Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 3 किरणों का खेल

Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 3 किरणों का खेल answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 3 किरणों का खेल and select needs one.

Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 3 किरणों का खेल

Join Telegram channel

Also, you can read the SCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of SCERT All Subject Solutions. Here we have given Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 3 किरणों का खेल Solutions for All Subject, You can practice these here.

किरणों का खेल

पाठ – 3

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) ‘हरित तृण’ का तात्पर्य क्या है?

(i) हरी-भरी धरती।

(ii) हरी-हरी घास।

(iii) हरे-भरे खेत।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(iv) चाँदनी रात।

उत्तरः (ii) हरी-हरी घास।

(ख) कविता में ‘मोती’ किन्हें कहा गया है?

(i) प्रकृति।

(ii) धरती।

(iii) ओस की बूँदें।

(iv) चंद्रमा की रोशनी।

उत्तर: (iii) ओस की बूँदें।

(ग) कविता में ‘विराम-दायिनी’ किसे कहा गया है?

(i) कवि।

(ii) संध्या।

(iii) सूरज।

(iv) धरती।

उत्तर: (ii) संध्या।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:

(क) ‘किरणों का खेल’ किस प्रकार की कविता है?

उत्तर: प्रकृति विषयक एक प्रेरक कविता है।

(ख) धरती किसके माध्यम से अपनी खुशी जाहिर कर रही है? 

उत्तरः हरी-हरी घासों के माध्यम से।

(ग) वृक्ष क्यों झूम रहे हैं?

उत्तर: धीरे-धीरे हवाएँ बह रही हैं इसलिए वृक्ष झूम रहे हैं।

(घ) सूरज मोती का उपहार कब बटोर लेता है?

 उत्तर: सवेरा होने पर।

(ङ) जल और थल में चाँदनी बिछी होने का क्या अर्थ है ? 

उत्तर: अर्थ यह है कि चाँदनी का प्रकाश धरती पर पड़ता है और उसकी परछाई जलाशय में भी प्रतिबिंबित होती है।

(च) संध्या को ‘विराम-दायिनी’ क्यों कहा गया है ? 

उत्तरः संसार के सभी प्राणी संध्या होने पर विराम या आराम लेना चाहते हैं इसलिए।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) कवि ने किरणों के सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है? 

उत्तरः चंद्रमा की किरणें चारों तरफ अपनी अद्भुत एवं अपूर्व सुंदरता बिखेर रही हैं। धरती और आकाश आलोकित हो गए हैं। कवि ने किरणों के सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है।

(ख) धरती अपना ‘पुलक’ कैसे प्रकट करती है? 

उत्तर: धरती अपना ‘पुलक’ हरे हरे घासों की नोकों के माध्यम से प्रकट करती है।

(ग) रवि धरती पर फैले मोतियों को कैसे बटोर लेता है ? 

उत्तर: कविवर गुप्त जी रात्रिकालीन सुषमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि रात्रि के समय पृथ्वी सबके सो जाने पर ओस के रूप में अपने मोती बिखेर देती है और प्रात:काल होने पर सूर्य उन्हीं ओस रूपी मोतियों को बटोर लेता है।

(घ) नियति को ‘नटी’ क्यों कहा गया है? उसके कार्यकलापों का वर्णन कीजिए।

उत्तरः नियति यानी प्रकृति अपना नाटक निरंतर करती रहती है इसलिए कवि ने नियति को ‘नटी’ कहा है। वह अपना सब काम शांत भाव से तथा नियत समय पर करती है।

(ङ) “निरानंद है कौन दिशा?” – कविता की इस प्रश्नवाचक पंक्ति से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: कवि का यह आशय है कि पंचवटी में सभी दिशाओं में आनंद ही आनंद व्याप्त है। कोई भी दिशा आनंद – शून्य नहीं है।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क) ‘किरणों का खेल ‘कविता में वर्णित प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण कीजिए। 

