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NCERT Class 12 History Chapter 1 ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ: हड़प्पा सभ्यता
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ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ: हड़प्पा सभ्यता
Chapter: 1
भारतीय इतिहास के कुछ विषय: भाग – 1
चर्चा कीजिए
1. मानचित्र 1 तथा 2 की आपस में तुलना कीजिए तथा इनमें बस्तियों के वितरण में समानताओं तथा असमानताओं की सूची बनाइए।
उत्तर: मानचित्र 1 तथा 2 में समानताएँ यह हैं- कि दोनों में बस्तियाँ नदियों के किनारे ही बसी हुई हैं, और कृषि के योग्य क्षेत्र में विकसित हुई हैं।
असमानताएँ यह हैं कि मानचित्र 1 में विकसित नगरों की संख्या अत्यधिक है जबकि मानचित्र 2 में केवल कुछ प्रारंभिक बस्तियाँ दिखती हैं। मानचित्र 1 का विस्तार अधिक ज्यादा है और मानचित्र 2 सीमित क्षेत्र को दर्शाता है।
2. आहार संबंधी आदतों को जानने के लिए पुरातत्वविद किन साक्ष्यों का इस्तेमाल करते हैं।
उत्तर: आहार संबंधी आदतों को जानने के लिए पुरातत्वविद जानवरों की हड्डियां, अनाज के दाने, खाद्यात्र भंडारण के बर्तन, और हड्डियों पर करने के निशान जैसे कि साक्ष्यों से आहार संबंधी जानकारी प्राप्त करते हैं।
3. मोहनजोदड़ो के कौन से वास्तुकला संबंधी लक्षण नियोजन की ओर संकेत करते हैं?
उत्तर: सीधे कटे हुए मार्ग पक्की ईंटों से बने मकान, जल निकासी की व्यवस्था, और तो बड़े सार्वजनिक भवन जैसे खानागार यह संकेत करते हैं कि यह नगर योजनाबद्ध ढंग से बनाया गया था।
4. आधुनिक समय में प्रचलित मृतकों के अंतिम संस्कार की विधियों पर चर्चा कीजिए। ये किस सीमा तक सामाजिक भिन्नताओं को परिलक्षित करती हैं?
उत्तर: आज के समय में कुछ समुदाय दाह संस्कार करते हैं, कुछ लोग दफनाते हैं। यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं पर निर्भर करता रहता है, और इनमें वर्ग, लिंग और आर्थिक स्थिति के उपर भी अंतर देखने को मिलता है।
5. इस अध्याय में दिखाई गई पत्थर की पुरावस्तुओ की एक सूची बनाइए। इनमें से प्रत्येक के सदर्भ में चर्चा कीजिए कि क्या इन्हें उपयोगी अथवा विलास की वस्तुएँ माना जाए। क्या इनमें ऐसी वस्तुएँ भी हैं जो दोनों वर्गों में रखी जा सकती हैं?
उत्तर: (i) चक्की – उपयोगी वस्तु।
(ii) मोहरें – प्रशासनिक उपयोग और शायद विलास की भी।
(iii) आभूषण – विलास की वस्तु।
(iv) औज़ार – उपयोगी वस्तुएँ।
कुछ वस्तुएँ होते हैं जैसे सुंदर पत्थर से बने बर्तन या डिजाइनदार मोहरें दोनों श्रेणियों में रखी जा सकती हैं।
6. हड़प्पाई क्षेत्र से ओमान, दिलमुन तथा मेसोपोटामिया तक कौन से मार्गों से जाया जा सकता था।
उत्तर: हड़प्पाई क्षेत्र से ओमान, दिलमुन तथा मेसोपोटामिया तक सामुद्रिक मार्गों से जाया जा सकता था।
7. वर्तमान समय में सामान के लंबी दूरी के विनिमय के लिए प्रयुक्त कुछ तरीकों पर चर्चा कीजिए। उनके क्या-क्या लाभ और समस्याएँ है?
