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NCERT Class 12 Fine Art Chapter 4 दक्कनी चित्रकला शैली
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दक्कनी चित्रकला शैली
Chapter: 4
भारतीय कला का परिचय: भाग – 2
अभ्यास
1. दक्कनी शैली के योगिनी चित्रकला की क्या विशेषताएँ हैं? क्या आप वर्तमान में इस शैली जैसा काम करने वाले चित्रकार को ढूँढ़ सकते हैं?
उत्तर: दक्कनी शैली के योगिनी चित्रकला की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं—
(i) योगिनी चित्रकला में रहस्यवाद और सूफी प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
(ii) इनमें महिला आकृतियों को आदर्श रूप में, नारीत्व के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है।
(iii) आकृतियाँ लंबी, पतली, बड़े नेत्रों और तीव्र भाव-भंगिमाओं के साथ दर्शाई जाती हैं।
(iv) वातावरण में स्वप्निलता और रंगों में कोमलता पाई जाती है।
(v) पृष्ठभूमि में पुष्पों, पक्षियों और जादुई रूप से सजे परिदृश्यों का प्रयोग होता है।
वर्तमान में इस शैली जैसी चित्रकला करने वाले समकालीन चित्रकार दुर्लभ हैं, लेकिन कुछ आधुनिक कलाकार पारंपरिक शैलियों को आधुनिक रूपों में प्रस्तुत करते हैं।
2. दक्कनी चित्रकला शैली की लोकप्रिय विषयवस्तु क्या है?
उत्तर: दक्कनी चित्रकला शैली की लोकप्रिय विषयवस्तु यह है कि मानवाकृति का चित्रण और ऐतिहासिक व धार्मिक आकृतियों का चित्रांकन इस समय की कई शैलियों में दिखाई देती है। इस शैली के चित्रण उत्कृष्ट हू-ब-हू चित्र के लिए मशहूर थे। कलात्मक विकास विशेषतः एशियन इस्लामिक कला व मुगल कला में बड़े पैमाने पर दिखाई देती है।
चित्रकला की एक अन्य विषयवस्तु योगिनी है। योगिनी अर्थात् योग में विश्वास करने वाली, शारीरिक व मानसिक रूप से अनुशासित जीवन जीने वाली, आध्यात्मिकता व बौद्धिकता की खोज में अंततः सब कुछ का त्याग कर असाधारण जीवन जीने वाली।
3. दक्कनी शैली की अपनी पसंद की किन्हीं दो चित्रकलाओं पर लगभग 100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर: दक्कनी शैली की अपनी पसंद की दो चित्रकलाएँ है—
(i) हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो: राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संग्रहित यह प्रांतीय (प्रोवेंशियल) चित्र हैदराबाद, दक्कन का है। यह तेरहवीं शताब्दी के पूर्वतीय सूफी संत हज़रत निजामुद्दीन औलिया को दर्शाता है। इस चित्र में वह अपने शिष्य तथा प्रसिद्ध कवि और विद्वान हज़रत अमीर खुसरो का संगीत सुन रहे हैं। इन दिनों नई दिल्ली हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह पर खुसरो द्वारा अपने पीर की प्रशंसा में कव्वाली आयोजित की जाती है। इस नियमित सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं। हैदराबाद के दरबार से लिया गया यह चित्र बगैर किसी तकनीकी व कलात्मक परिष्करण के अति सरल चित्र है। इसके बावजूद इसमें भारतीय लोकप्रिय विषय का विवरणात्मक और आर्कषक चित्रण है।
