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Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 1 पद – युग्म
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पद – युग्म
पाठ – 1
पाठ् यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर
बोध एवं विचार:
1. सही विकल्प का चयन कीजिए —
(क) ‘मोको कहाँ हुँदै बन्दे’- यहाँ ‘बन्दे’ शब्द का क्या अर्थ है?
(i) पुजारी।
(ii) दोस्त।
(iii) सेवक।
(iv) भगवान।
उत्तरः (iii) सेवक।
(ख) हिन्दुओं को कौन प्यारे हैं?
(i) खुदा।
(ii) राम।
(iii) तुर्क।
(iv) रहीम।
उत्तरः (ii) राम।
2. निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:
(क) ‘मैं तो तेरे पास में’– यहाँ ‘मैं’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तरः परमात्मा के लिए।
(ख) देवल या मसजिद में कौन नहीं रहता?
उत्तरः भगवान नहीं रहते।
(ग) ‘खोजी’ कौन है?
उत्तर: सच्चे भक्त हैं।
(घ) तुर्कों को कौन प्यारे होते हैं?
उत्तरः रहीम यानी अल्लाह प्यारे होते हैं।
(ङ) ‘मेरी पुरी मवास में’ – यहाँ ‘मेरी’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर: भगवान के लिए।
(च) पीर-औलिया क्या पढ़ते हैं?
उत्तर: कुरान आदि धार्मिक ग्रंथ पढ़ते हैं।
(छ) पीर-औलिया अपना मुरीद (शिष्य) किसे बनाते हैं?
उत्तरः उन्हें बनाते हैं, जिनका उन पर पूरा भरोसा होता है, जो उनके बताए उपायों के अनुसार चलते हैं।
(ज) ‘छाप तिलक अनुमाना’ – यहाँ ‘छाप’ और ‘तिलक’ बाह्याडंबर के प्रतीक हैं या ज्ञान के?
उत्तर: बाह्याडंबर के।
(झ) ‘आपस में दोउ लरि-लरि मुए’– यहाँ किनके बीच लड़ाई की बात की गयी है?
उत्तरः हिन्दू और मुसलमानों के बीच।
(ञ) कबीरदास ने ‘भर्म’ किसे कहा है?
उत्तर: जाति-भेद, अस्पृश्यता, अहंकार, धार्मिक बाह्याडंबर आदि बुराइयों को।
3. निम्नलिखित प्रशनों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए—
(क) मनुष्य ईशवर को कहाँ-कहाँ खोजता है?
उत्तरः मंदिर, मसजिद आदि विभिन्न धार्मिक स्थलों पर खोजता है।
(ख) मनुष्य ईशवर को पाने के लिए किस तरह के कर्मकांड करता है?
उत्तर: मंदिर- मसजिद में भटकना, जप-तप करना, प्रातः उठकर स्नान करना, ईशवर के नाम पर पत्थर की मूर्ति की पूजा करना, कुरान आदि धार्मिक ग्रंथ पढ़ना, चंदन-टीका लगाना आदि कर्मकांड करता है।
(ग) कबीरदास रचित पद की किन पंक्तियों में बलि-विधान का संकेत मिलता है?
उत्तर: ना मैं बकरी ना मैं भेंड़ी, ना मैं छुरी गँड़ास में।
नहीं खाल में नहीं पोंछ में, ना हडडी माँस में।
(घ) कबीरदास के अनुसार सच्चा खोजी ईशवर को कैसे पा लेता है?
उत्तरः सच्चा खोजी ईशवर को तुरंत ही पा लेता है, क्योंकि वह सच्चे मन से ईशवर की भक्ति और खोज करता है।
(ङ) ईशवर का असली निवास स्थान कहाँ है?
उत्तरः मनुष्य की साँसों की तरह मनुष्य के अन्तः करण में होता है।
(च) संत कबीरदास ने जग को बौराया हुआ क्यों कहा है?
