Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 12 तीर्थ-यात्रा Question Answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 12 तीर्थ-यात्रा Notes and select needs one.
Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 12 तीर्थ-यात्रा
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तीर्थ-यात्रा
पाठ – 12
पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर:
बोध एवं विचार
1. सही विकल्प का चयन कीजिए:
(क) लाजवंती के आखिरी पुत्र का नाम क्या था?
(i) हेमराज।
(ii) रामलाल।
(iii) दुर्गादास।
(iv) परमेश्वर।
उत्तर: (i) हेमराज।
(ख) लाजवंता का पति कहाँ नौकरी करता था?
(i) दिल्ली।
(ii) मथुरा।
(iii) मुलतान।
(iv) बरेली।
उत्तरः (iii) मुलतान।
(ग) गाँव के प्रसिद्ध वैद्य दुर्गादास को लोग क्या मानते थे?
(i) चरक।
(ii) लुकमान।
(iii) सुश्रुत।
(iv) वैद्यराज।
उत्तरः (ii) लुकमान।
(घ) हरो को लाजवंती ने कितने रूपए दिए?
(i) एक सौ।
(ii) दो सौ।
(iii) सुश्रुत।
(iv) वैद्यराज।
उत्तरः (ii) दो सौ।
ङ) हरो कौन थी?
(i) लाजवंती की माँ।
(ii) लाजवंती की सास।
(iii) लाजवंती की पड़ोसिन।
(iv) लाजवंती की नौकरानी।
उत्तरः (iv) लाजवंती की पड़ोसिन।
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:
(क) हेमराज कौन है?
उत्तरः हेमराज लाजवंती का पुत्र है।
(ख) हेमराज को किस बुखार ने जकड़ रखा था?
उत्तर: हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ रखा था।
(ग) हेमराज के इलाज करनेवाले वैद्य का नाम क्या है?
उत्तर: हेमराज के इलाज करनेवाले वैद्य का नाम दुर्गादास था।
(घ) लाजवंती जब वैद्य जी के पास पहुँची उस समय वे क्या?
उत्तरः लाजवंती जब वैद्य जी पास पहुँची उस समय वे अखबार
(ङ) लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को कितने पैसे दिए?
उत्तरः लाजवंती ने फीस के रूप में वैद्य जी को एक अठन्नी (आठ आना) दी।
(च) हेमराज का बुखार कितने दिनों पर उतरा?
उत्तर: हेमराज का बुखार इक्कीसवें दिन पर उतरा।
(छ) लाजवंती के पति का क्या नाम है?
उत्तरः लाजवंती के पति का नाम रामलाल है।
3. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:
(क) लाजवंती अपने पुत्र हेमराज को हमेशा छाती से लगाए क्यों फिरती थी?
उत्तर: हेमराज लाजवंती का एकमात्र पुत्र था। कई पुत्रों के मरने के बाद हेमराज पैदा हुआ था। उसे इस बात का डर था कि हेमराज को किसी की बुरी नजर न लग जाए। वह उसकी विशेष देखभाल करती थी। इसलिए वह हेमराज को हमेशा अपनी छाती से लगाए रहती थी।
(ख) लाजवंती के मन में हमेशा किस बात का डर लगा रहता था?
उत्तरः कई पुत्रों के बचपन में ही मर जाने के बाद हेमराज का जन्म हुआ था। हेमराज लाजवंती का एकलौता पुत्र था। उसे वह हमेशा अपने कलेजे से लगाए रहती थी। उसके मन में हमेशा यह डर था कि कहीं हेमराज का भी वही होगा, जो उसके पहले के सभी बेटों का हुआ।
(ग) वैद्य दुर्गादास को लोग लुकमान क्यों समझते थे?
उत्तर: कुरान शरीफ के अनुसार लुकमान एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे। उनके इलाज से रोगी जल्द ही ठीक हो जाता था। वैद्य दुर्गादास भी लाजवंती के गाँव का बेहद अनुभवी वैद्य थे। सैकड़ों लोग उनके हाथों से स्वस्थ होते थे। इसलिए वैद्य दुर्गादास को लोग लुकमान समझते थे।
(घ) कई दिन बीतने पर भी हेमरात का बुखार क्यों नहीं उतरा?
उत्तरः हेमराज को मियादी बुखार हो गया था। मियादी बुखार मियाद (अवधि) पूरा होने पर ही उतरता है। इसलिए हेमराज को बदल बदलकर दवा देने पर भी बुखार नहीं उतरा।
(ङ) वैद्यजी की कौन-सी बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया?
