NCERT Class 11 Hindi Antral Chapter 1 हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

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NCERT Class 11 Hindi Antral Chapter 1 हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी

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Chapter: 1

अंतराल

प्रश्न-अभ्यास

1. लेखक ने अपने पाँच मित्रों के जो शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं, उनसे उनके अलग-अलग व्यक्तित्व की झलक मिलती है। फिर भी वे घनिष्ठ मित्र हैं, कैसे?

उत्तर: लेखक द्वारा प्रस्तुत इन पाँच मित्रों के शब्द-चित्रों से स्पष्ट होता है कि वे सभी भिन्न-भिन्न स्वभाव, रुचियों और व्यक्तित्व के हैं। मोहम्मद इब्राहीम गोहर अली एक संजीदा और सुगंध प्रेमी व्यक्ति हैं, जबकि अरशद एक हँसमुख और खाने-गाने का शौकीन व्यक्ति है। हामिद कंबर हुसैन मस्तमौला और गप्पी है, तो अब्बासजी अहमद एक दिलकश हँसी वाले व्यावसायिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। वहीं, अब्बास अली फ़िदा शांत, समय के पाबंद और अध्ययनशील व्यक्ति हैं। इन पाँचों का स्वभाव और जीवनशैली भले ही अलग हो, परंतु उनकी मित्रता की गहराई इस बात को दर्शाती है कि सच्ची दोस्ती विचारों या रुचियों की समानता पर निर्भर नहीं करती, बल्कि आपसी समझ, सम्मान और साथ बिताए गए पलों से बनती है। वे एक-दूसरे के व्यक्तित्व को समझते और स्वीकारते हैं, जिससे उनकी मित्रता और भी प्रगाढ़ हो जाती है। यही कारण है कि भिन्न स्वभाव होने के बावजूद वे घनिष्ठ मित्र बने रहते हैं।

2. ‘प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती’ कथन के आधार पर मकबूल फिदा हुसैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: ‘प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती’ यह कथन मकबूल फिदा हुसैन के जीवन पर पूरी तरह लागू होता है। उनका कला के प्रति जुनून बचपन से ही स्पष्ट था, जब एक फिल्मी पोस्टर से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी स्कूल की किताबें बेचकर ऑयल कलर खरीदे और पहली पेंटिंग बनाई। परिवार में विरोध के बावजूद उनके पिता ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और प्रोत्साहित किया। आगे चलकर इंदौर में बेंद्रे साहब से मुलाकात ने उनकी कला को नई दिशा दी, जहाँ उन्होंने गोआश वॉटर कलर और टिंटेड पेपर की तकनीक सीखी। बेंद्रे की प्रसिद्ध पेंटिंग ‘वैगबांड’ को बंबई आर्ट सोसाइटी ने सम्मानित किया, जिससे आधुनिक भारतीय कला में नई क्रांति आई। मकबूल फिदा हुसैन की यह यात्रा दिखाती है कि सच्ची प्रतिभा किसी भी परिस्थिति में खुद को प्रकट कर ही लेती है और अपनी एक अलग पहचान बना लेती है।

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3. ‘लेखक जन्मजात कलाकार है।’- इस आत्मकथा में सबसे पहले यह कहाँ उद्घाटित होता है?

उत्तर: ‘लेखक जन्मजात कलाकार है’ यह तथ्य सबसे पहले तब उद्घाटित होता है जब मकबूल अपने स्कूल के ड्रॉइंग मास्टर मोहम्मद अतहर की बनाई चिड़िया की हूबहू नकल अपनी स्लेट पर उतारते हैं। जब मास्टर ने ब्लैकबोर्ड पर सफेद चॉक से एक बड़ी चिड़िया बनाई और छात्रों को उसकी नकल करने को कहा, तो मकबूल ने इतनी सटीक चित्रकारी की कि ऐसा लगा मानो ब्लैकबोर्ड की चिड़िया उड़कर उसकी स्लेट पर आ बैठी हो। इस प्रतिभा के लिए उसे पूरे दस में से दस नंबर मिले। यह घटना स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कला मकबूल के स्वभाव में थी और वह जन्मजात कलाकार थे।

4. दुकान पर बैठे-बैठे भी मकबूल के भीतर का कलाकार उसके किन कार्यकलापों से अभिव्यक्त होता है?

