NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव and select need one. NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव Question Answers Download PDF. NCERT Class 12 Sociology Bhartiya Samaj Texbook Solutions in Hindi.

NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 12 Sociology Bhartiya Samaj Textual Solutions in Hindi Medium are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 12 Sociology Chapter 15 परियोजना कार्य के लिए सुझाव Notes, CBSE Class 12 Sociology Bhartiya Samaj in Hindi Medium Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 15

भारतीय समाज
प्रश्नावली

1. अनुसंधान कार्य करने के लिए उपयुक्त पद्धति का चयन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर: अनुसंधान कार्य करते समय उपयुक्त पद्धति के चयन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

(i) प्रश्न और पद्धति की संगति: चुनी गई पद्धति को अनुसंधान प्रश्न के अनुसार उपयुक्त और संगत होना चाहिए।

(ii) व्यावहारिकता: अनुसंधान के लिए उपलब्ध संसाधन, समय, लोगों और सामग्री को ध्यान में रखकर पद्धति का चुनाव करना चाहिए।

(iii) तकनीकी क्षमताएँ: किस पद्धति से अधिक सटीक और विश्वसनीय जानकारी मिल सकती है, इसे समझना चाहिए।

(iv) उपलब्धता: शोध में किन साधनों का प्रयोग संभव है, जैसे सर्वेक्षण फार्म, साक्षात्कार के उपकरण आदि।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(v) समय और प्रयास: अनुसंधान में समय और श्रम की आवश्यकता को ध्यान में रखकर पद्धति का चयन करना चाहिए।

2. अनुसंधान कार्य में एक से अधिक पद्धतियों का सम्मिश्रण क्यों किया जाता है?

उत्तर: अनुसंधान कार्य में एक से अधिक पद्धतियों का सम्मिश्रण इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे अनुसंधान अधिक समृद्ध और व्यापक बनता है। विभिन्न तरीकों से जानकारी एकत्र करने से शोधकर्ता को विषय की गहराई तक पहुँचने में सहायता मिलती है। जब एक विधि से प्राप्त तथ्यों को दूसरी विधि से जांचा जाता है, तो निष्कर्षों की विश्वसनीयता भी बढ़ जाती है। कई बार अनुसंधान विषय इतने जटिल होते हैं कि उन्हें केवल एक ही पद्धति से समझना संभव नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि कोई विद्यार्थी टेलीविजन के प्रभाव का अध्ययन करना चाहता है, तो वह सर्वेक्षण पद्धति से आँकड़े एकत्र कर सकता है और साक्षात्कार पद्धति से गहन जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार, विभिन्न तरीकों से मिली जानकारियों के आधार पर अनुसंधान निष्कर्ष अधिक संतुलित और सटीक बनते हैं। अतः अनुसंधान कार्य में पद्धतियों का संयोजन अनुसंधान को प्रभावी और विश्वसनीय बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

3. परियोजना कार्य के लिए दिए गए कुछ संभावित विषयों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: परियोजना कार्य के लिए कुछ संभावित विषय निम्नलिखित हैं:

(i) सार्वजनिक परिवहन: इसके उपयोग, समस्याएँ, महत्व और समय के साथ हुए परिवर्तनों का अध्ययन।

(ii) संचार माध्यमों की भूमिका: जैसे समाचार पत्र, टेलीविजन, मोबाइल और इंटरनेट का सामाजिक जीवन में प्रभाव।

(iii) घरेलू उपकरणों का प्रभाव: गैस चूल्हा, वॉशिंग मशीन, ओवन आदि के आने से घरेलू श्रम विभाजन में बदलाव।

(iv) सार्वजनिक स्थानों का उपयोग: जैसे पार्क, खाली मैदान, सड़क किनारे स्थानों का विभिन्न सामाजिक वर्गों द्वारा उपयोग।

(v) बदलती आकांक्षाएँ: विभिन्न आयु वर्गों के व्यक्तियों की बदलती महत्त्वाकांक्षाओं का अध्ययन।

4. अनुसंधान कार्य करते समय विद्यार्थियों को किस प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है?

उत्तर: अनुसंधान कार्य करते समय विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:

(i) अनुमति प्राप्त करने में कठिनाई: कभी-कभी स्कूल, संस्था या व्यक्तियों से अनुसंधान के लिए अनुमति प्राप्त करना कठिन होता है।

(ii) प्रश्नावली का उत्तर न मिलना: कई बार उत्तरदाता प्रश्नावली भरने में रुचि नहीं लेते या अधूरी जानकारी देते हैं।

(iii) संसाधनों की कमी: अनुसंधान सामग्री, समय, धन आदि की सीमाएँ कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकती हैं।

(iv) प्राकृतिक या सामाजिक व्यवधान: मौसम खराब होना, छुट्टियाँ पड़ जाना, या सामाजिक कारणों से अनुसंधान में बाधा आ सकती है।

(v) डेटा संग्रहण की समस्याएँ: सही आंकड़े एकत्र करना, जवाबों की सच्चाई की जांच करना कठिन हो सकता है।

5. अनुसंधान कार्य में प्रेक्षण पद्धति का क्या महत्व है?

उत्तर: प्रेक्षण पद्धति अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है:

(i) सीधा अवलोकन: इसमें अनुसंधानकर्ता घटनाओं, व्यवहारों और गतिविधियों का प्रत्यक्ष अवलोकन करता है।

(ii) गहन जानकारी: प्रेक्षण से केवल कहे गए शब्दों के नहीं, बल्कि व्यवहार के भी सूक्ष्म संकेत मिलते हैं।

(iii) प्राकृतिक वातावरण में अध्ययन: यह विधि व्यक्ति को बिना किसी हस्तक्षेप के उनके सामान्य वातावरण में देखने की सुविधा देती है।

(iv) तथ्य आधारित निष्कर्ष: जो देखा गया है, उस पर आधारित निष्कर्ष अधिक वास्तविक और विश्वसनीय होते हैं।

(v) सीमाएँ: हालाँकि इसमें अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत धारणाओं का प्रभाव भी हो सकता है, और हर घटना को देख पाना संभव नहीं होता।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top