NCERT Class 7 Hindi Chapter 15 नीलकंठ

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NCERT Class 7 Hindi Chapter 15 नीलकंठ

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नीलकंठ

Chapter: 15

वसंत भाग – 2 

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

प्रश्न- 1. ये बड़े मियाँ कौन हैं? उनकी क्या आदत है?

उत्तर: बड़े मियाँ चिड़िया वाले के नाम से जाने-जाते हैं। वे बोलते बहुत हैं। उनकी आदत है कि वे बीच में रुकते नहीं।

2. लेखिका ने बड़े मियाँ से क्या पूछा?

उत्तर: लेखिका ने बड़े मियाँ से पूछा-‘मोर के बच्चे कहाँ हैं?’

3. पिंजरा कैसा था?

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उत्तर: पिंजरा बहुत संकीर्ण तथा छोटा था।

4. पक्षी शावक कैसे लग रहे थे?

उत्तर: पिंजरे में बैठे पक्षी शावक ऐसे लग रहे थे कि मानो किसी गोल फ्रेम में चित्र जड़ दिए हों।

5. चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर बच्चे कहाँ छिप गए?

उत्तर: चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर उसमें बंद बच्चे कमरे में खो गए। कभी वे मेज़ के नीचे घुस जाते तो कमी अलमारी के पीछे।

6. उन्होंने लुका-छिपी में क्या किया?

उत्तर: उन्होंने लुका-छिपी से थककर लेखिका की रद्दी कागज़ों की टोकरी को अपना नया बसेरा बना लिया।

7. वे दिन में कहाँ रहते और रात को कहाँ प्रकट होते?

उत्तर: वे बच्चे दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते। 

8. कभी-कभी वे कहाँ आविर्भूत होने लगे?

उत्तर: कभी वे मेज़ पर, कभी कुर्सी पर तो कभी लेखिका के सिर पर आविर्भूत होने लगे।

9. दोनों नवागुंतकों ने कैसा कुतूहल जागाया?

उत्तर: दोनों नवागुंतकों ने लेखिका के घर आकर पहले से रह रहे अन्य पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है।

10. लक्का कबूतर क्या करने लगे? 

उत्तर: लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़कर आए और नवागुंतकों के चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूँ-गुटरगूँ’ करके गाने लगे।

11. खरगोश ने क्या किया?

उत्तर: बड़े खरगोश सभ्य सभासद के समान गंभीर भाव से निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश उछल-कूद करने लगे। 

12. तोतों की प्रतिक्रिया क्या रही?

उत्तर: तोते आँखें बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

13. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?

उत्तर: नीलकंठ ने स्वयं को अपने आप चिड़ियाघर के जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया था।

14. वह सवेरे ही क्या करने लगता था?

उत्तर: नीलकंठ सवेरे ही खरगोश-कबूतर आदि की सेना एकत्रित करके दाने दिए जाने वाले स्थान पर ले जाता था।

15. वह किसे, कैसे दंड देता था?

उत्तर: जब कोई पशु-पक्षी गड़बड़ी करता हो नीलकंठ अपनी चोंच के प्रहार से उसे दंड देता था।

16. मोर की कलगी में क्या परिवर्तन आ गया?

उत्तर: मोर के सिर की कलगी पहले से अधिक सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई।

17. चोंच और आँखों में क्या बदलाव आया?

उत्तर: मोर की चाँच अधिक बाँकी (टेड़ी) और पैनी हो गई। आँखों में नोली चमक झलकने लगी।

18. प्रीवा के बारे में क्या बताया गया है?

उत्तर: नीली-हरी ग्रीवा (गर्दन) में धूप-छाँडी तरंगें उठने लगीं।

19. पूँछ कैसी हो गई?

उत्तर: मोर की पूँछ अधिक लंबी हो गई तथा उसके पंखों पर रंग-बिरंगी चंद्रिकाएँ उभरने लगीं।

20. मोर कैसा पक्षी है?

उत्तर: मोर कला प्रेमी तथा वीर पक्षी है।

21. बाज, चील कैसे पक्षी हैं?

उत्तर: बाज और चील क्रूर स्वभाव के पक्षी हैं। उनके जीवन में क्रूर कर्म करना रहता है।

22. नीलकंठ क्या हो गया था?

