NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 यह दंतुरित् मुसकान Solutions, CBSE Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 Question Answer in English Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 यह दंतुरित् मुसकान Notes and select needs one.
NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 यह दंतुरित् मुसकान
Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5 यह दंतुरित् मुसकान Question Answer. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 10 Hindi Kshitij 2 Solutions for All Chapter, You can practice these here.
यह दंतुरित् मुसकान
Chapter – 5
क्षितिज-२ |
काव्य खंड |
प्रश्न-अभ्यास
1. बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: बच्चे की दंतुरित मुसकान को देखकर कवि का मन प्रसन्नता से भर उठता है। उसके उदास-गंभीर मन में जान आ जाती है। उसे ऐसे लगता हे मानो उसकी झोंपड़ी में कमल के फूल खिल उठे हों। मानो पत्थर जैसे दिल में प्यार की धारा उमड़ पड़ी हो या बबूल के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।
2. बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है?
उत्तर: बच्चे की मुस्कान जहाँ छोटी चीजों, बिना किसी खास वजह एवं निस्वार्थ और निश्छल हृदय से उत्त्पन होती है जो कि उसे अत्यंत ही मनोहार बनाती है वहीं बड़े लोगों की मुस्कान के पीछे स्वार्थ, विवशता एवं औपचारिकता जैसी चीजें छुपी होती है जो कि इसे बनावटी बना देता है एवं इसकी खूबसूरती छीन लेता है।
3. कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बियों के माध्यम से व्यक्त किया है?
उत्तर: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है:
(i) कवि को लगता है कि कमल तालाब छोड़कर इसकी झोपड़ी में खिल गये हैं।
(ii) ऐसा लगता है जैसे पत्थर पिघलकर जलधारा के रूप में बह रहे हों।
(iii) बाँस या बबूल से शेफालिका के फूल झरने लगे हों।
4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।
उत्तर: धूल से सना शिशु का शरीर और उसकी निश्छल मुसकान कवि को इतना प्रभावित करती है कि उसे लगता है जैसे कोई कमल का फूल तालाब में न खिलकर उनकी झोपडी के अंदर खिल गया हो।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?
उत्तर: इस पंक्ति का भाव है कि शिशु के स्पर्श मात्र से बबूल और बॉस के पेड़ से शेफालिका के फूल झरने लगते हैं यानी शिशु के स्पर्श में ऐसा जादू है कि कठोर प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों का हृदय भी पिघल जाए और आनंद का संचार हो जाए।
रचना और अभिव्यक्ति |
5. मुसकान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव है। इनकी उपस्थिति से बने वतावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर: मुसकान से किसी व्यक्ति की प्रसन्नता व्यक्त होती है। मुसकराने वाला स्वंय तो खुश होता ही है, अपनी मुसकान से दूसरों को भी प्रसन्न कर देता है। इससे वातावरण बोझिल होने से बच जाता है। दूसरी ओर क्रोध हमारे मन की व्यग्रता, आक्रोश और अप्रसन्नता का भाव प्रकट करता है। क्रोध की अधिकता में हम अपना नियंत्रण खो बैठते हैं और वाचा, मनसा कर्मणा दुर्व्यवहार करने लगते हैं। इससे वातावरण में शांति कहीं खो जाती है और वातावरण में कटुता घुल जाती है।
6. दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर: बच्चे की उम्र 8 या 9 महीने की रही होगी चूंकि इसी उम्र में बच्चे के दाँत निकलने शुरू होते हैं। 8 से 9 महीने की उम्र में अधिकांश बच्चों के दाँत निकलने लगते हैं और वे मुस्कुराते हुए अपना दंतुरित रूप दिखाते हैं। इसलिए, दंतुरित मुस्कान से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे की उम्र इस उम्र के आसपास है।
7. बच्चे में कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: कवि और वह बच्चा दोनों एक-दूसरे पहली बार मिले हैं इसीलिए बच्चा उन्हें एकटक देखता रहता है। बच्चे की मुसकान कवि के हृदय को प्रसन्नता से भर देती है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे कमल के फूल तालाब को छोड़कर उसके झोंपड़े में खिल उठे हैं। शिशु का स्पर्श पाते ही कवि का हृदय वात्सल्य भाव से भर उठा। इससे कवि के मन की खुशी उसके चेहरे पर छलक उठी। पहचान न पाने के कारण शिशु कवि को अपलक निहारता रहा। कवि सोचता है कि यदि उसकी माँ माध्यम न बनती तो वह यह मुसकान देखने से वंचित रह जाता। इसी बीच जब शिशु ने तिरछी नज़र से कवि को देखा तो नन्हें-नन्हें दाँतों वाली यह मुसकान कवि को और भी सुंदर लगने लगी।
फसल
1. कवि के अनुसार फसल क्या है?
