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Sankardev Class 5 Hindi Chapter 22 कोरा ज्ञान
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कोरा ज्ञान
Chapter – 22
HINDI
SANKARDEV SISHU VIDYA NIKETAN
मूलभाव: जीवन में सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान ही काफी नहीं होता। व्यवहारिक ज्ञान ही प्रकृत ज्ञान है। यही जीवन जीने का असली तरीका सीखाता है। प्रस्तुत पाठ में इस बात को दर्शाया गया है।
মূলভাৱঃ জীৱনত কিতাপৰ জ্ঞানেই আধাৰ নহয়। ব্যৱহাৰিক জ্ঞানেই হ’ল প্রকৃত জ্ঞান। ইয়েই জীৱন জীয়াই থকাৰ আচল কৌশলবোৰ শিকায়। এই পাঠটিত ইয়াৰ ওপৰত গুৰুত্ব প্ৰদান কৰা হৈছে।
शब्दार्थ:
महान — बहुत बड़ा (বহুত ডাঙৰ)
यश — कीर्ति, मशहूर होना (কীতি, প্রখ্যাত হোৱা)
प्रशंसा — तारीफ (প্রশংসা)
विलम्ब — देर (দৰি হোৱা)
व्यर्थ — बेकार (ব্যর্থ)
खेद — दुःख (দুখ)
प्रवाह – धारा (ধাৰা, গতি)
पुस्तकीया — किताबी (কিতাপ সম্পৰ্কীয়)
वेग— तेजी, तीव्रता (গতি, তীব্রতা)
स्मरण— याद (স্মৃতি)
शास्त्र — प्राचीन ग्रंथ (পূৰণি গ্ৰন্থ)
अभ्यास
1. (क) रुद्रदत्त कौन था और उसने कहाँ शिक्षा पाई थी?
उत्तर: रुद्रदत्त संस्कृत का महान विद्वान था। उसने काशी में शिक्षा पाई थी।
(ख) रुद्रदत्त अपने गाँव से बाहर किस काम से जा रहा था?
उत्तर: रुद्रदत्त अपने गाँव से बाहर कथा करने जा रहा था।
(ग) पंडितजी को गंगा पार जाने की जल्दी क्यों थी?
उत्तर: पंडित जी को वर्षा ऋतु के एक दिन गंगा के उस पार कथा करने जाना था। इसलिए पंडित जी को गंगा पार जाने की जल्दी थी।
(घ) ‘तुम्हारा एक तिहाई जीवन व्यर्थ हो गया।’ — किससे कहा किससे कहा और क्यों?
उत्तर: पंडित रुद्रदत्त ने मल्लाह से कहा, क्योंकि वह पढ़ा – लिखा नहीं था और शास्त्र – पुराण की बातें भी नहीं जानता था।
(ङ) पंडितजी के विचार में नाविक के जीवन का एक -तिहाई हिस्सा कब व्यर्थ हो गया?
उत्तर: पंडितजी के विचार में नाविक के जीवन का एक – तिहाई हिस्सा तब व्यर्थ हो गया जब उसने यह कहा कि वह अनपढ़ है और शास्त्रों – पुराणों की बातें नहीं जानता।
(च) नाव क्यों डगमगाने लगी?
उत्तर: आकाश में घटा घिरने के कारण तथा तेज हवा बहने के कारण नाव डगमगाने लगी।
2. अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करो:
पुस्तकीय (किताबी) – सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान से कुछ नहीं होता।
उपकार (अच्छाई) — हमें दूसरों के उपकार को नहीं भूलना चाहिए।
अतिरिक्त (अलावा) — पढ़ाई के अतिरिक्त खेलने में भी रुचि है।
वेग (तेजी) — घटा घिरने के कारण हवा का वेग बढ़ गया।
आशीर्वाद (सुभाशीष) — विदेश जाने से पहले बेटे ने माँ का आशीर्वाद लिया।
आवश्यक (प्रयोजन) — रवि को दो कलमों का आवश्यक हैं।
यत्न (चेष्टा) — सफलता पाने के लिए हमें तिरंतर यत्न करना चाहिए।
दमन (दबाना) — बहुत कोशिशों के बाद सैनिकों ने आग का दमन किया।