उत्तर: नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थी ही, इसके साथ-साथ उसका मानवीकरण भी हो गया था।

23. नीलकंठ जब नाचता था तब कैसा दृश्य उपस्थित हो जाता था?

उत्तर: नीलकंठ जब अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर नाचता था तब उसका नृत्य देखते बनता था। वह आगे-पीछे, दाएँ-बाएँ घूम-घूमकर नाचता तथा कभी-कभी ठहर जाता था।

24. वर्षा ऋतु किसे प्रिय थी?

उत्तर: वर्षा ऋतु नीलकंठ और राधा को प्रिय थी।

25. मेघों के उमड़ आने से पहले उन्हें क्या मिल जाता था? 

उत्तर: मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे उसकी सजल आहट पा लेते थे।

26. नीलकंठ के नृत्य का वेग कब बढ़ता जाता था?

उत्तर: बादलों की गरजन, बिजली की चमक तथा बूँदों की रिमझिम की तीव्रता के साथ नीलकंठ के नृत्य का वेग बढ़ता जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न

सही उत्तर चुनकर लिखिए-

1. यह पाठ किस शैली में रचा गया है?

(क) रेखाचित्र।

(ख) संस्मरण।

(ग) निबंध।

(घ) कहानी।

उत्तर: (क) रेखाचित्र।

2. इस पाठ को किसने लिखा है?

(क) महादेव ने।

(ख) महादेवी वर्मा ने।

(ग) बड़े मियाँ ने।

(घ) प्रेमचंद ने।

उत्तर: (ख) महादेवी वर्मा ने।

3. बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?

(क) तूफान मेल से।

(ख) सामान्य ट्रेन से।

(ग) चिडीमार से।

(प) ड्राइवर से।

उत्तर: (क) तूफान मेल से। 

4. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?

(क) नीलकंठ। 

(ख) मोर।

(ग) तीतर।

(प) रेखाचित्र।

उत्तर: (क) नीलकंठ।

5. ‘आविर्भाव’ शब्द का क्या अर्थ है?

(क) भरना।

(ख) आना।

(ग) प्रकट होना।

(घ) भाव-विभोर।

उत्तर: (ग) प्रकट होना।

6. लेखिका की टोकरी किस काम आती थी?

(क) सब्जी रखने के।

(ख) फल रखने क।

(ग) रद्दी कामों के लिए। 

(घ) बच्चों के।

उत्तर: (ग) रद्दी कामों के लिए।

7. ‘नवागंतुक’ का सही संधि-विच्छेत है-

(क) नव + आगंतुक। 

(ख) नव + गुंतक।

(ग) न + वागुंतक।

(घ) नवागुं + तक।

उत्तर: (क) नव + आगंतुक।

8. ‘गुटरगूँ-गुटरगूँ’ कौन करने लगे?

(क) कबूतर।

(ख) खरगोश।

(ग) तोते।

(घ) चिड़िया।

उत्तर: (क) कबूतर।

9. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?

(क) जीव-जंतुओं का सेनापति।

(ख) संरक्षक।

(ग) दोनों।

(घ) कुछ नहीं।

उत्तर: (क) जीव-जंतुओं का सेनापति।

10. नीलकंठ अपने पक्षियों की सेना को कहाँ ले जाता था?

(क) दाना देने के स्थान पर। 

(ख) पानी पीने के स्थान पर।

(ग) घूमने-फिरने के स्थान पर।

(घ) कहीं नहीं।

उत्तर: (क) दाना देने के स्थान पर

11. ‘चंचु-प्रहार’ कैसा शब्द है? 

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

12. ‘ग्रीवा’ शब्द कैसा है?

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

13. ‘इंद्रधनुषी रंग’- रेखांकित शब्द क्या है?

(क) संज्ञा।

(ख) सर्वनाम।

(ग) विशेषण।

(घ) क्रिया।

उत्तर: (ग) विशेषण।

14. ‘आलेखन’ शब्द कैसे बना है?

(क) आ + लेखन।

(ख) आलेख + न।

(ग) आ + लेखन + न।

(घ) आले + खन।

उत्तर: (ग) आ + लेख + न।

15. कलप्रिय और वीर किसे कहा गया है?

(क) मोर को।

(ख) खरगोश को।

(ग) तोता को।

(घ) किसी को नहीं।

उत्तर: (क) मोर को।

16. ‘मयूर’ शब्द कैसा है?

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

17. ‘अलक्ष्य’ में ‘अ’ क्या है?