उत्तर: वर्तमान समय में रेलगाड़ी, हवाई जहाज़, ट्रक और समुद्री जहाज़ के जरिये से विनिमय होता है।
इनके लाभ: अधिक मात्रा में वस्तु परिवहन, तीव्रता, सुविधा आदि।
इनके समस्याएँ: यातायात, दुर्घटनाएँ, पर्यावरण में प्रदुषण आदि।
8. क्या हड़प्पाई समाज में सभी लोग समान रहे होंगे?
उत्तर: नहीं, ऐसा नहीं लगता कि हड़प्पाई समाज में सभी लोग समान रहे होंगे। वहाँ सामाजिक असमता के संकेत मिलते हैं जैसे कि कुछ बड़े मकान, विशेष कब्रों में बहुमूल्य वस्तुएँ, विशेष संरचनाओं तक सीमित पहुँच यह सभी सामाजिक भिन्नताओं को दर्शाति हैं।
9. मानचित्र 1, 2 और 4 के बीच समानताओं और भिन्नताओं पर विचार कीजिए।
उत्तर: मानचित्र 1, 2 और 4 के बीच समानताएँ: दोनों मानचित्रों में महत्वपूर्ण स्थलों को दर्शाया गया है।
मानचित्र 1, 2 और 4 के बीच भिन्नताएँ: एक मानचित्र में सिर्फ भारतवर्ष का क्षेत्र है, जबकि दूसरे मानचित्र में भारत के बाहर के क्षेत्र है (जैसे मेसोपोटामिया, ओमान) को भी दिखाया गया है।
10. इस अध्याय में दिए गए विषयों में से कौन से कनिंघम को रुचिकर लगते? 1947 के बाद से कौन-कौन से प्रश्न रोचक माने गए हैं?
उत्तर: इस अध्याय में दिए गए विषयों में से भारत के इतिहास, पुरातत्व, और प्राचीन वास्तुकला में गहरी रुचि थी। और 1947 के बाद से पुरातत्वविदों ने आम लोगों के जीवन, उत्पादन के साधन और सामाजिक संरचना जैसे प्रश्न रोचक माने गए हैं।
11. हड़प्पाई अर्थव्यवस्था के वे कौन-कौन से पहलू हैं जिनका पुनर्निर्माण पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर किया गया है?
उत्तर: कृषि, व्यापार, कारिगरी, पशुपालन, मृद्भाडं निर्माण, और जल प्रबंधन वे सभी पहलू है, पुरातात्विक साक्ष्यों जैसे कि औज़ार, बर्तन, मोहरे और इमारतों के अवशेषों से पुनर्निर्माण किया गया है।
उत्तर दीजिए (लगभग 100-150 शब्दों में)
1. हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची बनाइए। इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान कीजिए।
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के शहरों में उपलब्ध भोजन सामग्री में गेहूँ, जौ, चावल, फलियों, तिल, सरसों, और कपास के बीज शामिल थे। इनके अतिरिक्त मांस, मछली, दूध और दूध से बने सामग्री भी मिलते थे। शिकार और पशुपालन के जरिये भी भोजन की सामग्री मिलती थी। ये भोजन सामग्री किसान, पशुपालक, अहेरि और मछुआरे जैसे विभिन्न समूहों के द्वारा भी उपलब्ध कराई जाती थी।
2. पुरातत्वविद हड़प्पाई समाज में सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता किस प्रकार लगाते हैं? वे कौन सी भिन्नताओं पर ध्यान देते हैं?
