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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
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तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
Chapter – 11
स्पर्श |
गद्य खंड |
बोध-प्रश्न
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर: राष्ट्रपति द्वारा ‘तीसरी फिल्म’ को स्वर्णपदक से सम्मानित किया गया था। इस फ़िल्म को मास्को फिल्म फेस्टिवल में भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया बंगाल फ़िल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन के द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का अवार्ड दिया गया था।
2. शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?
उत्तर: शैलेंद्र ने अपने जीवन में केवल एक ही फ़िल्म ‘तिसरी कसम’ का निर्माण किया।
3. राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।
उत्तर: राजकपूर संगम, मेरा नाम जोकर, बॉबी, श्री 420, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्, आदि फ़िल्मे बनाए थे।
4. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर: तीसरी कसम फ़िल्म में नायक की भूमिका में राजकपूर ने ‘हीरामन’ और ‘वहीदा रहमान ने नायिका हीराबाई की भूमिका निभाई है।
5. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर: तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण शैलेन्द्र ने किया था।
6. राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर: फ़िल्म मेरा नाम जोकर के पहला भाग को बनाते बनाते मेरे छः महीने लग जाएंगे राजकुमार ने इस विषय में बिल्कुल नहीं सोचा था।
7. राजकपूर की किस बात पर शैलेंन्द्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर: तीसरी कसम की कहानी सुनने के बाद जब राजकपूर ने मेहनताना(वेतन) माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया क्योंकि उन्हें ऐसी उम्मीद न थी।
8. फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मनते थे?
उत्तर: फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को उत्कृष्ट कलाकार और आँखों से बात करने वाले कलाकार मानते थे।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. ”तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: तीसरी कसम’ फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता अर्थात् कैमरे की रील में उतार कर चित्र पर प्रस्तुत करना इसलिए कहा गया है, क्योंकि यह वह फ़िल्म है, जिसने हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर सार्थकता से उतारा; इसलिए यह फ़िल्म नहीं, बल्कि सेल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
2. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीदार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ एक भावना प्रधान फिल्म थी। इस फ़िल्म की संवेदना को एक आम आदमी नही समझ सकता था जिस कारण लाभ मिलने की उम्मीद बहुत कम थी इसलिए इसे खरीददार नहीं मिल रहे थे।
3. शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर: शैलेंन्द्र के अनुसार हर कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचियों को ऊपर उठाने का प्रयास करें न कि दर्शकों का नाम लेकर सस्ता और उथला मनोरंजन उनपर थोपने का प्रयास करे।
4. फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर: फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों को इतना ग्लोरिफ़ाई इसलिए किया जाता है क्योंकि उनका मकसद अधिक से अधिक मात्रा में टिकट बिकवाना और उसके बदले पैसा कमाना होता है। वे दुख को इस प्रकार बढ़ा चढ़ाकर दिखाते हैं जिससे कि दर्शकों का भावनात्मक शोषण किया जा सके। जौकी वास्तव में बिल्कुल भी सत्य नहीं होता। पंरतु दर्शक उसे पूरा सच मान लेते हैं। और भावुक हो उठते हैं। इसलिए वे त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफ़ाई करते हैं
5. ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’- इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: राजकपूर अभिनय में मंझे हुए कलाकार थे और शैलेन्द्र एक अच्छे गीतकार थे। राजकपूर की छिपी हुई भावनाओं को शैलेन्द्र ने शब्द दिए। राजकूपर भावनाओं को आँखों के माध्यम से व्यक्त कर देते थे और शैलेंद्र उन भावनाओं को अपने गीतों से तथा संवाद से पूर्ण कर दिया करते थे।
6. लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: शोमैन का अर्थ है-प्रसिद्ध प्रतिनिधि-आकर्षक व्यक्तित्व। ऐसा व्यक्ति जो अपने कला-गुण, व्यक्तित्व तथा आकर्षण के कारण सब जगह प्रसिद्ध हो। राजकपूर अपने समय के एक महान फ़िल्मकार थे। एशिया में उनके निर्देशन में अनेक फ़िल्में प्रदर्शित हुई थीं। उन्हें एशिया का सबसे बड़ा शोमैन इसलिए कहा गया है क्योंकि उनकी फ़िल्में शोमैन से संबंधित सभी मानदंडों पर खरी उतरती थीं। वे एक सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता थे और उनका अभिनय जीवंत था तथा दर्शकों के हृदय पर छा जाता था। दर्शक उनके अभिनय कौशल से प्रभावित होकर उनकी फ़िल्म को देखना और सराहना पसंद करते थे। राजकपूर की धूम भारत के बाहर देशों में भी थी। रूस में तो नेहरू के बाद लोग राजकपूर को ही सर्वाधिक जानते थे।
7. फ़िल्म ‘श्री 420’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर: रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियों पर संगीतकार जयकिशन को आपत्ति थी क्योंकि वह केवल चार दिशा होने के कारण चार दिशाएं शब्द का प्रयोग करना चाहते थे। वे कलाकार का फर्ज मानते थे कि वह दर्शकों को उनकी रूचि के अनुसार गुणों को प्रदर्शित करें। परतु शैलेन्द्र तैयार नहीं हुए क्योंकि वे उथलेपन पर भरोसा नहीं करते थे।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर: राजकपूर जानते थे कि ‘तीसरी कसम फ़िल्म शैलेंद्र की पहली फिल्म है इसलिए उन्होंने एक अच्छे और सच्चे मित्र के नाते शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से भी परिचित करवाया। परन्तु शैलेंद्र तो एक सज्जन भावनाओं में बहने वाला कवि था, जिसको न तो अधिक धन-सम्पति का लालच था न ही नाम कमाने की इच्छा। उसे तो केवल अपने आप से संतोष की कामना थी। ‘तीसरी कसम’ की मुख्य कहानी में जो भावनाएँ थी वे शैलेंद्र के दिल को छू गई थी और वे इस फिल्म को बनाने का मन बना चुके थे।
2. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: राजकपूर अभिनय में प्रवण थे वे पात्र को अपने ऊपर हावी नही होने देते थे बल्कि उसको जीवंत कर देते थे। तीसरी कसम में भी हीरामन पर राजकपूर हावी नहीं था बल्कि राजकपूर ने हीरामन को आत्मा दे दी थी। उसका डकडू बैठना, नौटकी की बाई में अपनापन खोजना, गीतगाता गाडीवान, सरल देहाती मासूमियत को चरम सीमा तक प्रस्तुत करना, यह सब इस बात को सिद्ध करता है। इस तरह, राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में पूरी तरह उतर गया।
3. लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर: फणीश्वर नाथ रेणु की पुस्तक मारे गए गुलफाम पर तीसरी कसम फ़िल्म’ आधारित है। शैलेंद्र का उद्देश्य पैसे कमाना नहीं था बल्कि एक अद्भुत कृति की रचना करना था। उनके इस योगदान के कारण एक सुंदर फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के रूप में हमारे सामने प्रस्तुत हुई है। उनके द्वारा पूरी कहानी को यथा रूप में प्रदर्शित किया गया। शैलेंद्र ने घटनाओं, प्रसंग और पात्रों के व्यक्तित्व में कुछ भी बदलाव नहीं किया है। कहानी में दी गई बारीकियों और छोटी-मोटी बातों को फ़िल्म के माध्यम से पूर्ण रूप से सामने लाया गया है। लेखक ने इसलिए कहा है कि तीसरी कसम ने साहित्य-रचना के साथ शत प्रतिशत का न्याय किया है।
4. शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: शैलेन्द्र के द्वारा लिखे गए गीत भावनाओं से परिपूर्ण थे उनके गीत दिल की अंतरात्मा से निकलते थे। उन्होंने धन कमाने की लालसा में गीत कभी नहीं लिखे। उनके द्वारा लिखे गए गीत लोगों को बहुत पसंद आते थे। वह सभी के हृदय को छू लेते थे उनके गीतों में जरा भी बनावट नहीं। उनके गीत की गहराई मनुष्य के हृदय को अंदर तक छू लेती थी। उनके गीतों में संवेदना और प्रेम आदि के भाव विद्यमान थे।
5. फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: शैलेन्द्र की पहली और आखिरी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ थी। उनकी फ़िल्म यश और धन की इच्छा से नही बनाई गई थी। वह महान रचना थी। हीरामन व हीराबाई के माध्यम से प्रेम की महानता को बताने के लिए उन्हें शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ी। शैलेंद्र द्वारा साहित्यिक रचना को बहुत ही इमानदारी और निःस्वार्थ के साथ पर्दे पर उतारा गया। बेशक इस फिल्म को कोई खरीददार नहीं मिला परंतु उनके गुण पूरी तरह फिल्म में नजर आती है। शैलेंद्र को अपनी पहचान और इस फ़िल्म को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। और लोगों ने इसे खूब पसंद किया।
6. शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है – कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है। शैलेंद्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे दुरुह नहीं। उनका कहना था कि कलाकार का यह कर्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। उनके लिखे गए गीतों में बनावटीपन नहीं था। उनके गीतों में शांत नदी का प्रवाह भी था और गीतों का भाव समुद्र की तरह गहरा था। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फ़िल्म के द्वारा भी साबित किया।
7. लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: शैलेंद्र ने ऐसी फिल्म बनाई थी जिसे सिर्फ एक सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, क्योंकि इतनी भावुकता केवल एक कवि के हृदय में ही हो सकती है। यह फ़िल्म कला से परिपूर्ण थी जिसके लिए इस फ़िल्म की बहुत तारीफ़ हुई थी। इस फ़िल्म में शैलेंद्र की भावुकता पूरी तरह से दिखाई देती है। इस फ़िल्म की कहानी में जो भावनाएँ थी उनको समझना किसी मुनाफा कमाने वालों के लिए आसान नहीं था। इस फ़िल्म में जिस करुणा के साथ भावनाओं को दर्शाया गया था उनको किसी तराजू में नहीं तौला जा सकता था। शैलेंद्र के द्वारा लिखे गीतों में सच्ची भावना झलकती है। उनके गीत नदी की तरह शांत तो लगते थे परन्तु उनका अर्थ समुद्र की तरह गहरा होता था। लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था हम पूरी तरह सहमत हैं।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1. … वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामनी नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर: इसका आशय है कि शैलेंद्र एक आदर्शवादी भावुक हृदय कवि थे। उन्हें अपार संपत्ति तथा लोकप्रियता की कामना इतनी नहीं थी, जितनी आत्मतुष्टि, आत्मसंतोष, मानसिक शांति, मानसिक सांत्वना आदि की थी, क्योंकि ये सद्वृत्तियाँ धन से नहीं खरीदी जा सकतीं, न ही इन्हें कोई भेंट कर सकता है। इन गुणों की अनुभूति तो अंदर से ईश्वर की कृपा से ही होती है। इन्हीं अलौकिक अनुभूतियों से परिपूर्ण थे शैलेंद्र, तभी तो वे आत्मतुष्टि चाहते थे।
2. उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थीपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें।
उत्तर: शैलेंद्र एक गीतकार थे उनका मानना था कि फिल्म बनाने वालों को दर्शकों की इच्छाओं को पूर्णता स्वच्छ करें। ना कि दर्शकों की रूचि की आड़ में उथलेपन को उनके ऊपर थोपे। फ़िल्म-श्री 420 के एक गाने में शैलेंद्र के द्वारा दसों दिशाओं शब्द का प्रयोग करने पर गायक जयकिशन ने उन्हें कहा कि दस दिशाएं नहीं पंरतु चार दिशाएं होना चाहिए क्यूंकि लोग चार दिशाएं जानते हैं दश दिशाएं नहीं जानते।
3. व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर: लेखक ने शैलेन्द्र के गीतों के सन्दर्भ में इस पंक्ति को लिखी है। वह अपने गीतों के माध्यम से प्रत्येक मनुष्य को संदेश देना चाहते हैं कि हमें किसी भी परिस्थिति में हार मानकर शांत नहीं बैठना चाहिए बल्कि उस परिस्थिति का डटकर सामना करना चाहिए। हर गलती और स्थिति से कोई ना कोई सबक जरूर सीखना चाहिए। शैलेंद्र के द्वारा लिखे गए गीत केवल एक मनोरंजन का साधन ही नहीं थे वे मनुष्य की प्रत्येक स्थिति से उसे लड़ने का प्रेरणा देते थे।
4. दरअसल इस फ़िल्म की सवंदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर: ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म गहरी संवेदनात्मक तथा भावनात्मक थी। उसे अच्छी रुचियों वाले संस्कारी मन और कलात्मक लोग ही समझ-सराह सकते थे। कवि शैलेंद्र की फ़िल्म निर्माण के पीछे धन और यश प्राप्त करने की अभिलाषा नहीं थी। वे इस फ़िल्म के माध्यम से अपने भीतर के कलाकार को संतुष्ट करना चाहते थे। इस फ़िल्म को बनाने के पीछे शैलेंद्र की जो भावना थी उसे केवल धन अर्जित करने की इच्छा करने वाले व्यक्ति नहीं समझ सकते थे। इस फिल्म की गहरी संवेदना उनकी समझ और सोच से ऊपर की बात है
5. उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर: इसका अर्थ है कि शैलेंद्र के द्वारा लिखे गीत भावनाओं से ओत-प्रोत थे, उनमें गहराई थी, उनके गीत जन सामान्य के लिए लिखे गए गीत थे तथा गीतों की भाषा सहज, सरल थी, क्लिष्ट नहीं थी, तभी तो आज भी इनके द्वारा लिखे गए गीत गुनगुनाए जाते हैं। ऐसा लगता है, मानों हृदय को छूकर उसके अवसाद को दूर करते हैं।
भाषा अध्ययन |
1. पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।
(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
उत्तर: यहाँ ‘से’ का प्रयोग संबंध (हैसियत) और स्रोत (खतरों) के रूप में हुआ है।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
उत्तर: यहाँ ‘से’ का प्रयोग स्थान (दिशाओं) से जुड़ा हुआ है।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