(क) उपसर्ग।

(ख) प्रत्यय।

(ग) मूलशब्द।

(घ) अन्य।

उत्तर: (क) उपसर्ग।

18. कौन सा शब्द ‘हवा’ का पर्यायवाची नहीं है-

(क) समोर।

(ख) वायु।

(ग) अनिल।

(घ) अनल।

उत्तर: (घ) अनल।

19. ‘नृत्य’ शब्द कैसा है?

(क) तत्सम।

(ख) तद्भब।

(ग) देशज।

(घ) विदेशी।

उत्तर: (क) तत्सम।

20. वर्षा किसकी प्रिय ऋतु थी?

(क) नीलकंठ को।

(ख) राधा की।

(ग) दोनों को।

(घ) किसी की नहीं।

उत्तर: (ग) दोनों को।

प्रश्न-अभ्यास

>> निबंध से

प्रश्न 1. मोर-मोरनी के नाम नाम किस आधार पर रखे गए?

उत्तर: मोर की गरदन नीली होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया। 

मोरनी मोर की छाया के समान रहती थी अतः उसका नाम राधा रखा गया।

प्रश्न 2. जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ?

उत्तर: जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का सभी पक्षियों ने स्वागत किया। उनके मन में ऐसा कुतूहल जागा जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़ा और उनके चारों ओर घूम कर गुटरगूँ करने लगा। बड़े खरगोश ने गंभीर भाव से उनका निरीक्षण किया। छोटा खरगोश उछल-कूद मचाने लगा । तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

प्रश्न 3. लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं?

उत्तर: लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत ख भाती थीं:

(क) जब वह मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बना कर नाचता था, तब उसके नृत्य की चेष्टाएँ बहुत अच्छी लगती थीं।

(ख) जब वह लेखिका की हथेली पर रखे भुने चने हौले-हौले उठाकर खाता था तब उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थीं।

प्रश्न 4. ‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है?

उत्तर: यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे फोड़कर छितरा दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया क्योंकि राधा से उसकी दूरी बढ़ गई थी। इस घटना से बेचारे नीलकंठ के जीवन का भी अंत हो गया।

प्रश्न 5. वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था?

उत्तर: वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढँक जाता था तब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में कैद होकर नहीं रह सकता था। उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब वह बाहर निकलने को व्याकुल हो जाता था।

प्रश्न 6. जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया?

उत्तर: जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा अपने नाम और स्वभाव के अनुरूप ईर्ष्यालु थी। उससे दूसरों का सुख देखा नहीं जाता था। उसने राधा को चोंच मार-मार कर ढकेल दिया तथा उसके अंडे फोड़कर अपने ठूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए थे। वह ईर्ष्या के कारण किसी जीव की मित्र नहीं बन पाई।

प्रश्न 7. नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: एक दिन एक साँप ने खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया। साँप ने उसका आधा शरीर मुँह में दबा लिया और आधा बाहर था। नीलकंठ ने उसका चीं-चीं का स्वर सुन लिया। उसने नीचे आकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और उस पर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा साँप के मुख से निकल गया।

इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं: 

– नीलंकठ परोपकारी था। वह दूसरों का दुःख नहीं देख सकता था।

– नीलकंठ साहसी था। उसने खरगोश के बच्चे को बचाने में साहस का परिचय दिया था।

– वह दयालु स्वभाव का था क्योंकि उसने रातभर खरगोश के बच्चे को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी प्रदान की।

>> निबंध से आगे

1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।

* रेखाचित्र में किसी व्यक्ति या जीव-जंतु का सजीव चित्रण शब्दों के माध्यम से किया जाता है। रेखाचित्र में भावात्मकता तथा संवेदना होती है।

