NIOS Class 12 Hindi Chapter 15 ठेस: फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

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NIOS Class 12 Hindi Chapter 15 ठेस: फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

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ठेस: फणीश्वरनाथ ‘रेणु’

Chapter: 15

HINDI

प्रथम पृष्ठ – पुस्तक – 1 बोध प्रश्न 15.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. “मोहर छापवाली धोती के साथ रेशमी कुर्ता देने पर भी ऐसी चीज नहीं बनती बहुरिया” – यह कथन किसका है-

(क) मैझली भाभी का।

(ख) मानू का।

(ग) सिरचन का।

(घ) चाची का।

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उत्तर: (ग) सिरचन का।

2. सिरचन की बात सुनकर कौन तिलमिला उठा-

(क) भज्जू महाजन की बेटी।

(ख) पंचानन चौधरी का छोटा लड़का।

(ग) बड़ी भाभी।

(घ) मानू के ससुराल वाले।

उत्तर: (क) भज्जू महाजन की बेटी।

3. सिरचन स्वयं को मानता है–

(क) कामचोर।

(ख) मुँहजोर।

(ग) चटोर।

(घ) मुक्तखोर।

उत्तर: (ख) मुँहजोर।

पाठगत प्रश्न 15.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. सिरचन इनमें से क्या नहीं बनाता था-

(क) चिक।

(ख) असनी।

(ग) दरी।

(घ) शीतलपाटी।

उत्तर: (ग) दरी।

2. सिरचन को किस बात पर ठेस लगती है–

(क) इमली से बनी कढ़ी देने से।

(ख) खेसारी का सत्तू खिलाने से।

(ग) पूरा मेहनताना नहीं।

(घ) चटोर कहने से।

उत्तर: (घ) चटोर कहने से।

3. सिरचन उपहार में क्या लेकर आता है-

(क) शीतलपाटी।

(ख) मोहरदाय वाली धोती।

(ग) अधूरा बना चिक।

(घ) गमकौआ जर्दा।

उत्तर: (क) शीतलपाटी।

पाठगत प्रश्न 15.2

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. सिरचन नहीं है-

(क) संवेदनशील।

(ख) स्वाभिमानी।

(ग) कुशल कारीगर।

(घ) कामचोर।

उत्तर: (घ) कामचोर।

2. सिरचन के प्रति कौन संवेदनशील नहीं था-

(क) छोटी चाची।

(ख) कथावाचक।

(ग) मानू।

(घ) कथावाचिक की माँ।

उत्तर: (क) छोटी चाची।

3. किस बात पर वाचक को सिरचन पर गुस्सा आता है-

(क) अधूरा काम करने पर।

(ख) सुंदर चिक माँगने पर।

(ग) अधूरी चिक को देखकर।

(घ) गमकौआ जर्दा माँगने पर।

उत्तर: (क) अधूरा काम करने पर।

पाठगत प्रश्न 15.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. ‘ठेस’ कहानी की भाषा में शामिल नहीं है-

(क) व्यंग्य।

(ख) देशजता।

(ग) मुहावरों का प्रयोग।

(घ) अलंकारों का प्रयोग।

उत्तर: (घ) अलंकारों का प्रयोग।

2. इसमें किस टोले का उल्लेख किया गया है-

(क) कुम्हार टोला।

(ख) महाजन टोला।

(ग) समृद्ध टोला।

(घ) संयुक्त टोला।

उत्तर: (ख) महाजन टोला।

3. सिरचन किस वर्ग से जुड़ा है-

(क) मज़दूर।

(ख) कारीगर।

(ग) किसान।

(घ) शिक्षक।

उत्तर: (ख) कारीगर।

15.6 पाठांत प्रश्न

1. कहानी के तत्त्वों के आधार पर ‘ठेस’ कहानी की समीक्षा कीजिए।

उत्तर: ठेस’ कहानी की समीक्षा करते समय हम कहानी के विभिन्न तत्त्वों जैसे पात्र, विषय, कथानक, और संवादों पर विचार कर सकते हैं। इसकी मुख्य विशेषता इसकी मौलिकता और रोचकता है। कहानी का प्रारंभ एक आम ग्रामीण कलाकार, सिरचन, से होता है, जो अपनी कला में निपुण होते हुए भी अपनी अद्वितीय प्रकृति और खाने-पीने की आदतों के लिए जाना जाता है। उसका काम, जो शीतलपाटी और चिक बनाने से संबंधित है, उसकी कलात्मकता को दर्शाता है। सिरचन का चरित्र बेहद जीवंत और वास्तविक है, उसकी मासूमियत और समस्याएँ बहुत सजीवता से उभारी गई हैं। कहानी की भाषा सरल और पात्रों के स्वभाव के अनुकूल है, खासकर सिरचन और चाची के संवादों में तीखा व्यंग्य है, जो कहानी को और भी प्रभावशाली बनाता है। 