उत्तर: ‘किरणों का खेल’ कविता ‘पंचवटी’ नामक खंडकाव्य का एक अंश है। इसमें प्रकृति के कार्यकलापों एवं सौंदर्य का बड़ी बारीकी से चित्रण किया गया है। चाँद, सूरज, धरती, आकाश, वायु, पेड़, नदी, पहाड़ आदि प्रकृति के सभी अवयव निरंतर कर्मरत रहते हैं। प्रकृति न कभी हार मानती है, न थकती है। यह अपना सब काम शांत भाव से तथा नियत समय पर करती है। रात में चाँद अपनी स्वच्छ चाँदनी से संपूर्ण पृथ्वी को सराबोर कर देता है, वहीं सूरज अपनी किरणों का जादू बिखेरकर संसार में उजाला फैला देता है। धरती हरी-हरी घासों के माध्यम से, पेड़ झूम-झूमकर तथा पवन चारों ओर सुगंध फैलाकर अपनी खुशियाँ बाँटते हैं। धरती का कोना-कोना आनंद से भर जाता है। इस तरह प्रकृति रोज नए-नए एवं विविध रूपों में हमारे समक्ष आती है। और हमें सुखद अनुभूति का अहसास दिलाती है।

(ख) प्रकृति को नया रूप प्रदान करने में चाँद और सूरज को क्या-क्या भूमिकाएँ हैं?  

उत्तर: चाँद और सूरज धरती पर अपनी किरणों से प्रकृति को नया रूप प्रदान करते हैं। रात में चाँद अपनी स्वच्छ चाँदनी से संपूर्ण पृथ्वी को सराबोर कर देता है, वहीं सूरज अपनी किरणों का जादू बिखेरकर संसार में उजाला फैला देता है। प्रकृति यानी पेड़-पौधे, नदी-तालाब आदि के सौंदर्य में चाँद और सूरज चार चाँद लगाते हैं। 

(ग) “परिवर्तन प्रकृति का नियम है।” प्रस्तुत कविता के आधार पर इस तथ्य की पुष्टि कीजिए।

उत्तर: प्रकृति के क्रियाकलाप अनवरत चलते रहते हैं। प्रकृति न कभी हार मानती है, न थकती है। यह अपना सब काम शांत भाव से तथा नियत समय पर करती है। रात में चाँद अपनी स्वच्छ चाँदनी से संपूर्ण पृथ्वी को सराबोर कर देता है, वहीं सूरज अपनी किरणों का जादू बिखेरकर संसार में उजाला फैला देता है। धरती हरी-हरी घासों के माध्यम से, पेड़ झूम-झूमकर तथा पवन चारों ओर सुगंध फैलाकर अपनी खुशियाँ बाँटते हैं। धरती का कोना-कोना आनंद से भर जाता है। इस तरह प्रकृति रोज नए-नए एवं विविध रूपों में हमारे समक्ष आती है। और हमें सुखद अनुभूति का अहसास दिलाती है। 

(घ) पठित कविता के आधार पर बताइए कि प्रकृति से हमें कौन-सी सीख मिलती है?

उत्तरः प्रकृति हमें सुंदर से सुंदरतम जीवन जीने की सीख देती है।  प्रकृति हमें सदैव कर्मशीलता का संदेश देती है। चंद्रमा की किरणें हमें अंधकार को दूर करने की सीख देती हैं, तो धरती हमें परोपकार करने की सीख देती है।

5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) बंद नहीं अब भी चलते हैं 

नियति-नटी के कार्यकलाप, 

पर कितने एकांत भाव से 

कितने शांत और चुपचाप।

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंबर भाग-2’ के ‘किरणों का खेल’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता मैथिलीशरण गुप्त जी हैं।

यहाँ कवि कहते हैं कि कोई भी गतिविधि बंद नहीं है। रात्रि रूपी नटी के सारे कार्य-कलाप अब भी पहले जैसे चल रहे हैं। विशेषता यह है कि सब कुछ बहुत ही शांत ढंग से और एकांत भाव से चुपचाप हो रहा है। कहीं कोई कोलाहल नहीं है।

(ख) है बिखेर देती वसुंधरा 

मोती सबके सोने पर, 

रवि बटोर लेता है उनको 

सदा सवेरा होने पर।

उत्तरः प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंबर भाग-2’ के ‘किरणों का खेल’ शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता मैथिलीशरण गुप्त जी हैं।

कवि चाँद-तारों की तुलना मोतियों से करते हुए कहते हैं कि जब सब लोग सो जाते हैं, तो पृथ्वी आकाश में चाँद-तारों के रूप में मोती बिखेर देती है। जब सवेरा होता है, तो ऐसा लगता है, जैसे सूर्य इन मोतियों को हमेशा बटोर ले जाता हो। अर्थात सुबह उजाला हो जाने पर आकाश में चाँद-तारे लुप्त होते जाते हैं।