लेखिका ने अन्य अनेक व्यक्तियों एवं जीव-जंतुओं के

रेखाचित्र लिखे हैं, जैसे-पथ के साथी, अतीत के चलचित्र आदि । उन्हें लेकर पढ़ें।

2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए। 

3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।

* ये सभी कार्य विद्यार्थी स्वयं करें। 

‘वर्षा ऋतु’ से संबंधित कविता

मेघ आए, मेघ आए,

मेघ बड़े बन-ठन कर आए। 

आकाश में काले-काले बादल उमड़े,

आँधी चली, 

धूल आकाश उठा कर भागी। 

तभी बिजली चमकी, 

झमाझम वर्षा होने लगी। 

ताल-तलैयाँ पानी से भर गई 

चारों ओर हरियाली छा गई। 

वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा समाप्त हुई।

>> अनुमान और कल्पना

1. निबंध में आपने ये पंक्तियाँ पढ़ी हैं- ‘मैं अपने शॉल में लपेटकर उसे संगम ले गई। जब गंगा की बीच धारा में उसे प्रवाहित किया गया तब उसके पंखों की चंद्रिकाओं से बिंबित-प्रतिबिंबित होकर गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर के समान तरंगित हो उठा।’ – इन पंक्तियों में एक भावचित्र है। इसके आधार पर कल्पना कीजिए और लिखिए कि मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में क्या-क्या समानताएँ लेखिका ने देखी होंगी जिसके कारण गंगा का चौड़ा पाट एक विशाल मयूर पंख के समान तरंगित हो उठा।

* लेखिका ने मोरपंख की चंद्रिका और गंगा की लहरों में निम्नलिखित समानताएँ देखी होंगी:

– दोनों में रंग-बिरंगी झलक देखी होगी। 

– दोनों हिल-हिल कर एक समान लगती होंगी।

– दोनों गोलाकार रूप ले रही होंगी।

– दोनों का सौंदर्य मन मोहता था।

2. नीलकंठ की नृत्य-भंगिमा का शब्दचित्र प्रस्तुत करें।

* नीलकंठ को वर्षा ऋतु बहुत प्रिय है। वर्षा ऋतु में मेघों का उमड़ना-घुमड़ना उसके मन के भावों को आंदोलित कर देता है। मेघों की बरसती बूँदें उसके पैरों में गति ला देती हैं। मेघ जितना अधिक गरजता है, बिजली जितनी अधिक चमकती है, बूँदों की रिमझिम जितनी अधिक तीव्र होती है, नीलकंठ का नृत्य उतना ही तीव्र होता जाता है। तब उसकी नृत्य-भंगिमा देखते ही बनती है।

>> भाषा की बात 

1. ‘रूप’ शब्द से कुरूप, स्वरूप, बहुरूप आदि शब्द बनते हैं। इसी प्रकार नीचे लिखे शब्दों से अन्य शब्द बनाओ-

गंध, रंग, फल, ज्ञान

* गंध सुगंध, दुर्गंध, गंधी 

रंग: रंगीन, रंगीला, रंगहीन

फल: सुफल, फलदार, फलीभूत

ज्ञान: अज्ञान, विज्ञान, ज्ञानी

2. विस्मयाभिभूत शब्द विस्मय और अभिभूत दो शब्दों के योग से बना है। इसमें विस्मय के के साथ अभिभूत के के मिलने से या हो गया है। आदि वर्ण है। ये सभी वर्ण-ध्वनियों में व्याप्त हैं। व्यंजन वर्णों में इसके योग को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जैसे- क् + अ = क इत्यादि। अ की मात्रा के चिह्न (T) से आप परिचित हैं। अ की भाँति किसी शब्द में आ के भी जुड़ने से आकार की मात्रा ही लगती है, जैसे- मंडल + आकार = मंडलाकार। मंडल और आकार की संधि करने पर ( जोड़ने पर ) मंडलाकार शब्द बनता है। और मंडलाकार शब्द का विग्रह करने पर (तोड़ने पर) मंडल और आकार दोनों अलग होते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के संधि-विग्रह कीजिए-

संधिविग्रह
नील + आभ = _________सिंहासन = _________
नव + आगंतुक = ________मेघाच्छन्न = ________

उत्तर:

संधिविग्रह
नील + आभ = नीलाभसिंहासन = सिंह + आसन
नव + आगंतुक = नवागंतुकमेघाच्छन्न = मेघ+ आछल

कुछ करने को:

चयनित व्यक्ति/पशु पक्षी की खास बातों को ध्यान में रखते हुए एक रेखाचित्र बनाइए।

कुत्ता: यह मेरा प्रिय कुता है। यह मदा साहसी है। इसी कारण मैंने इसका नाम ‘टाइगर’ रखा है। यह काले रंग के चमकदार बालों वाला है। अपरिचित व्यक्ति या पशु को देखते ही यह उस पर टाइगर की तरह झपटता है। 

