Class 11 Hindi Chapter 4 विदाई-संभाषण Question answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter AHSEC Class 11 Hindi Chapter 4 विदाई-संभाषण and select needs one.
SCERT Class 11 Hindi Chapter 4 विदाई-संभाषण
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विदाई-संभाषण
गद्य खंड
प्रश्नोत्तर
1. शिवशंभु की दो गायों की कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर: शिवशंभु के दो गायों के माध्यम से भारतीय के उदार तथा करुण प्रवृति की ओर संकेत किया है। भारत में बिछड़ने के समय उदास होने की प्रवृत्ति जहाँ मनुष्यों में देखी जाती है, वहीं इस देश के पशु-पक्षियों को भी बिछड़ने के समय उदास देखा जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा हैं कि शिवशंभु के दो गायें थी, एक बलवाली तथा दूसरी कमजोर बलवाली गाय कभी-कभी अपने सौंगों की टक्कर से कमजोर गाय को गिरा देती थी। एक दिन बलवाली गाय पुरोहित को दे दी गई। इस पर कमजोर गाय भी भूखी खड़ी रही चारा तक नहीं हुआ।
2. आठ करोड़ प्रजा गिड़गिड़ाकर विच्छेद ने करने की प्रार्थना पर आपने जाश भी ध्यान नहीं दिया- यहाँ किस ऐतिहासिक घटना की ओर संकेत किया गया।
उत्तर: यहाँ लेखक ने 16 अक्टूबर सन् 1905 में हुए बंग भंग की ओर संकेत किया हैं। लार्ड कर्जन भारतीयों लोगों में विभेद स्थापित करके उसके शक्ति को हास करना चाहता था। अत: कर्जन ने बंग का दो भागों में विभाजन कर दिया। और आठ करोड़ प्रजा के गिड़ गिड़ाकर विच्छेद न करने की प्रार्थना पर कर्जन ने जरा भी ध्यान नहीं दिया।
3. कर्जन को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ गया?
उत्तर: लार्ड कर्जन के इच्छित पद पर एक फौजी अफसर की नियुक्ति न हो सकी अतः कर्जन गुस्से में आकर इस्तीफ़ा दे दिया और वह इस्तीफ़ा मंजूर भी हो गया।
4. बिचारिए तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई। कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे। आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लेखक कर्जन को सम्बोधित करते हुए हैं कि इस देश में जो शान आपको मिला था, जो सम्मान आपको इस देश में मिला अब वह बिल्कुल नहीं हैं। लेखक कहते हैं दिल्ली दरबार में जो शान आपको मिली थी वह अलहदीन ने चिराग रगड़कर तथा अबुलहसन ने बगदाद की खलीफ़ा की गद्दी पर आँख खोलकर भी न देखी होगी। परन्तु इतना सम्मान तथा शान के बाद भी उन्होंने देश में अशान्ति फैलाया। न स्वयं खुश हो सके न प्रजा को सुखी होने दिया। जिससे ऊँचे होकर भी सिर के बल नीचे आ गिरे।
5. आपके और यहाँ के निवासियों के बीच कोई तीसरी शक्ति भी हैं- यहाँ तीसरी शक्ति किसे कहा गया हैं?
उत्तर: यहाँ तीसरी शक्ति ईश्वर को कहा गया है। ईश्वर निर्मित संसार में हर बातों का अंत निश्चित हैं। अतः इस दृष्टि से देखा जाए तो कर्जन के शासन काल का अंत भी निश्चित हैं। लार्ड कर्जन ने अपने शासन काल की अवधि में इस देश में इतना अशान्ति फैलाया कि देशवासियों की भलाई के लिए उनके शासन का अंत हो बहुत आवश्यक था। लेकिन कर्जन के शासन का अंत इतनी जल्दी होगी यह न तो कर्जन ने स्वयं सोचा था न ही देशवासियों ने। अतः लेखक कहते हैं इसमें निश्चित ही तीसरी शक्ति काम कर रही हैं। जिस पर न तो कर्ज़न का और न ही देशवासियों का काबू है।
लघू प्रश्न:
1. ‘विदाई-संभाषण’ के लेखक कौन हैं?
उत्तर: विदाई संभाषण के लेखक बालमुकुंद गुप्त है।
2. ‘विदाई संभाषण’ कहाँ से ली गई हैं?
उत्तर: विदाई संभाषण ‘शिवशंभु के चिट्टे’ का एक अंश हैं।
3. वायसराय कर्जन का शासनकाल कब से कब तक था?
उत्तर: उनका शासनकाल सन् 1899-1904 एवं 1904-1905 तक था।
4. प्रस्तुत पाठ में लेखक का उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर: लेखक ने इस पाठ में भारतीयों की बेबसी, दुःख एवं लाचारी को व्यंग्यात्मक ढंग से लार्ड कर्जन की लाचारी से जोड़ने की कोशिश की है।
5. शिवशंभु के दो गायों का उल्लेख लेखक ने क्यों किया है?
उत्तर: लेखक ने शिवशंभु के दो गायों के माध्यम से यह दिखाया है कि इस देश के पुश-पक्षी भी बिछड़ने के समय भी उदास होते हैं।
6. लार्ड कर्जन को क्यों इस्तीफ़ा देना पड़ा?
उत्तर: लार्ड कर्जन कौंसिल में मनपसंद अंग्रेज सदस्य नियुक्त न कर पाये और क्रोधित होकर इस्तीफा दे दिया।
व्याख्या:
1. बिछड़न-समय बड़ा करुणोत्पादक होता है। आपको बिछड़ते देखकर आज में हृदय में बड़ा दुःख है।
उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘आरोह’ के ‘विदाई संभाषण’ से ली गई हैं। इसके लेखक है बालमुकुंद गुप्त।
संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कर्जन के शासन में भारतीयों की स्थिति का खुलासा कर रहे हैं।
व्याख्या: लेखक कहते हैं कि बिछड़न समय बहुत ही करुणोत्पादक होता है। यह समय बहुत ही दुखदायी होता है। इस समय में मित्र या शत्रु सबके लिए एक कोमल भावना जन्म लेती है। लार्ड कर्जन जितना भी इस देश की प्रजा का शोषण क्यों न किया हो पर जब उसका बिछड़न या विदाई समय आया सारी प्रजा के हृदय में हर्ष की जगह विषाद की भावना उत्पन्न होती है।
2. क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है? क्या प्रजा की बात पर कभी कान न देना और उसको दबाकर उसकी मर्जी के विरुद्ध जिद्द से सब काम किए चले जाना ही शासन कहलाता है?
उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों में लार्ड कर्जन के मनमानी शासन व्यवस्था का खुलासा किया गया है।
लेखक आक्रोश भरे स्वर में कर्ज़न की भर्त्सना करता हैं। लार्ड कर्जन भारत को सुधारने के लिए जो योजनाएँ बनाये थे उन योजनाओं में से उन्होंने प्रजा के प्रति पूरा नहीं किया। एक शासक का उसके प्रजा के प्रति कुछ कर्तव्य होता है। और एक शासक होने के कारण कर्जन का यहाँ के देशावासियों के प्रति भी कुछ उत्तरदायित्व है। परन्तु उन्होंने हमेशा मनमाना शासन ही किया। अतः लेखक प्रश्न करते हैं, कि मनमानी हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनना ही क्या शासन है। क्या प्रजा की मर्जी के विरुद्ध जाकर सब काम करना ही शासन होता है।