NCERT Class 7 Hindi Chapter 14 खान-पान की बदलती तसवीर

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 14 खान-पान की बदलती तसवीर

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खान-पान की बदलती तसवीर

Chapter: 14

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न – 1. इस गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम बताइए।

उत्तर: इस गद्यांश के पाठ का नाम है- खान-पान की बदलती हुई तस्वीर।

लेखक का नाम- प्रयाग शुक्ल।

2. खान-पान के बारे में क्या बताया गया है?

उत्तर: खान-पान के बारे में यह बताया गया है कि पिछले 10-15 वर्षों में हमारी खान-पान की संस्कृति में बहुत बड़ा बदलाव आया है।

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3. दक्षिण भारत के व्यंजन कौन-कौन से हैं?

उत्तर: दक्षिण भारत के व्यंजन हैं-इडली, डोसा, बड़ा-साँभर, रसम।

4. उत्तर भारतीय भोजन में क्या-क्या होता है?

उत्तर: उत्तर भारतीय व्यंजन हैं-रोटी-दाल-सब्जी-चावल।

5. फास्ट फूड में क्या-क्या चीजें शामिल हैं?

उत्तर: फास्ट फूड में ये चीजें शामिल हैं-नूडल्स, बर्गर।

6. खान-पान की बदली संस्कृति का अधिक प्रभाव किस पर पड़ा है?

उत्तर: खान-पान की बदली हुई संस्कृति का सबसे अधिक प्रभाव नई पीढ़ी पर पड़ा है। यह स्थानीय व्यंजनों के बारे में बहुत कम जानती है।

7. स्थानीय व्यंजनों की क्या दशा है? 

उत्तर: स्थानीय व्यंजन घटकर कुछ चीजों तक ही सीमित रह गए हैं। लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं।

8. इस गद्यांश में किन-किन स्थानीय व्यंजनों का उल्लेख हुआ है?

उत्तर: इस गद्यांश में निम्नलिखित स्थानीय व्यंजनों के नाम आए हैं-

– मुंबई की पाव-भाजी

– दिल्ली के छोले-कुल्चे

– मथुरा के पेड़े

– आगरा का पेठा-नमकीन।

9. अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन क्यों नहीं बन पाते?

उत्तर: अब घरों में मौसम और ऋतुओं के अनुसार व्यंजन इसलिए नहीं बन पाते क्योंकि अब उन्हें इनको बनाने की फुरसत नहीं है। काम-काजी महिलाओं के लिए सामान तैयार करना और व्यंजन बनाना कठिन है।

10. खान-पान की नई संस्कृति का क्या लाभ है?

उत्तर: खान-पान की नई संस्कृति का यह लाभ है कि इससे राष्ट्रीय एकता की भावना पनपती है। खान-पान की चीजों के अलावा अन्य बातों की ओर भी हमारा ध्यान जाएगा।

11. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों ज़रूरी है?

उत्तर: स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इनका प्रचलन निरंतर घटता चला जा रहा है। इनको जानना और अपनाना आवश्यक हो गया है।

12. क्या-क्या चीजें घरों-बाज़ारों से गायब हो रही हैं?

उत्तर: ये चीजें घरों और बाज़ारों से गायब हो रही हैं-पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ-जलेबियाँ, मौसमी सब्ज़ी से भरे समोसे।

13. किन चीज़ों को होटलों पर नहीं छोड़ देना चाहिए?

उत्तर: स्थानीय व्यंजनों को ‘एथनिक’ के नाम पर पाँच सितारा होटलों के ऊपर नहीं छोड़ देना चाहिए।

14. क्या बात अचरज नहीं है?

उत्तर: यह बात अचरज की नहीं है कि जो चीजें उत्तर भारत में गली-मुहल्लों की दुकानों पर आसानी से मिल जाया करती थीं, अब उन्हें खास दुकानों में तलाशना पड़ता है।

15. कड़वा सच क्या है?

उत्तर: कड़वा सच यह है कि हमने आधुनिकता की होड़ में स्थानीय व्यंजनों के प्रयोग को छोड़ दिया है।

14. नई खाद्य चीजें कैसी हैं?