उत्तर: हेमराज का बुखार उतर नहीं रहा था। उसे मियादी बुखार था। इस बात से लाजवंती पहले ही दुःखी थी। परंतु वैद्य जी ने जब यह कहा कि बुखार सख्त है और हानिकारक भी हो सकता है। मेरी राय मानो तो हेम के पिता को बुलवा लो। यह बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया।
(च) वैद्य जी ने लाजवंती को अपने पति को बुलवा लेने की सलाह क्यों दी?
उत्तरः हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ लिया था। बुखार बहुत सख्त था। वह मियाद पूरा होने पर ही उतरने वाला था। हेमराज के लिए यह बुखार हानिकारक भी हो सकता था। इसलिए आनेवाले खतरे को भाँपकर वैद्य जी ने लाजवंती को यह सलाह दी कि वह अपने पति को बुलावा ले।
(छ) लाजवंती ने देवी माता से क्य मन्नत माँगी?
उत्तर: लाजवंती ने देवी माता से यही मन्नत माँगी कि उसका हेम बच जाएगा तो वह तीर्थ यात्रा करेगी।
(ज) हेमराज का बुखार कब और किसप्रकार उतरा?
उत्तरः हेमराज को मियादी बुखार ने जकड़ लिया था। उस बुखार की मियाद 21 दिनों की थी। वैद्य जी की दवा का सेवन करने से भी उसका बुखार इक्कीसवाँ दिन पर धीरे-धीरे उतरा था।
(झ) हरो के रोने का क्या कारण था?
उत्तरः हरो लाजवंती की पड़ोसिन थी। वह बहुत ही गरीब महिला थी। उसकी एक बेटी अभी कुँवारी थी। उसकी शादी में होनेवाले खर्च और बारातियों का स्वागत करने में वह असमर्थ थी। इसी दुःख के कारण वह रो रही थी।
(ञ) तीर्थ-यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के घर में क्या-क्या कार्यक्रम हो रहा था?
उत्तरः तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले की रात लाजवंती के आंगन में सारा गाँव इकट्ठा हुआ था। झाँझें और करतालें बज रही थीं। भजन-कीर्तन हो रहा था। ढोलक की थाप पर स्त्रियाँ गीत गा रही थीं। गाँव वालों के लिए भोज का भी इंतजाम था। कहीं पूरियाँ बन रही थीं। कहीं हलुआ की सुगंध दिमाग को तर कर रही थी। लाजवंती के घर में विवाह जैसा वातावरण था ।
(ट) रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत क्या थी?
उत्तरः रामलाल के अनुसार उसकी असली दौलत एकलौता बेटा हेमराज थी। उसकी सलामती उसके प्राणों से भी प्यारी थी।
(ठ) हरो की अवस्था देख-सुनकर लाजवंती क्यों काँप उठी?
उत्तरः हरो लाजवंती की पड़ोसिन थी। वह अत्यंत गरीब महिला थी। वह अपनी बेटी की शादी में होनेवाले खर्च को लेकर बहुत दुःखी थी। उसकी अवस्था ऐसी न थी कि वह बेटी के विवाह का खर्च उठा सके। हरो की ऐसी अवस्था देखकर लाजवंती काँप उठी।
4. सम्यक उत्तर दीजिए:
(क) एक पड़ोसी का दूसरे पड़ोसी के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए ? तीर्थ- यात्रा कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर: पड़ोसी-धर्म निभाना मनुष्य का परम कर्तव्य है। एक पड़ोसी दूसरे पड़ोसी के सुख- दुख, पूजा-पाठ, शादी-ब्याह हर प्रकार के कार्यक्रम में शामिल होता है। यदि हमारा पड़ोसी दुख-या कष्ट में हो तो हम भी शांत नहीं बैठ सकते। पड़ोसी धर्म के नाते हमें उसका हाल-चाल जानना सुनना चाहिए और उसका दुःख दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
तीर्थ यात्रा कहानी भी इसी त्याग और परोपकार पर आधारित पड़ोसी धर्म निभाने की कहानी है। हरो लाजवंती की पड़ोसिन है। वह विधवा और गरीब महिला है। वह अपनी बेटी के विवाह के लिए चिंतित और दुखी है। लाजवंती समय से पहले उसकी सहायता करके बड़ा ही पुण्य का कार्य किया है। लाजवंती जैसी पड़ोसिन पर सबको गर्व होना चाहिए।
(ख) लाजवंती ने तीर्थ यात्रा की तैयारी कैसे की?
