NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 14 बादल को घिरते देखा है

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NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 14 बादल को घिरते देखा है

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Chapter: 14

अंतरा

काव्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. इस कविता में बादलों के सौंदर्य चित्रण के अतिरिक्त और किन दृश्यों का चित्रण किया गया है?

उत्तर: इस कविता में निम्नलिखित दृश्यों का चित्रण है:

(i) ओस की बूंदो को कमलों पर गिरने के दृश्य का चित्रण किया गया है।

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(ii) हिमालय में विधमान झीलों पर हंसो के तेरने के द्रश्य का चित्रण किया गया था।

(iii) वसंत ऋतु के सुंदर सुबह के द्रश्य का चित्रण किया गया था।

(iv) चकवा-चकवी का सुबह मिलने का दृश्य का चित्रण।

(v) उँचाई पर सुगंध के पीछे भागते कस्तूरी मृग का चित्रण।

(vi) किन्नर तथा किन्नरियों के दृश्य का चित्रण।

2. प्रणय-कलह से कवि का क्या तात्पर्य है?

उत्तर: कवि ने “प्रणय-कलह” से प्रेम में होने वाले छोटे-मोटे झगड़ों का तात्पर्य लिया है। चकवा-चकई, जो संध्या के समय एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं और रातभर विरह में रहते हैं, सुबह होते ही पुनः मिलते हैं। उनके इस पुनर्मिलन पर कभी प्रेम और कभी हल्का-फुल्का कलह होता है, जिसे कवि ने सरोवर के किनारे हरी शैवालों की दरी पर होते देखा है। यह दृश्य प्रेम में मिलने-बिछड़ने की स्वाभाविक भावना को दर्शाता है।

3. कस्तूरी मृग के अपने पर ही चिढ़ने के क्या कारण हैं?

उत्तर: कस्तूरी मृग अपने ऊपर इसलिए चिढ़ता है क्योंकि वह अपनी नाभि से उठने वाली सुगंध को बाहरी दुनिया में खोजता रहता है, जबकि वह सुगंध वास्तव में उसके ही भीतर होती है। अपनी ही सुगंध के पीछे भागते हुए वह व्याकुल और भ्रमित हो जाता है, जिससे वह स्वयं पर क्रोधित और असंतुष्ट हो उठता है। 

4. बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद क्यों आती है?

उत्तर: कवि को बादलों का वर्णन करते समय महाकवि कालिदास की याद आती है क्योंकि कालिदास के प्रसिद्ध काव्य मेघदूत में बादलों को संदेशवाहक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कवि बादलों को देखकर सोचते हैं कि क्या वही मेघ आज भी आकाश में विचर रहे हैं और कालिदास के कल्पित अलकापुरी व कुबेर के नगर का कोई निशान शेष है। हालांकि, कवि का अनुभव इससे भिन्न है—उन्होंने हिमालय की ऊँचाइयों पर भीषण जाड़ों में तूफानी हवाओं से टकराते गरजते बादलों को प्रत्यक्ष देखा है, जो प्राकृतिक सौंदर्य के एक अलग ही रूप को दर्शाता है।

5. कवि ने ‘महामेघ को झंझानिल से गरज – गरज भिड़ते देखा है’ क्यों कहा है?

उत्तर: कवि ने “महामेघ को झंझानिल से गरज-गरज भिड़ते देखा है” कहा है क्योंकि उन्होंने हिमालय की ऊँचाइयों पर तूफानी हवाओं से टकराते विशाल बादलों का दृश्य देखा है। जिस वजह से आसमान में बहुत भयंकर गर्जना होने लगती है, जहाँ वे गरजते हुए तूफानों से संघर्ष करते नजर आते हैं।

6. ‘बादल को घिरते देखा है’ पंक्ति को बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या सौंदर्य आया है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: “बादल को घिरते देखा है” पंक्ति की बार-बार पुनरावृत्ति से कविता में संगीतात्मकता, लय और भावनात्मक गहराई बढ़ गई है। यह पंक्ति बादलों के बदलते रूपों और उनके सौंदर्य को प्रभावी ढंग से उभारती है, जिससे पाठक को हर दृश्य अनुभव करने का अवसर मिलता है।

7. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) निशा काल से चिर-अभिशापित / बेबस उस चकवा-चकई का बंद हुआ क्रंदन, फिर उनमें / उस महान सरवर के तीरे शैवालों की हरी दरी पर / प्रणय कलह छिड़ते देखा है।

