NCERT Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 19 आश्रम का अनुमानित व्यय

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आश्रम का अनुमानित व्यय

Chapter: 19

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न 1. आरंभ में आश्रम में कितने लोगों की व्यवस्था की गई? 

उत्तर: आरंभ में आश्रम में 40 लोगों की व्यवस्था की गई।

2. हर महीने कितने अतिथियों के आने की संभावना जताई गई?

उत्तर: हर महीने औसतन 10 अतिथियों के आने की संभावना जताई गई।

3. किस प्रकार की व्यवस्था होने की बात सोची गई?

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उत्तर: अतिथियों में 3 या 5 सपरिवार अलग रखने की तथा शेष के एक साथ रहने की संभावना जताई गई।

4. किसे क्या बात मालूम हुई?

उत्तर: मोहनदास कर्मचंद गाँधी को यह बात मालूम हुई कि प्रमुख लोगों की यह इच्छा है कि अहमदाबाद में आश्रम स्थापित कर चलाने का प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए।

5. किसकी, क्या माँग थी?

उत्तर: गाँधी जी की माँग तो यह भी थी कि यदि अहमदाबाद की पूरी जमीन और मकान आदि दे दे तो वे बाकी खर्च कहीं और से जुटा लेंगे।

6. विचार बदलने पर क्या लगता है?

उत्तर: विचार बदलने पर ऐसा लगता है कि वर्ष या इससे कुछ कम दिनों का खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए। 

7. इस विवरण में क्या संभव है?

उत्तर: खर्च के इस विवरण में यह संभव है कि कुछ मदें उनसे छूट गई हों। उन्हें खाने के खर्च के अलावा स्थानीय स्थितियों की भी जानकारी नहीं है। अतः अनुमान में भूल संभव है।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए-

1. कुछ समय बाद कितनी संख्या होने की संभावना थी?

(क) 30

(ख) 40

(ग) 50

(घ) 60

उत्तर: (ग) 50

2. सपरिवार रहने वाले कितने अतिथि होंगे?

(क) 2

(ख) 3

(ग) 5

(घ) 3 से 5

उत्तर: (घ) 3 से 5

3. प्रमुख लोगों की क्या इच्छा थी?

(क) अहमदाबाद में यह प्रयोग नहीं किया जाए।

(ख) अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए।

(ग) अहमदाबाद जमीन और मकान दे दे।

(घ) पूरा खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए।

उत्तर: (ख) अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए।

2. यदि अहमदाबाद एक वर्ष का खर्च उठाने को तैयार न हो तब क्या होगा?

(क) गाँधी जी खाने का इंतजाम कर सकते हैं।

(ख) रहने का इंतजाम लोगों की स्वयं करना होगा।

(ग) स्थानीय स्थितियों को जानकारी ली जाएगी।

(घ) पूरा खर्च गांधी जो उठाएंगे।

उत्तर: (क) गाँधी जी खाने का इंतज़ाम कर सकते हैं।

प्रश्न-अभ्यास

>> लेखा-जोखा

प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गाँधी जी छेनी, हथौड़े, बसूले क्यों खरीदना चाहते होंगे?

उत्तर: यह सही है कि हमारे यहाँ लोग काम खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से काम करवाना पसंद करते हैं और उनके पास अपने औज़ार होते हैं। गाँधी जी आश्रम के लिए छेनी, हथौड़े, बसूले इसलिए खरीदना चाहते थे ताकि आश्रम के लोग अपने हाथों से काम कर सकें। वे आश्रम में रहने वाले लोगों को काम करने के लिए प्रेरित करना चाहते थे। वे आश्रम को स्वावलंबी बनाना चाहते थे। वे कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना चाहते थे।

प्रश्न 2. गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे गाँधी जी की हिसाब-किताब में चुस्ती का पता चलता है।

उत्तर: गाँधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस, कई संस्थाओं (खादी ग्रामोद्योग आदि) तथा आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया। वे हिसाब-किताब रखने में प्रारंभ से ही चुस्त थे। इंग्लैंड में भी पढ़ाई के दौरान वे पाई-पाई का हिसाब रखते थे और प्रतिदिन अपनी रोकड़ मिला लेते थे। इसका उनकी आत्मकथा में भी उल्लेख है। वे इसी आदत के कारण सभी आंदोलनों को सफलतापूर्वक चला पाए, उन्हें कभी पैसे की कमी नहीं हुई।

प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहोगे? किन नए मदों को जोड़ना – हटाना चाहोगे?

