NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 काले मेघा पानी दे

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NCERT Class 12 Hindi Chapter 12 काले मेघा पानी दे

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Chapter: 12

HINDI

अभ्यास

पाठ के साथ

1. लोगों ने लड़‌कों की टोली को मेढक-मंडली नाम किस आधार पर दिया? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाती थी?

उत्तर: लड़कों की टोली घर-घर जाकर पानी की माँग किया करते थे। लोग अपने घरों से पानी निकालकर इनके ऊपर डाला करते थे। जो लोग उनके नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछलकूद, उनके शोर-शराबे और उनके कारण गली में होनेवाले कीचड़ काँदो से चिढ़ते थे, वे उन्हें कहते थे मेढक-मंडली।

इनके कारण बादलों के राजा इंद्र प्रसन्न होते थे। लोगों से जा-जाकर यह इंद्र से प्रार्थना करने के लिए विवश करते थे। यही कारण था कि यह स्वयं को इंदर सेना कहकर बुलाती थी।

2. जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

उत्तर: जीजी के अनुसार मनुष्य के पास जो चीज़ ना हो और वह उसका त्याग करके किसी और को देता है, तो उसका बहुत अच्छा फल मिलता है। इंदर सेना ऐसे समय में पानी की माँग करती थी, जब लोगों के पास स्वयं पानी नहीं हुआ करता था। लोग अपने घरों से निकाल-निकालकर पानी देते थे। लेखक को पानी की यह बर्बादी पसंद नहीं थी।

3. पानी दे, गुड़धानी दे मेघों से पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग क्यों की जा रही है?

उत्तर: इस पंक्ति का मतलब है कि जब खेतों में बारिश होती है, तो फसल लहलहाती है और अच्छी फसल से ही गुड़धानी बनता है। गुड़धानी, अनाज और गुड़ के मिश्रण को कहते हैं। गुड़धानी चावल तथा गुड़ से बनता है। अतः पानी के साथ-साथ गुड़धानी भी खाने को मिलती है। इसलिए पानी के साथ-साथ गुड़धानी की माँग की गई है।

4. गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

उत्तर: ‘गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना’ में बैलों के प्यासा रहने की बात इसलिए मुखरित की गई है क्योंकि बारिश न होने की वजह से लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं और पानी के अभाव में घरों की गगरियां फूटने तक की नौबत आ चुकी है। यदि पानी नहीं बरसेगा तो बैल मर जाएँगे। बैलों के बिना खेती संभव नहीं है। इस स्थिति में बैल यानी पशु भी प्यासे मर रहे हैं। बैल हमारी कृषि संस्कृति का अहम हिस्सा हैं और खेती के लिए ज़रूरी हैं। अगर पानी नहीं बरसेगा, तो बैल मर जाएँगे और किसान भी प्यास और बैलों दोनों के अभाव में मर जाएगा। अतः खेलगीत में बैलों का नाम मुखरित होता है।

5. इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय क्यों बोलती है? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्त्व है?

उत्तर: इंदर सेना सबसे पहले गंगा मैया की जय इसलिए बोलती है क्योंकि भारतीय समाज में गंगा को जीवनदायिनी माना जाता है। वह नदी नहीं माँ के समान पूजी जाती है। अतः पहले गंगा मैया की जय बोला जाता है ताकि उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की जा सके। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है। हिंदू धर्म में गंगा जल को पवित्र माना जाता है और इसके साथ ही गंगा को पूजनीय माना गया है। इसके जल को अमृत माना जाता है। भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में नदियों का बहुत महत्त्व है। एक नदी मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

6. रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति का बँट जाना विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति को कमजोर करती है। पाठ में जीजी के प्रति लेखक की भावना के संदर्भ में इस कथन के औचित्य की समीक्षा कीजिए।

उत्तर: लेखक अपनी जीजी से बहुत प्रेम करता है। वह उन पर विश्वास भी बहुत करता है लेकिन जब दीदी उसके मना करने पर भी इंदर सेना रूपी बच्चों पर घर का बचा पानी डाल देती है, तो वह परेशान हो जाता है। वह स्वयं ऐसा कार्य नहीं करता है और जीजी को भी ऐसा करने के लिए मना करता है। जीजी उसे ऐसे तर्क देती है कि वह हार जाता है। वह ऐसे कार्य तथा बातों को मानने के लिए विवश हो जाता है, जिस पर उसे स्वयं विश्वास नहीं है। अतः लेखक की इस दुविधा को दिखाने हेतु लेखक ने यह पंक्ति कही है।

पाठ के आसपास

1. क्या इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव है जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो, उल्लेख करें।

उत्तर: हां, इंदर सेना आज के युवा वर्ग का प्रेरणास्रोत हो सकती है। युवाओं में देश को विकसित करने और प्रगति की ओर ले जाने की शक्ति होती है। वे देश में सामाजिक सुधार लाने के लिए भी ज़िम्मेदार होते हैं। देश के युवा ही देश का भविष्य तय करते हैं। युवा देश की आबादी का सबसे जीवंत और संसाधन पूर्ण हिस्सा है। इनकी सामाजिक, आर्थिक विकास के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका है। गरीबी से बाहर आने और आजीविका विकास के लिए उनकी आंतरिक क्षमताओं को बाहर लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिससे कि वे स्वस्थ एवं सार्थक जीवन यापन कर सकें।

2. तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्त्वपूर्ण है पर आषाढ़ का चढ़‌ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है?

