानों को अपना घर द्वार तक बेचना पड़ता हैं। महाजन भी इन किसानों का भरपूर शोषण करते हैं। किसानों से वे व्याज की एक कौड़ी तक नहीं छोड़ते हैं। कर्ज पर घ्याज इतना बढ़ जाता है कि किसानों को कर्ज चुकाने के लिए उन्हें अपने बैलों के जोड़े को नीलाम कर देना पड़ता हैं। रह-रह कर उनकी आँखों में बैल की जोड़ी चुभती रहती हैं।
(6) उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती
उजड़ गई जो सुख की खेती !
व्याख्या: उजरी गाय अपने दाता के सिवाय अन्य किसी को अपने पास आने तक | नहीं देती है। आज किसानों की खेती उनसे उजड़ या छिन चुकी हैं। आज किसानों के आँखों के समक्ष उनको हरी-भरी फसलों के दृश्य ही दिखाई देते है।
(7) बिना दवा दर्शन के घरनी
स्वरग चली, आँखें आती भर,
देख-रेख के बिना दुधमुंही
बिटिया दो दिन बाद मर गई !
संदर्भ: कवि ने किसानों की आर्थिक तंगी की ओर संकेत किया हैं। कवि कहते हैं कि किसानों की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय है कि दवा खरीदने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं है। अतः बिना दवा-दारु के किसान की पत्नी का | स्वर्गवास हो जाता है। इसे देख आँखे भर आती हैं और किसान पत्नी की मृत्यु के पश्चात् देख-रेख के अभाव के कारण दुधमुँही दो दिन की बेटी भी मर जाती हैं।
(8) घर में विधवा रही पतोहू,
लछमी थी, यद्यपि पति घातिन,
पकड़ मँगाया कोतवाल ने,
डुब कुएँ मे मरी एक दिन !
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से दुश्चक्रों में फँसे किसानों के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखों का वर्णन किया हैं।
व्याख्या: कवि कहता है कि किसान के घर में अब विधवा बहु है। वह पति घातिन थी, फिर भी वह लक्ष्मी थी। कोतवाल ने उस विधवा पर इतने शोषण किये कि वह भी कुएँ में डुबकर मरने के लिए बाध्य हो गयी।
(9) खैर, पैर की जूती, जोरु
न सही एक, दूसरी आती,
पर जवान लड़के की सुध कर
साँप लोटते, फटती छाती !
संदर्भ: कवि ने किसान के व्यक्तिगत एवं पारिवारिक दुखो का वर्णन किया हैं। किसान के घर जवान लड़का पत्नी को पैरो की जूती समझता है। एक पत्नी सहन न होने पर दूसरी औरत को घर ले आता है। पिता जवान लड़के का ख्याल कर कुछ नहीं बोलता है, सबकुछ सहन कर लेता है, परन्तु उसकी छाती में साँप लौटते हैं। उसको छाती फटने लगती है।
(10) पिछले सुख की स्मृति आँखों में
क्षण फर एक चमक है लाती,
तुरत शुन्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने किसानों की दयनीय हालत का वर्णन किया हैं।
व्याख्या: किसान अपेन पिछले जीवन के सुखद क्षणों को याद कर रहा है। पिछले जीवन की सुखद स्मृतियाँ याद आते ही उसकी आँखों में एक चमक सी आ जाती है। परन्तु कुछ ही क्षण बाद में वह सुखद स्मृतियाँ शून्य में विलिन होकर तीखी नोंक जैसी बन जाती है।
प्रश्नोत्तर
1. “अंधकार की गुहा सरीखी।
उन आँखों से डरता है मन।”
(क) आमतौर पर हमें डर किन बातों से लगता है?
उत्तर: अंधकार की गुहा समान किसानों की आँखों से डर लगता है।
(ख) उन आँखों से किसकी ओर संकेत किया गया है?
उत्तर: उन आँखों से किसानों की ओर संकेत किया गया है।
(ग) कवि को उन आँखों से डर क्यों लगता हैं?