उत्तर: यदि हमें बाल-आश्रम खोलना है तो हमें निम्नलिखित मदों पर खर्च करना पड़ेगा-

(100 बालकों का आश्रम)

– ज़मीन एवं मकानों की व्यवस्था पर: 10 लाख रुपये।

– बालकों के वस्त्रों पर खर्च: एक लाख रुपये।

– बच्चों के बिस्तरों पर खर्च: 50 हज़ार रुपये।

– बच्चों की पुस्तकों पर खर्च: 50 हज़ार रुपये।

– बच्चों के खाने पर खर्च: 50 हज़ार रुपये मासिक।

– नौकरों के वेतन पर खर्च: 35 हजार रुपया मासिक।

(2 आया, 2 रसोइए, 1 चपरासी, 1 चौकीदार, 1 सफाई कर्मचारी)।

प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनने का काम) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाए। कौन-से कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए जिन्हें आप सीखकर ही दम लेंगे।

उत्तर: वे काम जिन्हें हम चाहकर भी नहीं सीख पाए-

कार्यकारण
– खाना बनाने का कामकिसी ने हाथ नहीं लगाने दिया।
– सिलाई करने का कामसिखाने वाला नहीं मिला। 
– पढ़ाने का कामस्वयं ज्यादा न पढ़ सके।

• पर मैं इन कामों के सीखने में पूरी तरह लगा हुआ हूँ। मैं इन कामों को सीखकर ही दम लूँगा।

• मैं इन कामों को सिखाने वाले प्रशिक्षक की तलाश में हूँ। मैं अपने प्रयास में अवश्य सफल रहूँगा।

प्रश्न 5. इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं?

उत्तर: इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने पर आश्रम के उद्देश्यों एवं कार्यप्रणाली के बारे में निम्नलिखित अनुमान लगाए जा सकते हैं-

उद्देश्य : – स्वावलंबन की भावना उत्पन्न करना। 

– श्रम के प्रति सम्मान का भाव जगाना। 

– सादा जीवन: उच्च विचार। 

– कृषि कार्य में दक्षता लाना। 

– सहयोग की भावना को बढ़ावा देना।

कार्यप्रणाली: आश्रम की कार्यप्रणाली के बारे में कहा जा सकता है कि यह आपसी सहयोग पर चलेगी। यहाँ रहकर सभी हाथ से काम करेंगे। यहाँ का जीवन सरल एवं प्राकृतिक होगा। यहाँ श्रम का सम्मान किया जाएगा।

>> भाषा की बात

1. अनुमानित शब्द अनुमान में ‘इत’ प्रत्यय जोड़ कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

प्रमाणितव्यथितद्रवितमुखरित
झंकृतशिक्षितमोहितचर्चित

इत प्रत्यय की भाँति हक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे- सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

मौखिकसंवैधानिकप्राथमिक
नैतिकपौराणिकदैनिक

प्रमाणित: प्रमाण + इत।

व्यथित: व्यथा + इत।

द्रवित: द्रव + इत।

मुखरित: मुखर + इत।

झकृत: झकर + इत।

शिक्षित: शिक्षा + इत

मोहित: मोह + इत।

चर्चित: चर्चा + इत।

वैज्ञानिक: विज्ञान + इक।

ऐतिहासिक: इतिहास + इक।

भौगोलिक: भूगोल + इक।

2. बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी-ये शब्द दो शब्दों को जोड़ कर बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?

उत्तर: रसोईघर: रसोई के लिए घर

घुड़सवार: घोड़े पर सवार

मार्गव्यय: मार्ग के लिए व्यय

राष्ट्रपति: राष्ट्र का पति

देशनिकाला: देश से निकाला

तुलसीकृत: तुलसी द्वारा कृत

– इनमें मोटे छपे शब्द (दूसरा पद) प्रमुख हैं।

कुछ करने को: 

– गाँधी जी द्वारा बताए गए औजारों में से किन्हीं पाँच के चित्र बनाइए।

• छैनी।

• सालनी।

• केतियाँ।

• बेधनी।

• सँडसी।

• हथौड़ी।

महात्मागांधी के बारे में पाँच वाक्य लिखिए।

परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. गाँधीजी क्या बना रहे थे?

(क) आश्रम।

(ख) अहमदाबाद के आश्रम का होने वाला खर्च का ब्यौरा।

(ग) अंग्रेजों के विरुद्ध योजनाएँ।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (ख) अहमदाबाद के आश्रम का होने वाला खर्च का ब्यौरा।

2. कुछ समय बाद आगंतुकों की संख्या आश्रम में कितनी होने वाली थी?

(क) 30 

(ख) 40

(ग) 50

(घ) 60 

उत्तर: (ग) 50

3. सपरिवार रहने वाले अतिथि की संख्या आश्रम में कितनी होगी? 

(क) 2

(ख) 3

(ग) 5

(घ) 3 से 5

उत्तर: (घ) 3 से 5

4. आश्रम में कितनी पुस्तकें रखने की बात हो रही थी?

(क) 1000

(ख) 1500

(ग) 2000

(घ) 3000

उत्तर: (घ) 3000

5. स्टेशन से अतिथि और सामान को लाने के लिए किस साधन का प्रयोग करने की बात हो रही थी? 

(क) कार।

(ख) ऑटो रिक्शा।

(ग) बैलगाड़ी।

(घ) रिक्शा।

उत्तर: (ख) ऑटो रिक्शा।

6. आश्रम में औज़ारों की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही थी? 

