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NCERT Class 11 Biology Chapter 19 उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन
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उत्सर्जी उत्पाद एवं उनका निष्कासन
Chapter: 19
अभ्यास
1. निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए:
(अ) बहिःस्रावी ग्रंथियाँ।
उत्तर: ये सँकरी नलिकाओं के द्वारा सम्बन्धित भागों से जुड़ी रहती हैं। इन ग्रंथियों से स्रावित तरल नलिकाओं द्वारा सम्बन्धित सतह पर मुक्त होता है। इन्हें वाहिनी युक्त भी कहते हैं; जैसे-लार ग्रंथियां, आहार नाल की विभिन्न पाचक ग्रन्थियां, त्वचा की तेल, ग्रंथियां, पसीने की ग्रंथि, यकृत आदि।
(ब) अंत: स्रावी ग्रंथियाँ।
उत्तर: अंतः स्रावी ग्रंथियाँ: अंतःड्डावी ग्रंथियों में नलिकाएं नहीं होती हैं अतः वे नलिकाविहीन ग्रंथियां कहलाती हैं। इनके बाव हार्मोन कहलाते हैं। हार्मोन की चिरसम्मत परिभाषा के अनुसार ‘हार्मोन अंतःड्डावी ग्रंथियों द्वारा डुवित रक्त में मुक्त किए जाने वाले रसायन हैं, जो दूरस्थ लक्ष्य अंग तक पहुँचाए जाते हैं।
(स) हार्मोन।
उत्तर: हार्मोन एक अणु है जो अंतःस्रावी ग्रंथि या एक विशेष तंत्रिका कोशिका द्वारा रक्त प्रवाह में बहुत कम मात्रा में निर्मित और स्रावित होता है जो शरीर के दूरस्थ क्षेत्र में एक विशिष्ट ऊतक अंग के विकास या कामकाज को नियंत्रित करता है, उदाहरण- इंसुलिन ।
2. हमारे शरीर में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियों की स्थिति चित्र बनाकर प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
3. निम्न द्वारा स्रवित हार्मोन का नाम लिखिए-
(अ) हाइपोथैलेमस।
उत्तर: गोनेडोट्रोपिन।
(ब) पीयूष ग्रंथि।
उत्तर: वृद्धि हार्मोन, प्रोलेक्टिनं, थाइरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन, एडीनोकॉर्टिकोट्रोफिक हार्मोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन, फॉलिकल स्टीम्युलेटिंग हार्मोन, मिलेनोसाइट स्टिम्युलेटिंग हार्मोन, ऑक्सीटोसिन, वेसोप्रोसिन, ग्लूकोकॉर्टिकॉइड, एन्ड्रोजन, एन्टीडाययूरेटिक हार्मोन ।
(स) थायरॉइड।
उत्तर: थाइरॉक्सिन, ट्राइडोथाइरोनिन तथा थाइरोकेल्सिटोनिन।
(द) पैराथायरॉइड।
उत्तर: पैराथाइरॉइड हार्मोन ।
(य) अधिवृक्क ग्रंथि।
उत्तर: एड्रीनलिन अथवा एपिनेफ्रिन, नॉरएड्रीनलिन अथवा नॉरएपिनेफ्रिन।
(र) अग्नाशय।
उत्तर: ग्लूकागॉन, इंसुलिन।
(ल) वृषण।
उत्तर: एंड्रोजन (टेस्टोस्टीरॉन)।
(व) अंडाशय।
उत्तर: एस्ट्रोजन तथा प्रोजेस्ट्रॉन।
(श) थायमस।
उत्तर: थॉयमोसिन।
(स) एट्रियम।
उत्तर: एट्रियल नेट्रीयूरेटिक फेक्टर।
(ष) वृक्क।
उत्तर: इरिथ्रोपोइटिन।
(ह) जठर-आंत्रीय पथ।
उत्तर: गैस्ट्रिन।
4. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
हार्मोन | लक्ष्य ग्रंथि |
(अ) हाइपोथेलैमिक हार्मोन | ____________ |
(ब) थायरोट्रॉफिन (टीएसएच) | ____________ |
(स) कॉर्टिकोट्रॉफिन (एसीटीएच) | _____________ |
(द) गोनेडोट्रॉपिन (एलएच, एफएसएच) | _____________ |
(य) मेलानोट्रोफिन (एमएसएच) | _____________ |
उत्तर:
हार्मोन | लक्ष्य ग्रंथि |
(अ) हाइपोथेलैमिक हार्मोन | हाइपोथैलेमस |
(ब) थायरोट्रॉफिन (टीएसएच) | थायरॉइड ग्रन्थि |