उत्तर: कवि के अनुसार फसल ढेर सारी नदियों के पानी का जादू, अनेक लोगों के हाथों के स्पर्श की गरिमा तथा बहुत सारे खेतों की मिट्टी के गुण का मिला जुला परिणाम है। अर्थात् फसल किसी एक की मेहनत का फल नहीं बल्कि इसमें सभी का योगदान सम्मिलित है।
2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्थयों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर: प्रस्तुत कविता में कवि ने फसल उपजाने के लिए मानव परिश्रम, पानी, मिट्टी, सूरज की किरणों तथा हवा जैसे आवश्यक तत्थयों की बात कही गई है।
3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कृषिस्यां व्यक्त करना चाहता है?
उत्तर: फसल के लिए भले ही पानी, मिट्टी, सूरज की किरणें तथा हवा जैसे तत्वों की आवश्यकता है। परन्तु मनुष्य के परिश्रम के बिना ये सभी साधन व्यर्थ हैं। यदि मनुष्य अपने परिश्रम के द्वारा इसे भली प्रकार से नहीं सींचे तब तक इन सब साधनों की सफलता नहीं होगी। अतः मानव श्रम फसल के लिए सबसे अधिक आवश्यक है।
4. भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की चिरकन का!
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों का तात्पर्य यह है कि फसल उपजाने में सूरज की किरणों तथा हवा के योगदान को दर्शाया गया है। फसल प्रकृति से अपना भोजन प्राप्त करती है। सूरज की किरणें अपनी ऊष्मा प्रदान कर फसल को पकने में मदद करती है तो वहीं हवा की मंद गति फसल के बढ़ने में सहायक हैं।
रचना और अभिव्यक्ति |
5. कवि ने फसल को हतार-हतार खेतों की मिट्टी का पुच-धर्म कहा है—
(क) मिट्टी के गुण धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
उत्तर: मिट्टी के गुण-धर्म का मतलब है उसमें मौजूद प्राकृतिक और पोषक तत्व, खनिज पदार्थ जो मिट्टी का रंग और स्वरूप निश्चित करती है। मिट्टी की अधिक उपजाऊ क्षमता से फसल का उत्पाद भी अधिक होता है।
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
उत्तर: आज की वर्तमान शैली मिट्टी के गुण-धर्म को प्रभावित करती है। नए-नए खाद्यों के उपयोग से, प्लास्टिक के ज़मीन में रहने से प्रदूषण से मिट्टी की उर्वरा शक्ति धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही है और इसका बुरा प्रभाव फसल की उपज पर पड़ रहा है।
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने के स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन को कल्पना को जा सकती है?
उत्तर: अगर मिट्टी ने अपना गुण-धर्म छोड़ दिया तो धरती से हरियाली का, पेड़-पौधे और फसल आदि का नामोनिशान मिट जाएगा। इनके अभाव में धरती पर जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर: हम मिट्टी को वृक्षारोपण कर, प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग बंद कर, कारखानों को सीमित कर, रासायनिक तत्वों का उपयोग काम कर हम मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित कर सकते हैं।