NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 8 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 8 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 8 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? Notes and select need one. NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 8 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? Question Answers Download PDF. NCERT Class 11 Solutions for Hindi Antra Bhag – 1.

NCERT Class 11 Hindi Antra Chapter 8 भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Notes. CBSE Class 11 Hindi Antra Bhag – 1 Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 8

अंतरा

गद्य-खंड

प्रश्न-अभ्यास

1. पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि ‘इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत कुछ है’ क्यों कहा गया है?

उत्तर: इस कथन का अर्थ है कि भारत के लोग अपनी अपार क्षमता के बावजूद निष्क्रिय बने रहते हैं और जागरूकता की कमी के कारण कोई बड़ा बदलाव नहीं कर पाते। लेखक बलिया में लोगों के उत्साह को देखकर इसे असाधारण मानते हैं, क्योंकि बड़े शहरों में भी ऐसा जोश नहीं दिखता। उनका मानना है कि भारतीय लोग रेलगाड़ी की तरह हैं, जिन्हें सही दिशा देने वाला नेतृत्व चाहिए। लेकिन राजे-महाराजे और शासक खुद विलासिता में डूबे हैं, जिससे जनता निष्क्रिय बनी हुई है। यदि सही मार्गदर्शन मिले, तो भारतीय लोग असाधारण कार्य कर सकते हैं।

2. ‘जहाँ रॉबर्ट साहब बहादुर जैसे कलेक्टर हों, वहाँ क्यों न ऐसा समाज हो’ वाक्य में लेखक ने किस प्रकार के समाज की कल्पना की है?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

उत्तर: लेखक ने इस वाक्य में एक जागरूक, संगठित और उत्साही समाज की कल्पना की है, जो योग्य नेतृत्व में सक्रिय रूप से कार्य करता है। वह रॉबर्ट साहब बहादुर को अकबर की तरह कुशल शासक मानते हैं, जिनके मार्गदर्शन में समाज एकजुट और विकसित हो सकता है। उनका मानना है कि जब सक्षम नेता होते हैं, तो अबुल फजल, बीरबल और टोडरमल जैसे योग्य व्यक्तित्व भी उभरते हैं, जिससे समाज में जागरूकता और उत्साह बना रहता है। लेखक इस संदर्भ में भारतीय समाज की निष्क्रियता और नेतृत्व की कमी को भी इंगित करते हैं, जिससे वह अपने सामर्थ्य को पूरी तरह पहचान नहीं पाता।

3. जिस प्रकार ट्रेन बिना इंजिन के नहीं चल सकती ठीक उसी प्रकार ‘हिंदुस्तानी लोगों को कोई चलानेवाला हो’ से लेखक ने अपने देश की खराबियों के मूल कारण खोजने के लिए क्यों कहा है?

उत्तर: लेखक का मानना है कि जैसे ट्रेन बिना इंजन के नहीं चल सकती, वैसे ही भारतीय समाज को सही दिशा देने वाला नेतृत्व चाहिए। उनका मानना है कि भारतवासी योग्य हैं, लेकिन प्रेरणा के बिना वे अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर पाते। लेकिन राजे-महाराजे और अधिकारी विलासिता में डूबे हैं, जिससे जनता निष्क्रिय बनी रहती है। इसलिए, उन्होंने देश की समस्याओं के मूल कारणों को खोजने और एक सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता पर जोर दिया है।

4. देश की सब प्रकार से उन्नति हो, इसके लिए लेखक ने जो उपाय बताए उनमें से किन्हीं चार का उदाहरण सहित उल्लेख कीजिए।

उत्तर: लेखक ने देश की उन्नति के लिए कई उपाय बताए हैं। इनमें से चार प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं, उदाहरण सहित—

1. लेखक के अनुसार, आलस्य हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। इसे त्यागकर समय का सही उपयोग करें और आत्मविश्वास रखें, तभी प्रगति संभव है।

2. लेखक के अनुसार, हमें अपने स्वार्थ और हितों का त्याग कर देश, जाति और समाज के हित में कार्य करना चाहिए।

3. हमें शिक्षा का महत्व समझकर इसे हर घर तक पहुंचाना होगा, तभी भारत की प्रगति सुनिश्चित होगी।

4. हमें भारत से वाहर जाकर भी अन्य स्थानों को समझना होगा। इस तरह हम कुएँ का मेंढक नहीं रहेंगे और हमारी  तरक्की अवश्य होगी।

5. लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह क्यों करता है?