उत्तर: कृषि-समाज में चैत्र और वैशाख के महीने भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता है। हिन्दू-पंचाग में आषाढ़ चौथा मास होता है। यह महीना जून तथा जुलाई महीने में होता है। इसमें वर्षा का आगमन होता है। आषाढ़ के चढ़ने से लोगों में उल्लास, उमंग, और खुशहाली आती है। इस महीने में धरती, खेत-खलियान, नदी-नाले, जीव-जन्तु तथा मनुष्य सभी वर्षा के जल से खिल उठते हैं। कृषि समाज के लिए तो यह हर्षोल्लास का प्रतीक माना जाता है। खेतों को भरपूर पानी मिलता है तथा किसान फसल की तैयारी करने लग जाता है। खेतों को नवजीवन मिलता है। प्यासे खेत पानी पाकर लहलहा उठते हैं। अंकुर धरती का सीना चीरकर बाहर आ जाते हैं और उन्हें देखकर किसान छूम उठता है। यही फसल उसका भविष्य निर्धारित करती है। फसल उसकी जीविका का साधन है। जितनी अच्छी फसल होगी, उसे उतना धन मिलेगा।

3. पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता बादल-राग पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है?

उत्तर: महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कविता ‘बादल राग’ में बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया गया है। कविता के माध्यम से निराला जी ने बादलों के महत्व का वर्णन किया है। उनका मानना है कि बादल मनुष्य जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं और धरती को नया जीवन दे सकते हैं। वे बादलों को उनके गुणों के कारण महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। कविता में निराला ने बताया है कि बादल शोषित वर्ग को शोषकों से आज़ाद कराते हैं और उन्हें उनके अधिकार दिलाते हैं। कवि कहते हैं कि जब बादल आते हैं, तो आसमान बादलों से भर जाता है और बादलों की गर्जना शुरू हो जाती है। कवि बादलों को कुसुम के समान कोमल और वज्र के समान कठोर बताते हैं। वह बादल से प्रार्थना करते हैं कि वह अपने घोर कठोर रव को हर जगह भर दे।

4. त्याग तो वह होता… उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

उत्तर: उसी का फल मिलता है। ‘अपने जीवन के किमी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए। जीजी का यह कथन पूर्णत: उचित है। जब हम उस चीज का त्याग दूसरों के लिए करते हैं जिसकी हमें भी जरूरत होती है तभी उस त्याग का फल मिलता है। किसी की भलाई के लिए अपने स्वार्थ को छोड़कर किसी ओर को दे देना का भाव ही त्याग है। यह भावना जिस व्यक्ति के अंदर है, वह मानवता की जिंदा मिसाल है। यदि कोई व्यक्ति अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सार्वभौमिक कार्यों से भी ऊपर उठता है, तो उसका त्याग उसे अनायास ही सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है। इस तरह की प्रेरणा और समर्पण न केवल उसके लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करते हैं, बल्कि उसके जीवन में अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत भी बनते हैं।

5. पानी का संकट वर्तमान स्थिति में भी बहुत गहराया हुआ है। इसी तरह के पर्यावरण से संबद्ध अन्य संकटों के बारे में लिखिए।

उत्तर: जल संकट वर्तमान समय की एक गंभीर समस्या है। देश के कई राज्यों में वर्षा ऋतु के खत्म होते ही जल संकट गहराने लगता है और ग्रीष्म ऋतु आते-आते यह भयावह स्थिति का रूप लेने लगता है, क्योंकि हमने अपनी बूंद-बूंद सहेजने वाली पूर्वजों की जल – संस्कृति को तिलांजलि दे दी है। ग्लोबल वार्मिंग एक दूसरी विकट संकट है। इसके कारण ध्रुवों में स्थित बर्फ तेज़ी से पिघल रही है। यदि यही स्थिति रही, तो सभी समुद्रों का जलस्तर बढ़ जाएगा।

6. आपकी दादी-नानी किस तरह के विश्वासों की बात करती है? ऐसी स्थिति में उनके प्रति आपका रवैया क्या होता है? लिखिए।

उत्तर: मेरी दादी बहुत ही संवेदनशील और धार्मिक व्यक्तित्व की हैं। उन्हें विश्वासों की गहरी प्रासंगिकता होती है और वे अपने जीवन में इसे बहुत महत्व देती हैं। वे धार्मिक अदारों और परंपरागत मूल्यों को पालन करने में समर्थ हैं। मेरी दादी बिल्ली रास्ता काट जाए, तो वहाँ से आगे नहीं जाती है। उनके इस विश्वास के कारण हमें कई बार देर हो जाती है। हम परेशान हो जाते हैं, उन पर गुस्सा करते हैं। वह हमारी एक नहीं सुनती।

चर्चा करें

1. बादलों से संबंधित अपने-अपने क्षेत्र में प्रचलित गीतों का संकलन करें तथा कक्षा में चर्चा करें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

2. पिछले 15-20 सालों में पर्यावरण से छेड़-छाड़ के कारण भी प्रकृति-चक्र में बदलाव आया है, जिसका परिणाम मौसम का असंतुलन है। वर्तमान बाड़मेर (राजस्थान) में आई बाढ़, मुंबई की बाढ़ तथा महाराष्ट्र का भूकंप या फिर सुनामी भी इसी का नतीजा है। इस प्रकार की घटनाओं से जुड़ी सूचनाओं, चित्रों का संकलन कीजिए और एक प्रदर्शनी का आयोजन कीजिए, जिसमें बाजार दर्शन पाठ में बनाए गए विज्ञापनों को भी शामिल कर सकते हैं। और हाँ ऐसी स्थितियों से बचाव के उपाय पर पर्यावरण विशेषज्ञों की राय को प्रदर्शनी में मुख्य स्थान देना न भूलें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

विज्ञापन की दुनिया

1. ‘पानी बचाओं से जुड़े विज्ञापनों को एकत्र कीजिए। इस संकट के प्रति चेतावनी बरतने के लिए आप किस प्रकार का विज्ञापन बनाना चाहेंगे?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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