भाषा एवं व्याकरण

1. पाठ में आए अनुप्रास अलंकार के तीन उदाहरण चुनकर लिखिए। 

उत्तरः (क) “चारु चंद्र की चंचल किरणें “

यहाँ ‘च’ वर्ण भी पुनरावृत्ति हुई है। 

(ख) “खेल रही है ज-थ में “

‘यहाँ ‘ल’ वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है। 

(ग) “पुलक प्रगट करती धरती” 

यहाँ ‘प’ वर्ण की पुनरावृत्ति हुई है।

2. निम्नलिखित शब्दों को संधि के रूप में जोड़कर लिखिए:

सम् + यम = ___________।

उत्तर: सम् + यम = संयम

सम् + रचना = ___________।

उत्तर: सम् + रचना = संरचना

सम् + बिधान = ____________।

उत्तर: सम् + बिधान = संविधान

सम् + शोधन = ___________।

उत्तर: सम् + शोधन = संशोधन

सम् + स्मरण = ____________।

उत्तर: सम् + स्मरण = संस्मरण

सम् + हार = ____________।

उत्तर: सम् + हार = संहार

3. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए: 

अवनि, अंबर, तरु, पवन, चंद्र, रवि, चारु, निशा, तन, किरण

उत्तरः अवनि = धरती, पृथ्वी, वसुंधरा।

अंबर = आकाश, नभ, आसमान।

तरु = वृक्ष, पेड़, पादप।

पवन = हवा, वायु, समीर।

चंद्र = चाँद, चंद्रमा, शशि।

रवि = सूर्य, दिनकर, प्रभाकर।

चारु = सुंदर, आकर्षक, सुहावना।

निशा = रात, रात्रि, यामिनी।

तन = शरीर, देह, काया।

किरण = ज्योति, प्रभा, रश्मि।

4. निम्नलिखित निपातों के प्रयोग से एक-एक वाक्य बनाइए :

भी, ही, तो, भर, केवल

उत्तर: (a) पिता जी स्कूल से आते समय बाजार से कुछ सामान भी खरीद लाए।

(b) गरीब जनता सरकार के भरोसे ही अपना गुजारा करती है।

(c) मैंने अपने दोस्तों को यह बात तो बताई थी। 

(d) मंत्री जी ने मेरी मदद भर नहीं की।

(e) देश की रक्षा केवल सेना ही नहीं कर सकती ।

योग्यता- विस्तार

1. सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ पढ़िए और ‘किरणों का खेल’ कविता से उसकी तुलना कीजिए।

उत्तरः सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ और मैथिलीशरण गुप्त की कविता ‘किरणों का खेल’ में सौंदर्य-वर्णन के क्षेत्र में भाव -साम्य दिखाई देता है। 

गुप्त जी पंचवटी के रात्रिकालीन सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैं कि सुंदर चंद्रमा की किरणें जल और थल में बिखरी हुई हैं और इनसे पुलकित होकर धरती मानो खुशी से फुला नहीं समा रही। धरती पर उगे हरे-हरे तृणों की नोकें झूम रही हैं, मंद-मंद पवन बह रहा है। प्रकृति के कार्यकलाप रात्रि के समय भी अविराम गति और शांत भाव से चल रहे हैं। 

जबकि सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ में वर्षा ऋतु में क्षण-क्षण प्रकृति के परिवर्तित हो रहे परिवेश का चित्रण किया गया है। मेखलाकार पर्वत अपने ऊपर खिले हुए फूलों के रंगों के माध्यम से तालाब के जल में अपना प्रतिबिंब देखकर अपने सौंदर्य को निहार रहा है। झरने झरते हुए ऐसा प्रतीत हो रहे हैं मानो वे पर्वत का गौरवगान कर रहे हैं। अचानक पर्वत बादलों के पीछे छिप गया। आकाश ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह पृथ्वी पर टूट कर गिर रहा है। 

2. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ द्वारा रचित प्रकृति विषयक कविता” अट नहीं रही है” तथा ” जलाशय के किनारे कुहरी थी” पढ़िए और समझिए। 

उत्तरः “अट नहीं रही है’

अट नहीं रही है 

आभा फागुन की तन

सट नहीं रही है। 

कहीं साँस लेते हो,

घर-घर भर देते हो, 

उड़ने को नभ में तुम 

पर-पर कर देते हो, 

आँख हटाता हूँ तो 

हट नहीं रही है। 

पत्तों से लदी डाल 

कहीं हरी, कहीं लाल, 

कहीं पड़ी है उर में 

मंद-गंध- पुष्प-माल,

पाट-पाट शोभा-श्री 

पट नहीं रही है।

“जलाशय के किनारे कुहरी थी”