उत्तर: पश्चिम की नकल करते हुए हमने खाने-पीने की ऐसी बहुत-सी चीजें अपना ली हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए–

1. किस बात में बदलाव आया है?

(क) खान-पान की संस्कृति में।

(ख) वेशभूषा में।

(ग) सोचने-विचारने में।

(घ) इन सभी में।

उत्तर: (क) खान-पान की संस्कृति में।

2. ‘बाबा संस्कृति’ कहाँ तक फैल चुकी है?

(क) दक्षिण भारत तक।

(ख) उत्तर भारत तक। 

(ग) पूरे देश में।

(घ) कहीं नहीं।

उत्तर: (ग) पूरे देश में।

3. बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ा है?

(क) फास्ट फूड का।

(ख) साँभर-डोसा का।

(ग) दाल-रोटी का।

(घ) खान-पान का।

उत्तर: (क) फास्ट फूड का।

4. क्या चीज अब अजनबी नहीं रही?

(क) नूडल्स।

(ख) दही-भल्ले।

(ग) डोसा।

(घ) छोले-भटूरे।

उत्तर: (क) नूडल्स।

5. खान-पान की बदली संस्कृति ने किसे अधिक प्रभावित किया है?

(क) नई पीढ़ी को।

(ख) पुरानी पीढ़ी को।

(ग) सभी को।

(घ) किसी को नहीं।

उत्तर: (क) नई पीढ़ी को।

6. मुंबई की क्या चीज प्रसिद्ध खान-पान में है? 

(क) छोले-भटूरे।

(ख) पाव-भाजी।

(ग) दाल-रोटी।

(घ) डोसा-वड़ा।

उत्तर: (ख) पाव-भाजी।

7. खान-पान की चीजों की किस बात में फर्क आया है?

(क) स्वाद में।

(ख) गुणवत्ता में।

(ग) दोनों में।

(प) किसी में नहीं।

उत्तर: (ग) दोनों में।

8. ‘दुःसाध्य’ शब्द का सही अर्थ है-

(क) जिसे साधना कठिन हो। 

(ख) जो करने में कठिन हो।

(ग) जिसे किया हो न जा सके।

(घ) जिसे साधा जा सके।

उत्तर: (क) जिसे साधना कठिन हो।

9. खान-पान की नई संस्कृति का लाभ है-

(क) एक-दूसरे को जानते हैं।

(ख) राष्ट्रीय एकता स्थापित होती है।

(ग) दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान जाएगा।

(घ) उपर्युक्त सभी लाभ।

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी लाभ।

10. किसका पुनरुद्धार जरूरी है?

(क) स्थानीय व्यंजनों का।

(ख) नए व्यंजनों का।

(ग) एथनिक का।

(घ) किसी का नहीं।

उत्तर: (क) स्थानीय व्यंजनों का।

11. ‘मौसमी सब्जियाँ’- रेखांकित शब्द क्या है?

(क) संज्ञा।

(ख) सर्वनाम।

(ग) विशेषण।

(घ) क्रिया।

उत्तर: (ग) विशेषण।

12. अब पहले की आम चीजों को कहाँ तलाशा जाता है?

(क) खास दुकानों में।

(ख) गली-मुहल्लों में।

(ग) सामान्य दुकानों में।

(घ) कहीं नहीं।

उत्तर: (क) खास दुकानों में।

13. ‘आधुनिकता’ में ‘ता’ क्या है?

(क) उपसर्ग।

(ख) प्रत्यय।

(ग) मूल शब्द।

(घ) सामान्य शब्द।

उत्तर: (ख) प्रत्यय।

14. ‘अनुकूलित’ में किस प्रत्यय का प्रयोग है?

