NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद Solutions, CBSE Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 Question Answer in English Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद Notes and select needs one.
NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद
Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 पद Question Answer. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 10 Hindi Kshitij 2 Solutions for All Chapter, You can practice these here.
पद
Chapter – 1
क्षितिज-२ |
काव्य खंड |
प्रश्न-अभ्यास
1. गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर: गोपियाँ उद्धव को भाग्यवान कहके व्यंग कसती हैं क्योंकि जो मनुष्य श्री कृष्णा के साथ हमेशा रहता है, उनका सखा है जो उनके साथ होने का सौभाग्य प्राप्त करता है। दूसरी ओर गोपियों का व्यंग्य इस बात पर है कि उद्धव बड़े अभागे हैं क्योंकि वे प्रेम का अनुभव नहीं कर सके, गोपियों के अनुसार, उद्धव ने कभी प्रेम को नहीं जाना, अर्थात अभागा उद्धव कृष्ण के पावन प्रेम से वंचित हैं जो कि सबसे सुन्दर अनुभूति है।
2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर: उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित से की गई है:
(i) गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से की है जो नदी के जल में रहते हुए भी जल की ऊपरी सतह पर ही रहता है। अर्थात् जल का प्रभाव उस पर नहीं पड़ता। श्री कृष्ण का सानिध्य पाकर भी वह श्री कृष्ण के प्रभाव से मुक्त हैं।
(ii) वह जल के मध्य रखे तेल के गागर (मटके) की भाँति हैं, जिस पर जल की एक बूँद भी टिक नहीं पाती। उद्धव पर श्री कृष्ण का प्रेम अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है, जो ज्ञानियों की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
(iii) उद्धव ने गोपियों को जो योग का उपदेश दिया था, उसके बारे में उनका यह कहना है कि यह योग सुनते ही कड़वी ककड़ी के सामान प्रतीत होता है। इसे निगला नहीं जा सकता। यह अत्यंत अरूचिकर है।
3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर: गोपियों ने कमल के पत्ते, तेल की मटकी और प्रेम की नदी के उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं। प्रेम रुपी नदी में पाँव डूबाकर भी उद्धव प्रभाव रहित हैं। वे श्री कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी वे श्री कृष्ण के प्रेम से सर्वथा मुक्त रहे।
4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
उत्तर: गोपियाँ इसी दिन के इंतज़ार में अपने जीवन की एक-एक घड़ी को काट रही हैं कि श्री कृष्ण हमसे मिलने का वादा करके गए हैं। वे इसी इंतजार में बैठी हैं कि श्री कृष्ण उनके विरह को समझेंगे, उनके प्रेम को समझेंगे और उनके अतृप्त मन को अपने दर्शन से तृप्त करेंगे। परन्तु यहाँ सब उल्टा होता है। श्री कृष्ण तो द्वारका जाकर उन्हें भूल ही गए हैं। उन्हें न तो उनकी पीड़ा का ज्ञान है और न ही उनके विरह के दुःख का। बल्कि उद्धव को और उन्हें समझाने के लिए भेज दिया है, जो उन्हें श्री कृष्ण के प्रेम को छोड़कर योग साधना करने का भाषण दे रहा है। यह उनके दुःख को कम नहीं कर रहा अपितु उनके हृदय में जल रही विरहाग्नि में घी का काम कर उसे और प्रज्वलित कर रहा है।
5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
उत्तर: ‘मरजादा न लही’ अर्थात् गोपियों द्वारा प्रेम की मर्यादा न रहने की बात की गई है। गोपियाँ कृष्ण के इंतजार मे पलके बिछाए अपने दिन काट रही थी परंतु कृष्ण फिर भी नहीं आए तथा उन्होने उध्दव के साथ योग और साधना का संदेश गोपियों को भेज दिया जिसपर गोपियों को मर्यादा छोड़कर बोलने पर मजबूर होना पड़ा। प्रेम की चाह प्रेम ही मिटा सकती है। कृष्ण ने वापिस आने का वादा नहीं रखा जिसकी वजह से प्रेम की मर्यादा नहीं रह पाई।
6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
उत्तर: कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को गोपियों ने निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया है-
(i) गोपियों ने स्वयं की तुलना गुड़ (कृष्ण प्रेम) से लिपटी चींटी से की है जो केवल एक ही चींज को अपना आधार माने उससे चिपकी हुई है और फिर अपने को उस चीज से ना छुड़ा पाने के कारण उसी पर अपने प्राण त्याग देती है।
(ii) गोपियों ने स्वयं को हारिल पक्षी बाताया है और नंदलाल को लकड़ी जिस प्रकार हारिल पक्षी किसी भी स्थिति में अपने द्वारा पकड़ी लकड़ी नहीं छोड़ता उसी प्रकार गोपियों ने कृष्ण को अपने हृदय में बसा लिया है और अब वह किसी भी स्थिति में कृष्ण को नहीं छोड़ने वाली है।
(iii) गोपियाँ कहती है कि वह जागते, सोते, स्वप्न में हर समय कृष्ण नाम की ही रट लगाए रहती है।
7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर: गोपियाँ उद्धव से कहती है की वे योग की शिक्षा ऐसे लोगों को दें जिनके मन स्थिर नहीं अर्थात चंचल हैं। जिन्होंने कृष्ण प्रेम की अनुभूति नहीं की हो क्यूंकि वे ही योग करने में सक्षम है, हमे तो कृष्ण प्रीत प्राप्त है हमे योग कहा भायेगा।
