NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 1 ईदगाह

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NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 1 ईदगाह

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Chapter: 1

अंतरा

गद्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. ‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है।

उत्तर: रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए हैं, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगा। तीन कोस का पैदल रास्ता, फिर सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना, दोपहर के पहले लौटना असंभव है। लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। किसी ने एक रोज़ा रखा है, वह भी दोपहर तक, किसी ने वह भी नहीं; लेकिन ईदगाह जाने की खुशी उनके हिस्से की चीज़ है। रोजे बड़े-बूढ़ों के लिए होंगे। इनके लिए तो ईद है। रोज ईद का नाम रटते थे आज वह आ गई। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते।

इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन। सेवैयों के लिए दूध और शक्कर घर में है या नहीं, इनकी वला से, ये तो सेवैयाँ खाएँगे। वह क्या जानें कि अव्वाजान क्यों वदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं। उन्हें क्या खबर की चौधरी आज आँखे वदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए। उनकी अपनी जेवों में तो कुवेर का धन भरा हुआ है। वार-वार जेव से अपना खजाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं।

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2. ‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी। इस कथन से लेखक का क्या आशय है?

उत्तर: जिसके जीवन में आशा का प्रकाश सदैव बना रहता है, वह हर कठिनाई को पार कर आगे बढ़ता है। आशा न केवल हमें शक्ति देती है, बल्कि निराशा के अंधकार से बाहर निकलने का मार्ग भी दिखाती है। जब जीवन में विषम परिस्थितियाँ आती हैं, तो मनुष्य की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है, लेकिन आशा की किरण उसे अंधकार से बाहर निकालने में सहायक होती है। निराशावादी व्यक्ति जल्द ही हार मान लेता है और संघर्ष करना छोड़ देता है, जिससे वह प्रगति नहीं कर पाता। इसके विपरीत, जो व्यक्ति आशावादी होता है, वह कभी हार नहीं मानता और लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहता है। उसे विश्वास होता है कि उसकी मेहनत अवश्य रंग लाएगी, और यही सकारात्मक सोच उसे निराशा से बाहर निकालकर प्रेरणा प्रदान करती है। प्रेमचंद की ईदगाह कहानी में हामिद इसका सजीव उदाहरण है। माता-पिता के बिना भी वह अपनी कल्पना और आशा के सहारे खुश रहता है। उसे विश्वास है कि उसके अब्बा रुपयों की थैलियाँ और अम्मी अल्लाह के घर से उसके लिए नियामतें लेकर आएँगी। उसकी यही आशावादी दृष्टि उसे कठिनाइयों के बावजूद प्रसन्न बनाए रखती है और हमें सिखाती है कि जीवन में आशा का होना कितना आवश्यक है।

3. ‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।’ – इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन के माध्यम से प्रेमचंद ने उस सामाजिक और आर्थिक असमानता को उजागर किया है, जिसमें गरीब लोग अपनी खुशियाँ संपन्न वर्ग की कृपा पर निर्भर पाते हैं। गाँव के अधिकांश लोग इतने गरीब हैं कि उन्हें त्योहार मनाने के लिए भी चौधरी से उधार लेना पड़ता है। उनकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि चौधरी उनसे प्रसन्न है या नहीं। यदि चौधरी किसी कारणवश नाराज हो जाए और पैसे देने से इनकार कर दे, तो उनकी सारी तैयारियाँ अधूरी रह जाएँगी, और उनका त्योहार शोक में बदल जाएगा। ईद, जो उत्सव और उल्लास का प्रतीक है, गरीबों के लिए तभी तक ईद बनी रहती है जब तक उन्हें आवश्यक संसाधन मिलते रहते हैं। यदि चौधरी अपनी दृष्टि फेर ले, तो उनकी खुशी पल भर में ग़म में बदल सकती है, ठीक वैसे ही जैसे ईद का उत्सव मुहर्रम के मातम में बदल जाता है। यह कथन ग्रामीण समाज की उस कटु सच्चाई को प्रकट करता है, जहाँ अमीरों की कृपा ही गरीबों के जीवन की दिशा तय करती है। प्रेमचंद ने इस कथन के माध्यम से दिखाया है कि आर्थिक विषमता और सामाजिक निर्भरता किस तरह एक वर्ग को हमेशा असुरक्षित बनाए रखती है, जिससे उनकी खुशियाँ भी दूसरों के निर्णयों पर टिकी रहती हैं।

4. ‘मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।’ इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।’