उत्तरः क्योंकि ईशवर और धर्म के सच्चे मर्म को कहने पर जग वाले मारने दौड़ते हैं और झूठ कहने पर विशवास कर लेते हैं। लोग धर्म-ईशवरोपासना के नाम पर पाखंड और दिखावा करते हैं, लेकिन सच्चे तत्व को कोई भी स्वीकार करना नहीं चाहता है।
(छ) ‘साँच कहाँ तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना’ — कवि ने यहाँ किस सच और झूठ की बात कही है?
उत्तरः कवि ने यहाँ सहज तथा आडंबरहीन ईशवर-भक्ति को सच और भक्ति के नाम पर किए जाने वाले पाखंड तथा आडंबर को झूठ कहा है।
(ज) हिन्दू और मुस्लिम किन कारणों से आपस में लड़ते-मरते रहते हैं? उन्हें किस’ मर्म’ पर ध्यान देने की आवश्यकता है?
उत्तर: हिंदू और मुस्लिम अपने-अपने आराध्य राम और रहीम को लेकर आपस में लड़ते-मरते रहते हैं। राम और रहीम दो नहीं, एक हैं। इसी मर्म पर उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है।
(झ) कबीरदास के अनुसार कैसे गुरु-शिष्य अंतकाल में पछताते हैं? इस पछतावे का कारण क्या है?
उत्तरः कबीरदास के अनुसार अपने घमंड में चूर रहने वाले गुरु-शिष्य अंतकाल में पछताते हैं। कबीरदास के अनुसार इस पछतावे का कारण गुरु-शिष्य की अज्ञानता है।
(ञ) धार्मिक बाह्याचारों का विरोध करते हुए कबीरदास ने किस पर ध्यान देने की बात की है?
उत्तरः दिखावा न करके ईशवर की सच्ची और सहज भक्ति पर ध्यान देने की बात कही है।
4. आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) ना तो कौनो क्रिया कर्म में ना ही जोग बैराग में?
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
ईशवर सर्वव्यापी है। किसी धार्मिक क्रिया, कर्मकांड, योग-साधना या साधु-संन्यासी बनने से ईशवर की प्राप्ति नहीं होती। अतः ईशवर की प्राप्ति के लिए बाह्याडंबर करना व्यर्थ है।
(ख) खोजी होय तुरतै मिलिहौं, पल भर की तलास में।
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
आशय यह है कि ईशवर को खोजने वाला व्यक्ति आत्म-साधना के माध्यम से क्षणभर में अपने भीतर उन्हें पा लेता है क्योंकि ईशवर कहीं बाहर नहीं बल्कि हमारे हृदय रूपी किले में रहते हैं। अर्थात् शुद्ध हृदय वाले को ही ईश्वर के दर्शन होते हैं।
(ग) आतम मारि पखानहि पूजै उनमें कछु नहिं ज्ञाना?
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
अंतरात्मा की अवहेलना कर बाह्याडम्बर के भ्रम में पड़ना अज्ञानता है, क्योंकि तत्त्वबोध के अभाव में सभी प्रकार की धार्मिक गतिविधियाँ केवल दिखावे के लिए हैं।
5. निम्नलिखित प्रशनों के सम्यक् उत्तर दीजिए:
(क) कबीरदास के अनुसार हमें अपने आराध्य को कहाँ-कहाँ खोजने की आवश्यकता नहीं है?
उत्तरः हमारे आराध्य सर्वव्यापी हैं और हम सबके हृदय में निवास करते हैं। कबीरदास के अनुसार हमें अपने आराध्य यानी ईशवर को बाहरी माध्यमों से अन्यत्र खोजने की आवश्यकता नहीं है।
(ख) संत कबीरदास द्वारा रचित द्वितीय पद में वर्णित बाह्याडंबरों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर: कबीरदास ने अपने द्वितीय पद में बाह्याडंबरों का उल्लेख करते हुए कहा है कि अंतरात्मा की अवहेलना कर नियम-धर्म का पालन करना, तथा विभिन्न तरह के क्रिया कर्म को संपादित करना व्यर्थ है।
(ग) कबीरदास ने ईशवर-प्राप्ति का कौन-सा सहज उपाय बताया है?
