NCERT Class 11 Biology Chapter 18 तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 11 Biology Chapter 18 तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय Solutions and select need one. NCERT Class 11 Biology Chapter 18 तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय Question Answers Download PDF. NCERT Class 11 Biology Texbook Solutions in Hindi.
NCERT Class 11 Biology Chapter 18 तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय
Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 11 Biology Textual Solutions in Hindi Medium are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 11 Biology Notes, CBSE Class 11 Biology in Hindi Medium Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.
तंत्रिकीय नियंत्रण एवं समन्वय
Chapter: 18
अभ्यास
1. निम्नलिखित संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए-
(अ) मस्तिष्क।
उत्तर: मस्तिष्कः मस्तिष्क हमारे शरीर का केंद्रीय सूचना प्रसारण अंग है और यह ‘आदेश व नियंत्रण तंत्र’ की तरह कार्य करता है। यह ऐच्छिक गमन शरीर के संतुलन, प्रमुख अनैच्छिक अंगों के कार्य (जैसे फेफड़े, हृदय, वृक्क आदि), तापमान नियंत्रण, भूख एवं प्यास, परिवहन, लय, अनेकों अंतःश्रावी ग्रंथियों की क्रियाएं और मानव व्यवहार का नियंत्रण करता है। यह देखने, सुनने, बोलने की प्रक्रिया, याददाश्त, कुशाग्रता, भावनाओं और विचारों का भी स्थल है।
2. निम्नलिखित की तुलना कीजिए-
(अ) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र।
उत्तर:
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र | परिधीय तंत्रिका तंत्र |
(i) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के होते हैं मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी | (i) परिधीय तंत्रिका तंत्र से बना है नस कपाल, रीढ़ की हड्डी और संवेदी। |
(ii) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र सभी को नियंत्रित करता है स्वैच्छिक कार्य हमारे शरीर का। | (ii) हमारे शरीर की सभी अनैच्छिक प्रक्रियाओं को परिधीय तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है। |
(iii) हमारे शरीर के मुख्य कार्य मस्तिष्क (CNS) द्वारा नियंत्रित होते हैं। | (iii) परिधीय तंत्रिका तंत्र अनजाने में आंतरिक अंगों, रक्त वाहिकाओं, चिकनी और हृदय की मांसपेशियों के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है। |
(iv) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ है संवेदी रिसेप्टर्स, मांसपेशियों और ग्रंथियों एसएनपी द्वारा नियंत्रित शरीर के परिधीय क्षेत्रों में। | (iv) एसएनपी के मामले में, संवेदी न्यूरॉन्स संवेदी रिसेप्टर्स के तंत्रिका आवेगों को शरीर के विभिन्न भागों में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में अनुबंधित करते हैं। |
(ब) स्थिर विभव और सक्रिय विभव।
उत्तर:
स्थिर विभव | सक्रिय विभव |
(i) विश्राम अवस्था में प्लाज्मा झिल्ली में विद्युत विभव के अंतर को प्लाज्मा झिल्ली का स्थिर विभव कहा जाता है। | (i) जब भी एक्सॉन के किसी भी भाग में उद्दीपन मिलता है, तब एक्जिमा या बाह्य प्लाज्मा झिल्ली का निध्रुवण हो जाता है। |