जलाशय के किनारे कुहरी थी,

हरे-नीले पत्तों का घेरा था, 

पानी पर आम की डाल आई हुई, 

गहरे अंधकार का डेरा था, 

किनारे सुनसान थे, जुगनूँ के 

दल दमके यहाँ-वहाँ चमके, 

वन का परिमल लिए मलय बहा,

नारियल के पेड़ हिले क्रम से,

ताड़ खड़े ताक रहे थे सबको,

पपीहा पुकार रहा था छिपा, 

स्यार विचरते थे आराम से,

उजाला हो गया और तारा छिपा 

लहरें उठती थीं सरोवर में

तारा चमकता था अंतर में।

कवि सबंधित प्रश्न उत्तर:

(1) “किरणों का खेल” कविता के कवि का नाम क्या है?

उत्तर: मैथिलीशरण गुप्त।

(2) कवि को कौन सी आख्या से विभूषित किया गया है?

उत्तर: राष्ट्रकवि की आख्या से विभूषित किया गया है।

(3) गुप्तजी राजसभा के सदस्य कब तक बने रहे?

उत्तर: सन् 1952 से 1964 तक वह राजसभा के सदस्य बने रहे ।

(4) गुप्तजी की प्रारंभिक रचनाएं कहा प्रकाशित होती थी?

उत्तर: सरस्वती पत्रिका में।

(5) गुप्तजी के पिता का नाम क्या था?

उत्तर: सेठ रामचरण जी रामभक्त एवं सुकवि थे।

(6) कौन से सन् तथा कौन सी काव्यग्रंथ के लिए गुप्ता जी को राष्ट्रकवि की आख्या प्राप्त हुई थी?

उत्तर: सन् 1912 तथा ‘भारत – भारती” काव्यग्रंथ के लिए गुप्ता जी को राष्ट्रकवि की आख्या प्राप्त हुई थी।

(7) गुप्तजी द्वारा विचरित महाकाव्य का नाम क्या है?

उत्तर: “साकेत”। 

(8) हिंदी के आधुनिक कालीन कवियों में गुप्तजी सबसे लोकप्रिय कवि रहे? क्यों स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: हिंदी की राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधार में कवियों में गुप्ता जी का स्थान सर्वोपरि है। देश और संस्कृति के प्रति प्रेम के अतिरिक्त गुप्ता जी के काव्य में समाज के उपेक्षित दलितों के प्रति सहानुभूति, गांधीवाद की ओर झुकाव एवं मानववादी दृष्टिकोण की झलक मिलती है। इनके काव्य में सरलता एवं सरसता का सुखद समन्वय हुआ है। इनकी भाषा में खड़ीबोली हिंदी के राष्ट्रीय स्वरूप की पूरी रक्षा हुई है। सांस्कृतनिष्ठ तत्सम शब्दों के कुशल संयोग से अपने तद्भव प्रधान भाषा को अपनी काव्य – भाषा का मुख्य आधार बनाया है। इसलिए हिंदी के आधुनिक कालीन कवियों में गुप्ता जी कदाचित् सबसे लोकप्रिय कवि रहे है।

(9) कवि का जीवन परिचय दीजिए?

उत्तर: गुप्ता जी का जन्म उत्तर प्रदेश के चिरगांव, जिला झांसी में हुआ था। उनके पिता सेठ रामचरण जी रामभक्त एवं  सुकवि थे। गुप्ता जी को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का वरदहस्त सरस्वती पत्रिका के माध्यम से प्राप्त था। इनकी प्रारंभिक रचनाएं इसी पत्रिका में प्रकाशित होती रही।रामभक्ति एवं कविता के प्रति लगाव गुप्ता जी को पैतृक विरासत के रूप में प्राप्त हुआ था। अतः अपनी अनवरत रचनासिलता के कारण इन्हें साहित्य जगत से यथोचित सम्मान प्राप्त हुआ था। उन्होंने एक बार अपना बजट भाषण कविता में ही दिया था।

(10) उनकी काव्यग्रंथो के नाम लिखिए?