उत्तर: कबीर दास ने कहा है कि उनको खोजने वाला आंतरिक पवित्रता और निर्मल भक्ति द्वारा क्षणभर में अपने भीतर उन्हें पा लेता है। परमात्मा सभी जीवों के दिल की धड़कनों में बसते हैं।
6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए—
(क) ना मैं देवल ना मैं मसजिद……….. सब साँसों की सांस में।
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
मनुष्य ईश्वर को पाने के लिए तरह-तरह के क्रिया-कर्म करता है, परन्तु उसे ईश्वर के दर्शन नहीं होते हैं। कबीर के अनुसार स्वयं निराकार ब्रह्म मनुष्य से कहते हैं कि हे मनुष्य! तुम मुझे ढूँढ़ने के लिए कहाँ-कहाँ भटक रहे हो। मैं किसी मंदिरमस्जिद में तुम्हें नहीं मिलूँगा, और न किसी तीर्थस्थान पर। मैं किसी बाह्याडंबर से भी नहीं मिल सकता। योगी और बैरागी बनकर भी तुम मुझे नहीं पा सकते हो। जो मुझे सच्चे मन से खोजता है, उसे मैं तुरंत मिल जाता हूँ क्योंकि मैं तो प्रत्येक प्राणी की हर साँस में बसा हूँ। अतः अन्यत्र भटकने के बदले अपने मन में खोजो।
(ख) संतो देखत जग……… उनमें कछु नहिं ज्ञाना?
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
कबीरदास कहते हैं, यह संसार पागल हो गया है क्योंकि यहां पर सच्चाई की कोई कदर नही है। इन लोगों को यदि सच बात बोल दो तो वह मारने को दौड़ते हैं और झूठी बातों पर तुरंत विश्वास कर लेते हैं। इन लोगों को सच्चे और झूठे के बीच का भेद पता नहीं। हिंदू समाज के लोग राम की पूजा करते हैं और राम को अपना बताते हैं। उसी तरह मुस्लिम समाज के लोग रहमान यानि अल्लाह को अपना बताते हैं। फिर यह हिंदू और मुसलमान दोनों आपस में धर्म के नाम पर लड़ते हैं। दोनों में से कोई भी ईश्वर के सच्चे स्वरूप को नहीं पहचान पाया। कबीर कहते हैं मुझे संसार में ऐसे अनेक नियमों का पालन करने वाले लोग मिलते हैं जो एकदम सवेरे उठकर स्नान-ध्यान करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, मूर्तियों की पूजा करते हैं, हवन-यज्ञ धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, लेकिन वह आत्मा के स्वरूप को बिल्कुल नहीं जानते हैं।
(ग) बहुतक देखा………… उनमे उहै जो ज्ञाना?