(स) कॉर्टिकोट्रॉफिन (एसीटीएच) | अधिवृक्क वल्कुट |
(द) गोनेडोट्रॉपिन (एलएच, एफएसएच) | वृषण अथवा अण्डाशय |
(य) मेलानोट्रोफिन (एमएसएच) | त्वचा की रंग कोशिकाएँ |
5. निम्नलिखित हार्मोन के कार्यों के बारे में टिप्पणी लिखिए-
(अ) पैराथायरॉइड हार्मोन (पीटीएच)।
उत्तर: पैराथाइरॉइड ग्रंथि शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये ग्रंथियाँ पैराथाइरॉइड हार्मोन (PTH) का स्राव करती हैं, जो रक्त में कैल्शियम के स्तर को बढ़ाने में सहायक होता है। यह हार्मोन हड्डियों से कैल्शियम को मुक्त करके रक्त में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाता है। इसके अलावा, PTH किडनी में कैल्शियम के पुनः अवशोषण को बढ़ाता है और यूरिन के माध्यम से कैल्शियम की हानि को कम करता है। यह हार्मोन आंतों में कैल्शियम अवशोषण को बढ़ाने के लिए विटामिन D को सक्रिय रूप में परिवर्तित करता है। साथ ही, PTH किडनी में फॉस्फेट के पुनः अवशोषण को कम करके रक्त में फॉस्फेट का स्तर भी नियंत्रित करता है। इस प्रकार, पैराथाइरॉइड ग्रंथि शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट संतुलन बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
(ब) थायरॉइड हार्मोन।
उत्तर: मैं ऑक्सीकारक उपापचय को प्रेरित करके कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन और उपापचय दर को बढ़ाते हैं और जीवन की रफ्तार को बनाए रखते हैं। ये हृदय स्पंदन दर, प्रोटीन संश्लेषण, O₂ एवं ग्लूकोज की खपत आदि को बढ़ाते हैं। थायरॉक्सिन कायांतरण के लिए आवश्यक होता है। ये शीत रुधिर वाले जंतुओं में त्वक् पतन को नियंत्रित करते हैं।
(स) थाइमोसिन।
उत्तर: यह T-लिम्फोसाइट्स के प्रचुरोद्भवन एवं विभेदीकरण द्वारा शरीर की सुरक्षा करता है। ये जीवाणुओं के प्रजनन को नष्ट करने के लिए प्रतिरक्षी का निर्माण करती है। थाइमोसिन थाइमस ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है। यह शरीर को संक्रामक एजेंटों से बचाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। एंटीबॉडी के प्रजनन को बढ़ावा देता है। इसलिए, यह कोशिका-मध्यस्थता और हास्य प्रतिरक्षा दोनों प्रदान करता है। थाइमोसिन सेक्स ग्रंथियों के विकास में भी मदद करता है।
(द) एंड्रोजेन।
उत्तर: एंड्रोजेनः एंड्रोजेन नर के सहायक जनन अंगों जैसे कि एपीडिडाईमस, शुक्रवाहिका, सेमिनल वेसीकल, प्रोस्टेट ग्रंथि, यूरिश्रा आदि के परिवर्धन, परिपक्वन और क्रियाओं का नियमन करते हैं। ये हार्मोन पेशीय वृद्धि, मुख और अक्षीय रोम की वृद्धि, क्रोधात्मकता, निम्न स्वरमान या आवाज इत्यादि को उत्तेजित करते हैं। एंड्रोजेन शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया में प्रेरक भूमिका निभाते हैं। एंड्रोजेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर कार्य कर नर लैंगिक व्यवहार (लिबिडो) को प्रभावित करता है। ये हार्मोन प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट उपापचय पर उपाचयी प्रभाव डालते हैं
(य) एस्ट्रोजेन।
उत्तर: इनके कारण स्त्रियों में यौवनारंभ होता है। मासिक धर्म प्रारम्भ हो जाता है। स्तनों, दुग्ध ग्रंथियों, गर्भाशय, योनि, लैबिया भगशिश्न आदि का विकास होता है। इस हार्मोन को नारी विकास हार्मोन कहते हैं।