(क) अ।

(ख) कूल।

(ग) इत।

(घ) लित।

उत्तर: (ग) इत।

15. इस पाठ के लेखक हैं-

(क) प्रयाग शुक्ल।

(ख) रमापति शुक्ल।

(ग) आचार्य शुक्ल।

(घ) प्रयाग शर्मा।

उत्तर: (क) प्रयाग शुक्ल।

प्रश्न-अभ्यास

>> निबंध से

प्रश्न 1. खान-पान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें।

उत्तर: खान-पान की संस्कृति से लेखक का मतलब यह है कि विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को मिश्रित स्वरूप में अपनाया जाता है। इसमें जल्दी तैयार होने वाले व्यंजन हैं। प्रीतिभोजों और पार्टियों में प्लेट में ढेर सारे व्यंजन रख लिए जाते हैं। इससे हम कई बार चीजों का असली स्वाद नहीं ले पाते। सभी चीजों का स्वाद गड्डमड्ड हो जाता है।

हमारे घर में उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय दोनों प्रकार के व्यंजन तैयार होते हैं। अब खान-पान की हमारी कोई एक विशेष संस्कृति नहीं रह गई है। हम सभी प्रकार की चीजें खाते हैं।

प्रश्न 2. खान-पान में बदलाव के कौन से फायदे हैं? फिर लेखक इस बदलाव को लेकर चिंतित क्यों है?

उत्तर: खान-पान में बदलाव के फायदे-

-अब हमें एक प्रकार का खाना नहीं पड़ता, बल्कि उसमें विविधता का समावेश हो गया है। हम बदल-बदल कर खाना खा सकते हैं।

-राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने में मदद मिली है।

– ‘फास्ट फूड’ तुरंत तैयार हो जाता है। अतः समय की बचत होती है।

• लेखक इस बदलाव को लेकर इसलिए चिंतित है क्योंकि अब स्थानीय खानों को लोग भूलते जा रहे हैं, वे बाजार से गायब हो रहे हैं। आधुनिकता के नाम पर हमने वे चीजें अपना लो हैं जो स्वाद और स्वास्थ्य की दृष्टि से हमारे अनुकूल नहीं हैं।

प्रश्न 3. खान-पान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ है?

उत्तर: खान-पान के मामले में स्थानीयता का यह अर्थ कि वे व्यंजन जो स्थानीय आधार पर बनते थे। कहीं पूड़ियाँ- कचौड़ियाँ-जलेबी बनती थीं, मथुरा के पेड़े प्रसिद्ध थे तो आगरा का पेठा-नमकीन। इन चीजों का अपना विशेष महत्त्व एवं स्वाद था। अब इनका प्रचलन घटता चला जा रहा है। हाँ, पाँच सितारा होटल इन्हें ‘एथनिक’ कहकर परोसने लगे हैं।

>> निबंध से आगे

प्रश्न 1. घर में बातचीत करके पता कीजिए कि आपके क्या चीजें पकती हैं और क्या चीजें बनी-बनाई घर बाजार से आती हैं? इनमें से बाज़ार से आनेवाली कौन-सी चीजें आपके माँ-पिता जी के बचपन में घर में बनती थीं?

उत्तर: 

हमारे घर में बनने वाली चीजेंबाजार से आने वाली चीजें 
– दाल– समोसे
– सब्ज़ी– जलेबी
– रोटो– पकौड़े
– पूड़ी-कचौड़ो– बर्फी
– खीर–  खस्ता कचौड़ी

इनमें से जो चीजें माँ-पिताजी के बचपन में में बनती थीं-

समोसे, पकौड़े, बर्फी, कचौड़ी।

प्रश्न 2. यहाँ खाने, पकाने और स्वाद से संबंधित कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से देखिए और इनका वर्गीकरण कीजिए-

उबालना, तलना, भूनना, सेंकना, दाल, भात, रोटी, पापड़ आलू, बैंगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला
भोजनकैसे पकायास्वाद

उत्तर: 

भोजनकैसे पकायास्वाद
दालउबालनानमकीन 
भातउबालनामीठा
रोटीसेंकनाफीका/मीठा
पापड़तलना / सेंकनानमकीन
आलूउबालनानमकीन/मीठा
बैंगनतलना / भूननाकसैला

प्रश्न 3.

