NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 13 जाग तुझको दूर जाना

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NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 13 जाग तुझको दूर जाना

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Chapter: 13

अंतरा

काव्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता में कवयित्री मानव को किन विपरीत स्थितियों में आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रही है?

उत्तर: कवयित्री इस कविता में मानव को विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वे बताती हैं कि चाहे जीवन में कैसी भी कठिनाइयाँ आएँ—हिमालय जैसा अडिग पर्वत भी काँप उठे, अंधकार और तूफान भयंकर रूप धारण कर लें, फिर भी मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए। वे चेतावनी देती हैं कि जीवन की छोटी-छोटी बाधाएँ, जैसे मोह-माया, सुख-सुविधाएँ, या आकर्षक वस्तुएँ, व्यक्ति को उसके मार्ग से विचलित न करें। कवयित्री मानव को प्रेरित करती हैं कि वह अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं से न घबराए और अपने पदचिह्न संसार में छोड़कर आगे बढ़ता जाए।

2. कवयित्री किस मोहपूर्ण बंधन से मुक्त होकर मानव को जागृति का संदेश दे रही है?

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उत्तर: कवयित्री मानव को मोहमयी बाधाओं से मुक्त होकर जागृति का संदेश दे रही हैं। वे कहती हैं कि मनुष्य को मोह के बंधनों, जैसे सुख-सुविधाओं, आकर्षक वस्तुओं, मधुर स्वरों और क्षणिक आनंद देने वाली चीजों में नहीं फँसना चाहिए। तितलियों के रंगीन पर, मधुप की गुनगुनाहट, फूलों की ओस-भीगी पंखुड़ियाँ—ये सब मोह के प्रतीक हैं, जो व्यक्ति को उसके लक्ष्य से भटका सकते हैं। कवयित्री प्रेरित करती हैं कि मनुष्य को अपनी छाया को भी कारा (बंधन) नहीं बनने देना चाहिए और हर बाधा को पार कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

3. ‘जाग तुझको दूर जाना’ स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है। इस कथन के आधार पर कविता की मूल संवेदना को लिखिए।

उत्तर: “जाग तुझको दूर जाना” कविता स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित एक जागरण गीत है, जो संघर्ष, साहस और लक्ष्य की ओर सतत आगे बढ़ने का संदेश देती है। इसकी मूल संवेदना यह है कि स्वतंत्रता और प्रगति के मार्ग में कठिनाइयाँ और विपरीत परिस्थितियाँ अवश्य आएँगी, लेकिन व्यक्ति को धैर्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। कविता में मोह, भय और विलासिता के प्रतीकों के माध्यम से यह बताया गया है कि सच्ची स्वतंत्रता पाने के लिए आत्मबल और त्याग आवश्यक हैं। यह कविता प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक रहने और अपने लक्ष्य की ओर अविराम बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है।

4. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) विश्व का क्रंदन ……….…… अपने लिए कारा बनाना!

उत्तर: इस पंक्ति में कवयित्री ने रूपक अलंकार का प्रयोग करते हुए बताया है कि मनुष्य को संसार के दुखों और कठिनाइयों को अपनी प्रगति में बाधा नहीं बनने देना चाहिए। यदि वह विश्व के क्रंदन (दुख-दर्द) को अपनी कारा (बंदीगृह) बना लेगा, तो वह अपने लक्ष्य से भटक जाएगा। यह पंक्ति प्रेरित करती है कि संघर्षों से घबराने के बजाय व्यक्ति को अपने मार्ग पर अडिग रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।

(ख) कह न ठंडी साँस” ………………… “सजेगा आज पानी।

उत्तर: उल्लेखित पंक्तियों में कवि ने संघर्ष और संकल्प की भावना को दर्शाया है। यहाँ “ठंडी साँस” हताशा और निराशा का प्रतीक है, जबकि “जलती कहानी” पिछले दुखद अनुभवों की ओर संकेत करती है। कवि कहना चाहता है कि बीते हुए कष्टों को भूलकर व्यक्ति को अपने हृदय में जोश और उत्साह की “आग” जलाए रखनी चाहिए। तभी उसके प्रयास सार्थक होंगे और “पानी” यानी सफलता प्राप्त होगी। यह पंक्तियाँ जीवन में आत्मविश्वास, संघर्षशीलता और सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाने की प्रेरणा देती हैं।

(ग) है तुझे अंगार-शय्या ………………… ‘कलियाँ बिछाना!

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री कहती हैं कि सफलता कठिनाइयों से गुजरकर ही मिलती है। विजय के मार्ग में यदि संघर्ष और मृत्यु भी आए, तो वह अमरता के समान है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठिनाइयों को सहन करना ही सच्ची जीत है।

5. कवयित्री ने ने स्वाधीनता के मार्ग में आनेवाली कठिनाइयों को इंगित कर मुनष्य के भीतर किन गुणों का विस्तार करना चाहा है? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवयित्री ने इन पंक्तियों में स्वाधीनता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार करने और उनका सामना करने की प्रेरणा दी है। उन्होंने मनुष्य के भीतर साहस, धैर्य, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प के गुणों का विस्तार करना चाहा है। वे कहती हैं कि विजय के मार्ग में संघर्ष, पीड़ा और बलिदान आवश्यक हैं, लेकिन इन्हीं से सच्ची अमरता प्राप्त होती है। मनुष्य को अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होना चाहिए, बल्कि बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

योग्यता-विस्तार

1. स्वाधीनता आंदोलन के कुछ जागरण गीतों का एक संकलन तैयार कीजिए।

उत्तर: स्वाधीनता आंदोलन के दौरान कई जागरण गीतों ने लोगों में जोश और उत्साह भरने का काम किया। ये गीत न केवल स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित करते थे, बल्कि आम जनता में भी देशभक्ति की भावना जागृत करते थे।

यहाँ कुछ प्रमुख जागरण गीतों का संकलन प्रस्तुत है:

स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख जागरण गीत:

(i) वंदे मातरम् – बंकिम चंद्र चटर्जी।

(ii) सार्फरोशी की तमन्ना – रामप्रसाद बिस्मिल।

(iii) झंडा ऊँचा रहे हमारा – श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’।

(iv) कदम-कदम बढ़ाए जा – वंशीधर शुक्ल।

(v) हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा – काजी नजरुल इस्लाम।

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