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
कबीरदास का कहना है कि इस संसार में कई ऐसे धार्मिक गुरु हैं, जो अपने धार्मिक ग्रंथ पढ़ते रहते हैं और समाज के लोगों को ज्ञान का उपदेश भी देते रहते हैं। लेकिन ऐसे तथाकथित धर्म-गुरु भ्रम जाल में पड़कर स्वयं भी ईशवर को नहीं जान पाते हैं।
(घ) हिन्दु कहै मोहिं राम पियारा……. सहजै सहज समाना।
उत्तरः उपरोक्त पंक्ति हमारी पाठय – पुस्तक ‘अंबर भाग-2’ की ‘पद-युग्म’ शीर्षक कविता से ली गयी है। जिसके रचयिता कवि कबीरदास है।
कबीरदास का कहना है कि विभिन्न सम्प्रदाय के लोग अपने-अपने धर्म-सम्प्रदाय को दूसरे से श्रेष्ठ समझने लगते हैं। हिंदू समाज के लोग राम की पूजा करते हैं और राम को अपना बताते हैं। उसी तरह मुस्लिम समाज के लोग रहमान यानि अल्लाह को अपना बताते हैं। इसीलिए कवि इन बाह्याचारों के भ्रम से बाहर निकलकर तत्त्वज्ञान पर ध्यान देने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि हमारे उपास्य प्रभु हमारे हृदय के भीतर हैं। जिन्हें हम आंतरिक पवित्रता और निर्मल-भक्ति के बल पर अपने अंदर ही देख सकते हैं, क्योंकि इसी रूप में सहज भाव से आत्मा-परमात्मा का मिलन होता है।
भाषा एवं व्याकरण
(क) निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए—
जोग, आतम, पखान, तीरथ, असनान, डिंभ, मंतर, सिख्य, धर्म
उत्तर:
शब्द | तत्सम रूप |
जोग | योग |
आतम | आत्मा |
पखान | पत्थर |
तोरथ | तीर्थ |
असनान | स्नान |
डिंभ | दंभ |
मंतर | मंत्र |
सिख्य | शिष्य |
भर्म | भ्रम |
(ख) पदों में आए विदेशज (आगत) शब्दों को चुनकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः मसजिद (मस्जिद): विश्व की सबसे बड़ी मसजिद मक्का की मस्जिद अल हराम है।।
काबा (मुसलमानों का पवित्र तीर्थ स्थान): काबा इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है।
तलास (तलाश): पुलिस इधर-उधर चोरों की तलास कर रही है।
छुरी (चाकू): छुरी से फल काटते हैं ।
सहर (शहर): मुम्बई भारत का सबसे बड़ा सहर है।
पीर (मुसलमानों के धर्मगुरु): पीर मुसलमानों के गुरु हैं।
औलिया (मुसलमान संत): औलिया लोगों की भलाई करते हैं।
मुरीद (शिष्य): आज से मैं आपकी मुरीद हो गई हूँ।
तदबीर (युक्ति): आखिरकार जावेद ने इस मुसीबत से बाहर निकलने की तदबीर खोज ही ली है।
किताब (पुस्तक): किताब पढ़ना अच्छा होता है।।
कुरान (मुस्लिम धर्म का धार्मिक ग्रंथ): कुरान में कुल 14 सजदे है।
(ग) कारक-रूप स्पष्ट कीजिए–
उत्तरः
शब्द | कारक – रूप |
मोको | कर्म कारक |
बन्दे | संबोधन कारक |
नेमी | संबंध कारक |
पखानहि | कर्म कारक |
मोहिं | कर्म कारक |
संतो | संबोधन कारक |
(घ) आधिक्य, सामीप्य, ओर, इच्छा प्रकट करना इत्यादि अर्थों में ‘अभि’ उपसर्ग का प्रयोग होता है, जैसे-अभिमान। ‘अभि’ उपसर्ग वाले पाँच शब्द लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः 1. अभिप्राय (अभि + प्राय): पुलिस को इस घटना के संबंध में तुमसे पूछताछ करने का अभिप्राय क्या था?
2. अभियान (अभि + यान): सरकार ने गरीबी उन्मूलन का अभियान तेज कर दिया है।
3. अभीष्ट (अभि + इष्ट): कठिन तपस्या से हो अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
4. अभ्यास (अभि + आस): अभ्यास के द्वारा कठिन–से–कठिन विद्या सीखी जा सकती है।
5. अभिमान (अभि + मान): किसी को अपनी सुन्दरता पर अभिमान करना शोभा नहीं देता।
(ङ) निम्नलिखित शब्दों से ‘इमा’ प्रत्यय को अलग कीजिए–
उत्तरः महिमा = मह + इमा
लघिमा = लघु + इमा
रक्तिमा = रक्त + इमा
जड़िमा = जड़ + इमा
नीलिमा = नीला + इमा
योग्यता-विस्तार
(क) अपने शिक्षक की सहायता से निम्नलिखित साखी का आशय समझ लीजिए:
लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल।
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल॥
उत्तरः कबीरदास यहां अपने ईश्वर के ज्ञान प्रकाश का जिक्र करते हैं। वह कहते हैं कि यह सारी भक्ति यह सारा संसार, यह सारा ज्ञान मेरे ईश्वर का ही है। मेरे लाल का ही है जिसकी मैं पूजा करता हूं, और जिधर भी देखता हूं उधर मेरे लाल ही लाल नजर आते हैं। एक छोटे से कण में भी, एक चींटी में भी, एक सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों में भी मेरे लाल का ही वास है। उस ज्ञान उस प्राण उस जीव को देखने पर मुझे लाल ही लाल के दर्शन होते है और नजर आते हैं। स्वयं मुझमें भी मेरे प्रभु का वास नजर आता है।
कवि सबंधित प्रश्न उत्तर:
(1) पद – युग के कवि का नाम क्या है?
