NCERT Class 12 Fine Art Chapter 6 बंगाल स्कूल और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

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NCERT Class 12 Fine Art Chapter 6 बंगाल स्कूल और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

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Chapter: 6

भारतीय कला का परिचय: भाग – 2

अभ्यास

1. पिछले दो सप्ताह के स्थानीय समाचार पत्र लीजिए। इनमें से वे चित्र और लेख चयनित करें जिन्हें आप भारत के आधुनिक लोकतांत्रिक राज्य के जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इन दृश्यों और लेखों की सहायता से एक एल्बम संकलित करें जो समकालीन दुनिया में एक स्वतंत्र सार्वभौम भारत की कहानी को दर्शाता है।

उत्तर: भारत के लोकतांत्रिक जीवन की झलकियाँ हमें स्थानीय समाचार पत्रों में सहजता से देखने को मिलती हैं। हमें अनेक ऐसे चित्र और लेख मिलते हैं जो हमारे लोकतंत्र की मजबूती को दशति हैं। जैसे चुनावों की कवरेज, सरकार की योजनाओं की जानकारी, महिला सशक्तिकरण से जुड़े लेख, किसानों की स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी सुधार की रिपोर्ट- ये सभी आधुनिक भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप की कहानी को बयाँ करते हैं। इन दृश्यों और लेखों को संकलित कर एक एल्बम तैयार किया जा सकता है जिसमें हम यह दिखा सकते हैं कि आज का भारत कैसे एक स्वतंत्र, सार्वभौम और सक्रिय लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में कार्य कर रहा है। यह एल्बम समकालीन भारत की पहचान, उसकी सामाजिक और राजनीतिक प्रगति तथा नागरिक भागीदारी की भावना को सुंदर रूप से प्रस्तुत करेगा।

2. राष्ट्रीय कला शैली के निर्माण में बंगाल स्कूल के कलाकारों के महत्व पर टिप्पणी करें?

उत्तर: राष्ट्रीय कला शैली के निर्माण में बंगाल स्कूल के कलाकारों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस आंदोलन की शुरुआत ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सांस्कृतिक आत्म सम्मान की भावना से हुई थी। बंगाल स्कूल के प्रमुख कलाकारों में अवनीन्द्रनाथ टैगोर और ई.बी. हेवेल ने भारतीय परंपरा, संस्कृति और गौरवशाली अतीत को चित्रकला के माध्यम से अभिव्यक्त किया। “उन्होंने विदेशी यथार्थवादी और अकादमिक शैलियों का विरोध करते हुए भारतीय लघु चित्र शैली तथा मुग़ल और पहाड़ी परंपराओं को अपनाया और उन्हें आधुनिक संदर्भ में नई दिशा दी। टैगोर द्वारा प्रारंभ की गई नई दिशा के फलस्वरूप क्षितिंद्रनाथ मजुमदार (रास-लीला) तथा मुहम्मद अब्दुर रहमान चुगतई (राधिका) जैसे युवा कलाकार सामने आए। बंगाल स्कूल ने कला को राष्ट्रवादी चेतना से जोड़ते हुए स्वतंत्रता आंदोलन की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। इस आंदोलन ने भारतीय कला को न केवल एक विशिष्ट पहचान दी, बल्कि उसकी सांस्कृतिक जड़ों को पुनर्जीवित कर विश्व मंच पर प्रतिष्ठित रूप में प्रस्तुत किया।”

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3. अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा चित्रित किसी एक चित्र पर अपने विचारों को लिखें।

उत्तर: जर्नीस एंड

जलरंग से बने इस चित्र का चित्रण अवनीन्द्रनाथ टैगोर (1871-1951) द्वारा 1913 में किया गया था। भारत में राष्ट्रवादी और आधुनिक कला के पिता के रूप में अवनीन्द्रनाथ टैगोर को माना जाता है। इन्होंने भारतीय और प्राच्य परंपराओं के कुछ पहलुओं को पुनर्जीवित किया, उन्होंने विषय, शैली और तकनीक के रूप में वॉश चित्रण का आविष्कार किया। वॉश चित्रण तकनीक एक कोमल, धुँधली और प्रभाववादी परिदृश्य उत्पन्न करती है। धुलाई के कारण चित्रों में धुंधला और वायुमंडलीय प्रभाव उत्पन्न होता है जिसका उपयोग जीवन के अंत को सांकेतिक रूप में दर्शाने के लिए किया जाता है।

अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा चित्रित प्रसिद्ध चित्र जननीस एंड’ उनकी कलात्मक दृष्टि और गहरी संवेदनशीलता का सुंदर उदाहरण है। इस चित्र में, एक ऊँट थक कर बैठते हुए सूर्यास्त के लाल रंग की पृष्ठभूमि पर यात्रा के अंत को संध्या से सांकेतिक रूप से दर्शाया गया है। यह दृश्य प्रतीकात्मक रूप से यात्रा के अंत, विश्रांति और शांति का प्रतीक बनता है। चित्र में प्रयुक्त रंग संयोजन अत्यंत कोमल और भावनात्मक है। 

टैगोर ने इस चित्र में रॉश तकनीक का प्रयोग किया है, जिससे रंगों में पारदर्शिता और सौम्यता आ गई है।

4. भारत की किन कला परंपराओं ने बंगाल स्कूल के कलाकारों को प्रेरित किया?

उत्तर: बंगाल स्कूल के कलाकारों को प्रेरणा भारत की प्राचीन चित्रकला परंपराओं से मिली थी। उन्होंने विशेष रूप से मुग़ल लघु चित्रकला की सूक्ष्मता, पहाड़ी शैली की भावनात्मकता, और अजंता की भित्ति चित्रों की भव्यता को अपनाया। साथ ही उन्होंने भारतीय लोक परंपराओं से भी प्रेरणा ली, जिसमें ग्रामीण जीवन, देवी-देवताओं की कथाएँ और प्रकृति से जुड़ी भावनाएँ प्रमुख थीं। शांतिनिकेतन में शिक्षा ग्रहण करने वाले कलाकारों ने वहाँ की लोककलाओं को अपनाया और जापानी रॉश पेंटिंग की तकनीकों से भी प्रभावित होकर उन्हें भारतीय शैलियों में ढाला। इन सभी परंपराओं ने बंगाल स्कूल को एक विशिष्ट भारतीय पहचान प्रदान की, जो सांस्कृतिक आत्मसम्मान और राष्ट्रवाद से जुड़ी हुई थी।

5. जामिनी रॉय ने चित्रकला की अकादमिक शैली को त्यागने के बाद कौन-से विषयों का चित्रांकन किया?

उत्तर: जामिनी रॉय ने अकादमिक यूरोपीय शैली को त्यागने के बाद बंगाल की लोककला, विशेष रूप से पट शैली को अपनाया। उन्होंने ग्रामीण जीवन, स्त्रियों, बच्चों और धार्मिक कथाओं जैसे विषयों पर चित्र बनाए। उनके चित्रों में गाढ़े रंग, स्पष्ट रेखाएं और सरल रूपांकन का प्रयोग होता है। वह चाहते थे कि उनके चित्र सरल और आसान हों, ताकि वे व्यापक रूप से सामान्य जनजीवन तक भी पहुँच सकें।

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