NCERT Class 7 Hindi Chapter 20 विप्लव- गायन

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 20 विप्लव- गायन

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विप्लव- गायन

Chapter: 20

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न- 1. कवि और कविता का नाम लिखो।

उत्तर: कवि का नाम – बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’

कविता का नाम – विप्लव-गायन

2. कवि से कैसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है? 

उत्तर: कवि से ऐसी तान सुनाने के लिए कहा जा रहा है जिससे चारों ओर उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति का आगमन हो जाए।

3. कवि की वीणा में से कैसे स्वर निकल रहे हैं?

उत्तर: कवि की वीणा से चिनगारी जैसे क्रांतिकारी स्वर निकल रहे हैं।

4. कवि किनका पक्षधर है?

उत्तर: कवि शोषितों (किसान-मजदूरों) का पक्षधर है।

5. कवि की स्थिति क्या हो गई है?

उत्तर: कवि का कंठ रुक गया है और वह चाहकर भी मारक गीत नहीं लिख पा रहा है। अब उसके हृदय में शासन के प्रति क्रोध, आक्रोश और घृणा के भाव जाग गए हैं।

6. अब वह कैसे गीत लिखना चाह रहा है?

उत्तर: अब कवि क्रांति गीत लिखना चाह रहा है।

7. क्रांति गीत से क्या होगा?

उत्तर: इस क्रांति गीत से विद्रोह की ज्वाला भड़केगी। इसका प्रभाव व्यापक होगा।

8. कण-कण में कौन-सा स्वर व्याप्त है?

उत्तर: कण-कण में क्रांति के स्वर व्याप्त हैं।

9. कवि को जीवन का क्या राज़ समझ आ गया है?

उत्तर: कवि को जीवन का यह राज़ समझ में आ गया है कि क्रांति के बिना नव-निर्माण या परिवर्तन संभव नहीं है।

10. कवि को महानाश के पोषक सूत्र कहाँ दिखाई दिए?

उत्तर: कवि को महानाश के पोषक सूत्र भौंहों के एक इशारे में दिखाई दिए अर्थात् जब लोग अपनी भृकुटि टेढ़ी करते हैं। तब महानाश होता है।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए- 

1. यह कविता किस वाद से प्रभावित है?

(क) छायावाद।

(ख) प्रगतिवाद।

(ग) साम्यवाद।

(घ) प्रयोगवाद।

उत्तर: (ख) प्रगतिवाद।

2. ‘उथल-पुथल मचने’ से कवि का क्या आशय है?

(क) क्रांति का आगमन हो जाए।

(ख) समाज में परिवर्तन हो जाए।

(ग) विद्रोह हो जाए।

(घ) पानी बह जाए।

उत्तर: (क) क्रांति का आगमन हो जाएप।

3. ‘मिजरायें’ का अर्थ है-

(क) वीणा बजाने का छल्ला।

(ख) वीणा के तार।

(ग) वीणा के स्वर।

(घ) अँगुली।

उत्तर: (क) यौणा बजाने का छल्ला।

4. इस कविता के रचयिता है- 

(क) मैथिलीशरण गुप्त।

(ख) वालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’।

(ग) सुमित्रानंदन पंत।

(घ) मनोहर लाल।

उत्तर: (ख) वालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’।

5. आग कहाँ लगेगी? 

(क) लोगों में।

(ख) हृदय में।

(ग) शासन में।

(घ) कहीं नहीं।

उत्तर: (ख) हृदय में।

6. ‘दग्घ’ शब्द कैसा है?

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

7. कवि कैसा गीत नहीं लिख पा रहा है?

(क) मारक गीत।

(ख) रुद्ध गीत।

(ग) क्रांति गीत।

(घ) सामान्य गीत।

उत्तर: (क) मारक गीत।

7. यह काव्यांश किस कविता से लिया गया है?

(क) विप्लव से।

(ख) विप्लव-गायन से।

(ग) क्रांति गीत।

(घ) मारक गीत से।

उत्तर: (ख) विप्लव-गायन से।

8. ‘रोम-रोम’ में कौन-सा अलंकार है?

