NIOS Class 12 Hindi Chapter 22 सभा एवं मंच संचालन और उद्घोषणा

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NIOS Class 12 Hindi Chapter 22 सभा एवं मंच संचालन और उद्घोषणा

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Chapter: 22

HINDI

प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1 पाठगत प्रश्न 22.1

1. भाषा-प्रयोग के संदर्भ में कौन-सा बिंदु शामिल नहीं है-

(क) स्थिति।

(ख) परिवार।

(ग) उद्देश्य।

(घ) समय।

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उत्तर: (ख) परिवार।

2. विशिष्ट लोगों से वार्तालाप के संदर्भ में उपयुक्त नहीं है-

(क) भाषा आदरसूचक।

(ख) विनम्रता।

(ग) सही अर्थ पहुँचना।

(घ) अति विस्तार।

उतर: (घ) अति विस्तार।

पाठगत प्रश्न 22.2

1. आपको रवि और रोहित के मंच संचालन में कौन-से अंतर नजर आए?

(क) अभिव्यक्ति कौशल।

(ख) विषय।

(ग) अवसर।

(घ) श्रोता।

उत्तर: (क) अभिव्यक्ति कौशल।

2. कौन सा रेडियो कार्यक्रम नहीं है?

(क) फरमाइशी गीतों का कार्यक्रम।

(ख) रेडियो नाटक।

(ग) नृत्य प्रतियोगिता।

(घ) वार्ता।

उत्तर: (ग) नृत्य प्रतियोगिता।

पाठगत प्रश्न 22.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर दिए गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए-

1. मंच संचालन के संबंध में अनावश्यक है-

(क) भाषा पर अधिकार।

(ख) विषय की जानकारी।

(ग) उचित भाव भंगिमा।

(घ) द्विअर्थी भाषा का प्रयोग।

उत्तर: (घ) द्विअर्थी भाषा का प्रयोग।

2. बच्चों के कार्यक्रम के संचालन की भाषा होनी चाहिए-

(क) ओजपूर्ण।

(ख) गंभीर।

(ग) कोमल।

(घ) क्लिष्ट।

उत्तर: (ग) कोमल।

पाठगत प्रश्न 22.4

1. उद्घोषणा में किस बात की गुंजाइश नहीं होती?

(क) विस्तार की।

(ख) संक्षिप्तता की।

(ग) मधुरता की।

(घ) स्पष्टता की।

उत्तर: (क) विस्तार की।

2. एक अच्छे उ‌द्घोषक का गुण है-

(क) संगीतात्मकता।

(ख) ओज।

(ग) अस्पष्टता।

(घ) उच्चारण की शुद्धता।

उत्तर: (घ) उच्चारण की शुद्धता।

22.8 पाठांत प्रश्न

1. संदर्भ के अनुसार और विषय-वस्तु और भाषा को बदलना क्यों जरूरी है?

उत्तर: संदर्भ के अनुसार और विषय-वस्तु एवं भाषा को बदलना जरूरी है क्योंकि यह संदेश को अधिक स्पष्ट, प्रभावी और समझने योग्य बनाता है। विभिन्न संदर्भों और पाठकों की आवश्यकताओं के अनुसार भाषा और सामग्री को अनुकूलित करने से जानकारी सही तरीके से संप्रेषित होती है और पाठक पर बेहतर प्रभाव डालती है। यह सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत विविधताओं का भी सम्मान करता है।

2. प्रतिष्ठित लोगों से बात करते समय किन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और क्यों?

उत्तर: प्रतिष्ठित लोगों से बात करते समय शिष्ट भाषा और सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। जैसे “नमस्ते”, “धन्यवाद”, “कृपया”, “महोदय/महोदया” आदि। इनके उपयोग से सम्मान और आदर व्यक्त होता है। सही शब्द का उचित उपयोग अच्छी समझ और संवेदनशीलता को ही नहीं, समानुभूतिपूर्ण रवैए को भी ज़ाहिर करता है। संवाद को असरदार बनाने के लिए प्रासंगिक शब्दों के सटीक प्रयोग के साथ ही शब्दों की संख्या का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। इस प्रकार का व्यवहार आपकी व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाता है और दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

3. नीचे दी गई बात को कितने तरीके से कह सकते हैं? कोई तीन तरीके लिखिए-

‘जोरदार तालियों से स्वागत कीजिए अगले वक्ता का।’