इसे दूध पीने और माँस खाने का शौक है। मैं इसके भोजन का पूरा ध्यान रखता हूँ। इसे मेरा सान्निध्य बहुत प्रिय है। मेरे घर में घुलते ही यह मेरे निकट आ जाता है और मेरे तलवों को चाटकर तथा अपनी पूँछ हिलाकर अपना प्रेम प्रकट करता है। यह मेरे साथ सैर करने जाता है। 

टाइगर को नहाने का बड़ा शौक है। मैं इसे साबुन से मल-मल कर नहलाता हूँ। यह बड़ा स्वामिभक्त है। घर की रखवाली करके यह अपने कर्तव्य का पालन करता है। यह घर-भर का प्रिय है।

>> बनाएँ

एक नाचते हुए मोर का चित्र बनाओ तथा मोर पर पाँच वाक्य लिखो।

परीक्षोपयोगी अन्य आवश्यक प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पी प्रश्न

1. ‘नीलकंठ’ पाठ के लेखक कौन हैं?

(क) सर्वेश्वरदयाल सक्सेना।

(ख) जैनेंद्र कुमार।

(ग) टी० पद्मनाभन।

(घ) महादेवी वर्मा।

उत्तर: (घ) महादेवी वर्मा।

2. बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?

(क) ड्राइवर से।

(ख) चिड़ीमार से।

(ग) सामान्य ट्रेन से। 

(घ) तूफान मेल से।

उत्तर: (घ) तूफान मेल से।

3. दोनों शावकों ने आरंभ में कहाँ रहना शुरू किया? 

(क) मेज के नीचे। 

(ख) रद्दी की टोकरी में।

(ग) अलमारी के पीछे।

(घ) पिंजरे में।

उत्तर: (ख) रद्दी की टोकरी में।

4. शुरूआत में शावकों ने दिन कैसे व्यतीत किया?

(क) मेज़ पर चढ़कर।

(ख) कुर्सी पर चढ़कर।

(ग) कहीं छिपकर।

(घ) लेखिका के पास रहकर।

उत्तर: (ग) कहीं छिपकर।

5. मोर के दोनों बच्चों को चिड़ीमार कहाँ से पकड़कर लाया था?

(क) रामगढ़ से।

(ख) रायगढ़ से।

(ग) पिथौरागढ़ से।

(घ) शंकरगढ़ से।

उत्तर: (घ) शंकरगढ़ से। 

6. लेखिका ने मोर के बच्चों को कितने रुपए में खरीदा?

(क) 25 रुपए में।

(ख) 30 रुपए में।

(ग) 35 रुपए में।

(घ) 40 रुपए।

उत्तर: (ग) 35 रुपए में।

7. लेखिका को क्या ज्ञात नहीं हो पाया?

(क) शावकों की प्रजाति का।

(ख) नीलकंठ के बढ़ने का रहस्य।

(ग) नीलकंठ कब बाकी जानवरों का संरक्षक बना।

(घ) अन्य जानवर उसके संरक्षक बन गए।

उत्तर: (ग) नीलकंठ कब बाकी जानवरों का संरक्षक बना।

8. अन्य जानवर जब व्यस्त होते थे तो नीलकंठ क्या करता था?

(क) नाचता था।

(ख) दाना चुगता था।

(ग) आराम करता रहता था।

(घ) उन सभी का ध्यान रखता था।

उत्तर: (घ) उन सभी का ध्यान रखता था।

9. स्टेशन से लौटती लेखिका ने ड्राइवर से किधर चलने को कहा?

(क) सीधे घर की ओर।

(ख) पक्षी – जानवरों की दुकान की ओर।

(ग) कार्यालय की ओर।

(घ) पुस्तकालय की ओर।

उत्तर: (ख) पक्षी – जानवरों की दुकान की ओर।

10. ‘आखिर मेरे सीने में भी तो इंसान का दिल है’- यह वाक्य किसके द्वारा कहा गया है?

(क) शिकारी द्वारा।

(ख) लेखिका द्वारा।

(ग) बड़े मियाँ द्वारा। 

(घ) ड्राइवर द्वारा।

उत्तर: (ग) बड़े मियाँ द्वारा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. बड़े मियाँ कहाँ से मोर के बच्चे खरीद कर लाया था?

उत्तर: बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद कर लाया था। 

प्रश्न 2. घर पहुँचने पर उन बच्चों को घर वालों ने क्या बताया?

