NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 15 हस्तक्षेप

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NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 15 हस्तक्षेप

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Chapter: 15

अंतरा

काव्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. मगध के माध्यम से ‘हस्तक्षेप’ कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?

उत्तर: कविता में मगध एक प्रतीक के रूप में भय और दमनकारी व्यवस्था को दिखाया गया है, जहाँ लोग विरोध करने या असहमति जताने से डरते हैं। वे चुप रहते हैं ताकि शांति और व्यवस्था बनी रहे, लेकिन यह मौन अन्याय को और मजबूत करता है।

कवि संकेत देते हैं कि हमेशा अन्याय का विरोध करना चाहिए, न कि चुप रहकर तमाशा देखना चाहिए, क्योंकि हमारी चुप्पी बड़ी तबाही ला सकती है। यदि हम अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं, तो संभव है कि हमारे विरोध से कई लोगों को बचाया जा सके और बड़ी क्षति होने से टल जाए। इसलिए, निष्क्रिय रहने के बजाय हमें साहस के साथ अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए, क्योंकि एक छोटी सी आवाज़ भी बदलाव ला सकती है।

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2. व्यवस्था को ‘निरंकुश’ प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें ‘हस्तक्षेप’ ज़रूरी है – कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।

उत्तर: मत:

कवि की कविता “हस्तक्षेप” में यह दिखाया गया है कि यदि किसी व्यवस्था में लोग अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना बंद कर दें, तो वह व्यवस्था निरंकुश हो जाती है। जब लोग भय और चुप्पी के कारण अन्याय को सहने लगते हैं, तो सत्ता और अधिक दमनकारी हो जाती है।

इसलिए, व्यवस्था को निरंकुश प्रवृत्ति से बचाने के लिए उसमें हस्तक्षेप आवश्यक है। यह हस्तक्षेप किसी भी रूप में हो सकता है—प्रश्न पूछकर, अन्याय के खिलाफ खड़े होकर या समाज में जागरूकता फैलाकर। यदि लोग पूरी तरह चुप हो जाएँ, तो व्यवस्था का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे शोषण और दमन बढ़ सकता है। अतः निष्क्रिय रहने के बजाय हमें अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए, क्योंकि यही एक स्वस्थ और लोकतांत्रिक समाज की पहचान है।

3. मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?

उत्तर: मगध निवासी शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से इसलिए कतराते हैं क्योंकि वे भय और दमन के माहौल में जी रहे हैं। उन्हें यह डर है कि अगर उन्होंने विरोध किया या कोई प्रश्न उठाया, तो व्यवस्था की शांति और स्थिरता भंग हो सकती है। इस डर से वे न तो चीखते हैं, न टोकते हैं और न ही कोई सवाल पूछते हैं। शासन द्वारा स्थापित यह मानसिकता लोगों को निष्क्रिय बना देती है, जिससे वे अन्याय और दमन को चुपचाप सहने लगते हैं। 

4. ‘मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं’ – के आधार पर मगध की स्थित का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर: कविता की इस पंक्ति “मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं” के माध्यम से कवि ने मगध की दयनीय स्थिति को दर्शाया है। यह संकेत करता है कि मगध अब केवल नाममात्र का ही राज्य रह गया है, लेकिन वहाँ जीने लायक परिस्थितियाँ नहीं बची हैं।

मगध में भय, दमन और शोषण का ऐसा माहौल है कि लोग अपनी आवाज़ उठाने से डरते हैं। वहाँ की शांति वास्तव में एक दबाव है, जिसमें लोग अन्याय को चुपचाप सहते रहते हैं। शासन की निरंकुशता ने जनता को इतना असहाय बना दिया है कि वे विरोध करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। इस प्रकार, मगध केवल एक पहचान बनकर रह गया है, लेकिन वहाँ स्वतंत्रता और न्याय का अस्तित्व समाप्त हो चुका है।

5. मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: कविता में मुर्दा यह प्रश्न उठाता है—”मनुष्य क्यों मरता है?” यह केवल शारीरिक मृत्यु का सवाल नहीं, बल्कि समाज की निष्क्रियता और दमन के प्रति उसकी चुप्पी पर भी गहरा संकेत है। मगध के लोग शासन के भय और दमन के कारण विरोध करने या हस्तक्षेप करने से बचते हैं, जिससे अन्याय और अत्याचार को बढ़ावा मिलता है।

