NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 11 हँसी की चोट, सपना, दरबार

NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 11 हँसी की चोट, सपना, दरबार Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 11 हँसी की चोट, सपना, दरबार Notes and select need one. NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 11 हँसी की चोट, सपना, दरबार Question Answers Download PDF. NCERT Class 11 Solutions for Hindi Antra Bhag – 1.

NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 11 हँसी की चोट, सपना, दरबार

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Notes. CBSE Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 11

अंतरा

काव्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. ‘हँसी की चोट’ सवैये में कवि ने किन पंच तत्त्वों का वर्णन किया है तथा वियोग में वे किस प्रकार विदा होते हैं?

उत्तर: कवि देव ने इस सवैये में पंचतत्त्वों (वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश) का वर्णन किया है और बताया है कि वियोग में वे कैसे विदा होते हैं। वायु साँसों के साथ निकल जाती है, जल आँसुओं के रूप में बह जाता है, अग्नि (तेज) अपने गुणों सहित समाप्त हो जाती है, पृथ्वी (भूमि) शरीर की स्थिरता छीन लेती है, और अंत में केवल आकाश ही शेष रह जाता है। कवि कहते हैं कि जिस दिन हँसी छिन जाती है, उसी दिन मन भी दुःख से भर जाता है, जिससे जीवन निरर्थक लगने लगता है।

2. नायिका सपने में क्यों प्रसन्न थी और वह सपना कैसे टूट गया?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

उत्तर: नायिका सपने में प्रसन्न थी क्योंकि उसने देखा कि घनघोर घटाएँ छाई हैं और उसके प्रिय श्याम उसे झूला झूलने के लिए बुला रहे हैं। इससे वह अत्यंत आनंदित हो जाती है, लेकिन अचानक उसकी नींद टूट जाती है। जागने पर वह देखती है कि न तो बादल हैं और न ही श्याम। उसे एहसास होता है कि जो बूँदें उसने देखी थीं, वे वास्तव में उसके आँसू हैं, जिससे वह दुखी हो जाती है।

3. ‘सपना’ कवित्त का भाव-सौंदर्य लिखिए।

उत्तर: कविता में नायिका के हर्ष और विरह के भावों को सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है। स्वप्न में वह घनघोर घटाओं और प्रिय श्याम के साथ झूला झूलने की कल्पना से अत्यंत प्रसन्न होती है। लेकिन जब नींद टूटती है, तो उसका सपना बिखर जाता है, और वह खुद को अकेला पाती है। बादलों की जगह उसके आँसू रह जाते हैं, जो उसके विरह और पीड़ा को दिखाया गया हैं। कविता में स्वप्न और यथार्थ के विरोधाभास के माध्यम से प्रेम और वेदना का मार्मिक चित्रण किया गया है।

4. ‘दरबार’ सवैये में किस प्रकार के वातावरण का वर्णन किया गया है?

उत्तर: इस सवैये में दरबार के अराजक और विषम वातावरण का वर्णन किया गया है। कवि देव ने इसे एक ऐसे स्थान के रूप में चित्रित किया है जहाँ राजा अंधा है, दरबारी गूंगे हैं, और सभा बहरी है। वहाँ सत्य और न्याय का कोई स्थान नहीं है, और लोग केवल दिखावे और चाटुकारिता में लिप्त हैं। सही और गलत में भेद करना कठिन हो गया है, और कोई भी विवेकपूर्वक निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। पूरे दरबार में अज्ञानता, भ्रम और अनैतिकता का नृत्य चल रहा है, जिससे यह एक दिशाहीन और अव्यवस्थित स्थान बन गया है।

5. दरबार में गुणग्राहकता और कला की परख को किस प्रकार अनदेखा किया जाता है?

उत्तर: इस सवैये में दरबार में गुणों और कला की अनदेखी को दर्शाया गया है। राजा अंधा है, यानी उसे योग्य लोगों की पहचान नहीं, दरबारी गूंगे हैं, जो सत्य नहीं बोलते, और सभा बहरी है, जो किसी की योग्यता नहीं सुनती। वहाँ केवल चाटुकारिता का बोलबाला है, जिससे न तो गुणों की कद्र होती है और न ही कला को सम्मान मिलता है।

6. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) हेरि हियो जु लियो हरि जू हरि।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि भगवान श्रीहरि (कृष्ण) के दर्शन करते ही भक्त का हृदय उनसे पूर्ण रूप से आकर्षित हो जाता है। यहाँ भक्त की गहरी भक्ति और प्रेमभावना व्यक्त की गई है, जहाँ श्रीहरि की मोहक छवि देखकर उसका मन उन्हीं में लीन हो जाता है। यह पंक्ति भक्त और भगवान के बीच आत्मीय संबंध तथा भक्ति की तीव्रता को दिखाया दिखाया गया है।

(ख) सोए गए भाग मेरे जानि वा जगन में।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि जागने के बाद नायिका को ऐसा लगा जैसे उसका सारा सौभाग्य सो गया हो या खो गया हो। स्वप्न में जो आनंद और सुख उसे मिला था, वह यथार्थ में आते ही समाप्त हो गया। जागते ही उसका प्रिय भी अदृश्य हो गया, जिससे वह दुखी हो गई और उसे लगा कि उसका सौभाग्य भी उससे दूर चला गया है। यह पंक्ति स्वप्न और यथार्थ के विरोधाभास को दर्शाती है, जहाँ नायिका का हर्ष अचानक विरह में बदल जाता है।

(ग) वेई छाई बूँदै मेरे आँसु है दृगन में।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि नायिका ने जो स्वप्न में बारिश की बूँदें देखी थीं, वे वास्तव में उसके जागने के बाद बहते हुए आँसू बन गए। पहले वह समझ रही थी कि यह मेघों की वर्षा है, लेकिन जब सपना टूटा, तो उसे अहसास हुआ कि ये बादलों की नहीं, बल्कि उसकी विरह वेदना से निकले आँसू हैं। यह पंक्ति नायिका के दुख, निराशा और स्वप्न भंग होने की पीड़ा को मार्मिक रूप से व्यक्त करती है।

(घ) साहिब अंध, मुसाहिब मूक, सभा बहिरी।

उत्तर: इस पंक्ति का अर्थ है कि राजा अंधा है, दरबारी गूंगे हैं और सभा बहरी है। इसका आशय यह है कि राजा न्याय करने में असमर्थ है, दरबारी सत्य बोलने की हिम्मत नहीं रखते, और सभा में किसी को भी योग्य-अयोग्य की परख नहीं है। यहाँ दरबार की अराजकता, अन्याय और चाटुकारिता का चित्रण किया गया है, जहाँ सत्य और गुणों की अनदेखी होती है।

7. देव ने दरबारी चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर किस प्रकार व्यंग्य किया है?

उत्तर: कवि देव ने दरबार के चाटुकारिता और दंभपूर्ण वातावरण पर तीखा व्यंग्य किया है। वे राजा को “अंधा” बताते हैं, जो सही-गलत में भेद नहीं कर सकता। दरबारियों को “मूक” कहा गया है, जो सत्य बोलने की हिम्मत नहीं रखते और केवल राजा की चापलूसी में लगे रहते हैं। सभा को “बहरी” कहा गया है, जो योग्य और गुणी लोगों की बात सुनने को तैयार नहीं। इस वातावरण में सच्ची प्रतिभा की कोई कद्र नहीं होती, बल्कि दिखावा और चाटुकारिता ही महत्वपूर्ण होती है। देव ने इस विडंबना को उजागर कर यह संकेत दिया है कि ऐसे दरबार में न्याय और गुणों का कोई स्थान नहीं होता।

8. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या करिए-

(क) साँसनि ही ….………… तनुता करि।

उत्तर: प्रसंग: प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘हँसी की चोट’ से ली गई है। इसमे एक गोपी के विरह का वर्णन है। कृष्ण की उपेक्षा पूर्ण व्यवहार उसे दुखी कर गया है।

व्याख्या: गोपी कहती है कि कृष्ण की उपेक्षित दृष्टि के कारण उसकी दशा अत्यंत दयनीय हो गई है। वह विरह की अग्नि में जल रही है, जिससे उसकी तेज़ साँसों के साथ वायु तत्व समाप्त हो गया है। अत्यधिक रोने से जल तत्व आँसुओं के रूप में बह गया, और तन की गर्मी खत्म होने से अग्नि तत्व भी नष्ट हो गया। वियोग में अत्यधिक कमजोरी के कारण उसका भूमि तत्व भी चला गया, जिससे उसका शरीर पूरी तरह क्षीण हो गया है।

(ख) झहरि …….………… गगन में।

उत्तर: प्रसंग – प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना ‘सपना’ से ली गई है। इसमें वर्षा ऋतु का वर्णन है। आकाश में वादल छाए हैं और बूँदे बरस रही हैं।