उत्तर: घर पहुँचने पर सब कहने लगे-” तीतर हैं, मोर कहकर ठग लिया है।”

प्रश्न 3. लेखिका के कमरे का कायाकल्प किसके रूप में होने लगा?

उत्तर: लेखिका के कमरे का कायाकल्प चिड़ियाखाने के रूप में होने लगा।

प्रश्न 4. राधा कौन थी? उसकी क्या विशेषता थी? 

उत्तर: राधा मोरनी थी। वह मोर की सहचारिणी थी।

प्रश्न 5. नीलकंठ खरगोश के बच्चों के साथ क्या करता था?

उत्तर: वह खरगोश के बच्चों को चोंच से उनके कान पकड़कर उठा लेता था और अधर में लटकाए रहता था।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. महादेवी जी ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों?

उत्तर: महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते हुए ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। उन्हें चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का ध्यान आ गया था। अतः उसी ओर चलने को कहा।

प्रश्न 2. नीलकंठ कैसे मर गया?

उत्तर: नीलकंठ के मरने का कुछ पता नहीं चला। उसे न तो कोई बीमारी हुई, न उसे कोई चोट लगी। संभवतः वह राधा का वियोग सहन नही कर पाया। वह सुस्त रहने लगा था। वह भूखा-प्यासा रहता था। 

प्रश्न 3. लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते क्यों रोक दिया?

उत्तर: लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते इसलिए रोक दिया क्योंकि जब वे बोलना शुरू करते थे तो रुकने का नाम नहीं लेते थे। सुनने वाला ही थककर उन्हें रोकता था। यही कारण था कि लेखिका ने भी उन्हें रोक दिया।

प्रश्न 4. लेखिका को अपने कमरे का दरवाजा क्यों बंद रखना पड़ता था?

उत्तर: मोर के बच्चे लेखिका की मेज़ पर, कभी कुर्सी पर और कभी सिर पर अचानक आविर्भूत होने लगे। खिड़कियों में तो जाली लगी थी, पर दरवाजा निरंतर बंद रखना पड़ता था। खुला रहने पर चित्रा (बिल्ली) इन नवागंतुकों का पता लगा सकती थी और तब उसके शोध का क्या परिणाम होता, यह अनुमार करना कठिन नहीं है। वैसे वह चूहों पर भी आक्रमण नहीं करती परंतु यहाँ तो दो सर्वथा अपरिचित पक्षियों की अनाधिकार चेष्टा का प्रश्न था। उसके लिए दरवाज़ा बंद रहे और ये दोनों (उसकी दृष्टि में) ऐरे-गैरे लेखिका की मेज़ को अपना सिंहासन बना लें, यह स्थिति चित्रा जैसी अभिमानी मार्जारी ‘बिल्ली’ के लिए असह्य ही कही जाएगी।

प्रश्न 5. विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को ‘परफैक्ट जैंटिलमैन’ क्यों कहती थीं?

उत्तर: विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को नृत्य करते देख कर ‘परफैक्ट जेंटिलमैन’ कहती थीं। वे नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठती थीं।

प्रश्न 6. नीलकंठ के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। इस दृष्टि से राधा कहाँ तक भिन्न थी?

उत्तर: मोर के सिर की कलगी और सघन, ऊँची तथा

चमकीली हो गई। उसकी चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनील की नीलाभ चमक झलकने लगी। उसकी लंबी नील हरित गरदन की हर भंगिमा में धूप छाँही तरंगें उठने-गिरने लगीं। उसके दोनों पंखों में सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे। उसकी पूँछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग चमक हो उठे। रंग-रहित पैरों को गर्वीली गति ने उसे एक नई गरिमा से रंजित कर दिया। उसका गरदन ऊँची कर देखना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति का चित्र नहीं आँका जा सकता।

मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ, परंतु अपनी लंबी धूप छाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्याम श्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी।

प्रश्न 7. नीलकंठ के मरने के बाद राधा कैसी है?

उत्तर: राधा अब नीलकंठ की प्रतीक्षा में ही दुकेली है। आषाढ़ में जब आकाश मेघाच्छन्न हो जाता है तब वह कभी ऊँचे झूले पर और कभी अशोक की डाल पर अपनी केका को तीव्रतर कर नीलकंठ को बुलाती रहती है।

प्रश्न 8. राधा कैसे नाचती थी?

