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NCERT Class 12 Hindi Chapter 5 उषा
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उषा
Chapter: 5
HINDI
अभ्यास |
कविता के साथ
1. कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
उत्तर: निम्नलिखित उपमानों को देखकर कहा जाता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है–
(i) भोर के समय आकाश नीले शंख की तरह पवित्र लगना।
(ii) राख से लिपा हुआ चौका।
(iii) वह लाल केसर से धोए हुए सिल-सा लगता है।
2. भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
नयी कविता में कोष्ठक, विराम चिह्नों और पक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है। उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए।
उत्तर: नयी कविता में कोष्ठकों का प्रयोग तो पर्याप्त दिखाई देता है, परन्तु विराम-चिह्न लुप्त रहते हैं। कोष्ठक में अंकित पंक्तियों के अर्थ को मुख्य वाक्यार्थ का भावाभिव्यंजक माना जाता है। उदाहरण के लिए ‘अभी गीला पड़ा है’ कथन से नीले आकाश रूपी चौके की नमी एवं ताजगी की व्यंजना हुई है। कवि अक्सर अपनी कविताओं में अतिरिक्त जानकारी जोड़ने या परिप्रेक्ष्य या स्वर में बदलाव को दिखाने के लिए कोष्ठक का इस्तेमाल करते हैं। कोष्ठक वाली पंक्तियां कविता के अर्थ में आगे का संदर्भ या अंतर्दृष्टि दे सकती हैं, या वे कवि की टिप्पणी या उससे अलग भी हो सकती हैं
अपनी रचना
1. अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्दचित्र खीचिए।
उत्तर: उषा कविता में कवि ने बताया है कि सुबह के समय सूर्य का उगना ऐसा लगता है जैसे यह आकाश और धरती के बीच की जगह को अपने सुनहरे रंग की रोशनी से भर देता है। उस समय सब अपने दिन की शुरुआत करते हैं। दिन धीरे- धीरे चलता है। सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य की लालिमा देखने लायक होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सूर्योदय के समय सूरज की रोशनी वायुमंडल की मोटी परतों से गुज़रती है। इस परतों में कम तरंगदैर्ध्य वाले नीले रंग को ज़्यादा बिखराया जाता है, जबकि ज़्यादा तरंगदैर्ध्य वाले रंग का बिखराव बहुत कम होता है। इस वजह से आंखों तक सिर्फ़ लाल रंग पहुंचता है और सूरज लाल-भरा दिखाई देता है।
आपसदारी
1. सूर्योदय का वर्णन लगभग सभी बड़े कवियों ने किया है। प्रसाद की कविता ‘बीती विभावरी जाग री’ और अज्ञेय की ‘बावरा अहेरी’ की पंक्तियाँ आगे बॉक्स में दी जा रही हैं। ‘उषा’ कविता के समानांतर इन कविताओं को पढ़ते हुए नीचे दिए गए बिंदुओं पर तीनों कविताओं का विश्लेषण कीजिए और यह भी बताइए कि कौन-सी कविता आपको ज्यादा अच्छी लगी और क्यों?
● उपमान ● शब्दचयन ● परिवेश
बीती विभावरी जाग री!
अंबर पनघट में डुबो रही-तारा-घट ऊषा नागरी।
खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई–
मधु मुकुल नवल रस गागरी।
अधरों में राग अमंद पिए,
अलकों में मलयज बंद किए–
तू अब तक सोई है आली
आँखों में भरे विहाग री।
–जयशंकर प्रसाद
भोर का बावरा अहेरी
पहले बिछाता है आलोक की
लाल-लाल कनियाँ
पर जब खींचता है जाल को
बाँध लेता है सभी को साथः
छोटी-छोटी चिड़ियाँ, मॅझोले परेवे, बड़े-बड़े पंखी
डैनों वाले डील वाले डौल के बेडौल
उड़ने जहाज,
कलस-तिसूल वाले मंदिर-शिखर से ले
तारघर की नाटी मोटी चिपटी गोल धुस्सों वाली उपयोग-सुंदरी
बेपनाह काया कोः
गोधूली की धूल को, मोटरों के धुएँ को भी
पार्क के किनारे पुष्पिताग्र कर्णिकार की आलोक-खची तन्वि रूप-रेखा को और दूर कचरा जलानेवाली कल की उद्दंड चिमनियों को,
जो धुआँ यों उगलती हैं मानो उसी मात्र से अहेरी को हरा देंगी।
–सच्विदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
उत्तर: उपमान: प्रसाद की कविता ‘बीती विभावरी जाग री’ में सूर्योदय की सुंदरता को उपमानों के माध्यम से व्यक्त करती है। उषा को उल्लेख करने से सूर्य की उगम को अद्वितीयता से प्रस्तुत किया गया है।
अज्ञेय की कविता ‘बावरा अहेरी’ में बावरा अहेरी के माध्यम से सूर्योदय की विभिन्न रूपरेखाएँ और प्रकाश की विविधता का उपमान बनाया गया है।
शब्दचयन: ‘बीती विभावरी जाग री’ इस कविता में प्रयुक्त शब्दों का चयन गंभीरता और सुंदरता को सुनिश्चित करता है, जिससे सूर्योदय की महिमा में आनंद और भक्ति का अनुभव होता है।
‘बावरा अहेरी’ अज्ञेय की कविता में उपयोगित अलंकार और संवेदनशीलता के शब्दों का प्रयोग किया गया है, जो पाठक को गहराई और विविधता का अनुभव कराते हैं।
परिवेश: ‘बीती विभावरी जाग री’ इस कविता में प्राकृतिक परिवेश का चित्रण किया गया है, जैसे अंबर, पनघट, ताराघट, जो सूर्योदय के अनुभव को और भी गहरा बनाते हैं।
‘बावरा अहेरी’ इस कविता में उल्लेखित परिवेश समृद्ध है, जो सूर्योदय की विविधता और प्रकाश की विशालता को दर्शाता है।