उत्तर: ‘जोरदार तालियों से स्वागत कीजिए अगले वक्ता का’ को तीन तरीकों से कहा जा सकता है:

(i) “आइए, अगले वक्ता का स्वागत हम सब जोरदार तालियों से करें।”

(ii) “कृपया अगले वक्ता का स्वागत तालियों के साथ करें।”

(iii) “आइए, हम सभी मिलकर अगले वक्ता का स्वागत जोरदार तालियों से करें।”

4. एक प्रभावी मंच संचालन के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है? किन्हीं तीन बिंदुओं का उदाहरण के साथ उल्लेख कीजिए।

मंच संचालन करते वक्त

उत्तर: एक प्रभावी मंच संचालन के लिए निम्नलिखित तीन बिंदुओं का ध्यान रखना जरूरी है:

(i) विषय की जानकारी: मंच संचालन के लिए विषय की जानकारी आवश्यक है क्योंकि यह संचालक को कार्यक्रम को सुचारू रूप से प्रस्तुत करने, सही जानकारी देने और दर्शकों को आकर्षित करने में मदद करती है।

(ii) समय का प्रबंधन: कार्यक्रम को समय सीमा में समाप्त करना बहुत जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर किसी सेमिनार में समय सीमा तय है, तो मंच संचालक को प्रत्येक सत्र के लिए निर्धारित समय का पालन करते हुए कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से संचालित करना चाहिए।

(iii) श्रोताओं से जुड़ाव: मंच संचालक को दर्शकों से जुड़ाव बनाना चाहिए। मंच संचालन को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कार्यक्रम कोई भी हो, मंच की गरिमा बनी रहनी चाहिए। सबसे पहले मंच संचालन श्रोताओं के सामने आता है। इसलिए उसका परिधान, वेशभूषा आदि सहज और गरिमामय होनी चाहिए। मंच संचालन के अंदर आत्मविश्वास, सतर्कता, सहजता के साथ श्रोताओं का उत्साह बढ़ाने का गुण होना आवश्यक है।

5. विषय पर अधिकार होने के क्या-क्या लाभ होते हैं? वर्णन कीजिए।

उत्तर: मंच संचालन करते वक्त विषय पर अधिकार होने के कई लाभ होते हैं। पहला, यह संचालक को आत्मविश्वास प्रदान करता है, जिससे वह कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सकता है। दूसरा, विषय पर गहरी जानकारी संचालक को संवाद को समझदारी से और आकर्षक तरीके से प्रस्तुत करने में मदद करती है। तीसरा, यह दर्शकों को भी विश्वास दिलाता है कि संचालक विषय के प्रति पूरी तरह सजग है, जिससे कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित होती है।

6. मंच-संचालक की भाषा में कौन-कौन से गुण आवश्यक है? किन्हीं तीन का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: मंच-संचालक की भाषा में कुछ महत्वपूर्ण गुण होने चाहिए, जो उसे प्रभावी और आकर्षक बनाते हैं। पहला स्पष्टता है, जिससे वह अपने विचार और संदेश को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर सके। इसका मतलब है कि वह भाषा का सही उपयोग करते हुए अपनी बात को आसानी से समझा सके। दूसरा गुण विनम्रता है, क्योंकि मंच पर संचालक को हमेशा शालीन और सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करना चाहिए, ताकि वह सभी दर्शकों और प्रतिभागियों के प्रति सम्मान व्यक्त कर सके। तीसरा गुण सजगता है, जिससे मंच संचालक स्थिति के अनुसार अपनी भाषा और शब्दों को अनुकूलित कर सके।

7. मंच संचालन के कौन-कौन से रूप होते हैं? वर्णन कीजिए।

उत्तर: मंच संचालन के दो रूप होते हैं:

(i) पूर्व निर्धारित संचालन: जिस संचालन की रूपरेखा पहले से योजनाबद्ध तरीके से निर्धारित हो, उसे पूर्व निर्धारित संचालन कहते हैं, जैसे- वर्षिक उत्सव, स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस आदि पर होने वाले संचालन।

(ii) तात्कालिक संचालन: बिना किसी पूर्व योजना व पूर्व अनिर्धारित समय के जो संचालन किया जाए वह तात्कालिक संचालन कहलाता है, जैसे- किसी अधिकारी या नेता आदि के अनिर्धारित निरीक्षण आदि पर होने वाला संचालन।

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