NIOS Class 10 Hindi Chapter 19 शतरंज के खिलाड़

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NIOS Class 10 Hindi Chapter 19 शतरंज के खिलाड़

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Chapter: 19

पाठगत प्रश्न – 19.1

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. ‘शतरंज के खिलाड़ी’ के माध्यम से दिखाया गया है।

(क) अंग्रेज शासकों का दमन।

(ख) भारतीय शासकों का पतन।

(ग) शतरंज के खेल का महत्त्व।

(घ) हारने वाले खिलाड़ी का द्वेष।

उत्तर: (ख) भारतीय शासकों का पतन।

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2. मिरजा साहब में मोर साहब के प्रति प्रतिकार की भावना आती जा रही थी क्योंकि-

(क) वे उनके कट्टर शत्रु थे।

(ख) वे शतरंज में लगातार हार रहे थे।

(ग) उनकी बेगम ने उन्हें भड़काया था।

(घ) उन्हें सिपाही उकसाते थे।

उत्तर: (ख) वे शतरंज में लगातार हार रहे थे।

3. वाजिदअली शाह के बंदी बनाए जाने का मिरजा और मीर को कोई मलाल नहीं था. क्योंकि-

(क) वे उससे ईर्ष्या करते थे

(ख) वे अंग्रेज़ों के समर्थक थे।

(ग) शतरंज का बादशाह अधिक महत्त्वपूर्ण था

(घ) उन्हें अंग्रेजी फौज से डर लगता था।

उत्तर: (ग) शतरंज का बादशाह अधिक महत्त्वपूर्ण था

पाठगत प्रश्न – 19.2

सर्वाधिक उपयुक्त उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1.’घास ता आपके अब्बाजान छीलते होंगे। यहाँ तो पीढ़ियों से शतरंज खेलते चले आ रहे हैं। यह कथन किस ओर संकेत करता है-

(क) मीर की दिल्लगी।

(ख) मीर की प्रतिकार-भावना।

(ग) मिरजा की हार।

(घ) मिरजा की जीत।

उत्तर: (ख) मीर की प्रतिकार-भावना।

2. ‘ल जाकर खाना सिर पर पटक दो खाएँ या कुचों को खिलाएँ। इस संवाद से बगम साहिवा की किस विशेषता का पता चलता है?

(क) घृणा।

(ख) निराशा।

(ग) बौखलाहट।

(घ) काध।

उत्तर: (घ) काध।

3. नवाच वाजिद अली शाह के बंदी बनाए जाने की घटना पर लखनऊवासियों के व्यवहार का लेखक करता है-

(क) अहिंसा की भावना।

(ख) कर्तव्यनिष्ठा।

(ग) प्रतिकार का धैर्य

(घ) कायरता।

उत्तर: (घ) कायरता।

पाठगत प्रश्न – 19.3

सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

1. ‘मगर आपने उन्हें सिर चढ़ा रखा है, यह मुनासिब नहीं है। इस वाक्य में प्रयुक्त मुहावरे का अर्थ है-

(क) बहुत लाड़-प्यार से बिगाड़ देना।

(ख) सिर पर उठा लेना।

(ग) दिमाग खराब करना।

(घ) हाँ में हाँ मिलाना।

उत्तर: (क) बहुत लाड़-प्यार से बिगाड़ देना।

2. ‘निखट्टू’ शब्द है-

(क) तत्सम।

(ख) तद्भव।

(ग) देशज।

(घ) आगत।

उत्तर: (ग) देशज।

3. ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का उद्देश्य है-

(क) शतरंज के खेल के प्रति विरक्ति प्रकट करना।

(ख) मीर और मिरज़ा के प्रति नाराजगी प्रकट करना।

(ग) गुलामी के कारणों के प्रति सचेत करना।

(घ) व्यक्तिगत स्वार्थों का चित्रण करना।

उत्तर: (ग) गुलामी के कारणों के प्रति सचेत करना।

पाठांत प्रश्न

1. ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।

उत्तर: शतरंज, ताश, गंजीफा खेलने से बुद्धि तीव्र होती है, विचार-शक्ति का विकास होता है, पेचीदा मसलों को सुलझाने की आदत पड़ती है- ये दलीलें जोरों के साथ पेश की जाती थीं इस सम्प्रदाय के लोगों से दुनिया अब भी खाली नहीं है। इसलिए, अगर मिरजा सज्जाद अली और मीर रौशनअली अपना अधिकांश समय बुद्धि तीव्र करने में व्यतीत करते थे,उन्हें जीवन की मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिन्हें वे अपनी बुद्धिमत्ता और रणनीति से हल करते हैं। इस प्रकार, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का शीर्षक न केवल एक खेल का संकेत है कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह शासक वर्ग से शुरू हुआ यह अय्याशी का जीवन आम जनता को भी लुभा चुका है और उनको अकर्मण्य बना चुका है।

2. मीर और मिरज़ा की मित्रता के सकारात्मक तथा नकारात्मक पक्षों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: मीर और मिरज़ा की मित्रता में सकारात्मक पक्ष उनके आपसी समर्थन, साझेदारी, और समझौते को प्रकट करता है। 