उत्तर: यहाँ ‘से’ का प्रयोग उपकरण (तौर-तरीकों) के संदर्भ में हुआ है।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
उत्तर: यहाँ ‘से’ का प्रयोग तुलना (दो से चार) के संदर्भ में हुआ है।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।
उत्तर: यहाँ ‘से’ का प्रयोग स्रोत (याराना दोस्ती) के संदर्भ में हुआ है।
2. इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए-
(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
उत्तर: ‘यह वाक्य एक तुलना प्रस्तुत करता है, जिसमें “फ़िल्म” और “कविता” के बीच तुलना की गई है।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
उत्तर: यहां पर एक शर्त या विशेषता दी गई है, जिससे यह बताया गया है कि इस प्रकार की फ़िल्म को केवल एक सच्चा कवि ही बना सकता है।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
उत्तर: यह वाक्य समय की गति और अप्रत्याशितता को व्यक्त करता है, जहां दर्शक को फ़िल्म के आगमन और उसके अंत का पता ही नहीं चला।
(घ) खालिस देहाती भुच्व गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।
उत्तर: यह वाक्य एक व्यक्ति की मानसिकता या समझ को व्यक्त करता है, जहां बताया गया है कि वह केवल भावनाओं को समझता है, न कि तर्क को।
3. पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए-
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना
उत्तर: चेहरा मुरझाना – परीक्षा में खराब परिणाम देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान गायब हो गई और चेहरा मुरझा गया।
चक्कर खा जाना – बहुत तेज़ धूप में घूमकर वह चक्कर खाकर गिर गया।
दो से चार बनाना – लोग एक छोटी-सी बात को बढ़ाकर दो से चार बना देते हैं।
आँखों से बोलना – उसकी आँखें बहुत सुन्दर हैं लगता है वह आँखों से बोलती है।
4. निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-
(क) शिद्दत।
उत्तर: शिद्दत – प्रयास।
(ख) याराना।
उत्तर: याराना – दोस्ती, मित्रता।
(ग) वमुश्किल।
उत्तर: बमुश्किल – कठिन।
(घ) खालिस।
उत्तर: खालिस – मात्र।
(ङ) नावाकिफ़।
उत्तर: (ङ) नावाकिफ़ – अनभिज्ञ।
(च) यकीन।
उत्तर: यकीन – विश्वास।
(छ) हावी।
उत्तर: हावी – भारी पड़ना।
(ज) रेशा।
उत्तर: रेशा – तंतु।
5. निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए-
(क) चित्रांकन | ________ | ________ | |
(ख) सर्वोत्कृष्ट | ________ | ________ | |
(ग) चर्मोत्कर्ष | ________ | ________ | |
(घ) रूपांतरण | ________ | ________ | |
(ङ) घनानंद | ________ | ________ |
उत्तर:
(क) चित्रांकन | चित्र | + | अकंन |
(ख) सर्वोत्कृष्ट | सर्व | + | उत्कृष्ट |
(ग) चर्मोत्कर्ष | चरम | + | उत्कर्ष |
(घ) रूपांतरण | रूप | + | अतंरण |
(ङ) घनानंद | घन | + | आनंद |
6. निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए-
(क) कला मर्मज।
(ख) लोकप्रिय।
(ग) राष्ट्रपति।
उत्तर:
(क) कला मर्मज | कला का मर्मज्ञ | तत्पुरूष समास |
(ख) लोकप्रिय | लोक में प्रिय | तत्पुरूष समास |
(ग) राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति | तत्पुरूष समास |
योग्यता विस्तार |
1. फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।
उत्तर: छात्र स्वंय करे।
2. समाचार पत्रों में फ़िल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फ़िल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को देखकर इस फ़िल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वंय करे।
परियोजना कार्य |
1. फ़िल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा – ‘जो बात पहले की फ़िल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फ़िल्मों और पहले की फ़िल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर: छात्र स्वंय करे।
2. ‘तीसरी कसम’ जैसी और भी फ़िल्में हैं जो किसी न किसी भाषा की साहित्यिक रचना पर बनी हैं। ऐसी फ़िल्मों की सूची निम्नांकित प्रपत्र के आधार पर तैयार करें।
क्र.सं. फिल्म का नाम साहित्यिक रचना भाषा रचनाकार
फिल्म का नाम | साहित्यिक रचना | भाषा | रचनाकार |
1. देवदास | _________ | _________ | _________ |
2. _________ | _________ | _________ | _________ |
3. _________ | _________ | _________ | _________ |
उत्तर:
फिल्म का नाम | साहित्यिक रचना | भाषा | रचनाकार |
1. देवदास | देवदास | बंगला | शरत्चंद्र |
2. गोदान | गोदान | हिंदी | प्रेचंद |
3. शतरंज के खिलाड़ी | शतरंज के खिलाड़ी | हिंदी | प्रेमचंद |
3. लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।
उत्तर: छात्र स्वंय करे।