8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर: प्रस्तुत पदों में योग-साधना के ज्ञान को निरर्थक बताया गया है। यह ज्ञान गोपियों के अनुसार अव्यवाहरिक और अनुपयुक्त है। उनके अनुसार यह ज्ञान उनके लिए कड़वी ककड़ी के समान है जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से आगे कहते हैं कि ये एक बीमारी है। वो भी ऐसा रोग जिसके बारे में तो उन्होंने पहले कभी न सुना है और न देखा है। इसलिए उन्हें इस ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। उन्हें योग का आश्रय तभी लेना पड़ेगा जब उनकों चित्त एकाग्र नहीं होगा। परन्तु कृष्णमय होकर यह योग शिक्षा तो उनके लिए अनुपयोगी है। उनके अनुसार कृष्ण के प्रति एकाग्र भाव से भक्ति करने वाले को योग की ज़रूरत नहीं होती।
9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर: गोपियों के अनुसार, राजा का धर्म होना चाहिए कि वह प्रजा को अन्याय से बचाए। उन्हें सताए जाने से रोके अर्थात सुखी रखे।
10. गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
उत्तर: गोपियों को लगता है कि कृष्ण ने अब राजनीति सिख ली है। उनकी बुद्धि पहले से भी अधिक चतुर हो गयी है। पहले वे प्रेम का बदला प्रेम से चुकाते थे, परंतु अब प्रेम की मर्यादा भूलकर योग का संदेश देने लगे हैं। कृष्ण पहले दूसरों के कल्याण के लिए समर्पित रहते थे, परंतु अब अपना भलाई देख रहे हैं। उन्होंने पहले दूसरों के अन्याय से लोगों को मुक्ति दिलाई है, परंतु अब नहीं। श्रीकृष्ण गोपियों से मिलने के बजाय योग के शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिए हैं। श्रीकृष्ण के इस कदम से गोपियों के मन और भी आहत हुआ है। कृष्ण में आये इन्ही परिवर्तनों को देखकर गोपियाँ अपनों को श्रीकृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती है।
11. गोपियों ने अपने वाकृचातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव की परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए?
उत्तर: गोपियाँ वाक्चतुर हैं। वे बात बनाने में माहिर हैं। यहाँ तक कि ज्ञानी उद्धव उनके सामने गूंगे होकर खड़े रह जाते हैं। जिस प्रकार वे अपनी प्रीती को बचाने के लिए उद्धव को बातें सुनाती हैं उनकी उलाहना कर, उनकी तुलना कमल के पत्ते, तेल की गागर से करती हैं यह दर्शाता है उनका प्रेम श्री कृष्ण के लिए। यही आवेग उद्धव की बोलती बंद कर देता है। सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति है कि बड़े से-बड़ा ज्ञानी भी उसके सामने घुटने टेक देता है।
12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए मूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताड़ाए?
उत्तर: सूरदास के पदों के आधार पर भ्रमरगीत की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(i) सूरदास के भ्रमरगीत में विरह व्यथा का मार्मिक वर्णन है।
(ii) इस गीत में सगुण ब्रह्म की सराहना है।
(iii) इसमें गोपियों के माध्यम से उपालंभ, वाक्पटुता, व्यंग्यात्मकता का भाव मुखरित हुआ है।
(iv) गोपियों का कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ प्रेम का प्रदर्शन है।
(v) उद्धव के ज्ञान पर गोपियों के वाक्चातुर्य और प्रेम की विजय का चित्रण है।
(vi) पदों में गेयता और संगीतात्मकता का गुण है।
रचना और अभिव्यक्ति |
13. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर: गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं।
हम भी निम्नलिखित तर्क दे सकते हैं:
(i) उद्धव पर कृष्ण का प्रभाव तो पड़ा नहीं परन्तु लगता है कृष्ण पर उद्धव के योग साधना का प्रभाव अवश्य पड़ गया है।
(ii) निर्गुण अर्थात् जिस ब्रह्म के पास गुग नहीं है उसकी उपासना हम नहीं कर सकते हैं।
(iii) योग का मार्ग कठिन है और हम गोपियाँ कोमल हैं। हमसे यह कठोर योग साधना कैसे हो पाएगी। यह असम्भव है।
14. उद्धव ज्ञानी नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी?
उत्तर: सच्चे प्रेम में इतनी शक्ति होती है कि बड़े-से-बड़ा ज्ञानी भी उसके आगे घुटने टेक देता है। गोपियों के पास श्री कृष्ण के प्रति सच्चे प्रेम तथा भक्ति की शक्ति थी जिस कारण उन्होंने उद्धव जैसे ज्ञानी तथा नीतिज्ञ को भी अपने वाक्चातुर्य से परास्त कर दिया।
15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: श्री कृष्ण मथुरा के राजा बन जाते हैं और वृन्दावन छोड़ देते हैं परन्तु उन्हें प्रेम करने वाली जाधियों पीछे ही छूठ जाती हैं। गोपियाँविरह में श्री कृष्ण के वापिस आने की लम्बी प्रतीक्षा करती है परन्तु उनकी जगह उनका दूत आता है जो कि कृष्ण से दूर ले जाने वाला योग-संदेश लाता है तो उन्हें इसमें कृष्ण की एक चाल नज़र आती है। वे इसे अपने साथ छल समझने लगती हैं। इसीलिए उन्होंने आरोप लगाया कि “हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।”
आज की राजनीति तो सिर से पैर तक छल-कपट से भरी हुई है। किसी को किसी भी राजनेता के वादों पर विश्वास नहीं रह गया है। नेता बातों से नदियाँ, पुल, सड़कें और न जाने क्या-क्या बनाते हैं किंतु जनता लुटी-पिटी-सी नजर आती है। आज़ादी के बाद से गरीबी हटाओ का नारा लग रहा है किंतु तब से लेकर आज तक गरीबों की कुल संख्या में वृद्धि ही हुई है। इसलिए गोपियों का यह कथन समकालीन राजनीति पर खरा उतरता है।