(ii) प्लाज्मा झिल्ली में -70 mV का विभव उत्पन्न होता है, जिसे स्थिर कला विभव कहा जाता है। | (ii) उस स्थान पर विभवान्तर घटकर 30 mV रह जाता है, इसे सक्रिय विभव कहते हैं। |
(iii) आराम करने की क्षमता इस बारे में बताती है कि जब एक न्यूरॉन आराम में होता है तो वास्तव में उसके साथ क्या होता है। | (iii) एक्शन पोटेंशिअल तत्तु होता है जब एक न्यूरॉन संदेश को एक ऑक्स के नीचे भेजता है जो न्यूरॉन सेल बॉडी से दूर होता है। |
(iv) झिल्ली Na+ आयनों की तुलना में K+ आयनों के लिए अधिक पारगम्य है। | (iv) झिल्ली K+ आयनों की तुलना में Na+ आयनों के लिए अधिक पारगम्य है |
(v) जब तंत्रिका आवेगों का कोई संचालन नहीं होता है तो यह तंत्रिका फाइबर में संभावित अंतर होता है। | (v) जब तंत्रिका आवेगों का संचालन होता है तो यह तंत्रिका फाइबर में संभावित अंतर होता है। |
3. निम्नलिखित प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए-
(अ) तंत्रिका तंतु की झिल्ली का ध्रुवीकरण।
उत्तर: तंत्रिका तंतु की झिल्ली का ध्रुवीकरण उस अवस्था को कहते हैं जब तंतु विश्राम की स्थिति में होता है और कोई तंत्रिका आवेग संचरित नहीं हो रहा होता है। इस अवस्था में तंत्रिका कोशिका की झिल्ली के अंदर की ओर ऋणात्मक आवेश होता है जबकि बाहर की ओर धनात्मक आवेश होता है। यह आवेश अंतर मुख्यतः सोडियम (Na⁺) और पोटैशियम (K⁺) आयनों के असमान वितरण के कारण होता है। झिल्ली के बाहर सोडियम आयनों की मात्रा अधिक होती है, जबकि अंदर पोटैशियम आयन अधिक होते हैं। झिल्ली की पारगम्यता ऐसी होती है कि अधिक पोटैशियम बाहर निकल सकता है लेकिन सोडियम का अंदर प्रवेश सीमित होता है। इसके अतिरिक्त, सोडियम-पोटैशियम पम्प सक्रिय रूप से तीन Na⁺ को बाहर और दो K⁺ को अंदर ले जाता है, जिससे अंदर की ओर ऋणात्मक और बाहर की ओर धनात्मक आवेश बना रहता है। इस अवस्था को ही ध्रुवीकरण कहा जाता है, और यह तंत्रिका आवेग की उत्पत्ति के लिए आवश्यक प्रारंभिक स्थिति होती है।
(ब) तंत्रिका तंतु की झिल्ली का विध्रुवीकरण।
उत्तर: विध्रुवीकरण वह प्रक्रिया है जब तंत्रिका तंतु किसी उत्तेजना के कारण अपनी विश्राम अवस्था (ध्रुवीकरण) से बाहर आता है और तंत्रिका आवेग उत्पन्न करता है। जब किसी बिंदु पर तंत्रिका तंतु को पर्याप्त उत्तेजना मिलती है, तो झिल्ली की पारगम्यता बदल जाती है और सोडियम (Na⁺) आयनों के लिए चैनल खुल जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में Na⁺ आयन तंतु के अंदर प्रवेश करने लगते हैं। इससे झिल्ली के अंदर का आवेश धनात्मक हो जाता है और बाहर का ऋणात्मक — यानी झिल्ली का आवेश पलट जाता है। इस स्थिति को ही विध्रुवीकरण कहा जाता है। विध्रुवीकरण, तंत्रिका आवेग के संचरण की शुरुआत करता है और यह आवेग झिल्ली के साथ-साथ आगे बढ़ता है। इसके बाद पुनःध्रुवीकरण की प्रक्रिया होती है, जिसमें झिल्ली अपनी मूल स्थिति में लौटती है।
(स) रासायनिक सिनेप्स द्वारा तंत्रिका आवेगों का संवहन।
उत्तर: रासायनिक सिनेप्स द्वारा तंत्रिका आवेगों का संवहनः रासायनिक सिनेप्स द्वारा तंत्रिका आवेगों का संवहन सिनेप्स दो प्रकार के होते हैं, विद्युत सिनेप्स एवं रासायनिक सिनेप्स। रासायनिक सिनेप्स पर, पूर्व एवं पश्च सिनेष्टिक न्यूरोन्स की झिल्लियाँ द्रव से भरे अवकाश द्वारा पृथक् होती हैं जिसे सिनेष्टिक दरार कहते हैं।