उत्तर: लेखक जनता से मत-मतांतर छोड़कर आपसी प्रेम बढ़ाने का आग्रह इसलिए करता है क्योंकि वह चाहता है कि सभी धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होकर देश की उन्नति में योगदान दें। वह मुसलमान भाइयों से हिंदुओं को नीचा समझने की मानसिकता त्यागने और भाईचारे का व्यवहार करने की अपील करता है। साथ ही, हिंदुओं से भी आग्रह करता है कि वे आपसी भेदभाव भूलकर प्रेम और सहयोग को अपनाएँ। लेखक इस बात पर जोर देता है कि विदेशी वस्तुओं और संस्कृतियों पर निर्भर होने के बजाय, लोगों को स्वदेशी वस्तुओं, शिक्षा और श्रम पर ध्यान देना चाहिए। वह सभी जातियों और समुदायों से आह्वान करता है कि वे मिलकर देश की प्रगति में योगदान दें और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ें।

6. आज देश की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नीचे दिए गए वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए- ‘जैसे हज़ार धारा होकर गंगा समुद्र में मिली हैं, वैसे ही तुम्हारी लक्ष्मी हज़ार तरह से इंग्लैंड, फरांसीस, जर्मनी, अमेरिका को जाती हैं।’

उत्तर: लेखक बताता है कि जैसे नदियाँ गंगा में मिलकर समुद्र में समा जाती हैं, वैसे ही भारत की संपत्ति विदेशी देशों में चली जाती है। लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी विदेशी वस्तुओं पर निर्भर हो गए हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। वह जनता से स्वदेशी अपनाने, एकजुट होने और आत्मनिर्भर बनने की अपील करता है ताकि देश की संपत्ति यहीं बनी रहे और प्रगति सुनिश्चित हो।

7. आपके विचार से देश की उन्नति किस प्रकार संभव है? कोई चार उदारहण तर्क सहित दीजिए।

उत्तर: देश की उन्नति के लिए जरूरी कदम—

(i) आलस्य त्यागना – समय का सही उपयोग कर देश की तरक्की में योगदान देना चाहिए।

(ii) मिल-जुलकर कार्य करना – सहयोग से समाज और देश दोनों का विकास होगा।

(iii) शिक्षा का प्रसार – शिक्षा से प्रगति के नए मार्ग खुलते हैं, इसलिए सभी को शिक्षित करना जरूरी है।

(iv) जनसंख्या नियंत्रण – संसाधनों की कमी से बचने और आत्मनिर्भर बनने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना आवश्यक है।

8. भाषण की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। उदाहरण देकर सिद्ध कीजिए कि पाठ ‘भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?’ एक भाषण है।

उत्तर: भाषण की चार विशेषताएँ:

(i) संबोधनात्मक – भाषण की शुरुआत संबोधन से होती है, जिससे श्रोता सीधे जुड़ते हैं और संवाद प्रभावी बनता है।

(ii) स्पष्टता – विचार सरल और साफ होते हैं, जैसे भारतेंदु ने भारतीयों की कमजोरियों को स्पष्ट किया।

(iii) प्रेरणादायक भाषा – भाषण लोगों को जागरूक करता है, जैसे आलस्य त्यागने और श्रम अपनाने की प्रेरणा दी गई।

(iv) व्यंग्य और तर्क – गलतियों को उजागर करने के लिए व्यंग्य व तर्क का प्रयोग, जैसे ब्रिटिश शासन की नीतियों पर कटाक्ष।

5. संबोधन शैली – सीधा संवाद, जैसे भारतेंदु ने भारतीयों को सुधार के लिए प्रेरित किया।

उदाहरण से प्रमाण:

“भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है?” एक प्रभावी भाषण है क्योंकि इसमें प्रेरणादायक भाषा, स्पष्ट विचार और समाज सुधार की अपील है, जो इसे एक उत्कृष्ट भाषण सिद्ध करते हैं।