छौंकचावलकढ़ी 

इन शब्दों में क्या अंतर है? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग हैं। पता करें कि आपके प्रांत में इन्हें कैसे बनाया जाता है?

उत्तर: सभी छात्र अपने-अपने परिवार में माँ से इनके बारे में पता करें।

छौंक- में थोड़ा घी-तेल डालकर हींग-जीरे के साथ तेज़ गर्म किया जाता है। फिर दाल में छौंक लगाया जाता है।

चावल- चावलों को उबाला जाता है। पुलाव के लिए उसमें कई सब्ज़ियाँ और मेवे-पनीर डाला जाता है। 

कढ़ी- खट्टी दही या छाछ और बेसन के मेल से उबालकर बनाई जाती है।

प्रश्न 4. पिछली शताब्दी में खानपान की बदलती हुई तस्वीर का खाका खींचें तो इस प्रकार होगा-

सन साठ का दशक – छोले-भटूरे

सन सत्तर का दशक – इडली, डोसा

सन अस्सी का दशक – तिब्बती (चीनी) खान 

सन नब्बे का दशक – पिज़्ज़ा, पावभाजी

• इसी प्रकार आप कपड़ों या पोशाकों की बदलती तस्वीर का खाका खींचिए।

उत्तर: सन साठ का दशक –

सलवार-कुरता, साड़ी-ब्लाउज़

सन सत्तर का दशक –

चूड़ीदार पाजामा, टाइट कपड़े

सन अस्सी का दशक –

पैंट-शर्ट, सूट, कुर्ता-पायजामा

सन नब्बे का दशक – 

पैंट, जींस-टॉप, शेरवानी, कुर्ता-पायजामा। 

प्रश्न 5. मान लीजिए कि आपके घर कोई मेहमान आ रहे हैं जो आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन-सूची (मेन्यू) बनाइए।

उत्तर: हम उत्तर भारत के हैं और मेहमान दक्षिण भारत से आ रहे हैं। हम उन्हें अपने प्रांत का यह पारंपरिक भोजन कराना चाहेंगे-

– पूड़ी-आलू मटर की सब्जी– बूँदी का रायता
– आलू गोभी की सब्ज़ी
– छोले– आम का अचार
– सलाद 
– गाजर का हलवा।

>> अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. ‘फास्ट फूड’ यानी तुरंत भोजन के नफे-नुकसान पर कक्षा में वाद-विवाद करें।

उत्तर: छात्र वाद-विवाद करें।

प्रश्न 2. हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसी जगहें होती हैं जो अपने किसी खास व्यंजन के लिए जानी जाती हैं। आप अपने शहर, कस्बे का नक्शा बनाकर उसमें ऐसी सभी जगहों को दर्शाइए।

उत्तर: छात्र नक्शा बनाएँ।

प्रश्न 3. खान-पान के मामले में शुद्धता का मसला काफी पुराना आपने अपने अनुभव में इस तरह की मिलावट को देखा है। किसी फिल्म या अखबारी खबर के हवाले से खान-पान में होने वाली मिलावट के नुकसानों की चर्चा कीजिए।

उत्तर: – खान-पान में मिलावट अनेक रोगों को जन्म देती है।

– पेट के रोग बढ़ते हैं। दिल की बीमारी पनपती है। लिवर को बीमारी बढ़ती है।

– कैंसर का खतरा बढ़ता है।

>> भाषा की बात

प्रश्न 1. खान-पान दो शब्दों को जोड़कर बना है। दो शब्दों के मेल को समास कहते हैं। समास कई प्रकार के हो सकते हैं। ध्यान दीजिए कि यहाँ शब्दों को जोड़कर बननेवाले शब्द का अर्थ उन दो शब्दों के अर्थ तक सीमित नहीं है। दूसरे शब्दों में, खान-पान का संबंध केवल खाने और पीने से नहीं है बल्कि किसी खास जगह या समाज में भोजन के तौर-तरीकों से है। ऐसे समास को द्वंद्व समास कहते हैं। नीचे द्वंद्व समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझिए-