उत्तर: कवि बताते हैं कि हिमालय की ऊँची स्वर्णिम चोटियों के बीच स्थित मानसरोवर झील का वातावरण वसंत ऋतु में अत्यंत मनोहर हो जाता है। उगते हुए सूर्य की किरणें जब बर्फ से ढकी चोटियों पर पड़ती हैं, तो उनका सौंदर्य अद्भुत प्रतीत होता है। ठंडी हवा मंद गति से बह रही होती है, जिससे वातावरण में एक विशेष शांति छा जाती है। इस प्राकृतिक सुंदरता के बीच रातभर अलग रहने का चकवा-चकई का अभिशाप समाप्त हो जाता है। सुबह होते ही उनकी विरह-भरी आवाज़ें शांत हो जाती हैं, और कवि उन्हें मानसरोवर के किनारे शैवाल की हरी चादर पर प्रेम में मग्न देखता है। वहां वे प्रेमपूर्वक एक-दूसरे से छेड़छाड़ करते हैं और रात की पीड़ा के बाद मिलन का आनंद लेते हैं।

(ख) अलख नाभि से उठनेवाले / निज के ही उन्मादक परिमल-के पीछे धावित हो-होकर / तरल तरुण कस्तूरी मृग को अपने पर चिढ़ते देखा है।

उत्तर: कवि ने कस्तूरी मृग के व्यवहार का मार्मिक चित्रण किया है। मृग अपनी ही नाभि से निकलने वाली सुगंध के पीछे भागता रहता है, लेकिन उसे यह एहसास नहीं होता कि जिस सुगंध को वह खोज रहा है, वह उसी के भीतर है। इस अज्ञानता के कारण वह निरंतर भटकता रहता है और अंततः अपने ही भाग्य पर क्रोधित हो जाता है। यह दृश्य मानवीय जीवन का प्रतीक भी है, जहाँ मनुष्य बाहरी सुखों की तलाश में भटकता रहता है, जबकि वास्तविक आनंद उसके भीतर ही होता है।

8. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-

(क) छोटे-छोटे मोती जैसे ……….…..”कमलों पर गिरते देखा है।

उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति ‘नागर्जुन’ द्वारा रचित कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ से ली गई हैं। इसमें कवि वर्षा ऋतु में तालाब के सौंदर्य का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने हिमालय की ऊँची धवल चोटियों पर छाए बादलों का सौंदर्यपूर्ण वर्णन किया है। वे बताते हैं कि बादलों से गिरने वाली ओस की बूँदें छोटे-छोटे मोतियों के समान दिखती हैं, जो मानसरोवर झील में खिले स्वर्णिम कमलों पर गिरती हैं। यह दृश्य अत्यंत मनमोहक और शीतलता से भरपूर है, जो प्रकृति की कोमलता और दिव्यता को दिखाया गया है।

(ख) समतल देशों से आ-आकर ……….……”हंसों को तिरते देखा है।

उत्तर: संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति ‘नागर्जुन’ द्वारा रचित’ कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ से ली गई हैं। इसमें कवि वर्षा ऋतु में हिमालय स्थल में बनी झीलों के सौंदर्य का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने हिमालय की झीलों का सुंदर चित्रण किया है। वे बताते हैं कि जब समतल देशों में वर्षा की उमस बढ़ जाती है, तो हंस वहाँ से उड़कर हिमालय की झीलों में आ जाते हैं। वे जल में तैरते हुए अपना आहार खोजते हैं। यह दृश्य प्रकृति की सुंदरता और जीवों के प्रव्रजन को दर्शाता है। साथ ही, यह जीवन के संघर्ष और अनुकूल वातावरण की तलाश का भी प्रतीक है।

(ग) ऋतु वसंत का सुप्रभात था ………….….. अगल-बगल स्वर्णिम शिखर थे।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति ‘नागर्जुन’ द्वारा रचित कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ से ली गई हैं। इसमें कवि वसंत ऋतु की सुबह के सौंदर्य का वर्णन कर रहा है।