उत्तरः हेमराज का बुखार उतरने के बाद घर में खुशियों का माहौल हुआ। लाजवंती और उसके पति रामलाल बहुत खुश हुए। तीन महीने बीतने के बाद लाजवंती तीर्थ-यात्रा के लिए तैयार हुई। तीर्थ यात्रा की तैयारियाँ बड़ी खुशी के साथ हो रही थीं। तीर्थ यात्रा पर जाने से एक दिन पहले लाजवंती के आँगन में सारा गाँव इकट्ठा हुआ। झाँझें और करतालें बजने लगे। ढोलक की थाप गूंजने लगी। स्त्रियाँ गाने-बजाने लगीं। दूसरी तरफ लोगों को खिलाने के लिए हलवा-पूरी बन रहे थे। लाजवंती के घर विवाह का माहौल जैसा लग रहा था। सब कोई खा-पीकर विदा हो गए। उसके बाद लाजवंती ने टीन के एक बक्से में जरूरी कपड़े रखे, एक बिस्तर तैयार किया, गले में लाल रंग की सूती माला पहनी, माथे पर चंदन का लेप किया। अपनी गाय को पड़ोसिन को सौंप दी और कहने लगी- इसका पूरा-पूरा ध्यान रखना। मैं तीर्थ-यात्रा पर जा रही हूँ। लाजवंती अपनी तीर्थ-यात्रा के लिए करीब दो सौ रुपये भी इकट्ठे किए थे।
लाजवंती हरिद्वार, मथुरा, वृंदावन जाना चाहती थी। परंतु वह तीर्थ-यात्रा पर नहीं गई क्योंकि उसने हरो की बेटी के विवाह के लिए अपनी जमा की हुई राशि दे दी। हरो को रुपये देते समय जो आनंद लाजवंती को हुआ, वह तीर्थ- यात्रा की कल्पित आनंद की अपेक्षा अधिक बढ़कर था।
(ग) तीर्थ-यात्रा के लिए संचित रुपए हरो को देकर भी लाजवंती प्रसन्न थी, क्यों?
उत्तर: अपने बीमार पुत्र की सलामती के लिए लाजवंती ने देवी माता से मन्नत माँगी थी कि उसका पुत्र हेमराज ठीक हो जाएगा तो वह तीर्थ यात्रा पर जाएगी। उसका पुत्र हेमराज भला-चंगा भी हो गया और वह तीर्थ-यात्रा पर जाने के लिए तैयार भी हो गई। यात्रा पर खर्च करने के लिए रुपये भी संचित कर ली। परंतु अपनी पड़ोसिन हरो का दुख देख-सुनकर उसने तीर्थ-यात्रा का कार्यक्रम रोक दिया और उसके लिए संचित रुपये उसने हरो को दे दिए। ऐसा करके उसने एक अच्छी पड़ोसिन का धर्म निभाया। दूसरी तरफ इस परोपकार से उसे जो आनंद प्राप्त हुआ वह कई तीर्थ यात्राओं के कल्पित आनंद से बढ़कर था। इस प्रकार तीर्थ-यात्रा के लिए संचित रुपए हरो को देकर भी लाजवंती बहुत प्रसन्न थी।
(घ) लाजवंती की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: लाजवंती ‘तीर्थ-यात्रा’ कहानी की प्रमुख पात्र है। उसकी चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
(i) लाजवंती एक सामाजिक घरेलू महिला है। वह अपनी गृहस्थी को सर्वोपरि मानती है। वह मिलनसार महिला है। समाज की महिलाओं के साथ उसके अच्छे संबंध है।
(ii) लाजवंती त्याग एवं ममता की प्रतिमूर्ति है। वह जी-जान से अपने पुत्र हेमराज का पालन-पोषण करती है। बीमार पड़ने पर वह उसकी सेवा में दिन-रात एक कर देती है। फलतः उसका एकलौता पुत्र हेमराज मौत के मुँह से वापस आ जाता है।
(iii) लाजवंती बड़ा ही संवेदनशील महिला है। अपने पुत्र हेमराज के बीमार पड़ने पर वह बहुत बेचैन हो जाती है। वही संवेदना वह अपनी पड़ोसिन हरो के प्रति भी प्रदर्शित करती है।