9. ‘अपने देश में अपनी भाषा में उन्नति करो’ से लेखक का क्या तात्पर्य है? वर्तमान संदर्भों में इसकी प्रासंगिता पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: लेखक का तात्पर्य है कि देश की उन्नति अपनी भाषा में ही संभव है, क्योंकि भाषा हमारी संस्कृति, ज्ञान और विकास का माध्यम होती है। यदि हम अपनी भाषा में शिक्षा, व्यापार और तकनीकी विकास करें, तो देश आत्मनिर्भर बनेगा।

वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता:

आज भी अंग्रेज़ी के प्रभाव के कारण कई लोग अपनी मातृभाषा को कमतर समझते हैं। लेकिन वैज्ञानिक अनुसंधान और व्यवसाय में भी जब तक अपनी भाषा को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक संपूर्ण विकास संभव नहीं होगा। उदाहरण के लिए, चीन, जापान और जर्मनी अपनी भाषा में तकनीकी और आर्थिक प्रगति कर चुके हैं। भारत में भी नई शिक्षा नीति मातृभाषा में पढ़ाई को बढ़ावा दे रही है, जो इस विचार को और प्रासंगिक बनाता है।

10. निम्नलिखित गद्यांशों की व्याख्या कीजिए-

(क) सास के अनुमोदन से …..……..… फिर परदेस चला जाएगा।

उत्तर: लेखक इस उद्धरण के माध्यम से भारत की उन्नति न होने के कारणों पर प्रकाश डालता है। वह एक श्लोक के माध्यम से समझाता है कि मनुष्य जीवन दुर्लभ है और यदि उसे सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने के बावजूद वह प्रगति न करे, तो यह उसका दुर्भाग्य है। इसी तरह, भारत को अंग्रेज़ी शासन के दौरान शिक्षा, संसाधन और अवसर प्राप्त थे, लेकिन यदि लोग आलस्य, अज्ञानता और निष्क्रियता में डूबे रहें, तो यह उनके पतन का कारण बनेगा। लेखक एक उदाहरण देकर कहता है कि जैसे कोई स्त्री अपने प्रिय से मिलने का अवसर पाकर भी लज्जा के कारण बात न करे और उसका पति फिर परदेश चला जाए, वैसे ही यदि भारतीय लोग मिले हुए अवसरों का लाभ न उठाएँ, तो वे हमेशा पिछड़े रहेंगे। यह विचार आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि देश की उन्नति के लिए अवसरों को पहचानकर उनका सही उपयोग करना आवश्यक है।

(ख) दरिद्र कुटुंबी इस तरह ……….……….”वही दशा हिंदुस्तान की है।

उत्तर: लेखक भारत की आलस्यपूर्ण प्रवृत्ति पर प्रहार करते हुए इंग्लैंड के परिश्रमशील स्वभाव से तुलना करते हैं। वे बताते हैं कि वहाँ किसान और मजदूर भी अपने कार्य में सुधार लाने के लिए नए तरीके खोजते हैं, जबकि भारत में लोग समय गप्पों और आलस्य में बर्बाद कर देते हैं। इंग्लैंड में गाड़ीवान भी अखबार पढ़कर देश-दुनिया की जानकारी रखते हैं, जबकि भारत में लोग बेकार की बातों में समय गंवाते हैं। लेखक मलूकदास के दोहे के माध्यम से आलस्य पर कटाक्ष करते हैं और बताते हैं कि भारत में निकम्मेपन को ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, जिससे बेरोजगारी और दरिद्रता बढ़ रही है। अंत में, वे भारत की दशा की तुलना उस गरीब परिवार से करते हैं, जो अपनी दरिद्रता को छिपाने का असफल प्रयास करता है। लेखक का संदेश स्पष्ट है कि देश की उन्नति के लिए परिश्रम, जागरूकता और समय का सही उपयोग करना आवश्यक है।

