NCERT Class 11 Hindi Aroh Chapter 13 गज़ल

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NCERT Class 11 Hindi Aroh Chapter 13 गज़ल

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Chapter: 13

आरोह

काव्य-खंड

अभ्यास

गज़ल के साथ

1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई है। क्या उसका आशय एक खास तरह के फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें।

उत्तर: गुलमोहर एक फूलदार वृक्ष है। परंतु कविता में गुलमोहर स्वाभिमान के सांकेतिक अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।  मनुष्य अपने घर में शांति व मानवीय गुणों से युक्त होकर रहे। यदि उसे बाहर रहना भी पड़े, तो वह शांति और मानवीय गुणों को बनाए रखे, जिससे समाज में व्यवस्था बनी रहे और अराजकता की स्थिति उत्पन्न न हो।

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2. पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया है और दूसरी बार एकवचन में। अर्थ एवं काव्य-सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?

उत्तर: पहले शेर में ‘चिराग’ शब्द का बहुवचन ‘चिराग़ाँ’ प्रयोग हुआ है, जिसका अर्थ अत्यधिक सुख-सुविधाएँ होता है। दूसरी बार यह एकवचन के रूप में प्रयुक्त हुआ है जिसका अर्थ है, सीमित सुख सुविधाओं का मिलना। दोनों का ही अपना महत्व है। बहुवचन शब्द कल्पना को दर्शाता है, जबकि एकवचन शब्द जीवन की यथार्थता को प्रकट करता है। इस प्रकार, एक ही शब्द भिन्न-भिन्न संदर्भों में अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न करता है।

इस प्रयोग का काव्य-सौंदर्य में विशेष महत्व है—बहुवचन कल्पना और आदर्श की दुनिया को दर्शाता है, जबकि एकवचन यथार्थ की सच्चाई को उजागर करता है। इससे कविता में संवेदना, भावों की गहराई और प्रतीकात्मकता बढ़ती है।

3. गज़ल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों की ओर है?

उत्तर: तीसरे शेर में कवि ने उत्साहहीन, दीन हीन लोगों की ओर संकेत किया है जो हर स्थिति को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। वे अन्याय का विरोध नहीं करते, क्योंकि उनकी प्रतिरोध शक्ति लगभग समाप्त हो चुकी है। राजनेता और अफसरशाही जनता की इसी उदासीनता का लाभ उठाकर उसका निरंतर शोषण करते रहते हैं।

4. आशय स्पष्ट करें:

तेरा निज़ाम है सिल दे जु़बान शायर की, 

ये एहतियात ज़रूरी है इस बहर के लिए।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ दुष्यत कुमार की गज़ल साए में धूप से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने शासक वर्ग पर व्यंग्य किया है। सत्ता में होने के कारण शासक वर्ग किसी भी शायर की ज़ुबान पर पाबंदी लगा सकता है, अर्थात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है। शासक को अपनी सत्ता कायम रखने के लिए इस प्रकार की सावधानी रखना जरूरी भी होता है परंतु ये सर्वथा अनुचित है। यदि बदलाव लाना है, तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आवश्यक है।

गज़ल के आस-पास

1. दुष्यंत की इस गज़ल का मिज़ाज बदलाव के पक्ष में है। इस कथन पर विचार करें।

उत्तर: कवि बदलाव के पक्ष में है। वह जनता, समाज, शासक, प्रशासन और मानव मूल्यों में आई गिरावट से चिंतित है और उसमें बदलाव लाने की इच्छा रखता है। आज पूरी राजनीतिक व्यवस्था भ्रष्टाचार से ओत-प्रोत है। आम व्यक्ति निराश हो चुका है तथा यथाशक्ति सहने का आदी बन चुका है। कवि अपनी आवाज के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है, लेकिन सत्ता उसे दबाने का प्रयास कर रही है। इसलिए, कवि समाज में क्रांति लाने की इच्छा रखता है।

2. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन 

दिल के खुश रखने को गालिब ये खयाल अच्छा है 

दुष्यंत की गज़ल का चौथा शेर पढ़ें और बताएँ कि गालिब के उपर्युक्त शेर से वह किस तरह जुड़ता है?

उत्तर: कवि दुष्यंत ने अपनी गज़ल के चौथे शेर में ईश्वर के अस्तित्व की केवल कल्पना मात्र से व्यक्ति के आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करने की बात कही है। ईश्वर के होने का सुंदर सपना ही लोगों की आँखों को सुकून देता है। इस प्रकार शेर में कवि ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से दूर कल्पना मात्र से ही दिल को खुश कर लेते हैं। ग़ालिब के शेर में भी स्वर्ग की वास्तविकता सभी जानते हैं, लेकिन दिल को खुश करने के लिए उसकी सुंदर कल्पना की जाती है। इसी प्रकार, दोनों शेरों में वास्तविकता से परे एक काल्पनिक दुनिया का वर्णन किया गया है।

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