(iv) लाजवंती एक धार्मिक महिला है। देवी माता के प्रति भी उसके मन में बेहद आस्था और विश्वास है। देवी माता के आशीर्वाद पर भी उसे पूरा भरोसा है। उन्हीं के आशीर्वाद और कृपा से उसके पुत्र हेमराज की जान बच जाती है।
(v) लाजवंती त्याग एवं परोपकार की जीती-जागती मिशाल है। उसने तीर्थ- यात्रा के खर्च के लिए संचित रुपए हरो को देकर बहुत बड़ा त्याग एवं परोपकार करती है और स्वयं कई तीर्थ-यात्राओं के कल्पित आनंद से बढ़कर आनंद प्राप्त करती है। उसका चरित्र भारतीय समाज के लिए प्रेरणादायक और हर मामले में अनुकरणीय है।
(ङ) ‘तीर्थ-यात्रा’ कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर: ‘तीर्थ-यात्रा’ सुदर्शन जी द्वारा रचित त्याग एवं परोपकार पर आधारित एक सामाजिक कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लोकप्रिय कहानीकार सुदर्शन जी ने भारतीय लोगों की मुख्य विशेषता परोपकार की भावना को जगजाहिर किया है। भारतीय संस्कृति में परोपकार को परम धर्म माना गया है। प्रस्तुत कहानी में एक घरेलू महिला लाजवंती ने हरो की आर्थिक मदद करके तथा तीर्थ यात्रा का कार्यक्रम एकाएक रोककर जिस प्रकार का त्याग एवं परोपकार किया वह बेहद सराहनीय है। अतः ‘तीर्थ-यात्रा’ कहानी हमें स्वार्थ का परित्याग कर परमार्थ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
5. आशय स्पष्ट कीजिए:
(क) जब थककर उसने सिर उठाया तो उसकी मुखमंडल शांत था, जैसे तूफान शांत हो जाता है।
उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ तीर्थ यात्रा’ कहानी की है। सुदर्शन जी इसके कहानीकार हैं। यहाँ अपने पुत्र को बचाने के लिए लाजवंती द्वारा किए गए अथक परिश्रम और आस्था पर प्रकाश डाला गया है।
उक्त पंक्तियों का आशय यह है कि वैद्य जी की बातें सुनकर लाजवंती बेचैन हो गई और वह देवी माता के मंदिर जाकर उनसे बहुत देर तक प्रार्थना करती रही जब तक वह थक नहीं गई। जब उसने सिर उठाया उसका मुखमंडल बिल्कुल शांत था। उसके हृदय में किसी प्रकार की बेचैनी नहीं थी। वह पूरी तरह विश्वास से भर गई थी। वह अब पूरी तरह आस्वस्त हो गई थी कि देवी माता की कृपा से उसके हेम को अब कोई खतरा नहीं है।
(ख) जो सुख त्याग में है, वह ग्रहण में कहाँ?
उत्तरः प्रस्तुत पंक्ति ‘तीर्थ-यात्रा’ कहानी की है। इसके कहानीकार सुदर्शन जी है। यहाँ कहानीकार ने लाजवंती के त्याग और परोपकार पर प्रकाश डाला है।
लाजवंती तीर्थ यात्रा के लिए रुपये संचित करके रखी थी। यह रुपये जमा करके वह बहुत प्रसन्न हुई थी। उसे लगा था कि यात्रा पर जाकर वह मथुरा- वृन्दावन, हरिद्वार के मंदिरों को देखकर बहुत आनंदित होगी। परंतु वही संचित रुपये हरो को देकर उससे भी अधिक प्रसन्न हुई। ठीक ही कहा गया है कि जो सुख त्याग में है, वह सुख ग्रहण करने में नहीं है।
6. किसने, किससे और किस प्रसंग में ऐसा कहा?
(क) ” रुपये का क्या है, हाथ का मैल है, आता है, चला जाता है।”
उत्तरः इसे रामलाल ने लाजवंती से उस प्रसंग में कहा जब लाजवंती ने देवी माता से तीर्थ-यात्रा पर जाने की मन्नत माँग आई थी।
(ख) “आज की रात बड़ी भयानक है, सावधान रहना !”