उनकी मित्रता के नकारात्मक पक्ष में सामाजिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं का सम्मिलन था, जो कई मुद्दों पर उनके विचारों में विभाजन उत्पन्न कर सकती थी। एक तरफ, उनका रिश्ता एक-दूसरे की साहित्यिक प्रतिभा के लिए आपसी सम्मान और प्रशंसा पर आधारित था, मीर एक प्रसिद्ध उर्दू कवि थे और मिरजा एक कुशल लेखक और आलोचक थे। वे साहित्य के लिए एक गहरा जुनून साझा करते थे और बौद्धिक सौहार्द की भावना को बढ़ावा देते हुए उत्तेजक बातचीत में लगे रहते थे। 

3. ‘जिसे आजीविका के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता, उसके जीवन में कुछ विकृतियाँ आ जाती हैं’- कहानी के आधार पर इस कथन पर विचार कीजिए।

उत्तर: व्यक्ति को जीवन जीने के लिए काम करना पड़ता है तथा मेहनत और संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति सफल और संपन्न हो जाते हैं उसे आजीविका के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता उसके जीवन में विकृतियां इसलिए आ जाती हैं, क्योंकि उसे मेहनत किए बिना ही सब मिल जाता है, वो उसकी कद्र नहीं करता, जिस प्रकार कहानी में आए दो मित्रों ने किया मिर्जा और मीर अच्छे संभांत परिवार से थे। दोनों को कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं थी, इसलिए दोनों बैठे बैठे अपना पूरा समय शतरंज खेलने में बिताते थे। इसका अर्थ यह है कि जब तक हम अपनी मेहनत और संघर्ष के माध्यम से अपनी आजीविका नहीं कमाते, हमारा जीवन विकृतियों से भर जाता है।

4. कहानी के उद्देश्य पर विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: कहानी के उद्देश्य के अनुसार वातावरण निर्मित किया गया है। लेखक ने स्पष्ट रूप से कहानी के देशकाल का उल्लेख किया है- “वाजिद अली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था।” यहाँ पर लखनऊ से तात्पर्य लखनऊ की समस्त जनता और शासकों से है। लेखक ने लिखा है कि अमीर और गरीब सभी किसी-न-किसी लत तथा विलासिता में डूबे थे। जीवन का कोई भी क्षेत्र इससे छुटा न था। सभी एक-दूसरे से निरपेक्ष थे। संसार में क्या हो रहा है। इसे जानने में किसी की दिलचस्पी न थी। फकीरों को पैसे मिलते, तो वे भी रोटियाँ न लेकर अफीम खाते या शराब पीते।

5. भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में कहानी के महत्त्व पर विचार कीजिए।

उत्तर: भारत के स्वाधीनता आंदोलन के संदर्भ में कहानी के महत्त्व पर इस कहानी के माध्यम से स्पष्ट करना चाहते हैं कि जिस देश का शासक वर्ग और जनता विलासिता में डूब जाती है उस देश को गुलाम होने से कोई नहीं बचा सकता है। इस कहानी का संदेश तो यह भी है कि यदि देश को स्वाधीनता से बचाना है तो प्रत्येक व्यक्ति को अपनी-अपनी जिम्मेदारियाँ निभानी चाहिए। मिरजा और मीर तो कहानी के पात्र हैं, इनके माध्यम से एक वर्ग की प्रवृत्तियों की ओर संकेत किया है। ऐसी प्रवृत्तियाँ अन्ततः आत्मघाती भी हो सकती हैं।

6. कहानी में व्यक्त वातावरण की तुलना आज के वातावरण से करते हुए एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: ‘शंतरंज के खिलाड़ी’ में एक स्थान पर लखनऊ में बढ़ी आती गोरों की फौज का वर्णन है। इस फौज का कहीं कोई विरोध नहीं होता। यहाँ तक कि नवाब वाजिदअली शाह के बारे में मीर रोशन अली कहते हैं, “शहर में कुछ न हो रहा होगा। लोग खाना खा-खाकर आराम से सो रहे होंगे। हजूर साहब भी ऐशगाह में होंगे।” यह वह वातावरण है जिसमें न नवाबों को जनता की चिंता है, न पराजय की; न जनता को किसी की चिंता है। सब एक-दूसरे से अलग, टूटे हैं। इसी के लिए तुलसीदास ने लिखा था- प्रजा पतित पाखण्ड पापरत अपने-अपने रंग रई है। इस वातावरण की तुलना हम अंधेर नगरी के वातावरण से कर सकते हैं। आज के वातावरण में शहर में न कोई हलचल थी. न मार-काट। एक बूँद भी खून नहीं गिरा था। आज तक किसी स्वाधीन देश के राजा की पराजय इतनी शांति से, इस तरह खून बहे बिना न हुई होगी। यह वह अहिंसा न थी. जिस पर देवगण प्रसन्न होते हैं। यह वह कायरपन था, जिस पर बड़े-बड़े कायर भी आँसू बहाते हैं।

7. मिरजा और मीर के चरित्र की विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर: मिर्जा और अमीर के चरित्र की विशेषताओं का विश्लेषण इस प्रकार वर्णित है- मिर्जा के चरित्र की विशेषताएं कामचोर, विलासी, कायर, डरपोक, झूठ बोलना, बेपरवाह, विलासी, बईमान, लापरवाह, आलसी बुरी आदतों से भरे हुए आदि।

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