NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 आत्मत्राण Solutions, CBSE Class 10 Hindi Sparsh Question Answer in English Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 आत्मत्राण Notes and select needs one.
NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 आत्मत्राण
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आत्मत्राण
Chapter – 7
स्पर्श |
पद्य खंड |
बोध-प्रश्न
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर: कवि भगवान से प्रार्थना कर रहा है। कवि भगवान से यह प्रथना कर रहा हैं की उन्हें जीवन के मुसीबतो से निपटने की सहने की शक्ति प्रदान करे तथा बिना डरे विपत्तियों का सामना कर सके। साथ ही ऐसे समय में भी उसकी आस्था में कभी कोई कमी न आए।
2. ‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’ – कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर: इस पंक्ति में कवि यह कहना चाहता है की प्रभु आप मुझ पर आने वाले संकट से नहीं बचाए परंतु आप मुझपर इतनी कृपा अवश्य करना की दुख या मुसीबत की घड़ी मै घबराऊँ नहीं वल्कि निडर हो कर सामना कर सकूँ और उन पर विजय हासिल कर सकूँ।
3. कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर: कवि सहायक के न मिलने पर यह प्रार्थना करता है कि उसकी हिम्मत, साहस, हौंसलें, आस्था और विश्वास में कभी भी कोई भी कमी न आए, यदि संसार में उसे कोई दुःख, परेशानी, कष्ट, मुश्किल भी मिले तो भी उसमें उसे सहने की शक्ति हमेशा हो।
4. अंत में कवि क्या अनुनय करता है?
उत्तर: कवि के अंत मै यह अनुनय करता हैं की चाहे कितने भी परेशानी आए परंतु भगवान पर से भरोसा कम न हो। कवि प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे आत्मिक बल प्रदान करने के लिए सदेव उसके साथ रहे। वह कभी अपने पथ से विचलित न हो।
5. ‘आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: आत्मत्राण का मतलब है आत्मा का त्राण अर्थात आत्मा का निवारण, मन के भय से हमेशा के लिए मुक्ति। कवि चाहता है कि जीवन में आने वाले दुखों को वह निडर होकर सहें, उसे कभी भी कोई परेशानी या दुख ना मिले ऐसी वह प्रार्थना नहीं करता बल्कि स्वयं के लिए उस स्थिति में भी साहस व धैर्य रखने की मांग करता है इसलिए यह शीर्षक मेरे अनुसार पूर्णतः सार्थक है।
6. अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त और क्या-क्या प्रयास करते हैं? लिखिए।
उत्तर: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम प्रार्थना के अतिरिक्त परिश्रम करते हैं। हमें अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए, इसके साथ ही, सकारात्मक सोच और आत्म-विश्वास बनाए रखता चाहिए। किसी भी कार्य को सफलता पूर्वक करने के लिए समय प्रबंधन और सही दिशा में काम करना भी आवश्यक है और अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर ही हम अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं।
7. क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर: हाँ, कवि की यह प्रार्थना गीत अलग लगती है क्योकि इस प्रार्थना गीत मैं ईश्वर से अपना कल्याण करने की प्रार्थना की जाती है, किंतु इस प्रार्थना गीत में कवि मुसीबतों का मुकाबला करना चाहता है। कवि ईश्वर से सहने और शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है। साथ ही परेशानियों में भी आस्था ज्यों की त्यों बनी रहे ऐसी कामना भी करता है।
(ख) निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए-
1. नठ शिर होकर मुख के दिन में
तव मुख पहचानूँ छिन-छिन में।
उत्तर: इस पंक्तियों में कवि कहता है की सुख के समय, सुख के दिनों में भी परमात्मा को हर पल श्रद्धा भाव से याद करना चाहता है तथा हर पल उसके स्वरूप को पहचानना चाहता है। अर्थात् कवि दुख-सुख दोनों में ही सम भाव से प्रभु को याद करते रहना चाहता है तथा उसके स्वरूप की कृपा को पाना चाहता है।
2. हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचना रही
तो भी मन में ना मानूँ क्षय।
उत्तर: इस पंक्तियों में कवि कहता है की यदि उसे जीवन भर लाभ न मिले, यदि वह सफलता से वंचित रहे, यदि उसे हर कदम पर हानि पहुँचती रहे, तो भी वह मन में निराशा और विनाश के नकारात्मक भावों को स्थान न दे। उसके मन में ईश्वर के प्रति आस्था, आशा और विश्वास बनी रहे। कवि ईश्वर से निवेदन करता है कि हानि-लाभ को जीवन की अनिवार्य अंग मानते हुए, वे निराश न हो और उन्हें ऐसी शक्ति मिलती रहे कि वे निरंतर संघर्षशील रहे।
3. तरने की ही शक्ति अनामय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर: इस पंक्तियों में कवि कहता है की ईश्वर उसे इतनी मानसिक दृढ़ता दे कि वह अपने दुखों को सहन कर सके। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि यदि वह उसके दुखों के भार को कम करके उसे दिलासा न दे, तो भी उसे कोई दुख नहीं है। वह केवल इतना चाहता है कि ईश्वर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से इतना दृढ़ कर दे कि वह संसाररूपी सागर को सरलता से पार कर जाए। कवि ईश्वर से सांत्वना के स्थान पर स्वयं को संघर्ष करने की शक्ति प्रदान करने की बात कहता है।
योग्यता विस्तार |
1. रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीतों की रचना की है। उनके गीत-संग्रह में से दो गीत छाँटिए और कक्षा में कविता-पाठ कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करे।
2. अनेक अन्य कवियों ने भी प्रार्थना गीत लिखे हैं, उन्हें पढ़ने का प्रयास कीजिए: जैसे-
(क) महादेवी वर्मा-क्या पूजा क्या अर्चन रे।
(ख) सूर्यकांत त्रिपाठी निराला-दलित जन पर करो करुणा।
(ग) इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमजोर हो न
हम चलें नेक रस्ते पर हम से
भूल कर भी कोई भूल हो न।
इस प्रार्थना को ढूँढ़कर पूरा पढ़िए और समझिए कि दोनों प्रार्थनाओं में क्या समानता है? क्या आपको दोनों में कोई अंतर भी प्रतीत होता है? इस पर आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करे।
परियोजना कार्य |
1. रवींद्रनाथ ठाकुर को नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त है। उनके विषय में और जानकारी एकत्र कर परियोजना पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर: वह एक कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार थे। 1913 में, टैगोर साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय और थियोडोर रूजवेल्ट के बाद दूसरे गैर-यूरोपीय बन गए। रवींद्रनाथ टैगोर के ये पुरस्कार उनके कविता-संग्रह गीतांजलि के लिए मिला था, जो कविता का उनका सबसे अच्छा संग्रह था।
2. रवींद्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर: गीतांजलि बंगाली कवि रवींद्रनाथ टैगोर की कविताओं का संग्रह है। टैगोर को बड़े पैमाने पर पुस्तक के लिए, साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। यह प्रतिनिधि वर्क्स के यूनेस्को संग्रह का हिस्सा है। इसका केंद्रीय विषय भक्ति और आदर्श वाक्य है ‘मैं यहाँ हूँ तुम गीत गाने के लिए’।
3. रवींद्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता (कोलकाता) के निकट एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। पुस्तकालय की मदद से उसके विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर: रवींद्रनाथ ठाकुर ने कोलकाता के निकट शांतिनिकेतन नामक एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। यह संस्थान एक नवाचारी शैक्षिक प्रतिष्ठान था जो शिक्षा को एक नए दृष्टिकोण से देखता था और छात्रों को विभिन्न कलाओं और विज्ञान में शिक्षा देने का प्रयास किया।
4. रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीत लिखे, जिन्हें आज भी गाया जाता है और उसे रवींद्र संगीत कहा जाता है। यदि संभव हो तो रवींद्र संगीत संबंधी कैसेट व सी.डी. लेकर सुनिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करे।