उत्तर: इसे वैद्य दुर्गादास ने रामलाल और लाजवंती से कहा जब इक्कीसवाँ दिन हेमराज का बुखार एकाएक उतरने वाला था
(ग) “मैं तुम्हें दूसरी सावित्री समझता हूँ”
उत्तर: इसे वैद्य दुर्गादास ने लाजवंती से कहा जब हेमराज का बुखार पूरी तरह उत्तर चुका था।
भाषा एवं व्याकरण:
1. निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग और प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए:
प्रसन्नता, साप्ताहिक, बचपन, मुस्कुराहट, कृतज्ञता, कल्पित, पुलकित, वास्तविक, पड़ोसिन, निराशा, असंभव, परिश्रम
उत्तरः • प्रसन्नता – प्रसन्न + ता (प्रत्यय)
• साप्ताहिक – सप्ताह + इक (प्रत्यय)
• बचपन – बच्चा + पन (प्रत्यय)
• मुस्कुराहट – मुस्कुराना + आहट (प्रत्यय)
• कृतज्ञता – कृतज्ञ + ता (प्रत्यय)
• कल्पित – कल्पना + इत (प्रत्यय)
• पुलकित – पुलक + इत (प्रत्यय)
• वास्तविक – वास्तव + इक (प्रत्यय)
• पड़ोसिन – पड़ोसी + इन (प्रत्यय)
• निराशा – निर् (उपसर्ग) + आशा
• असंभव – अ (उपसर्ग) + संभव
• परिश्रम – परि (उपसर्ग) + श्रम
2. ‘भी’, ‘ही’, ‘भर’, ‘तक’, ‘मात्र’, ‘केवल’ इन निपातों का प्रयोग करते हुए पाँच-पाँच वाक्य बनाइए:
उत्तरः • भी: राम भी वहाँ गया था।
मेरे बजट में मिठाई भी है।
लोग ऐसा भी कहते हैं।
तुम भी जा सकते हो।
जौ के साथ घुन भी पिसता है।
• ही: मुकेश ऐसा ही है।
मैं तो ऐसे ही बोल दिया।
जो खाना बचा था शाम को ही खत्म हो गया।
मैं पैदल ही चला गया।
तुम वहाँ जाओ ही नहीं।
• भर: नाम भर लिखना सीख लो।
खाने भर को हो जाए वही ठीक रहेगा।
बिता भर का आदमी, तुम क्या कर सकोगे?
रुपये तो दिखाई भर देते हैं।
मेरा कहा भर मान लो।
• तक: तुम आए तक नहीं।
उसके घर में एक गिलास तक नहीं है।
तुम वहाँ तक पहुँच सकते हो।
राम उसे देखता तक नहीं।
वह अपराधी का नाम तक नहीं जानता।
• मात्र/ केवल: वह मात्र केवल खाना जानता है।
उसके पास मात्र केवल दो हजार रुपये है।
उसे मात्र केवल बोलना आता है।
आपको मात्र केवल वहाँ जाना है।
वह यहाँ मात्र/ केवल रुपये लेने आता है।
3. निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त पदों का परिचय दीजिए:
(क) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।
उत्तर: मैं – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तमपुरुष, पुलिंग, एकवचन, कर्ताकारक
दसवीं – संख्यावाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन
कक्षा में – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक
पढ़ता हूँ – सकर्मक क्रिया, अन्यपुरुष, पुलिंग, एकवचन, वर्तमान काल
(ख) भूषण वीर रस के कवि थे।
उत्तर: भूषण – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष
वीर रस – विशेषण, पुलिंग, एकवचन
कवि थे – जातिवाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन, अन्यपुरुष, भूतकाल
(ग) वह अचानक दिखाई दिया?
उत्तर: वह – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुलिंग, एकवचन
अचानक – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
दिखाई दिया – क्रिया, भूतकाल
(घ) लाजवंती का माथा ठनका।
उत्तर: लाजवंती – व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, स्त्रीलिंग, एकवचन
माथा – कर्म, पुलिंग
ठनका – क्रिया, एकवचन, भूतकाल
(ङ) हेमराज का बुखार नहीं उतरा।
उत्तर: हेमराज – व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष सर्वनाम, पुलिंग, एकवचन
बुखार – कर्म के स्थान पर प्रयुक्त, पुलिंग
नहीं उतर – निबेधवाचक, क्रिया, पुलिंग एकवचन
(च) लाजवंती के मुख पर प्रशन्नता थी।
उत्तरः लाजवंती – व्यक्तिवाचक संज्ञा, अन्यपुरुष, सर्वनाम, स्त्रीलिंग
मुख पर – अधिकरण कारक
प्रसन्नता – भाववाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग
(छ) तुम्हारा परिशम सफल हो गया।
उत्तर: तुम्हारा – संबंधकारक, पुलिंग, एकवचन
परिक्षम – भाववाचक संज्ञा, पुलिंग, एकवचन
सफल हो गया – विशेषण गुणवाचक, क्रिया
(ज) आज की रात बड़ी भयानक है।
उत्तर: आज – क्रिया विशेषण
रात – गतिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन
बड़ी – परिमाणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन, प्रविशेषण
भयानक – गुणवाचक विशेषण, पुलिंग
(झ) यह पुस्तक किसकी है?