उत्तर : कबीरदास।
(2) “कबीर” शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर: कबीर” शब्द का अर्थ है – बड़ा, श्रेष्ठ , महान।
(3) कबीरदास का अविभार्व और स्वर्गवास कब और कहा हुआ था?
उत्तर: कहा जाता है की सन् 1398 में काशी में उनका अविभार्व हुआ था और सन् 1518 में वे स्वर्ग सिधारे।
(4) संत कबीरदास एक बड़े भक्त श्रेष्ठ कवि और समाज सुधारक थे कैसे स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर: संत कबीरदास एक बड़े भक्त श्रेष्ठ कवि और समाज सुधारक थे, वह सच्चे अर्थ में एक ऐसे क्रांतिकारी लोककवि थे, जिन्होंने जनता के बीच रहकर जनता की भाषा में मुख्य रूप से जनता की भलाई के लिए काव्य -रचना की। उनकी रचनाएं तब भी प्रासंगिक थी , आज भी प्रासंगिक हैं और उनकी प्रासंगिकता आगे भी बनी रहेगी।
हिंदी की निर्गुण भक्ति – धारा के ज्ञानमर्गी कवियों में महात्मा कबीरदास जी सबसे अधिक प्रगतिशील कवि है। वे गोस्वामी तुलसीदास की तरह ही लोकनायक और लोकप्रिय कवि रहे है । कबीरदास के जीवन से संबंधित अनेकों जनश्रुतियां प्रचलित है। आपके जन्म, मृत्यु , माता -पिता, पुत्र – परिवार आदि के संबंध में प्रयाप्त मतभेद है।
(5) कवि का जीवन परिचय दीजिए?
उत्तर: जनश्रुति के अनुसार स्वामी रामानंद के आशीर्वाद से एक विधवा ब्राह्मणी को एक पुत्र -रत्न प्राप्त हुआ , जिसे लोकलाजवस उसने काशी के पास लहरतारा नमक तालाब के किनारे फेंक दिया। उधर से गुजरे नीरू और नीमा नमक मुसलमान जुलाहे दंपत्ति ने उसे दिव्य शिशु को उठा लिया और “कबीर ‘ नाम देकर उसका पालन – पोषण किया। बड़े होकर कबीर ने अपने पलक पिता -माता नीरू और नीमा की तरह की जुलाहे के काम को अपनाया। जनश्रुति के अनुसार कबीरदास का विवाह बनखंडी बैरागी की पलीता कन्या लोई के साथ हुआ, जिनसे उन्हें कमाल और कमाली नाम की दो संतन प्राप्त हुई।
(6) कबीरदास ने किस्से दीक्षा ली थी?
उत्तर: स्वामी रामानंद।
(7) उनके आराध्या कौन थे ?
उत्तर: उनके आराध्या संसार के रोम -रोम में विराजमान निर्गुण -निराकार राम थे।
(8) कबीर काव्य की भाषा को विद्वानों ने क्या कहा है?
उत्तर: “सधुक्कड़ी” और “पंचमेल खिचड़ी” कहा है।
(9) कबीरदास ने अपने आराध्य राम की भक्ति किस प्रकार करते थे ?