उत्तर: दुकान पर बैठने के बाद भी मकबूल का पूरा ध्यान ड्राइंग और पेंटिंग पर था। आसपास के झुंड पर उसकी कड़ी नजर रहती थी। बिजनेस में रुचि न होने के बावजूद उसे दुकान पर बैठने भेजा जाता, लेकिन उसका ध्यान हमेशा चित्रकारी में ही रहता। चीजों की कीमतें या कपड़ों की बारीकियाँ याद रखने की बजाय, वह लोगों के हाव-भाव और उनकी छवियों को अपने स्केच में उतारने में व्यस्त रहता। दुकान के सामने से गुजरने वाली घूँघट ताने स्त्री, गेहूँ की बोरी उठाए मजदूर, पठान की दाढ़ी, बुरका पहनी औरत, या बकरी के बच्चे—इन सभी का वह स्केच बना लेता। यहाँ तक कि हिसाब-किताब लिखते समय भी वह साथ में स्केच बना डालता। उसकी यह प्रवृत्ति दर्शाती है कि कला उसके स्वभाव का अभिन्न हिस्सा थी, जिसे किसी भी परिस्थिति में दबाया नहीं जा सकता था।

5. प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर: पुराने समय में प्रचार-प्रसार पारंपरिक तरीकों से किया जाता था, जैसे ताँगे में ब्रास बैंड के साथ फिल्मी इश्तिहार घुमाना या रंगीन पतंग के कागज पर पोस्टर छापकर बाँटना। ये तरीके सीमित लेकिन प्रभावी थे।

आज प्रचार के आधुनिक तरीके विकसित हो चुके हैं। डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया, टेलीविजन, और ऑनलाइन विज्ञापन से तेज़ और व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाता है। अब कम समय में ज्यादा लोगों तक संदेश पहुँचाना संभव हो गया है, जिससे प्रचार अधिक प्रभावी और आकर्षक बन गया है।

6. कला के प्रति लोगों का नजरिया पहले कैसा था? उसमें अब क्या बदलाव आया है?

उत्तर: पहले के समय में कला को अधिकतर शौक या मनोरंजन का माध्यम माना जाता था, न कि पेशेवर करियर का विकल्प। परिवार और समाज इसे गंभीरता से नहीं लेते थे, और कलाकारों को स्थिर जीवनयापन के लिए पारंपरिक व्यवसाय अपनाने की सलाह दी जाती थी। पाठ में भी इसका उदाहरण मिलता है, जब मकबूल फिदा हुसैन के पिता उन्हें बिजनेसमैन बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी रुचि पूरी तरह चित्रकला में थी।

अब कला के प्रति नजरिया काफी बदल चुका है। आज इसे एक सम्मानजनक और संभावनाओं से भरपूर करियर माना जाता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया और ग्लोबल मार्केट ने कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और उससे जीविका कमाने के नए अवसर दिए हैं। लोग अब कला को न केवल सराहते हैं, बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण और प्रभावी माध्यम के रूप में भी स्वीकार करते हैं।

7. मकबूल के पिता के व्यक्तित्व की तुलना अपने पिता के व्यक्तित्व से कीजिए?

उत्तर: (i) मकबूल के पिता समझदार और संवेदनशील थे। उन्होंने दादा की मृत्यु के बाद बेटे पर कोई दबाव नहीं डाला, बल्कि उसका दाखिला बोर्डिंग स्कूल में करवा दिया ताकि वह नए माहौल और दोस्तों के साथ रहते हुए अपने दुख से उबर सके। उनके इस फैसले से मकबूल धीरे-धीरे दादा की मृत्यु के गम से बाहर आ गया, जिससे पता चलता है कि वे अपने पुत्र की भावनाओं को गहराई से समझते थे।

मेरे पिता भी मकबूल के पिता की तरह समझदार और संवेदनशील हैं। जैसे उन्होंने मकबूल की भावनाओं को समझते हुए उसका दाखिला बोर्डिंग स्कूल में करवाया, वैसे ही मेरे पिता भी मेरे दुख और परेशानियों को बिना किसी दबाव के हल करने की कोशिश करते हैं। वे मेरे सुख-दुख को समझते हैं और हर परिस्थिति में मेरा साथ देते हैं, जिससे मुझे हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

(ii) मकबूल के पिता कला और प्रतिभा के सच्चे कद्रदान थे। उन्होंने न केवल मकबूल की प्रतिभा को पहचाना, बल्कि उसकी सराहना करते हुए पूरा समर्थन भी किया। जब उन्होंने बेटी की कला देखी, तो वे बहुत प्रसन्न हुए और बेंद्रे साहब के सुझाव पर उसके लिए ऑयल पेंटिंग का सामान मंगवा दिया। यह दर्शाता है कि वे कला और प्रतिभा को महत्व देते थे और अपने बच्चों को उनके हुनर को निखारने के लिए प्रोत्साहित करते थे।

मेरे पिता भी मकबूल के पिता की तरह कला और प्रतिभा के सच्चे कद्रदान हैं। जैसे मकबूल के पिता ने उसकी प्रतिभा को पहचाना और प्रोत्साहित किया, वैसे ही मेरे पिता भी मेरी रुचियों और क्षमताओं को समझते हैं और उन्हें निखारने में पूरा सहयोग देते हैं। वे हमेशा मेरी उपलब्धियों की सराहना करते हैं और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ता है।

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