उत्तर: राधा नीलकंठ के समान नहीं नाच सकती थी, परंतु उसकी गति में भी एक छंद रहता था। वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी ओर के पंख को छूती हुई बाईं ओर निकल आती थी और बाएँ पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर। इस प्रकार उसकी परिक्रमा में भी एक पूरक ताल-परिचय मिलता था।

प्रश्न 9. नीलकंठ और राधा को कौन-सी ऋतु प्रिय थी?

उत्तर: नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूँज अनुगूँज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूँदों के उतरने के लिए सोपान पंक्ति बनने लगती थी।

प्रश्न 10. बड़े मियाँ ने क्या कहकर घायल मोरनी को लेखिका को बेच दिया?

उत्तर: बड़े मियाँ ने कहा, “देखिए गुरु जी, कमबख्त चिड़ीमार ने बेचारी का क्या हाल कर दिया है! ऐसे कभी चिड़िया पकड़ी जाती है? आप न आई होती तो मैं उसी के सिर इसे पटक देता। पर आपसे भी यह अधमरी मोरनी ले जाने को कैसे कहूँ?’ ” अतः लेखिका ने सात रुपये देकर उस मोरनी को ले लिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लेखिका के चिड़ियाघर में भूचाल जैसी स्थिति कब पैदा हो गई थी और क्यों?

उत्तर: जब लेखिका के चिड़ियाघर में दो छोटे मोरों को आया देखकर लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूँ-गुटरगूँ’ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछल-कूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभाँति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन लेखिका के चिड़ियाघर में मानो भूचाल आ गया।

प्रश्न 2. नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: नीलकंठ ने स्वयं ही अपने आप को चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का संरक्षक मान लिया था। वह उनका मित्र तो था ही। एक बार साँप ने शिशु खरगोश का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया। वह चीख भी नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच मार-मार कर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश उसके मुँह से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहा। 

प्रश्न 3. कुब्जा राधा से क्यों द्वेष रखती थी? वह उसके प्रति अपना द्वेष किस प्रकार व्यक्त करती थी?

उत्तर: कुब्जा नीलकंठ का साथ चाहती थी, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था। वह राधा के पास रहता था। अतः कुब्जा राधा से द्वेष रखती थी। वह किसी को नीलकंठ के पास नहीं आने देना चाहती थी। इसी बीच राधा ने दो अंडे दिए, जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार-मार कर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़ कर ठूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए।

प्रश्न 4. नीलकंठ का सुखमय जीवन करुण कथा में कैसे बदल गया?

उत्तर: कुब्जा के कलह और उसके राधा के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया। कई बार वह जाली के घर से निकल भागा। एक बार कई दिन भूखा-प्यासा आम की शाखाओं में छिपा बैठा रहा, जहाँ से बहुत पुचकार कर मैंने उतारा। एक बार मेरी खिड़की के शेड पर छिपा रहा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन नीलकंठ ने अपने प्राण त्याग दिए। उसका सुखमय जीवन करुण कथा में बदल गया।

प्रश्न 5. नीलकंठ अन्य पक्षियों को सजा भी देता था और प्रेम भी करता था। उदाहरण देकर स्पष्ट करो।

उत्तर: खरगोश के छोटे बच्चों को नीलकंठ चोंच से उनके कान पकड़कर ऊपर उठा लेता था और जब तक वे आर्तक्रंदन न करने लगते उन्हें अधर में लटकाए रखता। कभी-कभी उसकी पैनी चोंच से खरगोश के बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो जाता था, पर वे फिर कभी उसे क्रोधित होने का अवसर न देते थे। दंडविधान के समान ही उन जीव-जंतुओं के प्रति उसका प्रेम भी असाधारण था। प्रायः वह मिट्टी में पंख फैलाकर बैठ जाता और वे सब उसकी लंबी पूँछ और सघन पंखों में छुआ-छुऔअल-सा खेलते रहते थे।

मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न: पशु-पक्षियों के प्रति आपका दृष्टिकोण कैसा रहता है? क्या आपको लेखिका का दृष्टिकोण पसंद आगा?

उत्तर: पशु-पक्षियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण सहानुभूतिपूर्ण एवं संवेदनशील रहता है। लेखिका का दृष्टिकोण भी ऐसा ही था। उन्हें उनसे लगाव था। मैं भी उनके प्रति दया का भाव रखता हूँ। यही मानवीयता है।

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