(क) अनुप्रास।

(ख) पुनरुक्ति।

(ग) यमक।

(घ) उपमा।

उत्तर: (ख) पुनरुक्ति।

2. ‘भ्रू’ शब्द कैसा है?

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

3. ‘कालकूट’ शब्द का अर्थ है-

(क) ज़हर।

(ख) अमृत।

(ग) दूध।

(घ) पानी।

उत्तर: (क) जहर।

4. इस कविता का मूल स्वर कैसा है?

(क) क्रांति का।

(ख) विद्रोह का।

(ग) परिवर्तन का।

(घ) इन सभी का।

उत्तर: (घ) इन सभी का।

प्रश्न-अभ्यास

>> कविता से

प्रश्न 1. ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ——— कालकूट फणि की चिंतामणि।’

(क) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान किसके लिए / किस भाव के लिए प्रयुक्त हुआ है?

उत्तर: वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान क्रांति के भाव के लिए प्रयुक्त है।

(ख) वही स्वर, वह ध्वनि एवं वही तान से संबंधित भाव का ‘रुद्ध गीत की क्रुद्ध तान है / निकली मेरी अंतरतम से’ – पंक्तियों से क्या कोई संबंध बनता है? 

उत्तर: हाँ, इनका आपस में संबंध बनता है। उसकी यह तान उसके हृदय की गहराइयों से निकली है।

प्रश्न 2. नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए- ‘सावधान! मेरी वीणा में ——— दोनों मेरी ऐंठी हैं।’

उत्तर: कवि सरस्वती के उपासकों का आह्वान करते हुए उनसे एक ऐसा गीत सुनाने का आग्रह करता है जिससे सब जगह उथल-पुथल मच जाए अर्थात् क्रांति आ जाए। उन्होंने अब तक मधुर गीत तो बहुत गा लिए, अब ऐसे गीत की आवश्यकता है। जिससे क्रांति की ज्वाला निकले। कवि देश के सभी भागों से विचारों और भावों की लहरें उठने की कामना करता है।

कवि शोषकों और दमन-चक्र चलाने वालों को सावधान करते हुए कहता है कि अब मेरी वीणा (कंठ रूपी वीणा) में स्वतंत्रता की चिनगारियाँ आ बैठी हैं अर्थात् क्रांति के स्वर उभर रहे हैं। अब उससे प्रेम और श्रृंगार के मधुर स्वर नहीं निकलेंगे। अब तो केवल क्रांति के स्वर गूँजेंगे। यदि वीणावादक की उँगलियाँ अकड़ जाएँ अर्थात् ऐंठ जाएँ तो मिजरावें टूट जाती हैं और तब अपेक्षित स्वर नहीं निकल पाते। कवि की भी यही स्थिति हो गई है। कवि के मन में भी क्रांति के स्वर उभर रहे हैं।

>> कविता से आगे

* स्वाधीनता संग्राम के दिनों में अनेक कवियों ने स्वाधीनता को मुखर करनेवाली ओजपूर्ण कविताएँ लिखीं। माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त और सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की ऐसी कविताओं की चार-चार पंक्तियाँ इकट्ठा कीजिए जिनमें स्वाधीनता के भाव ओज से मुखर हुए हैं।

* माखनलाल चतुर्वेदी की कविता 

मुझे तोड़ लेना वनमाली, 

उस पथ में देना तुम फेंक, 

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, 

जिस पथ जावें वीर अनेक।

X        X       X       X

जिनके मस्तक पर मातृभूमि का रस बरसे 

जिनकी रग-रग में दूध भरा हो माता का। 

सागर की बाँहे मिलनोत्सुका प्रचंड बढ़ी 

सूरज पूरब का टीका बना विधाता का। 

उनकी सत्याग्रह-भरी विजय का बल जानो। 

उनकी अजेय अनुराग-शक्ति को पहचानो ।

* सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की एक कविता 

बाधाएँ आएँ तन पर, 

देखूँ तुझे नयन मन भर, 

मुझे देख तू सजल दृगों से 

अपलक, उर के शतदल पर; 

क्लेद-युक्त, अपना तन दूँगा, 

मुक्त करूँगा तुझे अटल, 

तेरे चरणों पर देकर बलि, 

सकल श्रेय-श्रम संचित फल।

>> अनुमान और कल्पना

कविता के मूल भाव को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इसका शीर्षक ‘विप्लव-गायन’ क्यों रखा गया होगा?

