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NCERT Class 12 Hindi Chapter 8 रुबाइयाँ
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रुबाइयाँ
Chapter: 8
HINDI
अभ्यास |
पाठ के साथ
1. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यजित करना चाहता है?
उत्तर: शायर राख के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर भाई-बहन के संबंध की घनिष्टता को व्यक्त करना चाहता है। भाई-बहन को शायर बादल की घटा तथा बिजली के रूप में अभिव्यक्त करता है। राखी उसी घनिष्टता का प्रतीक है, जो प्रत्येक भाई के हाथ में राखी के धागे के रूप में दिखाई देता है। यह दोनों के मध्य प्रेम तथा पवित्रता का सूचक है।
2. खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?
उत्तर: खुद का परदा खोलने का तात्पर्य है कि अपना असली चेहरा दूसरों को दिखा देते हैं। शायर कहता है कि जब हम किसी की बुराई कर रहे होते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं कि हम सामने वाले को अपना असली चेहरा दिखा देते हैं। उससे पहले हमारे बारे में कोई भी राय क्यों न कायम की हो। कवि का आशय यह भी है कि जो व्यक्ति उनकी बुराई करता है वह जाने-अनजाने संसार के सामने अपनी कमज़ोरी ही प्रकट करता है।
3. टिप्पणी करें–
(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
उत्तरा: ‘गोदी के चाँद और गगन के चाँद’ का रिश्ता कविता ‘रुबाइयाँ गजल’ से लिया गया है। इस कविता में, कवि ने माँ को अपनी गोद में सोए बच्चे को देखकर अभिभूत होते हुए दिखाया है। माँ को बच्चा चाँद की तरह लगता है, इसलिए कवि ने उसे ‘गोदी के चाँद’ कहकर संबोधित किया है। माँ अपने प्यारे शिशु को चाँद से भी अधिक प्यारा मानती है। आकाश का चाँद बच्चों को प्यारा लगता है और वे उसे खिलौना मानकर पाने के लिए मचलने लगते हैं।
(ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व।
उत्तर: सावन के महीने में रक्षाबंधन का त्योहार आता है और इस दिन आसमान में घटाएं दिखाई देती हैं और उनके बीच बिजली दमकने लगती है। सावन का जो संबंध झीनी घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से होता है। भाई-बहन के मन में प्यार की घटाएँ होती हैं। रक्षाबंधन, भाई-बहनों के बीच अटूट प्यार को दर्शाने का त्योहार है। यह त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
कविता के आसपास
1. इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोगों को छाँटिए।
उत्तर: रुबाइयों में हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोग इस प्रकार हैं–
(क) लोता देती है।
(ख) घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपड़े।
(ग) रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक।
(घ) गेसुओं में कंघी करके।
(ङ) ज़िदयाया है।
(च) आईने में चाँद उतर आया है।
(छ) रस की पुतली।
आपसदारी
कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है। इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई रुबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए।
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।
–सूरदास
(ख) वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान
–सुमित्रानंदन पंत
(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार
–कबीर
उत्तर: (क) मैया मैं तो चंद्र खिलौनो लैहों। (सूरदास)
पाठ से मिलती पंक्तियाँ–
आँगन में ठुनक रहा है ज़िदयाया है
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।
(ख) वियोगी होगा पहला कवि (सुमित्रानंदन पंत)
आह से उपजा होगा गान
उमड़ कर आँखों से चुपचाप
बही होगी कविता अनजान
पाठ से मिलती पंक्तियाँ–
आबो-ताब अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार (कबीर)
पाठ से मिलती पंक्तियाँ–
ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ले हैं।