इस प्रकार कहानी का कथानक संक्षिप्त होते हुए भी आरंभ, मध्य और अंत की दृष्टि से अत्यंत रोचक है। इसमें आद्यात रोचकता व उत्सुकता बनी रहती है। इसके अतिरिक्त कहानी में मौलिकता, तथ्यों की कर्मबद्धता व प्रवाहमयता भी बनी रहती है। अतः कथानक के आधार पर ‘ठेस’ कहानी एक सफल कहानी कही जा सकती है।

2. ‘ठेस’ कहानी के मूल उद्देश्य को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी का मूल उद्देश्य मानव संवेदनाओं, आत्मसम्मान, और सामाजिक संबंधों की जटिलताओं को उजागर करना है। इस कहानी में हमें सिरचन के व्यक्तित्व ने सबसे अधिक प्रभावित किया। उसके बाद वाचक ने। वही तो सिरचन की कथा बता रहा है। वाचक हमें यह अनुभव कराता है कि गावों में ऊँच-नीच का भेद-भाव कितना गहरा है। सिरचन दलित जाति का एक गरीब कारीगर है। वाचक के परिवर की मझली बहू की व्यंग्यपूर्ण बातें और उपेक्षापूर्ण व्यवहार सिरन को उसके छोटे होने का कड़वा एहसास कराती हैं। इससे सिरचन के मन पर गहरी चोट लगती है। लेखक ने इसी को ‘ठेस लगना’ कहा है। समाज में समृद्ध लोग का व्यवहार गरीब और मामूली लोगों के प्रति अक्सर भेद-भावपूर्ण और उपेक्षा से भरा होता है। सिरचन के साथ मंझली बहू के उपेक्षापूर्ण व्यवहार का हमें बुरा लगना ही इस कहानी का मुख्य उद्देश्य प्रतीत होता है। कहानी में सिरचन का बीच में ही काम छोड़कर अपने घर लौट जाना और वाचक के बुलाने पर भी वापस न आना, उसकी स्वाभिमानी प्रकृति और संवेदनशीलता को प्रकट करता है। यह घटनाक्रम न केवल सिरचन के चरित्र की गहराई को उजागर करता है, बल्कि समाज में समानता और आपसी सम्मान के महत्व को भी रेखांकित करता है।

3. ‘सिरचन’ के व्यक्तित्व की किन्हीं दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: ‘सिरचन’ के व्यक्तित्व की किन्हीं दो विशेषताएं हैं–

(i) समर्थनीयता और समर्पण: सिरचन अपने कार्य में पूरी तरह से समर्थनीय और समर्पित होते हैं। वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं और दूसरों को भी इस दिशा में प्रेरित करते हैं। 

(ii) स्थिरता और धैर्य: उन्हें अपने काम को पूरा करने के लिए लंबी अवधि तक धैर्य और स्थिरता बनाए रखने की क्षमता होती है।

4. ‘तुम्हारी भाभी नाखून से खाँटकर तरकारी परोसती है।’ इस कथन में छिपा व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘तुम्हारी भाभी नाखून से खाँटकर तरकारी परोसती है। इस कथन में छिपा व्यंग्य भाभी के व्यवहार और स्वभाव पर कटाक्ष करता है। “नाखून से खाँटकर तरकारी परोसने” का अर्थ है कि भाभी बहुत कंजूस और संकीर्ण मानसिकता की हैं। यह उनकी छोटी-छोटी बातों में स्वार्थ और मितव्ययिता को दिखाता है। यह व्यंग्य भाभी की उस आदत की ओर संकेत करता है, जिसमें वे अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी उसे बेमन और कंजूसी के साथ पूरा करती हैं।

5. ‘ठेस’ कहानी की भाषा विषय के अनुरूप है- सिद्ध कीजिए।

उत्तर: ठेस” कहानी की भाषा विषय के अनुरूप है क्योंकि एक कलाकार के काम के महत्त्व को और उसकी भावनाओं को कहानी का विषय बनाया है। इसमें प्रयोग की गई भाषा आम बोलचाल की भाषा के निकट है, जिससे पाठक आसानी से समझ सकता है। कहानी में पात्रों की मनोदशा और संघर्ष को बखूबी प्रस्तुत किया गया है, जिससे भावनाएं स्पष्ट होती हैं। न तो कोई काम छोटा होता है न कला छोटी या बड़ी होती है। कोई भी व्यक्ति जो अपने काम को अपने पूर्ण समर्पण और कौशल के साथ करता है यदि उसे अपने काम का प्रतिदान न मिले तो ठेस लगना स्वाभाविक है।

6. ‘ठेस’ कहानी की संवाद-योजना की किन्हीं तीन विशेषताएँ सोदाहरण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: ‘ठेस’ कहानी की संवाद-योजना की तीन विशेषताएँ है–

(i) संवाद कहानी के घटनाक्रम को आगे बढाने का काम करते हैं।

(ii) संवाद से ही हम कहानी में आए चरित्रों के व्यक्तित्व की विशेषताएँ जान पाते हैं। 

(iii) संवादों से ही कहानी में नई-नई घटनाएँ घटती हैं और कहानी में नाटकीयता उत्पन्न होती है।

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