उत्तर: यह – सार्वनामिक विशेषण
पुस्तक – जातिवाचक संज्ञा एकवचन, स्त्रीलिंग
किसकी – संबंधवाचकारक, स्त्रीलिंग
(ञ) गंगा पवित्र नदी है।
उत्तर: गंगा – व्यक्तिवाचक संज्ञा सत्रीलिंग एकवचन
पवित्र – विशेषण, पुलिंग
नदी – गतिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन कर्म
4. पाठ में आए अनेक स्थलों पर मुहावरों का प्रयोग हुआ है। उन मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर: • माथा ठनकना (संदेह होना): रात में रहीम को चुपके से आते देखकर मेरा माथा ठनका।
• प्राण सूखना (अत्यंत भयभीत होना): सामने शेर को देखकर हरि के प्राण सूख गए।
• दिल बैठ जाना (बुरी तरह घबरा जाना): वैद्य जी की बात सुनकर लाजवंती का दिल बैठ गया।
• सिर उठाना (विरोध करना): औरंगजेब के सामने कोई भी सिर नहीं उठाता था।
• पाँव जमीन पर न पड़ना (अत्यधिक प्रसन्न होना): रीमा प्रथम श्रेणी में मैट्रिक पास की है इसलिए उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं।
• फूला न समाना (खुश होना): हेमराज को खेलता देखकर लाजवंती फूला न समाती थी।
• कान खड़े होना (सचेत या चौकन्ना होना): पुलिस को आते देखकर चोर के कान खड़े हो गए।
• जमीन में गड़ना (शर्मिंदा होना): सीमा परीक्षा में चोरी कर रही थी। जब शिक्षिका ने उसे पकड़ा तो ऐसा लगा कि अब वह जमीन में गड़ जाएगी।
• नाक कटना (बेइज्जत होना): भरी सभा में नेताजी की नाक कट गई।
• हाथ फैलाना (माँगना): दूसरों के आगे हाथ फैलाना ठीक नहीं है।
• मुँह फुलाना (गुस्सा होना): रुपये न मिलने से अनिता मुँह फुलाए बैठी है।
योग्यता-विस्तार
1. भारतीय समाज में विवाह जैसे आयोजन बेहद खर्चीले तथा तड़क- भड़क वाले होते हैं। आपके विचार से यह उचित है अथवा अनुचित ? कक्षा में इस विषय पर वाद-विवाद का आयोजन कीजिए।
उत्तर : विद्यार्थी स्वयं करें।
2. क्या इस कहानी को पढ़कर आपको ऐसा लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कुछ कम हो जाता है? अपने सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी अपने सहपाठियों के बीच स्वयं चर्चा करें।
3. क्या आपको लगता है कि प्रस्तुत कहानी कुछ हद तक अंधविश्वासों पर प्रकाश डालती है? यदि हाँ तो ये अंधविश्वास सामाजिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? इन्हें दूर करने हेतु आप क्या उपाय अपनाना चाहेंगे?