(क) ताकि लोग आत्मनिर्भर बनें।

(ख) ताकि लोग काम करना सीखें।

(ग) ताकि आश्रम के छोटे-मोटे काम स्वयं करें।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (ग) ताकि आश्रम के छोटे-मोटे काम स्वयं करें।

7. आश्रम में हर महीने कितने अतिथियों के आने की संभावना थी? 

(क) 5

(ख) 8

(ग) 10 

(घ) 12

उत्तर: (ग) 10

8. आश्रम में कितने रसोईघर बनाने का लेखा-जोखा था?

(क) 2

(ख) 3

(ग) 4

(घ) 5

उत्तर: (ग) 4

9. यह प्रयोग कहाँ के आश्रम में किया जाना था?

(क) साबरमती। 

(ख) काठियावाड़।

(ग) पोरबंदर।

(घ) अहमदाबाद।

उत्तर: (घ) अहमदाबाद।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गाँधी जी अहमदाबाद में कौन-सा आश्रम स्थापित कर रहे थे?

उत्तर: वे अहमदाबाद में साबरमती आश्रम स्थापित कर रहे थे। 

प्रश्न 2. आश्रम में कितने रसोईघर बनाने की सोची गई?

उत्तर: तीन रसोईघर।

प्रश्न 3. पुस्तकालय में कितनी पुस्तकें रखी जातीं थीं?

उत्तर: तीन हजार पुस्तकें पुस्तकालय में रखी जाती थीं।

प्रश्न 4. स्टेशन से मेहमानों को कैसे लाया जाएगा?

उत्तर: बैलगाड़ी द्वारा।

प्रश्न 5. शिक्षण के सामान में कितने हथकरघों की आवश्यकता होगी?

उत्तर: पाँच-छह देशी हथकरघों की आवश्यकता होगी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आश्रम कहाँ स्थापित होने वाला था? इस आश्रम का नाम बताओ।

उत्तर: यह आश्रम गुजरात के अहमदाबाद में स्थापित होने वाला था। यह साबरमती आश्रम था। 

प्रश्न 2. इस आश्रम में आरंभ में कितने व्यक्तियों के रहने की संभावना थी और बाद में कितने? 

उत्तर: इस आश्रम में आरंभ में चालीस व्यक्तियों के रहने की संभावना थी। बाद में इनकी संख्या 50 होने वाली थी। 

प्रश्न 3. आश्रम में गाँधी जी इतने सारे औज़ारों को एकत्रित करना क्यों चाह रहे थे?

उत्तर: गाँधी जी आश्रम की पाँच एकड़ जमीन पर खेती कराना चाहते थे। इसके साथ-साथ वे अनेक प्रकार की दस्तकारियाँ वहाँ चलाना चाहते थे। इन सभी कामों के लिए काफी संख्या में औजारों की आवश्यकता पड़ने वाली थी।

प्रश्न 4. गाँधी जी को आश्रम के लिए कितने स्थान की ज़रूरत थी और क्यों?

उत्तर: साबरमती आश्रम में लगभग 40-50 लोगों के रहने, इनमें हर महीने दस अतिथियों के आने की संभावना, जिनमें तीन या पाँच सपरिवार आने की उम्मीद थी। अतः आश्रम में तीन रसोईघर तथा रहने के मकान के लिए 50,000 फुट क्षेत्रफल में बने मकान की आवश्यकता थी। इसके अलावा खेती के लिए पाँच एकड़ जमीन की ज़रूरत थी, क्योंकि इतने लोगों के भोजन का सामान खरीदना कठिन था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. गाँधी जी ने आश्रम के अनुमानित खर्च का ब्यौरा क्यों तैयार किया?

उत्तर: गाँधी जी द्वारा लिखे गए पाठ ‘आश्रम का अनुमानित व्यय’ से हमें सीख मिलती है कि यदि हम कोई भी कार्य करना चाहें तो सोच-समझकर पहले ब्यौरा बना लेना चाहिए ताकि उसके अनुमानित खर्च को भी जाना जा सके तथा इस हिसाब से आगे बढ़ने का रास्ता भी साफ दिखाई देने लगता है है। गाँधी जी एक ऐसे आश्रम की स्थापना कर रहे थे। इसके लिए स्थान की जरूरत थी, आवश्यक वस्तुओं, पुस्तकों, भोजन की व्यवस्था करने की जरूरत थी। वहाँ सत्याग्रह तथा स्वदेशी आंदोलन की योजनाएँ तैयार करनी थीं। वह आश्रम एक दो दिन के लिए नहीं, लंबे समय के लिए बनाया जा रहा था। अतः स्थायी व्यवस्था के लिए गाँधी जी ने खर्च का लेखा-जोखा तैयार किया।

मूल्यपटक प्रश्न

प्रश्न: आपकी दृष्टि से क्या गाँधी जी का आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था?

उत्तर: हाँ, हमारे विचार से गाँधीजी का आश्रम संबंधी दृष्टिकोण व्यावहारिक था। वे स्वावलंबन पर जोर देते थे अतः खर्च को न्यूनतम बताने का प्रयास किया गया है। ऐसा उन्होंने संभव कर दिखाया था।

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