4. निम्नलिखित का नामांकित चित्र बनाइए-
(अ) न्यूरॉन।
उत्तर:
(ब) मस्तिष्क।
उत्तर:
5. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(अ) तंत्रीय समन्वयन।
उत्तर: तंत्रिकीय तंत्र ऐसे व्यवस्थित जाल तंत्र गठित करता है, जो त्वरित समन्वय हेतु बिंदु दर बिंदु जुड़ा रहता है। अंतःश्रावी तंत्र हार्मोन द्वारा रासायनिक समन्वय बनाता है। हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र एवं अंतःस्रावी तंत्र सम्मिलित रूप से अन्य अंगों की क्रियाओं में समन्वय करते हैं तथा उन्हें एकीकृत करते हैं, जिससे सभी क्रियाएं एक साथ संचालित होती रहती हैं।
(ब) अग्र मस्तिष्क।
उत्तर: अग्र मस्तिष्क सेरीब्रम, थेलेमस और हाइपोथेलेमस का बना होता हैं सेरीब्रम (प्रमस्तिष्क) मानव मस्तिष्क का एक बड़ा भाग बनाता है। एक गहरी लंबवत विदर प्रमस्तिष्क को दो भागों, दाएं व बाएं प्रमस्तिष्क गोलार्डो में विभक्त करती है। ये गोलार्द्ध तंत्रिका तंतुओं की पट्टी कार्पस कैलोसम द्वारा जुड़े होते हैं।
अग्र मस्तिष्क के निम्न कार्य हैं:
(i) प्रमस्तिष्क के कार्य: यह बुद्धिमत्ता, याददास्त, चेतना, अनुभव, विश्लेषण, क्षमता, तर्कशक्ति तथा वाणी आदि उच्च मानसिक कार्यकलापों के केन्द्र का कार्य करता है।
(ii) थैलेमस: थैलेमस के कार्य-संवेदी व प्रेरक संकेतों का केन्द्र है।
(स) मध्य मस्तिष्क।
उत्तर: मध्य मस्तिष्क अग्र मस्तिष्क के थेलेमस/हाइपोथेलेमस तथा पश्च मस्तिष्क के पोंस के बीच स्थित होता है। एक नाल प्रमस्तिष्क तरल नलिका मध्य मस्तिष्क से गुजरती है। मध्य मस्तिष्क का ऊपरी भाग चार लोबनुमा उभारों का बना होता है जिन्हें कॉर्पोरा क्वाड्रीजेमीन कहते हैं।
(द) पश्च मस्तिष्क।
उत्तर: पश्च मस्तिष्क के मस्तिष्क का पश्च भाग है। इसे मस्तिष्क वृन्त भी कहते हैं। पश्च मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं-पश्च मस्तिष्क पोंस, अनुमस्तिष्क और मध्यांश (मेड्यूला ओबलोगेंटा) का बना होता है।
(i) पश्च मस्तिष्क पोंस: पोंस रेशेनुमा पथ का बना होता है जो कि मस्तिष्क के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ते हैं।
(ii) अनुमस्तिष्कः अनुमस्तिष्क की सतह विलगित होती है जो न्यूरोंस को अतिरिक्त स्थान प्रदान करती है।
(iii) मध्यांश (मेड्यूला ओबलोगेंटा): मस्तिष्क का मध्यांश मेरूरज्जु से जुड़ा होता है। मध्यांश में श्वसन, हृदय परिसंचारी प्रतिवर्तनत और पाचक रसों के स्राव के नियंत्रण केंद्र होते हैं। मध्य मस्तिष्क, पोंस और मेडुला ओबलोगेटा मस्तिष्क स्तंभ के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं। मस्तिष्क स्तंभ, मस्तिष्क और मेरू रज्जू के बीच संयोजन स्थापित करता है।
6. निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए-
(अ) सिनेप्टिक संचरण की क्रियाविधि।
उत्तर: सिनेप्टिक संचरण की क्रियाविधि: तंत्रिका आवेगों का एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संचरण सिनेप्स के माध्यम से होता है। एक सिनेप्स का निर्माण पूर्व-सिनेप्टिक न्यूरॉन और पश्च-सिनेप्टिक न्यूरॉन की झिल्लियों से होता है, जिनके बीच एक सिनेप्टिक दरार (Synaptic Cleft) होती है। सिनेप्स दो प्रकार के होते हैं विद्युत सिनेप्स और रासायनिक सिनेप्स।