* इस कविता का शीर्षक ‘विप्लव-गायन’ इसलिए रखा गया होगा क्योंकि इसमें विप्लव अर्थात् क्रांति लाने की बात कही गई है। कवि अपने गीत-संगीत के माध्यम से ऐसी तान छेड़ने का आह्वान करता है जिससे विप्लव आ जाए। कवि क्रांति के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना चाहता है। यह क्रांति एक विप्लव के समान होगी। इसीलिए उसने अपनी इस कविता का नाम रखा है- ‘विप्लव गायन।’

>> भाषा की बात

1. कविता में दो शब्दों के मध्य (-) का प्रयोग किया जाता है, जैसे- ‘जिससे उथल-पुथल मच जाए’ एवं ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर’। इन पंक्तियों को पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कवि ऐसा प्रयोग क्यों करते हैं।

* कवि ऐसा प्रयोग दो कारणों से करते हैं: 

– शब्द की पुनरुक्ति करके चमत्कार उत्पन्न करने के लिए, जैसे- रोम-रोम गाता है। 

समानार्थक तुकांत शब्द प्रयोग करके बलाघात के लिए; जैसे- जिससे उथल-पुथल मच जाए।

क्षुब्ध-युद्ध होता है।

2. कविता में (, – ।) आदि जैसे विराम-चिह्नों का उपयोग रुकने, आगे बढ़ने अथवा किसी खास भाव को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। कविता पढ़ने में इन विराम-चिह्नों का प्रभावी प्रयोग करते हुए काव्य पाठ कीजिए। गद्य में आमतौर पर ‘है’ शब्द का प्रयोग वाक्य के अंत में किया जाता है, जैसे-देशराज जाता है।

अब कविता की निम्न पंक्तियों को देखिए- 

‘कण-कण में है व्याप्त ………. वही तान गाती रहती है। ‘

इन पंक्तियों में ‘है’ शब्द का प्रयोग अलग-अलग जगहों पर किया गया है। कविता में अगर आपको ऐसे अन्य प्रयोग मिलें तो उन्हें छाँटकर लिखिए।

* कंठ रुका है महानाश का, मारक गीत रुद्ध होता है

+          +           +         + 

टूटी हैं मिज़राबें

+       +         +          + 

रोम-रोम गाता है वह ध्वनि।

3. निम्न पंक्तियों को ध्यान से देखिए:

‘कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ ——— एक हिलोर उधर से आए’

इन पंक्तियों के अंत में आए, जाए जैसे तुक मिलानेवाले शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसे तुकबंदी या अंत्यानुप्रास कहते हैं। कविता से तुकबंदी के और शब्द / पद छाँटकर लिखिए। तुकबंदी के इन छाँटे गए शब्दों से अपनी कविता बनाने की कोशिश कीजिए / कविता पढ़िए।

* तुकबंदी वाले शब्द/पद 

– बैठी हैं – ऐंठी हैं

– गाती – रहती 

– क्रुद्ध – युद्ध

कविता- देखो यह लड़की बैठी है।

वह गुस्से में ऐंठी है॥ 

वह एक गीत गाती है। 

उसी में वह डूबी रहती है॥ 

कभी-कभी वह होती क्रुद्ध। 

और छेड़ देती है युद्धः॥

कुछ करने को: 

एक फोल्डर तैयार कीजिए। इसमें दस प्रमुख क्रांतिकारियों के सचित्र विवरण तैयार करके लगाइए। इन क्रांतिकारियों में शामिल किया जा सकता है-

भगत सिंहराजगुरु 
सुखदेव अश्फाकउल्ला यो
सुभाषचंद्र बोसलाला लाजपतराय
चंद्रशेखर आजादबटुकेश्वर दत्त
गणेशशंकर विद्यार्थीराजेन्द्र ताहिदी

परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘विप्लव-गायन’ कविता के रचयिता कौन हैं? 