(ii) सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह: बीजापुर के सुल्तान अब्दुल्ला का छवि चित्रण राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संग्रहित है। चित्र के ऊपरी भाग में फ़ारसी अभिलेख है। सुल्तान कुतुब शाह दक्कन के प्रसिद्ध राज्य बीजापुर का समर्थ शासक था। इसने दुनिया के विभिन्न हिस्सों के शासकों व कलाकारों को आकर्षित किया। इसमें वह सिंहासन पर बैठा है और उसने अपने हाथ में तलवार थामी हुई है जो उसके राजनीतिक आधिपत्य का प्रतीक है। इसके अलावा उसके सिर के चारों ओर देवत्व का प्रभामंडल दिखाई देता है।
4. दक्कनी चित्रकला शैली मुगल चित्रकला शैली से किस प्रकार भिन्न है? बताइए।
उत्तर: दक्कनी चित्रकला शैली मुगल चित्रकला शैली से निम्नलिखित प्रकार भिन्न है—
(i) मुग़ल चित्रों में सम्राटों का जीवन, शाही समारोह, युद्धों के दृश्य, ऐतिहासिक घटनाएँ और धार्मिक प्रसंग प्रमुख हैं। परंतु दक्कनी चित्रों में ग्रामीण परिवेश, लोक कथाएँ, प्रेम दृश्यों, सूफी दर्शन और धार्मिक अनुभवों को दर्शाया जाता है।
(ii) मुग़ल शैली यथार्थ पर आधारित होती है, जिसमें चेहरों की अभिव्यक्ति, वस्त्रों की बारीकी और गहराई का ध्यान रखा जाता है। परंतु दक्कनी शैली कल्पनाशील और लिरिकल होती है, जिसमें आकृतियाँ लंबी और लहराती होती हैं, और चित्रों में स्वप्निलता होती है।
(iii) मुग़ल चित्रों में रंग संयोजन सौम्य होता है- हल्के भूरे, हरे और नीले रंगों का संतुलन रहता है। परंतु दक्कनी चित्रों में चमकदार, गहरे और संतृप्त रंगों का प्रयोग होता है, जो चित्रों को रहस्यमयी और आकर्षक बनाते हैं।
(iv) मुग़ल चित्रकला पर फारसी मिनिएचर, तुर्क और बाद में यूरोपीय कला का प्रभाव गहरा है। परंतु दक्कनी चित्रकला में द्रविड़ स्थापत्य, लोक कला, भारतीय प्रतीकवाद और मुस्लिम-सूफी विचारधारा का मेल दिखाई देता है।
5. दरबारी दक्कनी चित्रकला का शाही प्रतीक क्या है?
उत्तर: दरबारी दक्कनी चित्रकला का शाही प्रतीक केवल शासक का चित्रण नहीं होता है बल्कि वह उस युग की राजनीतिक सत्ता, आध्यात्मिक ऊँचाई और सांस्कृतिक गहराई का प्रतीक बन जाता है जो दक्कनी चित्रकला में शासक को एक ऐसे आदर्श पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
चित्रों में शासक अक्सर गुलाब की कली को हाथ में लिए, फूलों से सजी काशीदाकारी पोशाक पहने, आभायुक्त पृष्ठभूमि में विराजमान दिखाई देती है। उनके आसपास झुके हुए दरबारी, इत्रदान, कलात्मक पर्दे और ज्यामितीय सजावट यह दर्शाते हैं कि वह केवल राजा ही नहीं बल्कि रहस्य और सौंदर्य का केंद्र है।
6. दक्कनी चित्रकला शैली के केंद्रों के बारे में बताइए और उन्हें मानचित्र पर दर्शाइए।
उत्तर: अहमदनगर (महाराष्ट्र), बीजापुर (कर्नाटक), गोलकुंडा (तेलंगाना) और हैदराबाद (तेलंगाना) दक्कनी चित्रकला शैली के प्रमुख केंद्र हैं। अहमदनगर में हुसैन निजामशाह प्रथम के संरक्षण में इस कला का विकास हुआ, जिसमें युद्ध दृश्य और रानी के विवाह का चित्रण विशेष है। बीजापुर में अली आदिल शाह प्रथम और इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय के संरक्षण में रागमाला और नजूम-अल-उलमू जैसे चित्रों का निर्माण हुआ। गोलकुंडा में कुतुब शाही शासकों के दौर में नृत्य और संगीत से जुड़े चित्र प्रमुख रहे। हैदराबाद में निजामों के शासनकाल में धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों का चित्रण हुआ।

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