विद्युत सिनेप्स में, पूर्व और पश्च सिनेप्टिक न्यूरॉन की झिल्लियाँ बहुत निकट होती हैं, जिससे आयनों का सीधा प्रवाह संभव होता है। इस प्रकार के सिनेप्स में विद्युत आवेग एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन में सीधे प्रवाहित होता है, जिससे संचरण बहुत तीव्र और लगभग तात्क्षणिक होता है। यह आवेग संचरण उसी प्रकार होता है जैसे एक तंत्रिकाक्ष (axon) के भीतर होता है।
रासायनिक सिनेप्स की तुलना में विद्युत सिनेप्स अधिक तेज़ होते हैं, परंतु रासायनिक सिनेप्स शरीर में अधिक सामान्य रूप से पाए जाते हैं और जटिल सूचना प्रसंस्करण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
7. (अ) सक्रिय विभव उत्पन्न करने में Na+ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर: उद्दीपन के प्रभाव से क्रियात्मक विभव का निर्माण
जब किसी तंत्रिका तंतु को उद्दीपन (stimulus) मिलता है, तो तंत्रिकाच्छद (न्यूरिलेमा) की सोडियम आयनों (Na⁺) के लिए पारगम्यता बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप, सोडियम आयन बाह्य ऊतक द्रव से तेजी से ऐक्सोप्लाज़्म (अंदरूनी द्रव) में प्रवेश करने लगते हैं।
इस आयन प्रवाह के कारण तंत्रिका तंतु की सतह पर विध्रुवीकरण (depolarization) हो जाता है। इससे विश्राम की अवस्था में मौजूद विश्राम कला विभव (resting potential) परिवर्तित होकर क्रियात्मक कला विभव (action potential) में बदल जाता है, जो तंत्रिका आवेग के प्रसारण में सहायक होता है।
(ब) सिनेप्स पर न्यूरोट्रांसमीटर मुक्त करने में Ca” की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर: सिनेप्टिक संचरण और श्रवण तंत्र में तंत्रिका आवेगों की उत्पत्ति
जब कोई तंत्रिकीय प्रेरणा क्रियात्मक विभव (action potential) के रूप में सिनेप्टिक गाँठ (synaptic knob) पर पहुँचती है, तो कैल्शियम आयन (Ca²⁺) ऊतक तरल से सिनेप्टिक गाँठ के भीतर प्रवेश करते हैं। कैल्शियम के प्रवाह के कारण सिनेप्टिक गाँठ की सिनेप्टिक पुटिकाएँ (synaptic vesicles) सिनेप्टिक झिल्ली से जुड़ जाती हैं और इनमें मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर (तंत्रिका संचारी रसायन) सिनेप्टिक विदर (synaptic cleft) में मुक्त हो जाते हैं।
ये न्यूरोट्रांसमीटर पश्च-सिनेप्टिक न्यूरॉन के डेंड्राइट्स पर स्थित रिसेप्टरों से जुड़कर रासायनिक उद्दीपन उत्पन्न करते हैं, जिससे वहां क्रियात्मक विभव बनता है और तंत्रिका आवेग आगे प्रसारित होता है।
श्रवण तंत्र में तंत्रिका आवेगों की उत्पत्ति कोक्लिया (Cochlea) की आधारीय झिल्ली (Basilar membrane) की गति से रोम कोशिकाएँ (hair cells) झुकती हैं, जिससे ये टैक्टोरियल झिल्ली (Tectorial membrane) पर दबाव डालती हैं। इस यांत्रिक उद्दीपन के कारण रोम कोशिकाओं में तंत्रिका आवेग उत्पन्न होते हैं। ये आवेग अभिवाही तंतुओं (afferent fibers) के माध्यम से श्रवण तंत्रिका (Auditory nerve) द्वारा मस्तिष्क के श्रवण प्रांतस्था (Auditory cortex) तक पहुँचते हैं, जहाँ इनका विश्लेषण कर ध्वनि को पहचाना जाता है।
8. निम्न के बीच में अंतर बताइए
(अ) आच्छादित और अनाच्छादित तंत्रिकाक्ष।
उत्तर:
आच्छादित तंत्रिकाक्ष | अनाच्छादित तंत्रिकाक्ष |
(i) तंत्रिकाक्ष तथा एक्सॉन के मध्य प्रोटीन युक्त लिपिड पदार्थ मायलिन पाया जाता है। | (i) तंत्रिकाक्ष तथा एक्सॉन के मध्य मायलिन का अभाव पाया जाता है। |