उत्तर: हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ कि प्रस्तुत कहानी कुछ हद तक अंधविश्वास पर प्रकाश डालती है। अंधविश्वास ऐसे सामाजिक परम्पराएँ, आस्था या विश्वास होते हैं, जिन्हें लोग बगैर सोचे-समझे तथा बगैर प्रमाण के उन्हें सच मान लेते हैं और उसका पालन भी करते हैं। ‘तीर्थ-यात्रा’ कहानी में हेमराज को बचाने के लिए लाजवंती देवी माता के मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करती है। और मन्नत भी माँगती है कि उसका हेमराज बच जाएगा तो वह तीर्थ यात्रा करेगी। उसका हेमराज बच भी गया और वह तीर्थ-यात्रा पर जाने की पूरी तैयारी भी कर ली। परंतु वह तीर्थ-यात्रा पर नहीं गई। मन्नत के अनुसार उसे हर स्थिति में तीर्थ-यात्रा पर जाना चाहिए अन्यथा देवी माता उसे दण्ड देतीं। अंधविश्वास समाज पर उल्टा असर डालता है। अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर लोग अपना महत्वपूर्ण कार्य टाल देते हैं।
जैसे शुभ कार्य में जाते समय कोई टोक दे या बिल्ली रास्ता काट दे, तब उसे अशुभ माना जाता है। और आवश्यक कार्य टाल देते हैं। अंधविश्वास के चलते या प्रायश्चित करवाने के लिए बहुत खर्च भी कर डालते हैं। लोग अपने सामर्थ्य पर भरोसा न करके कार्य की सफलता के पीछे किसी दैवी कृपा या चमत्कार की बात मान लेते हैं, जिसका कोई प्रमाण नहीं होता। इससे समाज का विकास रुक जाता है। मंत्री अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। रेल दुर्घटना रोकने के लिए वे पटरियों पर हवन-यज्ञ कराते हैं। मंत्रीपद पाने के लिए यज्ञ करते हैं। मंदिरों में माथा टेकते हैं।
अंधविश्वास एक सामाजिक बुराई है। उससे लाभ के बदले अनेक हानियाँ होती हैं लोग अनजान बीमारी को दूर करने के लिए डॉक्टर वैद्य के पास न जाकर ओझा-गुनी के पास जाते हैं। भूत-पिशाच खेलाते हैं। ऊपरी हवा का प्रकोप बताते हैं और धन खर्च करते हैं।
इस बुराई को खत्म करने के लिए-
(i) समाज के लोगों में जागरूकता फैलानी होगी।
(ii) लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है।
(iii) वैज्ञानिक आधार को मजबूत करना और ठोस सबूत के प्रस्तुत करना होगा।
(iv) लोगों की सोच बदलनी होगी।
परियोजना कार्य
1. परोपकार के महत्व को दर्शाती किसी कथा को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
2. अपने अध्यापक तथा सहपठियों के साथ किसी अनाथ आश्रम का भ्रमण कीजिए तथा उनके दर्द एवं पीड़ा को सुनने, समझने का प्रयास कीजिए। हो सके तो उनकी मदद कीजिए तथा प्राप्त अनुभवों को अपनी डायरी में लिपिबद्ध कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी अपने अध्यापक एवं सहपाठियों की मदद से इस कार्य को पूरा करें। (स्वयं करें)
लेखक सबंधित प्रश्न उत्तर
(1) तीर्थ -यात्रा पाठ के लेखक का नाम क्या है ?
उत्तर: सुदर्शन।
(2) सुदर्शन जी का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: पं. बद्रीनाथ भट्ट।
(3) इनका जन्म कहा हुआ था?
उत्तर: इनका जन्म स्यालकोट में हुआ था।
(4) वह सुदर्शन नाम से कहा प्रसिद्ध हैं?
उत्तर: हिंदू और उर्दू में लेखक सुदर्शन नाम से प्रसिद्ध हैं।
(5) लेखक को बचपन से क्या शौक था?
उत्तर: लेखक को बचपन से कहानी पढ़ने और लिखने का शौक था।
(6) इनकी पहली कहानी कौन सी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी?
उत्तर: सरस्वती पत्रिका में ।
(7) सुदर्शन जी की गणना कहा की जाती है ?
उत्तर: सुदर्शन जी की गणना द्विवेदी-युग के श्रेष्ठ कथाकारों में की जाती है।
(8) उनकी प्रसिद्ध कहानी संग्रह के नाम लिखिए?
उत्तर: उनकी प्रसिद्ध कहानी संग्रह के नाम है:-
(i) सुदर्शन सुधा।
(ii) सुदर्शन सुमन।
(iii) तीर्थ – यात्रा। और
(iv) सुप्रभात।
(9) उनकी द्वारा रचित नाटकों के नाम लिखिए?
उत्तर: उनकी द्वारा रचित नाटकों के नाम है:-
(i) अनजान।
(ii) भाग्यचक्र। और
(ii) आनरेरी – मजिस्ट्रेट।
(10) उनके द्वारा रचित उपन्यास का नाम लिखिए?
उत्तर: परिवर्तन।
Additional questions answers
(1) लाजवंती किसका मुंह देख के अपने दुःख भूल जाती थी?
उत्तर: अपने पुत्र हेमराज का मुख देख कर लाजवंती अपना दुख भूल जाती थी।
(2) मां के ममता ने उसकी आंखो को धोका में डाल दिया था लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर: क्यूंकि लाजवंती के यहां काई पुत्र पैदा हुए , मगर सब के सब बचपन में ही मर गए। आखिरी पुत्र हेमराज उसके जीवन का सहारा था। उसका मुंह देख कर वह पहले बच्चों की मौत का दुख भूल जाती थी। यद्यपि हेमराज का रंग -रूप साधारण बालकों – सा ही था , मगर लाजवंती की आंखों में वैसा बालक सारे संसार में न था। इसलिए लेखक ने ऐसा कहा है।
(3) लाजवंती हेमराज के चिंता में क्या क्या करती थी?