सीना-पिरोनाभला-बुराचलना-फिरना
लंबा-चौड़ाकहा-सुनीघास-फूस

उत्तर: द्वंद्व समास के वाक्य प्रयोग

सीना-पिरोना: यह लड़की सीने-पिरोने की कला में कुशल है।

भला-बुरा: मैंने उसे बहुत भला-बुरा कहा।

चलना-फिरना: घुटनों में दर्द के कारण अब चलना-फिरना नहीं हो पाता।

लंबा-चौड़ा: रामेश्वर का व्यापार लंबा-चौड़ा फैला हुआ है।

कहा -सुनी: सास-बहू में खूब कहा-सुनी हो गई।

घास-फूस: महाराणा प्रताप की संतान ने घास-फूस की रोटियाँ खाई थीं।

प्रश्न 2. कई बार एक शब्द सुनने या पढ़ने पर कोई और शब्द याद आ जाता है। आइए, शब्दों की ऐसी कड़ी बनाएँ। नीचे शुरुआत की गई है। उसे आप आगे बढ़ाइए । कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि के रूप में भी इसे दिया जा सकता है- 

इडली – दक्षिण – केरल ओणम त्योहार – छुट्टी – आराम…

उत्तर: इडली – दक्षिण – केरल ओणम – त्योहार- छुट्टी – आराम कथकली – नौका-दौड़ – मौज-मस्ती।

कुछ करने को:

• उन विज्ञापनों को इकट्ठा कीजिए जो हाल के ठंडे पेय पदार्थों से जुड़े हैं। उनमें स्वास्थ्य और सफाई पर दिए गए विज्ञापनों को छाँटकर देखें कि हकीकत क्या है? 

बनाएँ – विद्यार्थी किसी एक वस्तु का विज्ञापन स्वयं तैयार करें।

स्वादिष्ट बिस्कुट

(काजू-किशमिश वाले) 

प्रतिदिन खाएँ स्वास्थ्य बनाएँ 

चित्र 

दक्षिण भारतीय भोजन

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सूची तैयार करें 

उत्तर भारतीय भोजन

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परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘खानपान की बदलती तसवीर’ नामक पाठ के लेखक कौन हैं?

(क) रामचंद्र शुक्ल। 

(ख) प्रयाग शुक्ल।

(ग) रामचंद्र तिवारी। 

(घ) टी० पद्मनाभन।

उत्तर: (ख) प्रयाग शुक्ल।

2. खानपान की संस्कृति में बड़ा बदलाव कब से आया?

(क) पाँच-सात वर्षों में।

(ख) आठ-दस वर्षों में।

(ग) दस-पंद्रह वर्षों में।

(घ) पंद्रह-बीस वर्षों में।

उत्तर: (ग) दस-पंद्रह वर्षों में।

3. युवा पीढ़ी इनमें से किसके बारे में बहुत अधिक जानती है?

(क) स्थानीय व्यंजन। 

(ख) नए व्यंजन।

(ग) खानपान की संस्कृति।

(घ) इनमें से कोई नहीं।

उत्तर: (ग) खानपान की संस्कृति।

4. ढाबा संस्कृति कहाँ तक फैल चुकी है? 

(क) दक्षिण भारत। 

(ख) उत्तर भारत तक।

(ग) पूरे देश में। 

(घ) कहीं नहीं।

उत्तर: (घ) कहीं नहीं।

5. पाव-भाजी किस प्रांत का स्थानीय व्यंजन है?

(क) राजस्थान।

(ख) महाराष्ट्र।

(ग) गुजरात।

(घ) मध्य प्रदेश।

उत्तर: (ख) महाराष्ट्र।

6. किसी स्थान का खान-पान भिन्न क्यों होता है? 

(क) मौसम के अनुसार, मिलने वाले खाद्य पदार्थ। 

(ख) रुचि के आधार पर।

(ग) आसानी से वस्तुओं की उपलब्धता।

(घ) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (घ) उपर्युक्त सभी।

7. इनमें से किसे फास्ट फूड के नाम से जाना जाता है?