व्याख्या – कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में हल्की-हल्की बूँदें गिर रही हैं और आकाश में घनघोर काली घटाएँ छा गई हैं, जिससे पूरा वातावरण आनंदमय हो गया है।

(ग) साहिव अंध ….………….. बाच्यो।

उत्तर: प्रसंग – प्रस्तुत पंक्ति देव द्वारा रचित रचना दरवार से ली गई है। इसमें कवि राज दरवार में स्थित राजा और सभासदों के व्यवहार का वर्णन करता है।

व्याख्या – इस सवैये में कवि देव ने दरबार की अराजकता और अन्याय पर व्यंग्य किया है। वे कहते हैं कि राजा अंधा है, जो न्याय और सच्चाई को नहीं देख सकता। उसके दरबारी गूंगे हैं, जो सत्य बोलने की हिम्मत नहीं रखते, और सभा बहरी है, जो योग्य-अयोग्य की पहचान नहीं कर सकती। वहाँ केवल चापलूसी और स्वार्थ का खेल चल रहा है। सही और गलत में कोई भेद नहीं रहा, और कोई भी विवेकपूर्वक निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। इस तरह, कवि ने एक भ्रष्ट और निष्प्रभावी शासन प्रणाली की तस्वीर प्रस्तुत की है।

9. देव के अलंकार प्रयोग और भाषा प्रयोग के कुछ उदाहरण पठित पदों से लिखिए।

उत्तर: (i) जा दिन तै मुख फेरी, हरे हँसी, हेरी हियो जु लियो में ‘ह’ की आवृति बार बार हुई है। इसमें अनुप्रास का प्रयोग किया गया है।

(ii) घहरि-घहरि घटा घेरी में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

(iii) सोए गए भाग मेरे जानि व जगन में’ विरोधाभास अलंकार का सुंदर उदाहरण है।

(iv) ‘फूली न समानी’ ‘सोए गए भाग’ और मुहावरों का सटीक प्रयोग किया गया है।

(v) मुसाहिब मूक, रंग रीझ, काहू कर्म, निवरे नट इत्यादि अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

(vi) रंग रीझ को माच्यो’ में अनुप्रास अलंकार है।

योग्यता-विस्तार

1. ‘दरबार’ सवैये को भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी’ के समकक्ष रखकर विवेचना कीजिए।

उत्तर: देव के ‘दरबार’ सवैये और भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक ‘अंधेर नगरी’ दोनों ही तत्कालीन शासन व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य करते हैं। ‘दरबार’ में कवि ने ऐसे दरबार का चित्रण किया है जहाँ राजा अंधा है, दरबारी मूक हैं और सभा बहरी है। वहाँ सत्य, न्याय और गुणों की कोई कद्र नहीं है, बल्कि केवल चाटुकारिता और अराजकता का बोलबाला है। इसी प्रकार, ‘अंधेर नगरी’ में भी भारतेंदु ने अन्यायपूर्ण शासन व्यवस्था को दर्शाया है, जहाँ टके सेर भाजी और टके सेर खाजा बिकता है, और न्याय की कोई परिभाषा नहीं है। वहाँ राजा की नीतियाँ तर्कहीन और मूर्खतापूर्ण हैं, जिससे पूरे राज्य में अंधेर मचा हुआ है। दोनों रचनाएँ अन्याय, मूर्खतापूर्ण प्रशासन और चापलूसी पर कटाक्ष करती हैं। देव ने अपने सवैये में व्यंग्यात्मक शैली और अलंकारों का प्रयोग किया है, जबकि भारतेंदु ने नाटक के माध्यम से हास्य और व्यंग्य के मिश्रण से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। दोनों रचनाएँ यह संदेश देती हैं कि जहाँ अन्याय और अयोग्यता का बोलबाला होता है, वहाँ समाज और शासन व्यवस्था कमजोर हो जाती है।

2. देव के समान भाषा प्रयोग करने वाले किसी अन्य कवि की रचनाओं का संकलन कीजिए।

उत्तर: देव के समान भाषा (ब्रज) प्रयोग करने वाले कवियों का संकलन:

बिहारी – “नैनन में आनंद भयो, मुनि मनसा मंदराय।”

केशवदास – “आलिंगन पट उघारि कै, लाज तज्यो तब नाथ।”

ये कवि ब्रज भाषा और शृंगार रस में रचनाएँ लिखते थे, जो देव की शैली के निकट हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top