(क) रामधारी सिंह ‘दिनकर’।

(ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’।

(ग) शिव मंगल सिंह ‘सुमन’।

(घ) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना।

उत्तर: (ख) बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’।

2. कवि अपनी कविता के माध्यम से आह्वान कर रहा है:

(क) स्वतंत्रता सेनानियों से।

(ख) देशवासियों से।

(ग) नवयुवकों से।

(घ) सेना से।

उत्तर: (ग) नवयुवकों से।

3. ‘उथल-पुथल मचने’ से कवि का क्या अभिप्राय है?

(क) विद्रोह का होना।

(ख) क्रांति का आगमन होना।

(ग) आँधी का आना।

(घ) समाज में परिवर्तन का होना। 

उत्तर: (ख) क्रांति का आगमन होना।

4. कवि देशवासियों को कैसी तान सुनाना चाहता है?

(क) प्राचीन परंपराओं को समाप्त करने की।

(ख) परिवर्तन एवं नवनिर्माण करने की।

(ग) बदलाव की।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

5. कवि कैसा गीत नहीं लिख पा रहा है?

(क) रुद्र गीत।

(ख) क्रांति गीत।

(ग) मारक गीत।

(घ) प्रेम गीत।

उत्तर: (ग) मारक गीत।

6. कवि की वीणा में कैसी चिंगारियाँ आ बैठी हैं?

(क) शांति की।

(ख) भ्रांति की।

(ग) क्रांति की।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (ग) क्रांति की।

7. यह गीत कैसा गीत है?

(क) वीरतापूर्ण।

(ख) ओजस्वी।

(ग) रौद्र।

(घ) हास्य।

उत्तर: (ख) ओजस्वी।

8. ‘ऐंठी अँगुलियों’ के माध्यम से कवि किस बारे में बताना चाहता है?

(क) अंतर्मन की खुशी के बारे में।

(ख) अपाहिज होने के बारे में।

(ग) अत्यधिक कष्ट की अनुभूति के बारे में।

(घ) शरीर में आए बदलाव के बारे में।

उत्तर: (ग) अत्यधिक कष्ट की अनुभूति के बारे में।

9. ‘कंठ रुका है महानाश का / मारक गीत रुद्ध होता है’ का भाव क्या है?

(क) महानाश ने गीत को रुद्ध कर दिया है।

(ख) गीत में मारक क्षमता होती है।

(ग) महानाश का कंठ रुकने से गीत बंद हो गया है।

(घ) परिवर्तन की माँग को तेज़ी से दबाया जाता है।

उत्तर: (घ) परिवर्तन की माँग को तेज़ी से दबाया जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कवि क्या चाहता है?

उत्तर: कवि क्रांति लाना चाहता है।

प्रश्न 2. कवि कैसी तान सुनना चाहता है?

उत्तर: जिस तान को सुनकर उथल-पुथल मच जाए।

प्रश्न 3. कवि के हृदय से कैसी तान निकली है?

उत्तर: कवि के हृदय से क्रुद्ध तान निकली है।

प्रश्न 4. कैसा गीत समाज में क्रांति ला सकता है?

उत्तर: महानाश का मारक गीत समाज में क्रांति ला सकता है। 

प्रश्न 5. विप्लव-गायन कैसी कविता है?

उत्तर: ‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है। 

प्रश्न 6. कवि संघर्ष करके क्या करना चाहता है?

उत्तर: कवि संघर्ष करके नया सृजन (निर्माण) करना चाहता है।

प्रश्न 7. कवि के कंठ से निकले गीत का क्या प्रभाव पड़ेगा?