(क) सेब।

(ख) रोटी।

(ग) दाल।

(घ) बर्गर।

उत्तर: (घ) बर्गर।

8. ढोकला – गठिया किस प्रांत के स्थानीय व्यंजन हैं?

(क) राजस्थान के। 

(ख) महाराष्ट्र के।

(ग) गुजरात के।

(घ) मध्य प्रदेश के।

उत्तर: (ग) गुजरात के।

9. अन्य प्रदेशों के व्यंजन-पकवान के कारण किस वर्ग के भोजन में विविधता आ चुकी है?

(क) मध्यम वर्ग के। 

(ख) निम्न वर्ग के।

(ग) उच्च वर्ग के।

(घ) अति निम्न वर्ग के।

उत्तर: (क) मध्यम वर्ग के।

10. खानपान की बदली पीढ़ी से कौन सर्वाधिक प्रभावित हुआ है?

(क) पुरानी पीढ़ी।

(ख) नयी पीढ़ी।

(ग) आने वाली पीढ़ी।

(घ) कोई नहीं।

उत्तर: (ख) नयी पीढ़ी।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. उत्तर भारत की कौन-सी संस्कृति पूरे भारत में फैल चुकी है?

उत्तर: उत्तर भारत की ‘ढाबा संस्कृति’ लगभग पूरे देश में फैल चुकी है। 

प्रश्न 2. आजकल बड़े शहरों में किसका प्रचलन बढ़ गया है?

उत्तर: आजकल बड़े शहरों में फास्ट फूड, चाइनीज़ नूडल्स, आलू-चिप्स का प्रचलन बढ़ गया है।

प्रश्न 3. पहले ब्रेड कहाँ तक सीमित थी और अब कहाँ तक पहुँच चुकी है? 

उत्तर: पहले ब्रेड अंग्रेजी साहबों के ठिकानों तक सीमित थी और अब यह कस्बों के घरों तक जा पहुँची है।

प्रश्न 4. मथुरा-आगरा की कौन-सी चीजें प्रसिद्ध रही हैं?

उत्तर: मथुरा के पेड़े और आगरा का दालमोठ-पेठा प्रसिद्ध रहा है।

प्रश्न 5. आजकल खान-पान की जो संस्कृति बनी है, इसका सकारात्मक पक्ष क्या है?

उत्तर: इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि इसे गृहिणियाँ और काम-काजी महिलाएँ जल्दी तैयार कर लेती हैं। 

प्रश्न 6. खान-पान की मिश्रित संस्कृति के कारण क्या गड़बड़ हो रही है?

उत्तर: खान-पान की मिश्रित संस्कृति में खाने की चीज़ों का अलग-अलग स्वाद नहीं मिल पा रहा है।

लघु उत्तटीय प्रश्न

प्रश्न 1. दक्षिण भारत के कुछ व्यंजनों के नाम लिखिए।

उत्तर: दक्षिण भारत के व्यंजन: डोसा, इडली, बड़ा, रसम।

प्रश्न 2. ‘ढाबा’ संस्कृति से लेखक का क्या आशय है? 

उत्तर: ढाबा संस्कृति से लेखक का यह आशय है कि सड़कों के किनारे बने ढाबों पर मिलने वाला खाना। ढाबों पर पंजाबी संस्कृति का खाना मिलता है। इसमें तंदूर की रोटियाँ, दाल, राजमा, कढ़ी, चावल, अचार आदि होते हैं। तंदूर की रोटियों का अपना अलग ही स्वाद होता है।

प्रश्न 3. ‘टिफिन’ संस्कृति क्या है?

उत्तर: टिफिन में खाना रखकर ले जाना टिफिन संस्कृति है। स्कूलों के बच्चे टिफिन ले जाते हैं। दफ्तरों, कारखानों में काम करने वाले भी टिफिन ले जाते हैं या बने-बनाए खाने का टिफिन मँगाते हैं। 

प्रश्न 4. स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार क्यों आवश्यक है?