व्याख्या: कवि वसंत ऋतु की सुंदर सुबह का चित्रण करता है। इस समय मंद और शीतल हवा बह रही है, जिससे वातावरण सुगंधित और आनंदमय हो जाता है। सूर्य की सुनहरी किरणें पर्वतों की चोटियों को स्वर्णिम आभा प्रदान कर रही हैं, जिससे प्रकृति का सौंदर्य और अधिक निखर उठता है। कवि के अनुसार, वसंत ऋतु की यह भोर अत्यंत मोहक और मनमोहिनी होती है।

(घ) ढूँढ़ा बहुत परंतु लगा क्या ……….………”जाने दो, वह कवि-कल्पित था।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति ‘नागर्जुन’ द्वारा रचित कविता ‘बादल को घिरते देखा है’ से ली गई हैं। इसमें कवि कालिदास द्वारा मेघदूत में वर्णित स्थानों को ढूँढ़ रहा है।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने कल्पना और यथार्थ के अंतर को दर्शाया है। वे कहते हैं कि कुबेर की नगरी अलका और कालिदास के मेघदूत की गंगा की प्रवाहमान धारा अब कहीं नहीं दिखती। उन्होंने बहुत खोजा, लेकिन उसका कोई ठिकाना नहीं मिला। कवि मानते हैं कि ये सब केवल कल्पनाएँ थीं। वास्तविकता यह है कि उन्होंने भीषण जाड़ों में कैलाश पर्वत के शिखर पर बादलों को तेज़ हवा से टकराते और गरजते हुए देखा है। यह दृश्य प्रकृति की वास्तविकता और उसकी शक्तिशाली छवि को उजागर करता है।

योग्यता-विस्तार

1. अन्य कवियों की ऋतु संबंधी कविताओं का संग्रह कीजिए।

उत्तर: ऋतु संबंधी कविताएँ हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। कई प्रसिद्ध कवियों ने विभिन्न ऋतुओं का सुंदर वर्णन किया है।

यहाँ कुछ प्रमुख कवियों की ऋतु संबंधी कविताओं का संग्रह दिया गया है:

(i) सुमित्रानंदन पंत:

बादल गरज रहा गगन में (वर्षा ऋतु)।

शरद का चंद्रमा (शरद ऋतु)।

वसंत आ गया (वसंत ऋतु)।

(ii) महादेवी वर्मा:

वर्षा (वर्षा ऋतु)।

पथ के साथी (शीत ऋतु का प्रभाव)।

(iii) जयशंकर प्रसाद:

वसंत (वसंत ऋतु)।

जलद उमड़ घुमड़कर छाए (वर्षा ऋतु)।

(iv) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’:

बादल राग (वर्षा ऋतु)।

पतझड़ की आहट (पतझड़ का वर्णन)।

(v) रामधारी सिंह दिनकर:

हे बसंत, तुम आओ! (वसंत ऋतु)।

(vi) नागार्जुन:

बादल को घिरते देखा है (वर्षा ऋतु)।

शरद पूर्णिमा (शरद ऋतु)।

2. कालिदास के ‘मेघदूत’ का संक्षिप्त परिचय प्राप्त कीजिए।

उत्तर: ‘मेघदूत’ संस्कृति के प्रसिद्ध कवि तथा नाटककार कालिदास द्वारा रचित है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें मेघ ने दूत का कार्य किया है। यह एक प्रेम कहानी है। इसमें धनपति कुबेर द्वारा अपने एक यक्ष को एक वर्ष के लिए अपनी नगर अलकापुरी से निष्काषित कर दिया जाता है। यक्ष दक्षिण दिशा में स्थित रामगिरि में बने आश्रम में रहने लगता है। वह किसी प्रकार आठ महीने व्यतीत कर लेता है लेकिन जब वर्षा ऋतु आती है, तो अपनी पत्नी यक्षी के विरह में व्याकुल हो उठता है। ऐसे में वह अपनी पत्नी के पास अपना संदेश पहुँचाना चाहता है। वह मेघ से प्रार्थना करता है और उसे विभिन्न स्थानों की जानकारी देता है, जहाँ से गुजरकर वह निश्चित स्थान पर पहुँच सकता है।

3. बादल से संबंधित अन्य कवियों की कविताएँ यादकर अपनी कक्षा में सुनाइए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

4. एन.सी.ई.आर.टी. ने कई साहित्यकारों, कवियों पर फ़िल्में तैयार की हैं। मागार्जुन पर भी फ़िल्म बनी है। उसे देखिए और चर्चा कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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