(ग) वास्तविक ‘धर्म तो ………………. शोधे और बदले जा सकते हैं।

उत्तर: लेखक के अनुसार, सभी उन्नतियों का मूल धर्म है, लेकिन इसे सही अर्थों में समझना जरूरी है। वे बताते हैं कि धर्म केवल परमेश्वर की भक्ति नहीं, बल्कि समाज और देश की उन्नति के लिए भी उपयोगी होना चाहिए। पुराने धार्मिक नियमों में समाज और स्वास्थ्य के लाभ छिपे थे, जैसे मेलों से सामाजिक एकता बढ़ती थी, उपवास से शरीर शुद्ध होता था, और त्योहारों से सफाई व स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता था। लेकिन समय के साथ लोग इन परंपराओं का वास्तविक उद्देश्य भूल गए और इन्हें ही धर्म मान लिया। लेखक का कहना है कि सच्चा धर्म समय और परिस्थितियों के अनुसार बदला और शोधा जा सकता है, जैसे जहाज यात्रा और विधवा विवाह जैसी सामाजिक सुधारों को स्वीकार करना चाहिए।

योग्यता-विस्तार

1. देश की उन्नति के लिए भारतेंदु ने जो आह्वान किया है उसे विस्तार से लिखिए।

उत्तर: भारतेंदु ने देश की उन्नति के लिए आलस्य त्यागने, समय का सही उपयोग करने और परिश्रम को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन की नीतियों पर व्यंग्य करते हुए उनके परिश्रमशील स्वभाव की सराहना भी की। वे भारतीय समाज की रूढ़ियों और गलत जीवनशैली पर प्रहार करते हैं और जनसंख्या नियंत्रण, श्रम, आत्मबल और त्याग को उन्नति के लिए अनिवार्य मानते हैं। उन्होंने समाज को जागरूक करने के लिए प्रेरणादायक भाषा में स्वदेशी अपनाने, शिक्षा को बढ़ावा देने और एकजुट होकर देश की प्रगति में योगदान देने का संदेश दिया।

2. पाठ में आए बोलचाल के शब्दों की सूची बनाइए और उनके अर्थ लिखिए।

उत्तर: पाठ में आए बोलचाल के शब्द और उनके अर्थ:

(i) अभाग्य – दुर्भाग्य, बुरा भाग्य।

(ii) निकम्मापन – आलस्य, काम न करने की प्रवृत्ति।

(iii) गप्प – बेकार की बातें, व्यर्थ की चर्चा।

(iv) धंधा – रोज़गार, काम-धंधा।

(v) झूठमूठ – बिना किसी कारण, बिना सचाई के।

(vi) लाजवंती – संकोची, शर्मीली स्त्री।

(vii) रूढ़ियाँ – पुरानी परंपराएँ, जो बदलनी चाहिए।

(viii) झंझट – परेशानी, उलझन।

(ix) आलसीपन – सुस्ती, मेहनत न करने की आदत।

(x) बहाना – झूठा कारण देना।

3. भारतेंदु उर्दू में किस उपनाम से कविताएँ लिखते थे? उनकी कुछ उर्दू कविताएँ ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

4. पृथ्वीराज चौहान की कथा अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: पृथ्वीराज चौहान की कथा उनकी वीरता और बुद्धिमत्ता को दर्शाती है। जब मोहम्मद गोरी ने उन्हें बंदी बना लिया और अंधा कर दिया, तब उनकी शब्दभेदी बाण चलाने की क्षमता को परखा गया। शहाबुद्दीन के भाई गियासुद्दीन के कहने पर एक सभा आयोजित हुई, जिसमें सात लोहे के तवे बाण से भेदने के लिए रखे गए। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई भी उनके साथ बंदी थे। उन्होंने संकेत देने के लिए एक दोहा पढ़ा, जिससे पृथ्वीराज को समय का आभास हुआ। जैसे ही गियासुद्दीन ने “हूँ” कहा, पृथ्वीराज ने उसी पर बाण चला दिया और उसे मार गिराया। यह कथा संदेश देती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी बुद्धि और साहस से काम लेकर विजय प्राप्त की जा सकती है। लेखक इस कथा के माध्यम से देशवासियों को आलस्य छोड़ने, परिश्रम करने और उन्नति के अवसरों का सही उपयोग करने की प्रेरणा देते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top