(ii) इनमे प्रेरणाओं का प्रसारण तीव्र गति से होता है। | (ii) इनमे प्रेरणाओं का प्रसारण मंद गति से होता है। |
(iii) ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और परिधीय तंत्रिका तंत्र बनाते है । | (iii) ये स्वायत्त तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। |
(iv) रैनवियर का नोड आसन्न माइलिन शीथ के बीच मौजूद होता है। | (iv) रैनवियर का नोड अनुपस्थित है। |
(v) श्वान कोशिकाएं माइलिन आवरण के अंदर देखी जाती हैं । | (v) माइलिन के अंदर श्वान कोशिकाएं नहीं देखी जाती हैं। |
(ब) दुम्राक्ष्य और तंत्रिकाक्ष।
उत्तर:
दुम्राक्ष्य | तंत्रिकाक्ष |
(i) कम लम्बाई के पतले सूक्ष्म प्रवर्ध होते हैं। | (i) ये द्रुमाक्ष्य की तुलना में आकार में बड़े व मोटे होते हैं। |
(ii) यह तन्त्रिका आवेग को कोशिकाकाय की ओर लाते हैं। | (ii) जबकि तंत्रिकाक्ष तन्त्रिका आवेग को कोशिकाकाय से दूर सिनेप्स पर अथवा तन्त्रिकीय पेशी संधि पर पहुंचाते हैं। |
(iii) इनमे कोशिकांग तथा निसेल कण होते हैं। | (iii) इनमे कोशिकांग तो होते हैं लेकिन निसेल कण नहीं होते हैं। |
(iv) ये प्रेरणाओं को कोशिका काय तक ले जाते हैं। | (iv) ये प्रेरणाओं को कोशिका काय से अन्य तंत्रिका कोशिकाओं तक ले जाते हैं। |
(v) दुम्राक्ष्य न्यूरॉन से निकलने वाला एक छोटा सा प्रक्षेपण है। यह कोशिका श्रीर की ओर तंत्रिका आवेग का संचालन करता हैं | (v) तंत्रिकाक्ष एक एकल, लंबा प्रक्षेपण है जो तंत्रिका आवेग को कोशिका शरीर से दूर अगले न्यूरॉन तक ले जाता है। |
(स) थेलेमस और हाइपोथेलेमस।
उत्तर:
थेलेमस | हाइपोथेलेमस |
(i) थेलेमस में दो जुड़े हुए लोब होते हैं, प्रत्येक गोलार्ध में स्थित होता है। | (i) हाइपोथेलेमस शंकु के आकार का है। |
(ii) ये प्रमस्तिष्क से जुड़ा हुआ रहता है।। | (ii) ये थेलेमस क आधार से जुड़ा हुआ रहता है। |
(iii) इनमे तंत्रिका कोशिकाओं के छोटे छोटे समूह होते | (iii) इनमे तंत्रिका कोशिकाओं के लगभग एक दर्जन बड़े समूह होते हैं |
(iv) थैलेमस स्पर्श, श्रवण, दृष्टि, ताप, पीड़ा, कम्पन, आदि संवेदी सूचनाओं के पुनः प्रसारण केन्द्र के रूप में कार्य करता है। | (iv) यह शरीर के कई आवश्यक कार्यों में एक भूमिका निभाता है, जैसे शरीर के तापमान, प्यास और भूख को नियंत्रित करना। यह भावनाओं, नींद चक्र, प्रसव, रक्तचाप और हृदय गति के नियमन में भी हस्तक्षेप करता है, साथ ही पाचन रस के उत्पादन और शरीर के तरल पदार्थों के संतुलन में। |
(द) प्रमस्तिष्क और अनुमस्तिष्क।
उत्तर:
प्रमस्तिष्क | अनुमस्तिष्क |
(i) प्रमस्तिष्क अग्रमस्तिष्क का सबसे बड़ा और मुख्य भाग है। | (i) अनुमस्तिष्क पश्चमस्तिष्क का मुख्य भाग होता है। |
(ii) ये मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग होता है। | (ii) यह मस्तिष्क का अपेक्षाकृत छोटा भाग है जो प्रमस्तिष्क के आधार पर उसके नीचे स्थित होता है। |
(iii) नकी बाहरी सतह कटकों और खाँचों की मौजूदगी के कारण अत्यधिक संवलित होती है। | (iii) इसमें संवलनों के स्थान पर अनेक खाँचें होती हैं। |
(iv) बाहरी क्षेत्र (प्रमस्तिष्क वल्कुट) में तंत्रिका कोशिकाओं न्यूरॉनों की कोशिका-काय होती है और धूसर रंग का होने के नाते इसे धूसर-द्रव्य कहते हैं। | (iv) इसका वल्कुट भाग भी धूसर द्रव्य का बना होता है। |
9. (अ) मानव मस्तिष्क का सर्वाधिक विकसित भाग कौनसा है?