उत्तर: इस कथन के माध्यम से प्रेमचंद ने धर्म की एकता और सामूहिकता को दर्शाया है। ईदगाह में नमाज अदा करने के दौरान लाखों लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ खड़े होते हैं, झुकते हैं और सजदा करते हैं। यहाँ न कोई अमीर होता है, न गरीब; न कोई उच्च होता है, न निम्न—सभी समान होते हैं। यह दृश्य दर्शाता है कि सच्चे अर्थों में धर्म विभाजन करने का नहीं, बल्कि जोड़ने का कार्य करता है। धर्म का उद्देश्य मनुष्यों को एक सूत्र में पिरोकर उनमें भ्रातृत्व और समानता की भावना पैदा करना है। प्रेमचंद ने इस वर्णन के माध्यम से दिखाया है कि धार्मिक आस्थाएँ जब सच्चे भाव से निभाई जाती हैं, तो वे मनुष्यों के बीच प्रेम, एकता और सद्भाव को मजबूत करती हैं, न कि समाज को तोड़ती हैं।

5. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए –

(क) कई बार यही क्रिया होती है …………… आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रेमचन्द द्वारा रचित ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं, जिसमें ईद पर्व के अवसर पर नमाज पढ़ने वाले सभी रोजेदारों की पंक्तिबद्धता और सामूहिकता का सजीव वर्णन किया गया है।

इस कथन के माध्यम से प्रेमचंद ने धर्म की एकता और समानता को दर्शाया है। ईदगाह में सभी बिना भेदभाव के एक साथ सजदा करते हैं, जिससे भाईचारे की भावना प्रकट होती है। यहाँ सभी समान हैं, न कोई अमीर, न गरीब। यह दृश्य दिखाता है कि धर्म का उद्देश्य जोड़ना है, न कि तोड़ना, और यह लोगों को प्रेम और सद्भाव में बांधता है।

(ख) बुढ़िया का क्रोध …………… स्वाद से भरा हुआ।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ईदगाह’ कहानी से ली गई हैं। इन पंक्तियों में हामिद द्वारा खरीदकर लाए गए चिमटे को देखकर उसकी बूढ़ी दादी के भावविह्वल होने का सजीव चित्रण किया गया है।

बूढ़ी अम्मीना का क्रोध हामिद के प्रति उसके गहरे स्नेह और चिंता को दर्शाता है। जब हामिद खिलौने या मिठाइयाँ लेने के बजाय अपने थोड़े से पैसों से चिमटा खरीदकर लाता है, तो पहले अम्मीना क्रोधित होती है। लेकिन जब हामिद मासूमियत से बताता है कि यह चिमटा उनके लिए है ताकि रोटियाँ सेंकते समय उनके हाथ न जलें, तो उसकी दादी का क्रोध तुरंत ममता और स्नेह में बदल जाता है। यह क्षण प्रेम और त्याग की गहराई को उजागर करता है, जहाँ हामिद की समझदारी और निस्वार्थ भाव ने उसकी दादी के हृदय को आनंद और गर्व से भर दिया।

6. हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?

उत्तर: हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए निम्नलिखित तर्क दिए:

(i) तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी के उंगलियाँ जल जाते हैं, चिमटा होने से उनकी उंगलियाँ नहीं जलेंगी।

(ii) खिलौने कुछ ही देर की खुशी देते हैं और जल्द ही टूट जाते हैं, जबकि चिमटा रोजमर्रा के काम आएगा।

(iii) इससे रोटियाँ सेंकी जा सकती हैं और चूल्हे से आसानी से आग निकाली जा सकती है।

(iv) दादी चिमटा देखकर खुश होंगी और ढेर सारी दुआएँ देंगी।

(v) गर्मी, सर्दी, बारिश इत्यादि में इसका कुछ नहीं विगड़ेगा।

7. गाँव से शहर जानेवाले रास्ते के मध्य पड़नेवाले स्थलों का ऐसा वर्णन लेखक ने किया है मानो आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़नेवाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर: मेरे घर और विद्यालय के बीच का रास्ता कई खूबसूरत और रोचक स्थलों से होकर गुजरता है। सुबह जब मैं घर से निकलता हूँ, तो सबसे पहले पड़ोस की गली से होकर मुख्य सड़क पर आता हूँ। यहाँ दोनों ओर दुकानें हैं—कोई सब्ज़ी बेच रहा होता है, तो कोई चाय की दुकान पर ग्राहकों से घिरा रहता है।

आगे बढ़ते ही एक बड़ा पीपल का पेड़ दिखता है, जिसकी छाया में कुछ बुजुर्ग लोग बैठकर बातें करते हैं। उसके पास एक छोटा मंदिर है, जहाँ सुबह-शाम घंटियों की मधुर आवाज़ गूंजती रहती है। थोड़ी दूर चलते ही एक बड़ा मैदान आता है, जहाँ बच्चे क्रिकेट खेलते हुए नजर आते हैं।

इसके बाद सड़क किनारे मिठाई और किताबों की दुकानें हैं, जहाँ विद्यालय के कई विद्यार्थी रुककर कुछ न कुछ खरीदते हैं। फिर एक मोड़ मुड़ते ही मेरी विद्यालय की बड़ी इमारत दिखने लगती है। विद्यालय के गेट पर हमेशा चहल-पहल रहती है—कुछ बच्चे हँसते-बोलते हुए अंदर जा रहे होते हैं, तो कुछ अपने दोस्तों का इंतजार कर रहे होते हैं। इस तरह, यह रास्ता हर दिन नई ऊर्जा और उत्साह से भर देता है।

8. ‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गई।’ इस कथन में ‘बूढ़े हामिद’ और ‘बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन में ‘बूढ़े हामिद’ का अर्थ एक परिपक्व और समझदार व्यक्ति से है, जिसने अपनी इच्छाओं का त्याग कर व्यावहारिक और उपयोगी वस्तु खरीदी। हामिद, जो खुद एक छोटा बच्चा है, खिलौनों और मिठाइयों की लालसा को छोड़कर अपनी दादी की जरूरत को प्राथमिकता देता है। यह उसकी गहरी संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय देता है, जो आमतौर पर एक परिपक्व व्यक्ति में देखी जाती है। दूसरी ओर, ‘बालिका अमीना’ से तात्पर्य हामिद की दादी की भावुकता और कोमलता से है। जब वह देखती है कि उसका नन्हा पोता अपनी खुशी से ज्यादा उसकी चिंता करता है, तो उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। अमीना का यह रूप किसी मासूम बच्ची की तरह भावनाओं से भर जाता है, जो प्यार और स्नेह से ओतप्रोत होता है। लेखक ने इस कथन के माध्यम से यह दिखाया है कि परिस्थितियाँ कैसे एक छोटे बच्चे को परिपक्व बना सकती हैं और एक वृद्धा को बालिका-सा कोमल बना सकती हैं।

9. ‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता!’ – लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: हामिद अपनी मासूमियत और बाल सुलभ बुद्धि के कारण अमीना की दुआओं और आँसुओं के गहरे अर्थ को समझ नहीं पाता। उसने चिमटा केवल इस भावना से खरीदा था कि दादी की उँगलियाँ तवे से जलने से बच जाएँ। उसे यह अहसास नहीं था कि उसका यह त्याग और परोपकार अमीना के हृदय को कितना गहराई से छू जाएगा। अमीना का रोना केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं था, बल्कि उसमें मातृत्व का अपार प्रेम, संवेदनशीलता और हामिद की समझदारी पर गर्व भी छिपा था। हामिद के त्याग और उसके निःस्वार्थ प्रेम ने अमीना को भीतर तक गद्गद कर दिया, परंतु हामिद अभी इतना बड़ा नहीं हुआ था कि वह इन भावनाओं के रहस्य को पूरी तरह समझ सके। यही कारण है कि वह दादी के आँसुओं को देखकर आश्चर्यचकित रह जाता है।

10. हामिद की जगह आप होते तो क्या करते?

उत्तर: यदि मैं हामिद की जगह होता, तो शायद मैं भी अपने लिए खिलौने या मिठाइयाँ खरीदने की इच्छा रखता, लेकिन अगर मुझे अपनी दादी की जरूरत का एहसास होता, तो मैं भी हामिद की तरह चिमटा खरीदने का निर्णय ले सकता था। हामिद ने जो किया, वह केवल एक बच्चे का फैसला नहीं था, बल्कि यह उसकी समझदारी, परोपकार और अपने परिवार के प्रति प्रेम का उदाहरण था। अगर मैं उसकी जगह होता, तो मैं भी अपनी खुशी से ज्यादा अपनी दादी की जरूरत को महत्व देने की कोशिश करता, क्योंकि असली खुशी अपनों की मदद करने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में होती है।

योग्यता-विस्तार

1. प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह ‘मानसरोवर’ नाम से आठ भागों में प्रकाशित है। अपने पुस्तकालय से लेकर उसे पढ़िए।

उत्तर: विद्यार्थी स्स्वयं करें।

2. इस कहानी में लोक प्रचलित मुहावरों की भरमार है, जैसे – नानी मरना, छक्के छूटना आदि। इसमें आए मुहावरों की एक सूची तैयार कीजिए।

उत्तर: ‘ईदगाह’ कहानी में प्रयुक्त कुछ प्रमुख मुहावरे:

(i) नानी मरना – बहुत ज्यादा तकलीफ या डर लगना।

(ii) छक्के छूटना – बहुत परेशान हो जाना।

(iii) दिल को समझाना – अपने मन को किसी बात के लिए राज़ी करना।

(iv) गला सूखना – बहुत प्यास लगना या घबराहट होना।

(v) आग में घी डालना – पहले से गुस्से में भरे व्यक्ति को और भड़काना।

(vi) पैर पकड़ना – किसी से विनती करना या मिन्नतें करना।

(vii) मुँह उतरना – उदास या हताश दिखना।

(viii) गले पड़ना – जबरदस्ती किसी पर बोझ बनना।

(ix) खून खौलना – बहुत ज्यादा गुस्सा आना।

(x) आँखें बदलना – अचानक से स्वभाव बदल लेना।

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