(र) इंसुलिन एवं ग्लूकागौन।
उत्तर: इंसुलिन और ग्लूकागन कार्बोहाइड्रेट उपापचय का नियंत्रण करते हैं। इंसुलिन आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में परिवर्तित करता है, जिसे ग्लाइकोजेनेसिस कहते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लाइकोजन यकृत और मांसपेशियों में संचित हो जाता है। जब रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है, तो ग्लूकागन हार्मोन संचित ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है। इस प्रक्रिया को ग्लाइकोजनोलिसिस कहा जाता है।
6. निम्न के उदाहरण दीजिए-
(अ) हाइपर ग्लाइसीमिक हार्मोन एवं हाइपोग्लासीमिक हार्मोन।
उत्तर: ग्लूकागन (Glucagon) और ग्लूकोकॉर्टिकोइड्स (Glucocorticoids)
(ब) हाइपर कैलसीमिक हार्मोन।
उत्तर: पैराथाइरॉइड हार्मोन (Parathormone)
(स) गोनेडोट्रॉफिक हार्मोन।
उत्तर: ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), कूपक प्रेरक हार्मोन (FSH)
(द) प्रोजेस्टेशनल हार्मोन।
उत्तर: प्रोजेस्टेरोन (Progesterone)
(य) रक्तदाब निम्नकारी हामॉन।
उत्तर: एंटीडाय्यूरेटिक हार्मोन (ADH), एट्रियल नट्रियूरेटिक पेप्टाइड (ANP)
(र) एंड्रोजेन एवं एस्ट्रोजेन।
उत्तर: टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) और एस्ट्राडियोल (Estradiol)
7. निम्न लिखित विकार किस हार्मोन की कमी के कारण होते हैं-
(अ) डायबिटीज।
उत्तर: इन्सुलिन हार्मोन।
(ब) गॉइटर।
उत्तर: थाइरॉइड हार्मोन (थॉयराक्सिन)।
(स) क्रेटोनिज्म।
उत्तर: वृद्धि हार्मोन (GH) की कमी के कारण ।
8. एफ एस एच की कार्यविधि का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: एफ.एस.एच. (फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन) हार्मोन पुरुषों में वृषणों की शुक्रजनन नलिकाओं की वृद्धि तथा शुक्राणु उत्पादन को प्रेरित करता है। स्त्रियों में यह अंडाशय की ग्रोइन पुटिकाओं (प्रैफियन फॉलिकल्स) के विकास एवं अंड जनन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। इसके साथ ही यह मादा हार्मोन एस्ट्रोजन के स्राव को भी बढ़ावा देता है।
ऋणात्मक प्रतिपुष्टि नियंत्रण के अंतर्गत, स्त्रियों में एस्ट्रोजन और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रमुख हार्मोन FSH के स्राव को नियंत्रित (अवरोधित) करते हैं। लगभग 40 वर्ष की आयु के बाद स्त्रियों में अंडाशयों की FSH के प्रति संवेदनशीलता कम हो जाती है, जिससे मासिक धर्म, अंड जनन और मादा हार्मोन का स्राव धीरे-धीरे बंद होने लगता है। इस जैविक स्थिति को रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) कहा जाता है।
9. निम्न लिखित के जोड़े बनाइए-
स्तंभ I | स्तंभ II |
(i) टी4 | (अ) हाइपोथैलेमस |
(ii) पीटीएच | (ब) थायरॉइड |
(iii) गोनेडोट्रॉफिक रिलीजंग हार्मोन | (स) पीयूष ग्रंथि |
(iv) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन | (द) पैराथायरॉइड |
उत्तर:
स्तंभ I | स्तंभ II |
(i) टी4 | (ब) थायरॉइड |
(ii) पीटीएच | (द) पैराथायरॉइड |
(iii) गोनेडोट्रॉफिक रिलीजंग हार्मोन | (अ) हाइपोथैलेमस |
(iv) ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन | (स) पीयूष ग्रंथि |

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