उत्तर: अब धीरे-धीरे स्थानीय व्यंजन बाज़ारों और घरों से गायब होते चले जा रहे हैं। इससे हमारे खाने की पुरानी पहचान मिटती चली जा रही है। पाँच सितारा होटल उन्हीं को ‘एथनिक’ कहकर पुकारने लगे हैं। अब इनके पुनः प्रचलित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 5. खान-पान की मिश्रित संस्कृति लेखक को अच्छी क्यों नहीं लगती?

उत्तर: लेखक का कहना है कि इसमें चीज़ों का अलग और असली स्वाद नहीं आ पाता। सब गड्डमड्ड हो जाता है। कई बार प्लेट में विपरीत प्रकृति के भोजन परोस लिए जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रहता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खानपान की नई संस्कृति के नकारात्मक पक्ष का वर्णन करें।

उत्तर: खानपान की नई संस्कृति ने स्थानीय व्यंजनों पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है। लोगों ने नए व्यंजनों को अपनाया है तो परंपरागत व्यंजनों से मुँह मोड़ लिया है। कई स्थानीय व्यंजन धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं। नई पीढ़ी तो उनके विषय में कुछ जानना ही नहीं चाहती, पुरानी पीढ़ी भी धीरे-धीरे भुलाती जा रही है। कुछ स्थानीय व्यंजन जो पहले हर गली-कूचे में मिल जाते थे, अब पाँच सितारा होटलों में ही कभी-कभार मिलते हैं। खानपान की नवीन मिश्रित संस्कृति में हम कई बार चीजों का सही स्वाद लेने से भी वंचित रह जाते हैं क्योंकि हर चीज़ खाने का एक अपना तरीका और उसका अलग स्वाद होता है। अक्सर उत्सव समारोह में हम भिन्न प्रकृति वाले व्यंजन प्लेट में परोस लेते हैं, ऐसे में हम उनमें से किसी का भी सही आनंद नहीं पाते। यह खानपान की नवीन संस्कृति के नकारात्मक पक्ष हैं। 

प्रश्न 2. स्थानीय व्यंजनों को उनके हाल पर छोड़ देने का क्या परिणाम होगा? विस्तारपूर्वक लिखिए। 

उत्तर: स्थानीय व्यंजन भिन्न-भिन्न स्थान-विशेष से जुड़े हुए हैं। वे वहाँ की संस्कृति का हिस्सा हैं। वे स्थान-विशेष की रुचि, पसंद और पहचान बनाए रखते हैं। वे हमारी धरोहर भी हैं। उनका पुनरुद्धार करना बहुत आवश्यक है। स्थानीय व्यंजनों के पुनरुद्धार के लिए उनको उनके हाल पर या पाँच सितारा होटलों के प्रचार के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। समय-समय पर घरों में व्यंजन बनने चाहिए। जैसे – पूरी, कचौड़ी, जलेबी, समोसे आदि जो आधुनिकता के कारण छोड़े गए हैं। बाज़ार में भी उनकी बिक्री को बढ़ावा देना चाहिए। यदि उन व्यंजनों को उनके हाल पर या होटलों के प्रचार पर छोड़ दिया जाएगा तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे। क्योंकि इससे संस्कृति विशेष का नष्ट होना भी निश्चित है। इसलिए आवश्यक हो गया है कि स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार किया जाए।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न. आप खान-पान में आए बदलावों को किस रूप में लेते हैं?

उत्तर: हम खान-पान में आए बदलावों को समय की माँग के रूप में लेते हैं। अब गृहिणियों के पास पुराने प्रकार के भोजन पकाने के लिए न तो समय है और पर्याप्त सामग्री। अब सभी कुछ जल्दी में हो रहा है। अतः जल्दी पकने वाले भोजन विकसित हो रहे हैं। हाँ, मैं तथाकथित फास्ट फूड्स-नूडल्स, पिज्जा वगैरह का पक्षपाती नहीं हूँ क्योंकि ये स्वास्थ्य को खराब करते हैं।

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