उत्तर: मानव मस्तिष्क का सर्वाधिक विकसित भाग प्रमस्तिष्क है।
(ब) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का कौनसा भाग मास्टर क्लांक की तरह कार्य करता है?
उत्तर: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का हाइपोथैलेमस भाग मास्टर क्लॉक की तरह कार्य करता है।
10. निम्न में भेद स्पष्ट कीजिए।
(अ) संवदो तत्रिका एवं प्रेरक तत्रिका।
उत्तर:
संवदो तत्रिका | प्रेरक तत्रिका |
(i) ये एकध्रुवीय होते हैं | (i) इन्हें अपवाही तंत्रिका कहते हैं। |
(ii) ये एकध्रुवीय होते हैं | (ii) ये बहुध्रुवीय होते हैं। |
(iii) ये संवेदी अंग से प्रेरणाओं को केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुंचाते हैं। | (iii) ये केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से प्रतिक्रियाओं को अपवाह तंत्र तक ले जाते हैं। |
(iv) अभिवाही न्यूरॉन मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी की ओर तंत्रिका आवेगों का संचालन करता है। | (iv) अपवाही न्यूरॉन मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी से तंत्रिका आवेगों को मांसपेशियों या ग्रंथियों जैसे प्रभावकारी अंगों तक ले जाता है। |
(ब) आच्छादित एवं अनाच्छादित तंत्रिका तंतु में आवेग मचरण।
उत्तर:
आच्छादित तंत्रिका तंतु | अनाच्छादित तंत्रिका तंतु |
(i) इनमे उच्छलन प्रेरणा प्रसारण पाया जाता है। | (i) इनमे प्रेरणा प्रसारण स्वसंचारी विद्युत तरंगक रूप में पाया जाता है। |
(ii) इसमें कम ऊर्जा होती है। | (ii) इसमें अधिक ऊर्जा होती है। |
(iii) इनमे अनाच्छादित तंत्रिका तंतु की तुलना में प्रेरणा संचरण तीव्र होता है। | (iii) इनमे आच्छादित तंत्रिका तंतु की तुलना में प्रेरणा संचरण मंद होता है। |
(स) कपालोय तंत्रिकाएं एवं मेरु तत्रिकाए।
उत्तर:
कपालोय तंत्रिकाएं | मेरु तंत्रिकाएं |
(i) कपाल तंत्रिकाएं मस्तिष्क से निकलती हैं। | (i) मेरु तंत्रिकाएं रीढ़ की हड्डी से निकलती हैं। |
(ii) कपाल तंत्रिकाओं के 12 जोड़े होते हैं। | (ii) मेरु तंत्रिकाओं के 31 जोड़े होते हैं। |
(iii) कपाल तंत्रिकाएं मस्तिष्क संबंधी सजगता के लिए जिम्मेदार होती हैं। | (iii) मेरु तंत्रिकाएं मेरु प्रतिवर्त के लिए जिम्मेदार होती हैं। |

Hi! my Name is Parimal Roy. I have completed my Bachelor’s degree in Philosophy (B.A.) from Silapathar General College. Currently, I am working as an HR Manager at Dev Library. It is a website that provides study materials for students from Class 3 to 12, including SCERT and NCERT notes. It also offers resources for BA, B.Com, B.Sc, and Computer Science, along with postgraduate notes. Besides study materials, the website has novels, eBooks, health and finance articles, biographies, quotes, and more.