उत्तर: कवि के कंठ से निकले गीत से जीर्ण-शीर्ण विचारधाराओं और रुढ़िवादी विचारों का नाश हो जाएगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कवि ने यह विप्लव गीत क्यों लिखा होगा?

उत्तर: कवि अपने गीत के माध्यम से समाज में क्रांति के लिए चेतना जगाना चाहता था। अतः उसने विप्लव गीत लिखा।

प्रश्न 2. ‘विप्लव-गायन’ का प्रतिपाद्य लिखो।

उत्तर: ‘विप्लव-गायन’ जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता की कविता है। विकास और गतिशीलता को अवरुद्ध करनेवाली प्रवृत्ति से संघर्ष करके कवि नया सृजन करना चाहता है। इसलिए कवि विप्लव के माध्यम से परिवर्तन की हिलोर लाना चाहता है।

प्रश्न 3. कविता में कालकूट फणि की चिंतामणि शब्दों का अर्थ क्या है?

उत्तर: विष से परिपूर्ण शेषनाग को अपनी सबसे प्रिय मणि की चिंता हरदम रहती है, वैसे ही कवि चाहता है कि प्रत्येक मनुष्य के मन में नवनिर्माण की चिंता जागृत कर सके।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. कवि के अनुसार जीवन का रहस्य क्या है?

उत्तर: कवि के अनुसार, कवि विप्लव के माध्यम से परिवर्तन की हिलोर लाना चाहता है। इस कविता का भाव और जीवन का रहस्य है: विकास और गतिशीलता में रुकावट पैदा करने वाली प्रवृत्ति से संघर्ष करके नया निर्माण करना। नव-निर्माण के लिए कवि विध्वंस और महानाश को आवश्यक मानता है। यह विनाश सदियों से चली आ रही रुढ़िवादी मानसिकता, जड़ता तथा अंधविश्वास को काटकर दूर फेंक देगा। सारी रुकावट समाप्त कर नए सृजन तथा नए राष्ट्र के निर्माण का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके लिए कवि द्वारा एक क्रांति की चिंगारी जलाने की जरूरत है। 

प्रश्न 2. कविता ‘विप्लव-गायन’ का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: प्रस्तुत कविता जड़ता के विरुद्ध विकास एवं गतिशीलता का उद्घोष करती है। इसमें कवि एक ऐसी तान (स्वर) सुनाना चाहता है, जिससे संपूर्ण सृष्टि झंकृत हो जाए। सब कुछ उथल-पुथल हो जाए। एक लहर इधर से और दूसरी लहर उधर से आकर एक तूफान खड़ा कर दे। प्रकृति में तूफान छिपा है। इसकी वीणा धधक रही है। इसकी तारें टूट गई हैं और उँगलियाँ ऐंठ रही हैं। महानाश के मारक गीत से उसका गला अवरुद्ध हो रहा है। उसके हृदय में एक अजीब कोलाहल मचा है। चारों तरफ सब कुछ सुलग रहा है। धधकती भावनाओं से अवरुद्ध अंतर से एक भयानक स्वर निकलने को आतुर है। हर कण में वही तूफानी झंझावात छिपा है। रोम-रोम उसी ध्वनि से झंकृत हो रहा है। महाकाल का विषैला चिंतामणि टूट पड़ने को आतुर है। कवि ने जीवन के संपूर्ण सत्य को पहचान लिया है और इसकी दिग्भ्रमित विलासिता से इस सृष्टि को बचाना चाहता है। इसीलिए एक महानाश या प्रलय की कल्पना करता है, जिसके बाद एक नई सृष्टि जन्म ले सके।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न: क्या आप क्रांति के समर्थक हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: हम क्रांति के समर्थक तभी तक हैं जब तक उसकी आवश्यकता बनी हुई है। जब क्रांति का लक्ष्य पूरा हो जाए तब फिर क्रांति क्यों? क्रांति समाज में व्याप्त रूढ़ियों एवं शोषण को समाप्त करने का सशक्त माध्यम है। उस समय क्रांति की आवश्यकता होती है। हम ऐसी क्रांति का समर्थन करते हैं।

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