लेकिन जब कोई भी सवाल नहीं उठाता, तब मुर्दा भी यह प्रश्न कर व्यवस्था को चुनौती देता है। यह दिखाता है कि यदि समाज चुप रहता है, तो वह धीरे-धीरे चेतनाहीन हो जाता है। यह प्रश्न सिर्फ मृत्यु का कारण जानने के लिए नहीं, बल्कि समाज की सोई हुई आत्मा को जगाने के लिए उठाया गया है, जिससे लोग अन्याय के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत कर सकें।

6. ‘मगध को बनाए रखना है, तो, मगध में शांति रहनी ही चाहिए’ – भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कविता में “मगध” केवल एक भूगोलिक स्थान नहीं, बल्कि एक प्रतीक है—एक ऐसी सत्ता या व्यवस्था, जहाँ शांति बनाए रखने के नाम पर लोगों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति को दबा दिया जाता है। वहाँ के लोग विरोध नहीं करते क्योंकि उन्हें भयभीत किया गया है कि उनकी आवाज़ उठाने से मगध की शांति भंग हो सकती है और उसकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच सकती है। अतः उन्हें सिखाया गया है कि अगर मगध को बनाए रखना है, तो अन्याय और अत्याचार को भी चुपचाप सहना होगा।

7. ‘हस्तक्षेप’ कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कविता हस्तक्षेप सत्ता की क्रूरता और उससे उपजे प्रतिरोध को दर्शाती है। मगध केवल एक ऐतिहासिक राज्य नहीं, बल्कि ऐसी व्यवस्था का प्रतीक है, जहाँ शांति के नाम पर जनता की स्वतंत्रता दबा दी जाती है। लोग विरोध नहीं करते, क्योंकि उन्हें डराया गया है कि इससे मगध की शांति और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचेगा। वे अन्याय सहते हैं, क्योंकि उन्हें सिखाया गया है कि मगध को बनाए रखने के लिए यही जरूरी है।

कवि के अनुसार, शासन व्यवस्था जनता के हित में होनी चाहिए, न कि शासक के अनुसार। लेकिन मगध में प्रजा को शासन की कठोर नीतियों के अनुसार चलना पड़ता है, जहाँ शांति के नाम पर अन्याय को सहना उनकी मजबूरी बन जाती है। भय के कारण लोग विरोध नहीं करते, जिससे सत्ता और अधिक क्रूर होती जाती है। कवि इस दमनकारी व्यवस्था को उजागर करने के लिए कविता का शीर्षक हस्तक्षेप रखते हैं, जो यह दिखाता है कि जब सब चुप रहते हैं, तब भी अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध की चिंगारी कहीं न कहीं जलती रहती है।

8. निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए-

(क) कोई छींकता तक नहीं।

उत्तर: इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने मगध की शासन व्यवस्था पर व्यंग्य किया है। कविने दिखाया हैं कि यहाँ की जनता इस व्यवस्था से परेशान तो है, लेकिन डर और मजबूरी के कारण इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाती। लोग अन्याय को चुपचाप सहने को विवश हैं, क्योंकि शासन ने उन्हें इतना दबा दिया है कि वे विरोध करने का साहस भी नहीं कर सकते।

(ख) कोई चीखता तक नहीं।

उत्तर: यह पंक्ति शासन के भय और जनता की विवशता को दिखाया गया है। चीखना यहाँ विरोध का प्रतीक है, लेकिन लोग इतने डरे हुए हैं कि अन्याय सहते हुए भी आवाज नहीं उठाते। सत्ता का दमन इतना कठोर है कि जनता अपनी पीड़ा भी व्यक्त नहीं कर सकती।

(ग) कोई टोकता तक नहीं।

उत्तर: यह पंक्ति सत्ता के डर और जनता की निष्क्रियता को दर्शाती है। टोकना यहाँ अन्याय के खिलाफ सवाल उठाने का प्रतीक है, लेकिन लोग इतने भयभीत हैं कि वे गलत के विरोध में बोलने का साहस भी नहीं करते। सत्ता की कठोरता ने उन्हें पूरी तरह चुप करा दिया है, जिससे अन्याय बिना किसी बाधा के चलता रहता है।

9. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-

(क) मगध को बनाए रखना है, तो, ……………….. मगध है, तो शांति है।

उत्तर: संदर्भ सहित व्याख्या:

संदर्भ: ये पंक्तियाँ कविता हस्तक्षेप से ली गई हैं, जिसमें सत्ता की क्रूरता और जनता की विवशता को दर्शाया गया है।

व्याख्या: कवि व्यंग्यात्मक रूप से कहते हैं कि यदि मगध को बनाए रखना है, तो वहाँ शांति बनी रहनी चाहिए। लेकिन यह शांति असली नहीं, बल्कि डर और दमन से उपजी चुप्पी है। सत्ता ने ऐसा माहौल बना दिया है कि लोग विरोध करने से डरते हैं, क्योंकि उन्हें सिखाया गया है कि मगध है, तो शांति है। यानी सत्ता बनी रहेगी, तभी व्यवस्था कायम रहेगी, भले ही वह अन्यायपूर्ण हो।

(ख) मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए ………….…… क्या कहेंगे लोग?