उत्तर: पुरातत्वविद मकानों के आकार, निर्माण सामग्री, दफनाने की विधियों अथवा मृतकों के साथ रखी गई वस्तुओं से सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता लगाते हैं। बड़े मकान और कीमती वस्तुएँ समृद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं, जैसे- साधारण मकान और कम कीमत की वस्तुएँ आम लोगों की स्थिति को दर्शाती हैं।
3. क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल निकास प्रणाली, नगर-योजना की ओर संकेत करती है? अपने उत्तर के कारण बताइए।
उत्तर: हाँ, में सहमत हूँ कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों में व्यवस्थित, जल निकास प्रणाली थी। सड़कों के किनारे नालिया बनाई गई थीं और हर घर का गंदा पानी मुख्य नाली में पहुँचता था। यह दर्शाता है कि वहाँ नगर योजना के सिद्धांतों के अनुसार योजना बनाकर शहरों का निर्माण हुआ था।
4. हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए। कोई भी एक प्रकार का मनका बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थ थे जैसे- कार्नेलियन (लाल पत्थर), अगेट, चूना पत्थर, फैयांस, तांबा, सोना, और गोमती चिप्स। कार्नेलियन के मनके बनाने की प्रक्रिया है। पहले पत्थर को काटा जाता था और आकार दिया जाता था, फिर उसे गर्म करके वांछित रंग प्राप्त किया जाता था, और बाद में उसमें छेद किया जाता था।
5. चित्र 1 को देखिए और उसका वर्णन कीजिए। शव किस प्रकार रखा गया है? उसके समीप कौन सी वस्तुएँ रखी गई हैं? क्या शरीर पर कोई पुरावस्तुएँ हैं? क्या इनसे कंकाल के लिंग का पता चलता है?
उत्तर: चित्र 1 में शव को सीधे लेटाकर रखा गया है। शव के समीप बर्तन और अन्य वस्तुएँ रखी गई हैं। शरीर पर कुछ भूषण भी मिले हैं, जो सामाजिक स्थिति को दर्शाती हैं। फिर भी, इन वस्तुओं के आधार पर शव के लिंग का सुनिश्चित अनुमान लगाना आसान नहीं होता है।
निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 500 शब्दों में)
6. मोहनजोदड़ो की कुछ विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर: मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता का एक मुख्य और श्रेष्ठ नगर था। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसकी योजनाबद्ध नगरीय संरचना ही थी। नगर को ऊँचे टीले (गढ़) और नीची बस्ती में बाँटा गया था। ऊँचे टीले पर प्रशासनिक भवन, विशाल स्रानागार, अनाज भंडार और सभा भवन स्थित थे। विशाल स्नानागार (ग्रेट बाथ) मोहनजोदड़ो की सबसे मशहूर खोज है, जिसे ईंटों से बनाया गया था और जल निकासी की उत्तम व्यवस्था थी।
मोहनजोदड़ो की गलियों सीधी और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। मकान पक्की ईंटों से बने थे और अधिकतर मकानों में कुएँ, स्रानघर और नालियों की सुविधाएँ भी थीं। वहाँ वे विकसित जल निकासी प्रणाली भी थी, जो ये दर्शाती है कि स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता था। मोहनजोदड़ो से मूर्तियाँ, मुद्राएँ, आभूषण और मिट्टी के खिलौने भी प्राप्त हुए हैं, जो वहाँ के शिल्पकला और सांस्कृतिक जीवन के उच्च स्तर को दर्शाते हैं।
हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन और कच्चा माल:
हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन अत्यंत उन्नत था। शिल्पकार विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बनाते थे जैसे बर्तन, आभूषण, उपकरण और मूर्तियाँ। शिल्प उत्पादन के लिए कच्चे माल का संग्रह आवश्यक था। इन कच्चे माल को विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया जाता था।