उत्तर: कवि को उन आँखों से डर लगता है, क्योंकि उन आँखों में कठोरता भरा हुआ है। दुख का नीरव रोदन भरा हुआ है।
(घ) डरते हुए भी कवि ने उस किसान की आँखों की पीड़ा का वर्णन क्यों किया हैं?
उत्तर: कवि को किसानों की आँखों की पीड़ा आहत करती हैं। युग-युग से शोषण के शिकार किसान के जीवन पर कवि दुःख प्रकट करता है। अतः वह किसानों की पीड़ा का वर्णन कर रहा है।
(ङ) यदि कवि इन आँखों से नहीं डरता क्या तब भी वह कविता लिखता?
उत्तर: कवि किसानों की दयनीय हालत पर दुःख प्रकट करता है। वह समाज में शोषण के शिकार बने किसानों के जीवन से आहट हैं। अगर कवि किसानों की आँखों से नहीं डरता तो शायद यह कविता नहीं लिखता।
2. कविता में किसान की पीड़ा के लिए किन्हें जिम्मेदार बताया गया है?
उत्तर: कवि ने किसानों की पीड़ा के लिए समाज व्यवस्था को जिम्मेदार बताया है। समाज के जमींदार महाजन हमेशा किसानों का शोषण करते रहे हैं। यहाँ तक स्वाधीन भारत में भी किसानों को केंद्र में रखकर व्यवस्था ने निर्णायक हस्तक्षेप नहीं किया। किसानों को उचित मूल्य नहीं मिलता हैं, अत: उन्हें जीवन यापन करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है, और कर्ज चुकाने में उसका सारा जीवन चला जाता है, घर, गाय आदि वस्तुओं की गिरवी रखनी पड़ती हैं।
3. पिछले सुख की स्मृति आँखों में क्षणभर एक चमक है लाती- इसमें किसान के किन पिछले सुखों की और संकेत किया गया है?
उत्तर: किसान अपनी उसी पिछली स्मृतियों को याद करता है जब वह स्वाधीन था। उसकी आँखों में अभिमान भरा हुआ था। जब अपने सामने लहराते खेतों को देखते थे। इन खेतों से फसलों के कारण उनके जीवन की हरियाली हँसती थी।
4. संदर्भ सहित आशय स्पष्ट करें
(क) उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
उत्तर: यहाँ कवि ने किसान के घर की उजली गाय के बारे में कहा है। किसान के घर की उजली गाय का उसके प्रति इतना लगाव है, कि वह दूध दुहाने के लिए किसान के सिवाय अन्य किसी को पास तक आने नहीं देती हैं।
(ख) घर में विधवा रही पतोहू
लक्ष्मी थी, यद्यपि पति धातिन,
उत्तर: संदर्भ कवि ने किसानों की दयनीय हालत का वर्णन किया हैं। व्याख्या : कवि ने कहा है कि जो किसान सबको अनाज उपलब्ध करवाता हैं, पर उसी की हालत बहुत ही दयनीय हैं, उनकी आँखों के सामने उनकी आँखों का तारा लहराते खेत ही घुमा करते हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हैं और उस पर जमीदारों के शोषण ने उन्हें जवानी में वृद्ध बना दिया।
(ग) “पिछले सुख की स्मृति आखों में
क्षणभर एक चमक हैं लाती,
तुरंत शून्य में गड़ वह चितवन
तीखी नोक सदृश बन जाती।”
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने किसानों की दयनीय हालत का वर्णन किया हैं।
व्याख्या: किसान अपेन पिछले जीवन के सुखद क्षणों को याद कर रहा है। पिछले जीवन की सुखद स्मृतियाँ याद आते ही उसकी आँखों में एक चमक सी आ जाती है। परन्तु कुछ ही क्षण बाद में वह सुखद स्मृतियाँ शून्य में विलिन में होकर तीखी नोंक जैसी बन जाती है।