उत्तर: संदर्भ सहित व्याख्या:

संदर्भ: ये पंक्तियाँ कविता हस्तक्षेप से ली गई हैं, जिसमें सत्ता की क्रूरता और जनता की विवशता को दिखाया गया है।

व्याख्या: कवि यहाँ सत्ता की कठोर व्यवस्था पर व्यंग्य कर रहे हैं। मगध में व्यवस्था रहनी ही चाहिए—यह विचार जनता के मन में बैठा दिया गया है, जिससे वे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं। लोग विरोध न करें, इसलिए यह भय बनाया गया है कि अगर व्यवस्था टूटी तो लोग क्या कहेंगे? कवि दिखाते हैं कि इस सोच के कारण अन्याय को भी स्वीकार कर लिया जाता है, जिससे जनता की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है।

(ग) जब कोई नहीं करता ……..……… मनुष्य क्यों मरता है?

उत्तर: संदर्भ सहित व्याख्या:

संदर्भ: ये पंक्तियाँ कविता हस्तक्षेप से ली गई हैं, जिसमें सत्ता की क्रूरता और जनता की निष्क्रियता को दर्शाया गया है।

व्याख्या: कवि दिखाते हैं कि जब लोग डर के कारण अन्याय के खिलाफ कुछ नहीं कहते, तब भी एक सवाल उठता है। जब कोई नहीं करता, तब नगर के बीच से गुज़रता हुआ मुर्दा यानी मृत्यु ही एकमात्र हस्तक्षेप करती है और सवाल उठाती है—मनुष्य क्यों मरता है? यह पंक्ति प्रतीकात्मक रूप से बताती है कि चाहे सत्ता कितनी भी दमनकारी हो, अंततः अन्याय के खिलाफ प्रतिरोध की चिंगारी जलती ही है। यह प्रश्न सत्ता की निष्ठुरता और समाज की चुप्पी दोनों पर गहरा प्रहार करता है।

योग्यता-विस्तार

1. ‘एक बार शुरू होने पर

कहीं नहीं रुकता हस्तक्षेप’

इस पंक्ति को केंद्र में रखकर परिचर्चा आयोजित करें।

उत्तर: इन पंक्तियों में व्याप्त भाव कवि की दृढ़ निश्चय भावना को व्यक्त कर रहीं हैं, किसी भी अन्याय के खिलाफ उठी पहली आवाज़ रुकती नहीं, बल्कि आगे बढ़ती जाती है। जब एक बार कोई सत्ता के दमन पर सवाल उठाता है, तो यह हस्तक्षेप धीरे-धीरे व्यापक रूप ले लेता है। डर और चुप्पी में जी रही जनता जब पहली बार बोलने का साहस करती है, तो विरोध की चिंगारी जल उठती है और बदलाव का मार्ग प्रशस्त होता है। इस संदर्भ में परिचर्चा आयोजित कर यह विचार किया जा सकता है कि कैसे इतिहास में कई बड़े आंदोलन एक छोटी पहल से शुरू हुए और फिर पूरे समाज में बदलाव लाने का कारण बने।

2. ‘व्यक्तित्व के विकास में प्रश्न की भूमिका’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: यह कविता व्यक्तित्व के विकास में प्रश्नों की महत्वपूर्ण भूमिका को दिखाया गया है। किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसकी अभिव्यक्ति से प्रकट होता है। यदि कोई व्यक्ति खुद को दूसरों के सामने प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं है, तो न तो उसका व्यक्तित्व विकसित हो सकता है और न ही आत्मविश्वास का निर्माण हो सकता है। अभिव्यक्ति के माध्यम से ही व्यक्ति अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर सकता है, अन्यथा वह बोलने की क्षमता रखने के बावजूद मूक जीवन जीता है, जो अंततः उसे मानसिक रूप से कुंठित कर देता है।

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