(i) मिट्टी और पकी ईंटें: भवन निर्माण के लिए मिट्टी और पकी ईंटों का उपयोग किया जाता था। ये
स्थानीय स्रोतों से प्राप्त होती थीं।
(ii) तांबा और कांसा: राजस्थान के खेतड़ी और अफगानिस्तान से तांबा प्राप्त होता था। कांसे के लिए तांबा और टिन का मिश्रण किया जाता था।
(iii) सोना और चांदी: अफगानिस्तान और दक्षिण भारत से व्यापार द्वारा लाया जाता था।
(iv) सेमी-कीमती पत्थर: जैसे लाल पत्थर और कारेलियन गुजरात से प्राप्त होते थे।
(v) कपास और ऊन: कपड़ा बुनाई के लिए कपास सिंध और पंजाब में उगाया जाता था। ऊन भेड़ों से प्राप्त होता था।
हड़प्पाई लोग व्यापार मार्गों के माध्यम से इन कच्चे माल को इकट्ठा करते थे। उन्होंने कच्चे माल के आयात और तैयार वस्तुओं के निर्यात के लिए व्यापारिक नेटवर्क बनाए।
7. हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाइए तथा चर्चा कीजिए कि ये किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे।
उत्तर: हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए जिन कच्चे मालों की आवश्यकता होती थी, उनमें से मुख्यतः पत्थर (जैसे सेमी-कीमती पत्थर – कार्नेलियन, लैपिस लैजुली), धातुएँ (तांबा, कांसा, सोना, चाँदी), मिट्टी, लकड़ी, गोमेद (agate), और सीप (shell) शामिल थे।
ये कच्चे माल विभिन्न स्थानों से प्राप्त किए जाते थे। जैसे, कार्नेलियन गुजरात के लाथल से, लैपिस लैजुली अफगानिस्तान के बदख्शां से, तांबा राजस्थान के खेड़ी और बलूचिस्तान से, और सीप समुद्र के तटवर्ती इलाकों से मिलते थे। माल की आपूर्ति व्यापार और विनिमय के माध्यम से ही होती थी। इस प्रक्रिया में, हड़प्पावासी निकटवर्ती और दूरस्थ क्षेत्रों से संबंध बनाकर जरूरी सामग्री जुटाते थे।
8. चर्चा कीजिए कि पुरातत्वविद किस प्रकार अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं।
उत्तर: पुरातत्वविद अतीत का पुनर्निर्माण करते हैं मुख्यतः पुरातात्विक स्रोतों के अध्ययन के आधार पर करते हैं। वे खुदाई करके प्राप्त वस्तुओं जैसे-भवनों के अवशेष, औजार, बर्तन, मुहरें, शिलालेख आदि का अध्ययन, करते हैं। इन वस्तुओं की बनावट, उपयोगिता और वितरण का अध्ययन कर यह अनुमान लगाया जाता है कि लोग कैसे रहते थे, उनका आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक जीवन कैसा था।
वे वंशानुगत, काल निर्धारण विधियों (जैसे कार्बन डेटिंग) का भी सहारा लेते हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि कोई वस्तु या सामग्री कितनी पुरानी है। इसके अलावा पुरातत्वविद अन्य विज्ञानों जैसे मानव विज्ञान, भूगोल और वनस्पति विज्ञान से भी मदद लेते हैं ताकि अतीत के पर्यावरण और जीवनशैली की संपूर्ण तस्वीर प्रस्तुत की जा सके।
9. हड़प्पाई समाज में शासकों द्वारा किए जाने वाले संभावित कार्यों की चर्चा कीजिए।
उत्तर: हड़प्पाई समाज में शासक वर्ग का अस्तित्व संकेतों के माध्यम से अनुमानित किया जाता है। शासकों के संभावित कार्यों में नगरों की योजना बनाना और उनका निर्माण करवाना, कृषि कार्यों का व्यवस्था करना, व्यापार और विनिमय को प्रेरणा देना, धार्मिक अनुष्ठानों को आयुजित करना और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना शामिल था।
शासकों का कार्य जल निकासी व्यवस्था बनाए रखना और अनाज के भंडारण के लिए बड़े गोदामों का निर्माण करवाना भी हो सकता है। और साथ ही, वे नगरों के बीच समन्वय स्थापित करते थे, जिससे हड़प्पा सभ्यता का विशाल विस्तार और समानता संभव हो पाया था।

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