उत्तर उनकी काव्यग्रंथो के नाम है:-

(i) पंचवटी।

(ii) किसान।

(iii) साकेत।

(iv) यशोधरा।

(v) द्वापर।

(vi) जयभारत।

(vii) विष्णुप्रिया आदि।

अतिरिक्त प्रश्न उत्तर:

(1) किरणें कहा खेल रही है?

उत्तर: जल और थल में।

(2) सबके सो जाने पर वसुंधरा क्या बिखेर देती है?

उत्तर: सबके सो जाने पर वसुंधरा मोती रूपी ओसकण बिखेर देती है।

(3) प्रकृति के कार्यकलाप कैसे चलते है?

उत्तर: प्रकृति के कार्यकलाप एकांत भाव से चुपचाप चलते है।

(4) चारू चंद्र की _________ अवनी और अंबर तल में। पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: उक्त पंक्तियां अंबर भाग 2 के ‘किरणों का खेल ‘नमक कविता से ली गई है इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है, इस पंक्ति में कवि ने पंचवटी के रात्रिकालीन प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर वर्णन किया है।

कवि कहते है की सुंदर चंद्रमा की चंचल किरणें जल और थल पर खेल रही है। चंद्रमा की सुंदर, सफ़ेद चांदनी पृथ्वी और आकाश में फैली हुई है। अर्थात पंचवटी का सौंदर्य अनुपम और अवर्णिया है। चंद्रमा की किरणे आकाश और धरती पर ऐसी बिखरी है जिससे पंचवटी के सौंदर्य में चार चांद लग गए है। कवि ने यहां प्राकृतिक सौंदर्य के मनोहारी व हृदयाग्रही रूपो की सुंदर व्याख्या की है।

(5) और विराम – दायिनी अपनी _________ नया रूप झलकाता है। भाव से कीजिए?

उत्तर: उक्त पंक्तियां अंबर भाग 2 के ‘किरणों का खेल ‘नमक कविता से ली गई है इसके कवि मैथिलीशरण गुप्त जी है।

उक्त पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहते है की, सूर्य दिनभर आकाश मार्ग में चलता है। जब संध्या होती है, तब सूर्य की यात्रा रुकती है। कवि की कल्पना के अनुसार सूर्य विश्राम करता है। 

सही विकल्प का चयन कीजिए:

(1) कवि का जन्म कब हुआ था?

(i) 3 अगस्त 1885

(ii) 2 अगस्त 1885

(iii) 3 अगस्त 1886

(iv) 2अगस्त 1886

उत्तर: 3 अगस्त 1886

(2) साकेत एक ________ है?

(i) रचना है।

(ii) काव्य है।

(iii) कहानी है।

(iv) महाकाव्य है।

उत्तर: महाकाव्य है।

(3) कवि का देहांत कब हुआ था?

(i) सन् 1965

(ii) सन् 1964

(iii) सन् 1963

(iv) सन् 1962

उत्तर:सन् 1964।

(4) निम्नलिखित में से कौन सी काव्यग्रंथ गुप्ता जी के नही है?

(i) द्वापर।

(ii) किसान।

(iii) जयभरत।

(iv) अयोध्या।

उत्तर:अयोध्या।

(5) गुप्तजी ________ की भक्ति करते थे?

(i) कृष्ण।

(ii) राधा।

(iii) राम।

(iv) सीता।

उत्तर: राम।

(6) चांदनी की किरणे थी __

(i) सुंदर।

(ii) मंद।

(iii) चंचल।

(iv) एकांत।

उत्तर:चंचल।

(7) पुलक प्रगट करती है _

(i) सूर्य।

(ii) घास।

(iii) धरती।

(iv) चांद की रोशनी को।

उत्तर:धरती।

(8) स्वच्छ चांदनी कहा बिछी हुई है?

(i) हरी भरी धरती पर।

(ii) हरी भरी घास पर।

(iii) आकाश पर।

(iv) आकाश और धरती पर।

उत्तर: आकाश और धरती पर।

(9) धीरे – धीरे  हवाएं चल रही है इसीलिए ________ झूम रहे है, खाली स्थान को भरिए?

(i) घास।

(ii) पौधे।

(iii) वृक्ष।

(iv) उपरोक्त सभी।

उत्तर: वृक्ष।

(10) सवेरा होते होते ओस के समान मोती के उपहार को कौन बटोर लेता है?

(i) चिड़िया।

(ii) मनुष्य।

(iii) सूरज।

(iv) हवा।

उत्तर: सूरज।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top