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Sankardev Class 5 Hindi Chapter 3 मेहनत से ही धन
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मेहनत से ही धन
Chapter – 3
HINDI
SANKARDEV SISHU VIDYA NIKETAN
मूलभाव : मेहनत सफलता का मूल है। सफलता पाने के लिए मेहनत करना ही पड़ता है। प्रस्तुत कहानी में इसी बात की ओर संकेत किया गया है कि कठोर परिश्रम से ही जीवन में उन्नति के शिखर तक पहुँच सकते हैं।
মূলভাৱঃ পৰিশ্ৰমেই সফলতাৰ মূল। সফলতা পাবলৈ পৰিশ্ৰম কৰিবই লাগিব। এই কাহিনীটোত এই কথাটোৰ প্ৰতি আঙুলিয়াই দিয়া হৈছে যে কঠোৰ পৰিশ্ৰমৰ দ্বাৰা জীৱনত উন্নতিৰ শিখৰত আৰোহন কৰিব পাৰি।
शब्दार्थ :
निकम्मा — जो काम न करता हो। এলেহুৱা, যিয়ে কাম নকৰে)
खोटा — खराब ((বয়া)
शीघ्र — जल्दी (সোনকালে)
चल बसूँगा — मर जाऊँगा (মৰি যাম)
क्रोध — गुस्सा (খং)
अनुभव — ज्ञान (জ্ঞান, অনুভূতি)
गप लड़ाना — व्यर्थ की बातें करना (অপ্রয়োজনীয় কথা কোৱা)
अभ्यास
1. (क) किसान के लड़के कैसे थे?
उत्तरः किसान के लड़के आलसी और निकम्मे थे।
(ख) किसान ने अपने लड़कों से क्या कहा?
उत्तरः किसान ने अपने लड़कों से कहा कि उसने अपना धन खेत में गाड़ रखा है तथा उसके मरने के बाद उसे खोदकर वे लोग आपस में बाँट लें।
(ग) लड़के खेत क्यों खोदने लगे?
उत्तरः धन की जरुरत होने के कारण लड़के खेत खोदने लगे। क्योंकि मरते समय उनके पिता ने कहा था कि उसने अपना सारा धन खेत में गाड़ रखा है।
(घ) किसान के बेटे दुःख और क्रोध से क्यों भर गये?
उत्तरः अपने पिताजी के कहने पर धन की लालच में सारे बेटों ने पूरा खेत खोद डाला, लेकिन कहीं एक भी खोटा सिक्का नहीं मिला। इसलिए किसान के बेटे दुःख और क्रोध से भर गये।
(ङ) खेत खोदने का क्या लाभ हुआ?
उत्तरः खेत खोदने का लाभ यह हुआ कि उस वर्ष उनके खेत में बड़ी अच्छी फसल हुई।
(च) खेतों से काफी धन कमाकर किसान के बेटों ने क्या अनुभव किया?
उत्तरः खेतों से काफी धन कमाकर किसान के बेटों ने यह अनुभव किया कि मेहनत से ही धन मिलता है। धन का लालच देकर किसान ने अपने बेटों को परिश्रम का पाठ पढ़ाया।
(छ) इस कहानी से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तरः इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी मेहनत से जी नहीं चुराना चाहिए। मेहनत से ही सफलता मिलती है।
(ज) यह कहानी अपने शब्दों में लिखो।
उत्तरः
मेहनत से ही धन
किसी एक गाँव में एक किसान के चार लड़के थे। वे चारों आलसी तथा निकम्मे थे। वे हमेशा मेहनत से जी चुराते थे। किसान दिन भर खेत में मेहनत करता था और उसके लड़के घर पर बैठे कर आराम करते थे। वे अपना समय खेलने – कूदने, लड़ाई – झगड़ने और गप्प लड़ाने में बिताते थे ।
दिन – व – दिन किसान कमजोर होता आ रहा था। वह बूढ़ा हो चला था। एकबार वह बीमार पड़ा। उसका इलाज हुआ, लेकिन वह अच्छा न हुआ। उसने समझ लिया कि अब वह शीघ्र ही मरने वाला है। इसलिए एकदिन उसने अपने लड़कों को पास बुलाकर कहा, – “मेरे प्यारे बच्चों। मैं शीघ्र ही मरने वाला हूँ। कुछ ही समय बाद मैं चल बसूँगा। मैंने अपना धन खेत में गाड़ रखा है। मेरे मरने के बाद उसे खोदकर तुमलोग आपस में बाँट लेना।”
कुछ दिनों के बाद बूढ़ा किसान मर गया। लड़कों को धन की आवश्यकता हुई। वे खेत में गए और खोदने लगे। उन्होंने पूरे खेत को चारों तरफ खोद डाला, लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला।
निराश होकर चारों लड़के अपने घर लौटे। वे मन ही मन बूढ़े को गाली देने लगे।
समय बीतने लगे। उस वर्ष उनके खेत में बड़ी अच्छी फसल हुई। चारों बेटे उसे बेचकर काफी धन मिला। तब लड़कों ने यह अनुभव किया कि उनके पिता कितने समझदार व्यक्ति थे। उन्होंने धन का लालच देकर हमें परिश्रम करने का पाठ पढ़ाया। यदि हम खेत को हर साल अच्छी तरह जोतें और हल चलाए तो जल्दी ही फसल बेचकर हमें काफी धन मिल जाएगा। अतः परिश्रम करने से ही धन मिलता है। इसके बाद लड़कों ने कभी भी मेहनत से जी नहीं चुराया।
2. पढ़ो और समझो —
(क) लड़ना — झगड़ना।
(ख) खेलना — कुदना।
(ग) खाना — पीना।
(घ) उठना — बैठना।
(ङ) चलना — रुकना/फिरना।
(च) लिखना — पढ़ना।
3. खाली जगह भरो :
(क) किसान दिनभर काम करता था।
(ख) किसान बूढ़ा हो चला था।
(ग) लेकिन वह अच्छा न हुआ।
(घ) लड़कों को धन की आवश्यकता हुई।
(ङ) खेत में एक खोटा सिक्का भी न मिला।
(च) वे कितने समझदार व्यक्ति थे।