उत्तर: लाजवंती को हेमराज की इतनी चिंता थी की दिन-रात उसे छाती से लगाए फिरती थी, मानो वह कोई दीपक हो जिसे बुझाने के लिए हवा का तेज झोंका बार -बार आक्रमण कर रहे हों। वह उसे छिपा – छिपाकर रखती थी, कही उसे किसी किस नजर न लग जाए । गांव के लड़के प्राय: खेतों में खेलते – फिरते थे, मगर लाजवंती हेमराज को घर के बाहर न निकलने देती थी और अगर कभी वह निकल भी जाता तो वह घबरा कर उसे ढूंढने लग जाती थी।
(4) हेमराज के ‘ मां ‘ बोलने पर लाजवंती के हाथ से बर्तन क्यों गिर पड़े?
उत्तर: हेमराज के आवाज में उदासी झलक रही थी, उसके सर में दर्द था हेमराज को उदास देख कर लाजवंती के हाथ से बर्तन गिर पड़े थे।
(5) लाजवंती के अपने पैरो से जमीन खिसकती -सी क्यों मालूम होने लगी?
उत्तर: जब हेमराज ने कहा सिर में दर्द होता है बहुत दर्द होता है , लाजवंती का नारी -ह्रदय कांप गया। क्योंकि यही दिन थे , यही ऋतु थी जब उसका पहला पुत्र मदन मारा था वह भी इसी तरह बीमार हुआ था।
सही विकल्प का चयन कीजिए
(1) उसे छिप छिपाकर रखती थी, किसे?
(i) समान को।
(ii) गहने को।
(iii) हेमराज को।
(iv) किसी को नहीं।
उत्तर: हेमराज को।
(2) मानो वह कोई दीपक हो , यहा दीपक किसे कहा गया है ?
(i) गाय को।
(ii) लाजवंती को।
(iii) हरो को।
(iv) हेमराज को।
उत्तर: हेमराज को।
(3) हेमराज का बुखार कितने दिन में ठीक हुआ ?
(i) 11 दिन में।
(ii) 12 दिन में।
(iii) 21 दिन में।
(iv) 15 दिन में।
उत्तर: 21दिन में।
(4) वैद्य जी ने उत्तर दिया मियादी _________है?
(i) बीमार।
(ii) दर्द।
(iii) बुखार।
(iv) कुछ नही।
उत्तर: बुखार।
(5) लाजवंती के पति का नाम क्या था?
(i) रामसिंह।
(ii) रामलाल।
(iii) रामजी।
(iv) रामसाहा।
उत्तर: रामलाल।
(6) लाजवंती के पति क्या काम करते रहे ?
(i) खेती।
(ii) डाक घर में काम।
(iii) मुल्तान में नौकर था।
(iv) नौकरी करता था।
उत्तर: मुल्तान में नौकर था।
(7) लाजवंती ने क्या मन्नत मांगी?
(i) पूजा करने की।
(ii) पाठ करने की।
(iii) भोज करने की।
(iv) तीर्थ -यात्रा करने की।
उत्तर: तीर्थ -यात्रा करने की।
(8) लाजवंती ने कितने रूपय संदूक से निकल कर हरो को दिया ?
(i) एक सौ रुपए।
(ii) पचास रूपए।
(iii) दो सौ रुपए।
(iv) तीन सौ रुपए।
उत्तर: दो सौ रुपए।
(9) हरो क्यों रो रही थी?
(i) क्योंकि वह बीमार थी।
(ii) उसे बेटी के विवाह की चिंता थी।
(iii) उसे माथे में दर्द था।
(iv) उसे नींद नही आ रही थी।
उत्तर: उसे बेटी के विवाह की चिंता थी।
(10) तेरी बेटी तेरी ही बेटी नही मेरी भी है, यह किसका कथन है?
(i) हेरा के।
(ii) रामलाल के।
(iii) दुर्गादास के।
(iv) लाजवंती के।
उत्तर: लाजवंती के।
(11) सुदर्शन जी का जन्म कब हुआ था?
(i) 1868
(ii) 1854
(iii) 1896
(iv) 1895
उत्तर: 1896
(12) सुदर्शन जी का स्वर्गवास कब हुआ था?
(i) 1966
(ii) 1965
(iii) 1963
(iv) 1967
उत्तर: 1967