उत्तर :कर्मयोगी कबीर ने कपड़े बुनने, रंगने, बेचने आदि काम करते हुए अपने आराध्य की भक्ति के गीत गाए । लोगो से मिलते हुए उन्होंने तरह -तरह के उपदेश दिए । इन वाणियों को उनके उनके शिष्यों ने लिखित रूप दिया ,जो “बिजक” नाम से प्रसिद्ध हुआ। “सखी’, “सबद” और “रमैनी” इसके तीन भाग है।
(10) कबीरदास को भाषा का जादूगर क्यों कहा गया है?
उत्तर: वह तत्कालीन हिंदुस्तानी का रूप है, जिसमें खड़ीबोली, ब्रज, अवधि, राजस्थानी, पंजाबी, फारसी आदि काई भाषाओं के शब्द मिलते है। कबीर भाषा में सरलता एवं सरसता दोनो गुण मौजूद है। वे सचमुच भाषा के जादूगर थे।
संत कबीरदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से धार्मिक बाह्याडंबर ,जाति- भेद , अस्पृश्यता, अहंकार आदि बुराइयों का विरोध किया है । साथ ही अपने आंतरिक पवित्रता, निर्मल ईश्वर – भक्ति और सच्चे मानव – प्रेम पर बल दिया है।
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(1) कबीरदास के अनुसार ईश्वर कहा रहते है?
(i) मंदिर।
(ii) मस्जिद में।
(iii) काबा -कैलाश में।
(iv) हर प्राणी के सांस में।
उत्तर:हर प्राणी के सांस में।
(2) कबीरदास जी ने जग को बौराया हुआ क्यों कहा है?
(i) क्योंकि सच कोई विश्वास नही करता है।
(ii) क्योंकि झूठ कोई विश्वास नही करता है।
(iii) क्योंकि संसार में संत -महात्मा की बाते नही मानी जाती।
(iv) क्योंकि सच कहने पर सब मारने दौड़ते है और झूठ कहने से पर विश्वास कर लेते है।
उत्तर: क्योंकि सच कहने पर सब मारने दौड़ते है और झूठ कहने से पर विश्वास कर लेते है।
(3) अंतकाल कौन पछताता है?
(i) गुणी।
(ii) धनी।
(iii) अहंकारी।
(iv) झूठा।
उत्तर: अहंकारी।
(4) कबीरदास जी के संतानों का नाम क्या था?
(i) कमाल, कमाली।
(ii)कमाल।
(iii) कमाली।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर: उपरोक्त सभी।
(5) जीवो के धड़कनों में किसका निवास है?
(i) आत्मा।
(ii) परमात्मा।
(iii) स्वाश।
(iv) जान।
उत्तर:परमात्मा।
(6) कालांतर में कबीरदास जी की वाणीयों को उनके शिष्यों ने लिखित रूप दिया जो _______ से प्रसिद्ध हुआ।
(i) साखी।
(ii) सबद।
(iii) बीजक।
(iv) गीत।
उत्तर: बीजक।
(7) कबीरदास जी ने अपने पालक पिता माता की तरह ही _________ के काम को अपनाया?
(i) खेती।
(ii) जुलाहे।
(iii) नौकरी।
(iv) इनमे से एक भी नहीं।
उत्तर: जुलाहे।
(8) कबीर शब्द का अर्थ क्या है?
(i) बड़ा।
(ii) श्रेष्ठ।
(iii) महान।
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर: उपरोक्त सभी।
(9) कबीरदास जी के आराध्या प्रभु कौन थे?
(i) कृष्ण।
(ii) बलराम।
(iii) राम।
(iv) लक्ष्मण।
उत्तर: राम।
(10) टोपी पहिरे माला पहीरे , छाप तिलक अनुमान । साखी सब्दहि गावत भूले , आतम खबरि न जाना । इस दोहे में खबरि शब्द का अर्थ क्या है?
(i) पत्थर।
(ii) धारण करना।
(iii) अहंकार।
(iv) रहस्य को।
उत्तर: रहस्य को।